जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने विशेष कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी है। इस केस में जमानत पर चल रहे कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस के पास पुख्ता सबूत हैं। टुकड़े-टुकड़े गैंग का वायरल वीडियो सीबीआई की फोरेंसिक जांच में सही पाया गया है।
दरअसल जेएनयू में 9 फरवरी 2016 को आतंकवादी अफजल गुरू-मकबूल बट्ट की याद में कार्यक्रम आयोजित हुआ था। कन्हैया कुमार को ना केवल इस कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी बल्कि उसने राष्ट्र विरोधी नारे भी लगाए थे। अब सवाल ये उठता है कि इस गैंग का समर्थन करने जेएनयू पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और वामपंथी पार्टियों के प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, डी राजा जैसे नेता क्या देश से माफी मांगेंगे ?
राष्ट्रविरोधी नारे
- भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह-इंशा अल्लाह
- अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा है
- हम क्या चाहें, आजादी, ले के रहेंगे आजादी
- अफजल तेरे खून से, इंकलाब आएगा
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट
टुकड़े-टुकड़े गैंग के मुख्य सरगना कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य और 7 कश्मीरी छात्रों के नाम कॉलम नंबर 11 में रखे गए हैं। इसका मतलब है कि पुलिस के पास इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। इन पर केस चलाने में कोई अड़चन नहीं है। इनके अलावा बाकी 36 आरोपियों के नाम कॉलम नंबर 12 में है। इन 36 में सीपीआई के वरिष्ठ नेता डी राजा की बेटी अपराजिता और शहला राशिद का भी नाम हैं। कॉलम नंबर 12 का मतलब ये आरोपी तो हैं लेकिन जांच में इनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। अब अगर कोर्ट चाहे तो इन्हें समन कर सकता है। इन आरोपियों पर देशद्रोह, दंगा भड़काना, किसी जगह अवैध तरीके से इकठ्ठा होना और साज़िश के आरोप है। कुल मिलाकर इस केस में 46 आरोपी हैं।
पुलिस के पास सबूत के तौर पर घटना के वक़्त के कई वीडियो फुटेज, मौके पर मौजूद कई लोगों के बयान, मोबाइल फुटेज, फेसबुक पोस्ट, बैनर पोस्टर वगैरह हैं। इनके साथ जेएनयू प्रशासन, एबीवीपी छात्र, सिक्योरिटी गार्ड, औऱ कुछ अन्य छात्र को भी इसमें गवाह बनाया गया है। इस मामले करीब 30 और लोग संदिग्ध पाए गए थे, लेकिन उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले।
पुलिस के मुताबिक कन्हैया कुमार को पूरे कार्यक्रम की जानकारी पहले से थी। चार्जशीट में जिन 7 कश्मीरी छात्रों के नाम हैं, उनसे भी पूछताछ की जा चुकी हैं। इन्हें बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट किया गया है। 1200 पेज की इस चार्जशीट में 90 गवाह हैं।
क्या था पूरा घटनाक्रम
तारीख 9 फरवरी 2016 को दिल्ली के जेएनयू में अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की फांसी को न्यायिक हत्या बताते हुए छात्रों ने साबरमती ढाबे के पास एक प्रोग्राम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का नाम “द कंट्री विदआउट पोस्ट आफिस” था,क्रार्यक्रम के दौरान आरोप है कि वहां मौजूद छात्रों ने देश विरोधी नारे लगाए। सारा घटनाक्रम कैमरे में कैद हुआ। इस कार्यक्रम के बाद उस वक़्त दिल्ली के वसंत कुंज नार्थ थाने में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, और अनिबर्न भट्टाचार्य के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था। जिसके बाद सभी आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी थी।
कॉलम 11 के मुख्य आरोपी
- कन्हैया कुमार
- उमर खालिद
- अनिर्बान भट्टाचार्य
- मुजीर
- मुनीर
- उमर गुल
- बसारत
- रईस रसूल
- अकीब
- खालिद भट्ट
कालम नम्बर 12 के आरोपी
- शहला राशिद
- अपराजिता राजा (डी राजा की बेटी)
- रामा नागा
- बंजोशनला लाहरी (अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में एसोशिएट प्रोफेसर)
- आशुतोष
- इशान
टाइम लाइन
11 फरवरी 2016
पूर्वी दिल्ली सांसद महेश गिरी की शिकायत पर पुलिस ने देशद्रोह का केस दर्ज किया।
केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने कन्हैया कुमार, उमर खालिद,और अनिर्बान भटाचार्य से पूछताछ की।
12 फरवरी 2016
जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार गिरफ्तार, जबकि उमर खालिद समेत कुछ छात्र फरार।
15 फरवरी 2016
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के दौरान कुछ वकीलों ने कन्हैया कुमार और कुछ पत्रकारों की पिटाई की।
21 फरवरी 2016
सभी फरार छात्र जेएनयू पहुंचे।
24 फरवरी 2016
दिल्ली पुलिस ने अर्निबान भटाचार्य और उमर ख़ालिद को अरेस्ट कर लिया।
19 मार्च 2016
तीनों छात्र कन्हैया कुमार, उमर, और अर्निबान को जमानत मिल गयी।
26 अप्रैल 2016
जेएनयू की इनक्वॉयरी कमिटी ने 21 छात्रों को नियमों का उल्लंघन का दोषी पाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही।
10-12 मई 2016
अनुशासनात्मक करवाई के खिलाफ आरोपी छात्र दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे
13 मई 2016
हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय की कार्रवाई पर स्टे लगाया।