देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार के मुखिया के तौर पर सत्ता के गलियारे में अपने 21 साल पूरे कर लिए हैं। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से लेकर देश के प्रधानमंत्री और दुनिया के सर्वमान्य नेता बनने तक एक लंबी यात्रा तय की है। इस दौरान वो चार बार विधानसभा और दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और अपनी पार्टी बीजेपी को अप्रत्याशित सफलताएं दिलाई हैं। अमेरिकी सोशियोलॉजिस्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर काम कर रहे डॉ. सल्वाटोर बाबोन्स ने प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक सफलताओं का रहस्य बताया है और उनकी जमकर तारीफ की है।
पीएम मोदी की जीत की सबसे बड़ी वजह ‘जनता की सेवा’
डॉ. सल्वाटोर बाबोन्स ने एक ट्वीट के जरिए बताया कि मिस्टर मोदी हर बार क्यों जीतते हैं? एक शब्द में कहूं तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ‘जनता की सेवा’ है। प्रधानमंत्री मोदी आज जिस पोजिशन पर हैं, उसके पीछे सबसे बड़ी वजह पब्लिक सर्विस (जनता की सेवा) को लेकर उनका समर्पण है। बाबोन्स ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की कामयाबी का सबसे बड़ा फॉर्मूला बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी खुद को मालिक नहीं बल्कि जनता का सेवक समझते हैं।
Why does Mr. Modi win? In a word: SERVICE. pic.twitter.com/FcTBO58vuv
— Salvatore Babones (@sbabones) November 24, 2022
‘भारत के मालिक नहीं बल्कि उसके नौकर समझते हैं’
इस वीडियो में डॉ. सल्वाटोर बाबोन्स को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर नरेन्द्र मोदी लगातार सफल हो रहे हैं, तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि वो साफतौर पर समझते हैं कि वो भारत के मालिक नहीं बल्कि उसके नौकर हैं। अगर कोई उन्हें चुनाव में हराना चाहता है तो उसे भी जनता की सेवा में उसी समर्पण के साथ लगना होगा, जिसके साथ वो काम करते हैं। ऐसा भी नहीं है कि राष्ट्रवाद नरेन्द्र मोदी की कामयाबी का कारण है। कांग्रेस के तो मिडिल नेम में ही ‘नेशनल’ है। नरेन्द्र मोदी की कामयाबी हिंदुत्व की वजह से भी नहीं है, क्योंकि 20 प्रतिशत मुस्लिम बीजेपी के हिंदुत्व प्रोग्राम की वजह से उन्हें वोट नहीं देते।
भारत का बुद्धिजीवी वर्ग देश और प्रधानमंत्री मोदी विरोधी
डॉ. सल्वाटोर बाबोन्स ने अपने ट्विटर हैंडल से दूसरा वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने भारतवार्ता पोडकास्ट के होस्ट रोशन करियप्पा से लोकतांत्रिक देशों में भारत की रैंकिंग, बुद्धिजीवी वर्ग, और कुछ अन्य मुद्दों पर खास बातचीत की। इस दौरान बाबोन्स ने भारत की तारीफ करते हुए बताया कि भारत दुनिया का सबसे सफल लोकतंत्र है। भारत ने उपनिवेशवाद से बाहर निकलकर खुद को ग्लोबल स्तर पर साबित किया है। लेकिन भारत का बुद्धिजीवी वर्ग देश विरोधी है। यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं यहां वर्ग की बात कर रहा हूं, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं। यह बुद्धिजीवी वर्ग मोदी विरोधी भी है और भारतीय जनता पार्टी का भी विरोधी है। यह बुद्धिजीवी वर्ग प्रधानमंत्री मोदी के विरोध के चक्कर में भारत की छवि को खराब करते हैं।
Indian Intellectuals: Anti-Modi or Anti-India? Enjoy my interview with @RoshanCariappa on the @bharatvaarta podcast: https://t.co/XXaEdHCF8u
— Salvatore Babones (@sbabones) November 24, 2022
हंगर इंडेक्स और प्रेस फ्रीडम के सर्वे पर भी उठाया था सवाल
इससे पहले इसी महीने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन 5 नवंबर, 2022 को ‘डेमोनाइजिंग अ डेमोक्रेसी’ सेशन के तहत डॉ सल्वाटोर बाबोन्स ने भारतीय लोकतंत्र, फासीवाद और वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को लेकर विस्तार से चर्चा की थी। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत करते हुए भारत के सेक्युलर और लिबरल बुद्धिजीवियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी और देश विरोधी बताया। उन्होंने हंगर इंडेक्स और प्रेस फ्रीडम के सर्वे पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि भारत को फासीवादी दर्शाने के पीछे भारत का बुद्धिजीवी वर्ग और ग्लोबल मीडिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मीडिया और दुनिया के पास भारत के बारे में सही जानकारी नहीं है।
India’s intellectual class is anti-India, as a class and not as an individual: @sbabones#ConclaveMumbai22 | @sardesairajdeep
WATCH LIVE: https://t.co/jp4EHXNTHX pic.twitter.com/WOjzOFsTea— IndiaToday (@IndiaToday) November 5, 2022
आइए एक नजर डालते हैं प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी सफलता और राजनीतिक सफर पर…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 साल पहले 7 अक्टूबर, 2001 को अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। 7 अक्टूबर, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से लेकर आज तक उन्होंने अपने सेवाभाव, त्याग और तपश्चर्या से विकास के कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अपनी जनकल्याण नीतियों और देश के प्रति समर्पण की वजह से लोगों के दिलों में खास जगह बनायी है। इससे प्रधानमंत्री मोदी को जनता का भरपूर आशीर्वाद मिला है।
गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में 17 सितंबर, 1950 को जन्मे नरेन्द्र मोदी राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। वह लगातार तीन बार गुजरात विधानसभा चुनाव जीतकर 12 साल, 227 दिनों तक मुख्यमंत्री बने रहे। उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। 21 साल पहले 4 अक्टूबर, 2001 को उन्हें गुजरात बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था। हालांकि उस समय वह गुजरात विधानसभा के सदस्य नहीं थे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राजकोट-2 से गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे विधायक बने। 24 फरवरी, 2002 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में राजकोट-2 विधानसभा उपचुनाव जीता था। यह नरेन्द्र मोदी का पहला चुनावी अभियान था। तब से लेकर अब तक वो छह चुनाव लड़ चुके हैं और अजेय रहे हैं। इसमें चार बार विधानसभा और दो बार लोकसभा का चुनाव शामिल है। जनता की अदालत में खुद के लिए वोट मांगने का पहला मौका फरवरी 2002 में हुए उपचुनाव में मिला। गुजरात के राजकोट 2 में कांग्रेस की पूरी घेराबंदी के बावजूद वो कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन मेहता को 14,728 वोटों से हराने में सफल रहे।
गुजरात में दौड़ता रहा पीएम मोदी का विजय रथ
राजकोट 2 से जन प्रतिनिधि के तौर पर उनकी औपचारिक यात्रा शुरु हुई। इसके बाद दिसम्बर 2002 में आयोजित विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने राजकोट 2 के बदले अहमदाबाद की मणिनगर सीट को अपना निर्वाचन क्षेत्र बनया। 2002, 2007, 2012 के विधानसभा चुनाव में मणिनगर से लड़कर न सिर्फ खुद बड़े मार्जिन से जीत हासिल की, बल्कि अपनी पार्टी को भी बंपर जीत दिलाने में कामयाब रहे। इस तरह 13 साल तक गुजरात के विकास पथ पर अपना विजय रथ दौड़ते रहे। इसके बाद 2014 में केंद्र में कांग्रेस के दबदबे को चुनौती दी। उन्होंने विकास के मामले में देश और दुनिया के सामने ‘गुजरात मॉडल’ पेश किया, जिसने पूरे देश में ‘मोदी लहर’ पैदा की।
लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित होने के बाद सीएम मोदी ने दो सीटों गुजरात की वडोदरा और उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा। सीएम मोदी ने वाराणसी में केजरीवाल को 3,71,784 वोटों से और वडोदरा में मिस्त्री को 5,70,128 वोटों के मार्जिन से हराया। लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिलाई और देश के प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के सफर के दौरान उन्होंने वडोदरा को छोड़ना पसंद किया और वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना जारी रखा। प्रधानमंत्री मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक ही सीट वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस चुनाव में 4.75 लाख मतों के अंतर से जीते और अपनी पार्टी को भी रिकॉर्ड तोड़ जीत दिलाई। इसके साथ ही देश का दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
अपने निर्वाचन क्षेत्र का रखा पूरा ख्याल
राजकोट-2 के लोगों ने सीएम मोदी को जो आशीर्वाद दिया, उसके बाद से सेवा का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो लगातार जारी रहा। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की बड़ी जिम्मेदारी और व्यस्तता के बावजूद एक निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपने विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र का पूरा ख्याल रखा। लगातार अपने चुनाव क्षेत्र में जाते रहे हैं। अपने क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा समय निकालते रहे हैं। अपनी सेवाभाव, त्याग और तपश्चर्या से अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास के कई कीर्तिमान स्थापित किए। गरीबों, पीड़ितों, वंचितों और जरूरतमंदों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया। इस सेवा का परिणाम है कि जनता से उन्हें भरपूर आशीर्वाद मिला।
मणिनगर और काशी का कायाकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने एक जन प्रतिनिधि के तौर पर, चाहे अपना विधानसभा क्षेत्र मणिनगर हो या फिर लोकसभा क्षेत्र काशी, दोनों का भरपूर विकास किया। यही वजह रही कि मणिनगर की चमक लगातार बढ़ती गई। 2014 से वाराणसी में भी यही नजारा है। आज चारों तरफ भव्य विश्वनाथ कॉरिडोर की चर्चा है। घाटों व सड़कों की सफाई-सुंदरता बढ़ी है। ढेर सारी बड़ी परियोजनाएं लागू हुई हैं। बाबा विश्वनाथ की प्राचीन नगरी निखर गई है, जिसे नरेन्द्र मोदी ने क्योटो की तर्ज पर विकसित करने का संकल्प लिया था। आज प्रधानमंत्री मोदी की छवि काशी के विकास पुरुष के रूप में बन गई है।