कांग्रेस की करीबी पत्रकार बरखा दत्त ने सोमवार, 15 जुलाई को अंग्रेजी न्यूज चैनल तिरंगा टीवी के कर्ताधर्ता कपिल सिब्बल पर कई गंभीर आरोप लगाए। सवाल उठता है कि आखिर बरखा ने कपिल सिब्बल के खिलाफ मोर्चा क्यों खोला जबकि वो पत्रकारी बिरादरी में कांग्रेस की करीबी मानी जाती है। तिरंगा टीवी न्यूज चैनल को चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ और कांग्रेस के पक्ष में हवा बनाने के लिए ही शुरू किया गया था। बरखा जैसे पत्रकारों को यहां इसी कारण लाया भी गया था। अब जब कांग्रेस अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो पाई और चुनाव हार गई तो इसकी गाज चैनल के पत्रकारों पर गिरी। चैनल से सैकड़ों पत्रकारों को निकाल दिया गया।तिरंगा टीवी से निकाले गए इन पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर संस्थान के खिलाफ अभियान शुरू किया तो मीडिया इंडस्ट्री के लोगों ने कुछ नहीं करने पर बरखा को खरी-खोटी सुनाई थी। उस समय बरखा दत्त ने कहा था कि उनका कंपनी प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं है।
अब, जब तिरंगा टीवी से निकाले गए पत्रकारों ने मोर्चा खोल दिया है और बरखा को भी निशाने पर ले लिया है। तो अपने छवि की बचाने की कवायद के तहत अब बरखा मुखर हो रही हैं। राडिया मामले में विवादों मे रहीं बरखा दत्त ने अपनी छवि पर आंच आते देख सिब्बल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पत्रकारों के एक गिरोह ने अपने स्वार्थ के लिए धर्मनिरपेक्षता, उदारवाद आदि जुमलों की आड़ में पत्रकारिता की दुकान खोल रखी है। ऐसी ही एक उदारवादी पत्रकारिता की दुकान बरखा दत्त ने भी खोल रखी है।
एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार बरखा दत्त विभिन्न समाचार पत्रों और वेबसाइटों पर लिखती रहती हैं। सोशल मीडिया ने इन पत्रकारों को अपना भौकाल बनाने का एक अच्छा प्लेटफार्म उपलब्ध करा दिया है, यही वजह है कि ये दिन रात प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ आग उगलती रहती हैं।
बरखा की पत्रकारिता-1
साउथ की फिल्मी दुनिया के दो दिग्गज-रजनीकांत और कमल हासन ने जब से तमिलनाडु की राजनीति में प्रवेश का निर्णय लिया है, बरखा दत्त ने भी अपना पाला चुन लिया है। बरखा, कमल हासन का भरपूर साथ दे रही हैं, उनका इंटरव्यू करती हैं, उनके बारे में लेख लिखती हैं और सोशल मीडिया पर कमल हासन की बातों को शेयर करती हैं। कमल हासन की उन बातों को भरपूर प्रचारित करती हैं जहां वह राजनीकांत और केसरिया रंग वाली राजनीति का विरोध करते हैं। बरखा दत्त, कमल हासन को उदारवादी रुप में केसरिया रंग का विरोधी बताती हैं। 12 फरवरी, 2018 को बरखा दत्त द्वारा किए गए Tweets से साफ पता लग जाता है कि वह पत्रकारिता के नाम पर देश में असहिष्णुता की जड़ों को मजबूत कर रही हैं-
बरखा दत्त की उदारवादी पत्रकारिता का विकृत चेहरा तब दिखा जब उन्होंने कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर का इंन्टरव्यू, उनकी नई किताब ‘Why I am Hindu’ पर लिया। बरखा दत्त चुन कर उन लोगों का इंटरव्यू करती हैं, जो दिखते तो उदारवादी हैं, लेकिन वास्तव में एक विशेष विचारधारा के प्रति असहिष्णु होते हैं। असहिष्णुता से भरे इस इंटरव्यू को बरखा दत्त ने 2 फरवरी, 2018 को Tweet करके प्रचारित किया-
बरखा के उदारवादी पत्रकार की प्रसन्नता 5 फरवरी, 2018 के Tweet में दिखाई पड़ी, जब राहुल गांधी ने कांग्रेस के सोशल मीडिया कैंपेन के लिए प्रवीण चक्रवर्ती को Data Analytics department के मुखिया के रुप में नियुक्ति किया। बरखा को इस बात की अधिक खुशी है कि आखिरकार कांग्रेस, प्रधानमंत्री मोदी से राजनीतिक जंग लड़ने के लिए अपने को तैयार कर रही है। उदारवादी पत्रकार का नकाब पहनकर, बरखा का इस तरह कांग्रेस से प्रेम और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति असहिष्णुता, देश की पत्रकारिता के लिए खतरनाक है। जाहिर है इस तरह की पत्रकारिता में जनता को सच्चाई बताने के नाम पर धोखा दिया जा रहा है।
बरखा की पत्रकारिता-7 -बरखा के अंदर के उदारवादी पत्रकार का कांग्रेस प्रेम 24 दिसंबर, 2017 को Twitter पर छलक कर सामने आ गया। आप भी इस Tweet को पढ़िए और समझिए कि बरखा की पत्रकारिता किस हद तक उदारवाद के नाम पर कांग्रेस के हाथों में खेलने वाली है।
कांग्रेस के प्रति बरखा दत्त का अगाध प्रेम 16 दिसंबर, 2017 को Twitter पर दिखा, जब राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण कर रहे थे।
बरखा दत्त को कांग्रेस की संस्कृति से इस हद तक प्रेम है कि बरखा ने 8 फरवरी, 2018 को Tweet करके राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान कांग्रेसी सांसद रेणुका चौधरी के अट्टाहस को सही ठहरा दिया। इस कथित उदारवादी पत्रकार को सिर्फ महिला सासंद के हंसने का अधिकार दिखाई दिया, जबकि संसद में प्रधानमंत्री का भाषण चल रहा था, वहां हंसने का कोई माहौल नहीं था। यह सरासर तर्कहीनता की पराकाष्ठा है, जहां परिस्थितियों के अनुसार सोचने की जगह भावनात्मक और मात्र प्रधानमंत्री मोदी के विरोध के लिए सोचा जाता है।