Home समाचार भगवा आतंक की आड़ लेकर कांग्रेस ने पाकिस्तानी आरोपी को बचाया!

भगवा आतंक की आड़ लेकर कांग्रेस ने पाकिस्तानी आरोपी को बचाया!

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टाइम्स नाउ ने यूपीए सरकार पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाया है। टाइम्स नाउ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस धमाके के संदिग्ध आरोपी जो कि पाकिस्तानी नागरिक थे, उन्हें एक साजिश के तहत छोड़ दिया गया और उनके स्थान पर निर्दोष हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया। यह एक खास वर्ग को खुश करने के लिए कांग्रेसी नेताओं की गंदी राजनीति करने की कोशिश रही है जो अब परत दर परत खुल रही है।

आरोपों की मानें तो धमाके की जांच कर रही एनआईए की टीम ने एक व्यक्ति से जबरन झूठा बयान दिलाया और उसी गवाह के आधार पर कांग्रेस और यूपीए सरकार ने भगवा आतंकवाद का झूठा किस्सा गढ़ना शुरू कर दिया। 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में बलास्ट हुआ तो वहां भी भगवा आतंक का झूठा जाल बिछाया गया। लेकिन झूठ की बिसात पर कांग्रेस द्वारा रची गई भगवा आतंकवाद की साजिश का पर्दा धीरे-धीरे सरकने लगा है।

समझौता एक्सप्रेस बलास्ट के मुख्य गवाह यशपाल भड़ाना ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि उससे एनआईए ने दबाव बनाकर बयान लिया था ताकि स्वामी असीमानंद और अन्य दूसरे लोगों को फंसाया जा सके। भड़ाना के नए हलफनामे से यूपीए सरकार में गृह मंत्री रहे पी. चिदंबरम पर सवाल उठ रहे हैं।

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीए सरकार ने गुपचुप तरीके से 2007 के समझौता एक्सप्रेस धमाके के दस्तावेज जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के जुड़े होने का सबूत था, उसे पाकिस्तान को सौंप दिया। इसे यूपीए सरकार की देश से गद्दारी नहीं तो फिर और क्या माना जाए? धमाके को लेकर वो किस तरह से अपनी एक सुनियोजित दिशा में बढ़ रही थी इसका पता इससे चलता है कि 2010 आते-आते इस घटना में हाथ होने के आरोप से पाकिस्तान को मुक्त कर दिया गया।

एक चौंकाने वाल तथ्य यह है कि समझौता एक्सप्रेस धमाके की आतंकवादी घटना 19 फरवरी 2007 को हुई। उसके ठीक दो दिन बाद 21 फरवरी 2007 को अटारी रेलवे स्टेशन से अवैध यात्रा दस्तावेजों के साथ पाकिस्तानी नागरिक अजमत को पुलिस ने गिरफ्तार किया। विस्फोट के तुरंत बाद जांच कर रही टीम ने स्केच जारी किए थे। उस स्केच से अजमत और उसके साथी उस्मान का 6 मार्च को मिलान कराया गया था। 16 मार्च 2007 को कोर्ट के आदेश पर जीआरपी ने अजमत को 14 दिनों के लिए हिरासत में लिया। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि 20 मार्च 2007 को जीआरपी ने अजमत की रिहाई याचिका फाइल की और अजमत के खिलाफ जांच वाली फाइल को बंद कर दिया।

बहरहाल, मामले की सुनवाई कर ही पंचकूला की अदालत ने पाकिस्तान के 13 नागरिकों को समन जारी किया है। उन्हें 4 जुलाई को अदालत में पेश होने को कहा गया है। केंद्र सरकार की ओर से पाकिस्तान की सरकार को ये समन सौंपा जा चुका है।

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