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US Chamber of Commerce: अमेरिकी कंपनियों का चीन से मोहभंग, PM Modi की विजनरी नीतियों के चलते 12 लाख करोड़ का निवेश भारत में करने की इच्छुक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया का भारत पर भरोसा और मजबूत हुआ है। एक ओर चीन आबादी और इकोनॉमी को लेकर मुश्किल में है, दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। पीएम मोदी अमेरिका का यात्रा पर हैं और इस बीज अमेरिकी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन की लगातार बदहाल होती इकोनॉमी और नीतियों के चलते अमेरिकी कंपनियों का चीन से मोहभंग हो रहा है। ऐसे में अब चीन में अपना कारोबार फैलाकर बैठीं अमेरिकी कंपनियां नए रास्ते तलाशना रही हैं। उन्हें अपने कारोबार के लिए चीन से ज्यादा उपयुक्त देश भारत लग रहा है। खास बात यह है कि पीएम मोदी की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने वाली ईज ऑफ बिजनेस की नीतियों के चलते कई कंपनियां चीन के करोड़ों का कारोबार समेटकर भारत में निवेश करने वाली है।अमेरिका-चीन में बढ़ते कारोबारी तनाव से भारत में निवेश की तैयारी
मोदी राज में भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने रहा है। भारत की तरक्की उस दौर में और ज्यादा मायने रखती है, जबकि अमेरिका और चीन में लंबी ट्रेड वार चल रही है। इसके चलते दोनों देशों के कारोबारी संबंध तनाव में ही रहते हैं। इसके अलावा चीन की इकोनॉमी भी आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रही है। वहीं, पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी नीतियों के चलते भारत और अमेरिका के कारोबारी और राजनीतिक रिश्ते मधुर होते जा रहे हैं। इन दिनों भी पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनका बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया है। अमेरिका-चीन में बढ़ते तनाव और चीन में बदलते व्यापारिक माहौल के चलते 50 अमेरिकी कंपनियां अपना कारोबार वहां से समेटने की तैयारी में हैं। इन कंपनियों का कुल निवेश 12 लाख करोड़ रुपए है। इनमें से 15 भारत में निवेश करना चाहती हैं।कंपनियों के लिए भारत निवेश के लिए दूसरा सबसे पसंदीदा देश बना
अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स (एसीके) की 306 कंपनियों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत अब मेक्सिको, अमेरिका और यूरोप को पछाड़कर निवेशकों की शीर्ष पसंद बनता जा रहा है। बीते साल भारत को निवेश के लिए 5वां स्थान दिया गया था, जबकि इस साल यह दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिकी कंपनियां भारत को अपना नया घर बना सकती हैं। ये अपने साथ लाखों करोड़ रुपये का निवेश भी लेकर आएंगी। इससे भारत में न सिर्फ विदेशी निवेश बढ़ेगा, बल्कि लाखों रोजगार भी पैदा होने से युवाओं को रोजगार मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार पहले नंबर पर दक्षिण पूर्व एशिया है। बता दें कि इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया अब भी निवेशकों की पसंद बना हुआ है। चीन निवेशकों की प्राथमिकता खोता जा रहा है।

अमेरिका की 15 बड़ी कंपनियां भारत जाने की इच्छुक, रोजगार लाएंगी
यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों में चीन से बाहर निकलने की इच्छा तेज होती जा रही है। लगभग 50 कंपनियां इस बारे में अपना मन बना चुकी हैं। करीब इतनी ही कंपनियां इस पर गंभीरता से मंथन कर रही हैं। जो कंपनियां चीन को छोड़ना पूरी तरह तय कर चुकी हैं, इन्होंने यहां करीब 12 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है। निवेशकों के बीच अब चीन अपना चार्म खोता चला जा रहा है। कंपनियां करोड़ों के निवेश के लिए दूसरे स्थान तलाशने में लगी हैं।

मैनेजमेंट कंसल्टिंग सेक्टर में 54 फीसदी कंपनियों को पसंद आ रहा भारत
यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनियों को भारत बहुत पसंद आ रहा है। पिछले साल करीब 40 फीसदी अमेरिकी कंपनियां चीन में निवेश की योजना बना रही थीं। अब वो भारत जाना चाहती हैं। मैनेजमेंट कंसल्टिंग सेक्टर में 54 फीसदी कंपनियों ने ऐसी इच्छा जताई है। गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी भारत में निवेश को लेकर अपनी रुचि दिखाई है और प्राथमिकता जाहिर की है। यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट में शामिल 306 अमेरिकी कंपनियों में से ज्यादातर ने माना कि भारत में निवेश के लिए अच्छा माहौल बन रहा है। भारत का बड़ा बाजार भी उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है।कोरोना महामारी फैलाने के बाद बदला चीन के खिलाफ माहौल
कोरोना के बाद चीन में निवेश का माहौल तेजी से बदला हैं। दरअसल, वैश्विक स्तर पर कोरोना के लिए चीन को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। कोरोना की शुरुआत चीन से ही हुई और इसके बाद यह दूसरे देशों में तेजी से फैला। कोरोना के बाद की चीन की पॉलिसी भी विदेशी कंपनियों को रास नहीं आ रहीं हैं। सरकार ने बेरोजगारी और बूढ़ी होती आबादी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियों में बदलाव किए हैं। चीन में 16 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर 21.3 फीसदी तक पहुंच गई है। यह 3 दशकों में सबसे ज्यादा है और इसके साथ ही देश की बूढ़ी होती आबादी भी एक समस्या बन गई है। चीन की आर्थिक स्थिरता भी इस समय नाजुक हालत में है।आइए देखते हैं कि पीएम मोदी की नीतियों से बढ़ रही इकोनॉमी और विकास पर विभिन्न संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

वित्तवर्ष 2025 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है देश की ग्रोथ रेट- आईएमएफ
वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ ने मौजूदा वित्त वर्ष में भी वृद्धि का अनुमान बढ़ा दिया है। इसमें 40 आधार अंक बढ़ाते हुए 6.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। आईएमएफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024 (वित्त वर्ष 2025) और 2025 (वित्त वर्ष 2026) में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है और दोनों वर्ष के वृद्धि अनुमान को अक्टूबर में लगाए गए अनुमान से 0.2 प्रतिशत बढ़ाया गया है, जो मजबूत देसी मांग के कारण है।

 

2027-28 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा-आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान व्यक्त किया, उसके मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था, जो अभी लगभग 3.75 ट्रिलियन डॉलर की है, वित्त वर्ष 2027-28 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगी। भारत 5.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था 31 ट्रिलियन डॉलर के साथ शीर्ष पर रहेगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत होगी। इसके बाद चीन 25.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर रहेगा और वैश्विक जीडीपी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

ग्लोबल ग्रोथ में भारत की होगी 18 प्रतिशत हिस्सेदारी- आईएमएफ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का मानना है कि भारत विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में भारत का योगदान अगले पांच साल में मौजूदा 16 प्रतिशत बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगा। आईएमएफ के एशिया-प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन के अनुसार 2028 तक दुनिया की विकास दर में भारत की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत होगी। आईएमएफ का मानना है कि बड़े पैमाने पर पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर और रेजिलिएंट डोमेस्टिक डिमांड के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है।

चुनौतियों के बाद भी सबसे तेज रहेगी भारत की आर्थिक वृद्धि
भारत आने वाले समय में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ के अनुमान के अनुसार रूस-यूक्रेन संकट, कोरोना महामारी और महंगाई जैसी चुनौतियों के बाद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहेगी। आईएमएफ ने कहा है कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में भारत की हिस्सेदारी 2028 तक फ्रांस और ब्रिटेन को पार कर जाने की उम्मीद है। इससे भारत वैश्विक आर्थिक विकास को चलाने में एक प्रमुख देश बन जाएगा। 

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
आईएमएफ का कहना कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं। इसके पहले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की उपप्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को लेकर दुनियाभर में पॉजिटिव सेंटीमेंट है। बहुत सारे बिजनेस और कंपनियां भारत को एक निवेश डेस्टिनेशन के रूप में देख रही हैं, क्योंकि वे चीन सहित दूसरे देशों से निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत- फिच
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियों का कमाल है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का हर सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। आज भारत विकास दर के मामले में दुनिया में नंबर वन बना हुआ है। देशी और विदेशी रेटिंग एजेंसियां भी भारत के विकास दर पर भरोसा जता रही हैं। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने भारत की रेटिंग को बरकरार रखते हुए कहा कि अगले कुछ सालों तक भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। फिच ने भारत के लिए ‘बीबीब-‘(BBB-) की रेटिंग बरकरार रखी है और विकास दर के अनुमान में बढ़ोतरी की है। एजेंसी के अनुसार, भारत की जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 6.9 प्रतिशत के दर से बढ़ सकती है, जो मई 2023 में किए गए अनुमान 6 प्रतिशत से काफी ऊपर है। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी में 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।

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