राजनीति में ‘छलावेबाजी’ और ‘गुलाटीबाजी’ देखनी हो तो कांग्रेस के नेताओं का उदाहरण हमारे सामने है। अब तक हिंदुओं को आतंकी कहने वाले अब हिंदुओं के समर्थन की बात कह रहे हैं। कल तक भगवान श्री राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले और राम सेतु को तोड़ने का प्लान बनाने वाले अब ‘राम पथ’ बनवाने की बात कर रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘’सत्ता पर आने के बाद मध्य प्रदेश की सीमा तक राम पथ का निर्माण कराया जाएगा।‘’ आपको बता दें कि ये वही दिग्विजय सिंह हैं जिन्होंने 2007 में सोनिया गांधी के साथ मिलकर हिंदुओं के विरुद्ध ‘भगवा आतंकवाद’ आतंकवाद नाम से साजिश रची थी। ये वही हैं जो जाकिर नाइक जैसे आतंकवादी को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ कहते हैं। गौरतलब है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे हिंदू विरोधी नेता अब खुद को हिंदू साबित करने की होड़ में लगे हैं।
#WATCH Senior Congress leader Digvijaya Singh says ‘they(Shivraj Singh Chouhan and BJP) had promised a ‘Ram path’ but did not make it, when we come to power we will surely take it up. It will be built till the last border of Madhya Pradesh’ (11.9.18) pic.twitter.com/McfdDjjJEx
— ANI (@ANI) September 12, 2018
दरअसल 16वीं लोकसभा के चुनाव में जनता ने जिस राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद किया उसके नायक थे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। उन्होंने बीते साढ़े तीन वर्षों में देश की राजनीति का मिजाज बदलकर रख दिया है। कल तक जो नेता मुस्लिम समुदाय का तुष्टिकरण करते हुए अपनी राजनीति परवान चढ़ाते थे, वो आज हिंदू दिखने-बनने की होड़ कर रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि इन ‘मुस्लिम परस्त’ पार्टियों और नेताओं के इस हृदय परिवर्तन के लिए कोई एक चीज जिम्मेदार है तो वह ‘मोदी लहर’ ही है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से ‘सबका साथ, सबका विकास’ नीति अपनाई और किसी का ‘तुष्टिकरण नहीं, सबका सशक्तिकरण’ के अपने एजेंडे के साथ देश की राजनीति को नई दिशा दी, उसी का परिणाम है इन ‘मुस्लिमवादी’ नेताओं का हृदय परिवर्तन होता जा रहा है, भले ही अल्पकालिक ही सही।
दरअसल इनकी इस होड़ से परेशानी नहीं है, बल्कि मुश्किल इनके तिकड़मों से है। अब तो इन पार्टियों के नेता स्वयं को हिंदू साबित करने के लिए तमाम ‘कलाबाजियां’ भी करने लगे हैं।
आइये देखते हैं कि कौन-कौन से नेता स्वयं को हिंदू होने और हिंदुओं का हितैषी साबित करने के लिए तिकड़म कर रहे हैं।
राहुल गांधी की ‘रहस्यमयी’ कैलास मानसरोवर यात्रा
हाल में ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कैलास मानसरोवर की यात्रा की। वे जिस लिपुलेख दर्रे के रास्ते यात्रा पर गए उधर से कम से कम 21 दिन लगते हैं, लेकिन राहुल गांधी ने 9 दिनों में ही यात्रा पूरी कर ली। वे किस रास्ते से कैलास पर्वत तक पहुंचे यह किसी को नहीं मालूम। उन्होंने वहां की यात्रा की भी या नहीं यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है।
बहरहाल यह सब कवायद सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को विभाजित करने और वोट बटोरने की है। दरअसल 2014 के चुनाव में एंटनी कमेटी ने कांग्रेस को रिपोर्ट दी थी कि वह हिंदू विरोधी हो गई है इसलिए हिंदुओं ने उसे हराया है। आपको बता दें कि 12 जुलाई को राहुल गांधी ने खुद ही कहा था कि कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है।
राहुल को चाहिए हिन्दुओं का साथ
गुजरात चुनाव के दौरान जिस तरह से राहुल गांधी का हृदय परिवर्तन हुआ ये किसी से छिपा नहीं है। एक के बाद एक उन्होंने 20 मंदिरों में जाकर शीश झुकाया। पूजा-अर्चना की और चढ़ावा भी चढ़ाया। राहुल गांधी का हिंदू दिखने का ये तिकड़म 2017 के शुरुआती महीनों से ही तब शुरू हो गया था जब उन्होंने उत्तराखंड में केदारनाथ धाम की यात्रा की। हालांकि प्रश्न यह है कि राहुल गांधी का यह वास्तविक हृदय परिवर्तन है या चुनावी तिकड़म?
सोनिया गांधी भी खाने लगीं प्रसाद
भारत ने सोनिया गांधी का एक अलग रूप तब देखा जब वर्ष 2016 में 31 मई को वे अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में दो योजनाओं का उद्घाटन करने पहुंचीं। मीडिया में छपी खबरों के अनुसार उन्होंने सिर पर पल्लू बांधा, कलेवा बांधा, मंत्रोच्चार किया, नारियल भी फोड़ा और गरी का प्रसाद भी लिया।
इसी तरह वर्ष 2017 में शिवरात्रि को उन्होंने बेटी प्रियंका के साथ पाकिस्तान के कटासराज शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर पूजा सामग्री भेजी थी।
ममता बनर्जी दुर्गा पंडालों को देंगी 28 करोड़ रुपये
11 सितंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा के लए 28 करोड़ रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल के 3000 दुर्गा पंडालों को 28 करोड़ रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है। यानि हर पंडाल को लगभग 10 हजार रुपये दिए जाएंगे। आपको बता दें कि ममता बनर्जी वही हैं जिनके राज में मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर कई गांवों में दुर्गा पूजा बैन है। पिछले वर्ष तो दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर भी रोक लगा दी गई थी। इसी तरह रामनवमी उत्सव कोर्ट के आदेश से मनाया जा सका था।
ममता की TMC करेगी पूजा-पाठ
आपको याद हो कि पहले भी ममता बनर्जी हृदय परिवर्तन का ड्रामा दिखा चुकी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कल तक हिंदुओं को हिकारत की नजर से देखने वाली ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस वर्ष रामनवमी मनाने की घोषणा की है। इसी वर्ष 9 जनवरी, 2018 को उनकी पार्टी ने ब्राह्मण सम्मेलन कर प्रदेश के लोगों को संदेश देने का प्रयास किया कि वे हिंदुओं की हितैषी हैं।
विष्णु मंदिर बनाने का अखिलेश यादव ने किया वादा
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विष्णु मंदिर बनवाने का एलान किया है। 22 अगस्त को उन्होंने ऐलान किया कि अगर वह सत्ता में आए तो यूपी में भगवान विष्णु का नगर विकसित किया जाएगा और यह मंदिर कंबोडिया के विश्व प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की तरह भव्य होगा। आपको बता दें कि ये वही अखिलेश यादव हैं जिनके पिता मुलायम सिंह यादव ने 1990 में निहत्थे कार सेवकों पर गोली चलवाई थी और 28 से अधिक कारसेवकों की हत्या कर दी थी।
अखिलेश मांग रहे देवताओं का आशीर्वाद
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी आज कल बार-बार स्वयं को हिंदू साबित करने पर तुले हैं। पहले सैफई में 50 फीट की भगवान कृष्ण की प्रतिमा बनवाकर खुद को कृष्ण भक्त साबित करने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर हमेशा दोहरा रहे हैं कि- ”मैं हिंदू हूं लेकिन बैकवर्ड हिंदू हूं और इसका मुझे गर्व है।” जाहिर है 1990 में राम भक्त कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह ने तब ‘बैकवर्ड हिंदुओं’ को नहीं देखा था, क्योंकि उस घटना में अपनी जान गंवाने वालों में अधिकतर अखिलेश के शब्दों में ‘बैकवर्ड हिंदू’ ही थे। उसी पिता की संतान अखिलेश हैं और गोल टोपी पहनकर गर्व भी करते हैं। स्पष्ट है कि उनका ये हृदय परिवर्तन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दिखाने के साथ हिंदुओं को बांटकर सियासत करने की उनकी कुत्सित सोच भी प्रदर्शित करता है।
केजरीवाल करने लगे हिंदू-हिंदू का जाप
दिल्ली के मुख्यमंत्री अक्सर मुस्लिम टोपी धारण करते हुए दिखते हैं। ये परिवर्तन उनका दिल्ली में बंपर जीत के बाद हुआ था, लेकिन जैसे ही एमसीडी चुनावों में हार हुई और हर सर्वे में उनकी लोकप्रियता कम आंकी जाने लगी, वे भी हिंदू होने की रट लगाने लगे हैं। वे कहते हैं – ”मैं हिंदू हूं, भगवान राम का भक्त हूं।” जाहिर है किसी की मौत पर भी हिंदू-मुस्लिम में भेद करने वाले केजरीवाल का हृदय परिवर्तन यूं ही तो नहीं हुआ है।
मायावती भी खेलती रही हैं हिंदू कार्ड
बहुजन समाजवादी पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती ने 24 अक्टूबर, 2017 को कहा कि वे हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना सकती हैं। दरअसल उनका ये बयान उनके मुस्लिम परस्त होने की पीड़ा को दर्शाता है। गौरतलब है कि 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की बुरी हार हुई थी। उनके समाज लोग उनकी मुस्लिम परस्ती पर नाराज हो गए थे, परन्तु अपने आपको एक बार फिर हिंदू साबित करने के लिए उन्होंने ये बयान दिया था। लेकिन सच्चाई इससे इतर भी है, क्योंकि मयावती ने अपना पैंतरा कई बार बदला है। खुद को सच्चा हिंदू बताते हुए उन्होंने मुस्लिम कट्टरपंथ पर कुछ यूं निशाना साधा था।
अयोध्या में राम मंदिर बनवाएंगे तेज प्रताप
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के पुत्र तेज प्रताप ने 10 मार्च, 2018 को बयान दिया कि “केन्द्र में हमारी सरकार बनी तो अयोध्या में राम मन्दिर बनाएंगे. बीजेपी तो नहीं बना पाई, हम बना के रहेंगे राम मंदिर।’’ हालांकि खुद को सच्चा हिंदू साबित करने का उनका तिकड़म तब जाहिर हो गया जब उन्होंने पलटी मार ली और नया बयान जारी कर दिया।
हमने बिहारशरीफ दंगल कार्यक्रम में ये कहा कि भाजपा वाले राम मंदिर बनाने की बात करते हैं पर तारीख नहीं बतायेंगे। हमलोग मंदिर ऐसा बनायेंगे जहां हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई सब लोग जाकर पूजा करेगें, मानवता का मंदिर बनायेंगे तब भाजपा का मंदिर मुद्दा खत्म हो जाएगा.. https://t.co/38RtecVTfi
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) 9 March 2018
इंसानियत वाले हिंदू हैं सिद्धारमैया
11 जनवरी, 2018 को कर्नाटक की एक सभा में प्रदेश के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि ”मैं भी हिंदू हूं, पर मेरे में इंसानियत है।” वे इस बात को कहकर स्वयं को भाजपा और आरएसएस से अधिक हिंदू साबित करने की कोशिश कर रहे थे। परन्तु उनकी हिंदू दिखने और हिंदू हित के काम करने में बड़ा अंतर है। उनकी सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें साफ है कि उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान जिस मुस्लिम या अल्पसंख्यक पर सांप्रदायिक दंगा करने का केस है वह वापस लिया जाएगा। यानि सांप्रदायिक दंगे के लिए वे सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को ही जिम्मेदार मानते हैं ‘हिंदू सिद्धारमैया’!
बहरहाल देश में आज हिंदू नेताओं के बीच ही हिंदू दिखने की होड़ मची हुई है। चार साल पहले तक जिन्हें स्वयं को हिंदू कहने भर से भी परहेज था उनका ये हृदय परिवर्तन क्यों हुआ है, इसपर जरूर सोचना चाहिए। क्या आपको ये नहीं लगता कि ये ‘मोदी लहर’ के साथ इसमें ‘मोदी का डर’ की बड़ी भूमिका है?