नोटबंदी के बाद कैशलेस की ओर कदम बढ़ाने के लिए मेरा देश बदल रहा है… बदल रहा है लोगों के लेन-देन का तरीका। छोटे-छोटे कदम हमें कैशलेस सोसाइटी की ओर लेकर चलेगा और एक दिन विकसित भारत, श्रेष्ठ भारत, विश्वगुरु के रूप में जगत में सर्वोपरि सिंहासन पर विराजमान देख सकेंगे।
कैशलेस होने के लिए एक रास्ता है डिजिटल पेमेंट यानि ई पेमेंट। यह रास्ता आसान, सुलभ और सुरक्षित होने के साथ-साथ लेन-देन में पारदर्शिता लाने में कारगर है।
देश का पहला कैशलेस गांव है अकोदरा
नोट बंदी के बाद भले ही देश को नकदी से जूझना पड़ रहा है। लोग अब नकदी की किल्लत से हो रही परेशानी से बचने के लिए ई-वॉलेट और मोबाइल बैंकिंग का अब इस्तेमाल करना चाह रहे हों या करना शुरू किया हो। लेकिन गुजरात का एक गांव है अकोदरा जहां दो साल पहले ही लोगों ने नकद नोटों से लेन-देन करना छोड़ दिया।
यहां हर खरीदारी और बिक्री ई-पेमेंट से होता है, चाहे रकम छोटी या बड़ी क्यों न हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 जनवरी, 2015 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। गांव अकोदरा गुजरात के सावरकांठा जिले में है और अहमदाबाद से मात्र 90 किमी की दूरी पर है।
इस गांव में प्रत्येक व्यक्ति के पास रूपे कार्ड है। हर खरीदारी मोबाइल बैंकिंग या रूपे कार्ड से होता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि अकोदरा में यह सुविधा ग्रामीणों को गुजराती भाषा में उपलब्ध है। 2015 में आईसीआईसीआई बैंक ने इस गांव को गोद लिया था।
इस गांव में 12वीं तक की शिक्षा भी डिजिटल है। किसानों को पेमेंट भी सीधे उनके खाते में होता है। ऐग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी गांव के किसानों द्वारा उत्पादित अनाज और कपास आदि का मूल्य ऑनलाइन ही चुकाती है। कीमतों की जानकारी भी लाइव रहता है। इसके लिए आईसीआईसीआई बैंक ने रॉयटर्म मार्केट लाइव से करार किया है। अकोदरा गांव में वाई-फाई कनेक्टिविटी है। ग्राम पंचायत में फीस जमा कराकर कोई भी व्यक्ति यहां वाई-फाई की सुविधा ले सकता है।
महाराष्ट्र का पहला गांव धसई
महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मुरबद तालुका स्थित गांव धसई महाराष्ट्र का पहला डिजिटल गांव बन गया है। इसकी आबादी लगभग 10 हजार है। यहां करीब 150 व्यापारी हैं। रोजाना लगभग 10 लाख रुपए का टर्नओवर इस गांव का है। यहां सबके पास बैंक खाता और डेबिट कार्ड है।
नोट बंदी के बाद नकदी की किल्लत को देखते हुए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय प्रतिष्ठान नाम के सामाजिक संस्थान ने प्लास्टिक मनी कैंपेन की शुरुआत की है। इस कैंपेन में बैंक ऑफ बड़ौदा से मदद मांगी। बैंक ऑफ बड़ौदा ने गांव वालों को मुफ्त में स्वाइप मशीन उपलब्ध कराने की सहमति दे दी है।
गांव काछवा होगा हरियाणा का पहला कैशलेस गांव
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विधानसभा क्षेत्र का गांव है काछवा। गांव काछवा को कैशलेस बनाने की प्रक्रिया ग्रामीणों को जागरूक करने से शुरू हो गई। तीन बैंक मित्र घर-घर जाकर लोगों के स्मार्टफोन में एप डाउनलोड करा रहे हैं
करनाल के एसडीएम योगेश कुमार ने बताया कि गांव काछवा की आबादी 15 हजार है। यहां तीन बैंक हैं। एक्सिस बैंक ने गांव के ही तीन युवाओं को बैंक मित्र बनाया है। सरपंच अजय कुमार का कहना है कि गांव के डिजिटलीकरण में पंचायत पूरा सहयोग करेगी। इसके अलावा हिसार के गांव दुर्जपुर को पंजाब नेशनल बैंक कैशलेस बनाने के लिए कार्यरत है।
छत्तीसगढ़ का पहला कैशलेस गांव बनेगा खैरपुर
खैरपुर छत्तीसगढ़ का पहला कैशलेस गांव बनेगा। यहां जिंदल जैसी बड़ी कंपनी है। जिंदल कंपनी के चलते इस गांव की जमीन पर एयरपोर्ट और अस्पताल भी खुला है। ऐसे में केंद्र सरकार की पहल पर इस गांव को कैशलेस की पहल हुई है। एसबीआई अपनी कियोस्क शाखा के जरिए अब लगभग शत प्रतिशत लोगों को बैंक और इंटरनेट बैंकिग से जोड़ चुकी है। खैरपुर गांव में 1650 मकान हैं, जहां की आबादी 5206 है।
पटना के 3 गांव कैशलेस होने की ओर
बिहार की राजधानी पटना के नजदीक बसे 3 गांव कैशलेस होने की तैयारी में जुटे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से करीब 10,000 ग्रामीणों के बीच डिजिटल कैशलेस ट्रांजैक्शंस को लेकर काम शुरू किया गया है। बैंक के प्रतिनिधि पटना के कुर्जी इलाके के बिंड टोली, मनेर के बस्ती गांव और बिहटा के पित्सा गांवों में घर-घर जाकर लोगों से खाते खुलवाने का आग्रह कर रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ मैनेजर आतिश चंद्र मिश्रा ने कहा कि गांवों के लोगों को कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन तीन गांवों को कैशलेस करने के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा अन्य 8 गांवों में इस तरह का प्रयास शुरू करने की तैयारी में हैं।