Home केजरीवाल विशेष ‘राइट टू रिकॉल’ को मानेंगे अरविंद केजरीवाल ?

‘राइट टू रिकॉल’ को मानेंगे अरविंद केजरीवाल ?

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एमसीडी चुनाव के नतीजों से साफ है कि आम आदमी पार्टी अपना जनाधार खो चुकी है। दो साल पहले दो तिहाई बहुमत से रिकॉर्ड जीत हासिल करने वाली पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर अब इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। दरअसल केजरीवाल के पुराने साथी और स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने एमसीडी चुनाव खत्म होने के बाद पत्र लिखकर उन्हें ‘राइट टू रिकॉल’ की बात याद दिलाई थी। तो चुनाव नतीजों में बीजेपी की जीत के बाद प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि जनता ने ‘रिकॉल’ कर लिया है। लेकिन बड़ा सवाल ये कि क्या केजरीवाल एमसीडी के मतों के आधार पर इस्तीफा देंगे ? क्या वे अपनी ही कही गई बात को अपने और अपनी पार्टी के ऊपर लागू करेंगे?

योगेंद्र यादव ने उठाया ‘रिकॉल’ का मुद्दा
एमसीडी चुनाव नतीजों से दो दिन पहले स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी योगेंद्र यादव ने आप संयोजक को रिकॉल की बात याद दिलाई थी। उन्होंने पत्र लिखकर केजरीवाल पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था कि आप रामलीला मैदान से जिस रिकॉल व्यवस्था की मांग करते थे, उसे पूरा करने का समय आ गया है। अगर आप एमसीडी में बहुमत नहीं लाते है तो आपको अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

केजरीवाल की पुरानी मांग है ‘रिकॉल’ 
चुनावी राजनीति में आने से पहले से ही अरविंद केजरीवाल ‘राइट टू रिकॉल’ की मांग उठाते रहे हैं। उन्होंने इसके लिए कानून तक बनाने की मांग की थी, जंतर-मंतर पर इस मुद्दे को लेकर धरने पर भी बैठे थे। इस मुद्दे को आधार बनाकर उन्होंने अपना जनाधार भी बढ़ाया और राजनीतिक पहचान भी बनाई थी। लेकिन जब इस पर अमल करने की उनकी बारी आई है तो क्या वे इस ‘राइट टू रिकॉल’ की नजीर बनेंगे?

जनता के ‘रिकॉल’ को मानेंगे केजरीवाल !
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने नगर निगम चुनावों में पार्टी की जीत पर कहा कि अरविंद केजरीवाल ‘राइट टू रिकॉल’ की बात करते थे और दिल्ली की जनता ने उसी का प्रयोग करते हुए उन्हें ‘रिकॉल’ कर लिया है। लेकिन आम आदमी पार्टी ने इसे खारिज कर दिया है। हालांकि इससे पहले केजरीवाल एंड कंपनी रेफरेंडम की बात करती रही है।

खिसका जनाधार, इस्तीफा दो केजरीवाल
दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में 54 प्रतिशत मत पाने वाली ‘आप’ को एमसीडी चुनाव में महज 26 प्रतिशत मत मिले हैं। जबकि बीजेपी को 39.3 प्रतिशत मत मिले हैं। वहीं कांग्रेस को महज 21.2 प्रतिशत मत मिले हैं। जाहिर है वोट प्रतिशत के आधार पर ‘राइट टू रिकॉल’ की बात जायज लगती है।

विधानसभा की 43 सीटें बीजेपी को
वोट प्रतिशत के आधार पर अगर दिल्ली की सत्तर सीटों में हिसाब लगाया जाए तो 39.3 प्रतिशत मतों के साथ विधानसभा में बीजेपी 43 सीटें जीत सकती है। वहीं आम आदमी पार्टी को 25.8 प्रतिशत मत के साथ 12 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस को 21.2 प्रतिशत मतों के साथ 10 सीटें मिलेंगी, वहीं अन्य के खाते में पांच सीटें जा सकती हैं।

क्या है ‘राइट टू रिकॉल’ ?
‘राइट टू रिकॉल’ यानी वापस बुलाने का जनता का वह अधिकार जिसके अनुसार यदि वह अपने किसी निर्वाचित प्रतिनिधि से संतुष्ट नहीं है और उसे हटाना चाहती है तो निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उसे वापस हटाया जा सकता है। सबसे पहले लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने चार नवंबर 1974 को संपूर्ण क्रांति के दौरान ‘राइट टू रिकॉल’ का नारा दिया था। हालांकि अरविंद केजरीवाल जिस रिकॉल की मांग करते रहे हैं उनमें जनप्रतिनिधियों को स्वत: इस्तीफा देने की बात प्रमुख रही है। 

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