Home विशेष भारत में आतंक का लॉन्चिंग पैड बनाया अजमेर, पाक के संगठन दावत-ए-इस्लाम...

भारत में आतंक का लॉन्चिंग पैड बनाया अजमेर, पाक के संगठन दावत-ए-इस्लाम ने अजमेर उर्स के बहाने बनाई पैंठ, हिंदुओं के खिलाफ भड़काने वाले चिश्ती के मुशर्रफ से कनेक्शन

SHARE

राजस्थान में उदयपुर में कन्हैयालाल की नृशंस हत्या करने वाले गौस मोहम्मद और रियाज अत्तारी के राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने पाकिस्तानी कनेक्शन तो बहुत पहले ही खोज निकाले थे। यह दोनों दावत-ए-इस्लाम नाम के पाकिस्तानी संगठन से जुड़े हुए थे। पाकिस्तान में बैठे दावत-ए-इस्लाम के आकाओं ने नूपुर शर्मा के बयान के बाद धार्मिक भावनाओं को हथियार बनाकर भारत में दंगे भड़काने का प्लान बनाया था। इसके लिए धर्म की आड़ लेकर अजमेर को लॉन्च पैड बनाया गया। दावत-ए-इस्लाम ने अजमेर में होने वाले उर्स के बहाने यहां कोई चार दशक पहले ही एंट्री ले ली थी। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा था। अब श्रीगंगानगर बॉर्डर पर पकड़ा गया रिजवान अशरफ भी अजमेर आने वाला था।अजमेर दरगाह में होने वाले उर्स की आड़ में दावत-ए-इस्लाम ने राजस्थान में पैर फैलाए
उदयपुर के क्रूरतम मर्डर के बाद जांच एजेंसियों की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि 1980 में उर्स के बहाने दावत-ए-इस्लाम से जुड़े कुछ लोग अजमेर दरगाह आए। इन्होंने लोकल लोगों को धर्म के प्रचार के बहाने अपने साथ जोड़ा। अजमेर को ही धर्म की आड़ में आतंक का लांच पैड बनाया। यही वजह है कि कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज और गौस को हत्या के बाद अजमेर पहुंचने के लिए कहा गया था। यहां से उन्हें स्थानीय स्लीपर सेल की मदद से देश से बाहर भेज दिया जाता। यह भी पता चला है कि मदरसों और गरीब लोगों की मदद का झांसा देकर दरगाह के बाहर दुकानों पर चंदे के लिए बॉक्स भी रखवाए गए। चंदे के कलेक्शन के लिए दावत-ए-इस्लाम के दो ग्रुप आते थे। कुछ सालों से इसकी गतिविधियां बढ़ रहीं थीं, लेकिन गहलोत सरकार इससे बेखबर ही रही।

दावत-ए-इस्लाम में नापाक मंसूबों को पूरा करने में पीएफआई ने की मदद
दावत-ए-इस्लाम ने मजहबी कार्यक्रमों के जरिए लोगों को ब्रेन वॉश कर अपने साथ जोड़ा और उनसे ही फंड जुटाया। PFI ने भी इस साजिश में दावत-ए-इस्लाम की मदद की। अजमेर में PFI का सरवर चिश्ती कई बार पाकिस्तान गया। सरवर चिश्ती ने ही अजमेर में हिंदुओं के बायकॉट का फतवा जारी किया था। भतीजे गौहर चिश्ती ने सर तन से जुदा का नारा दिया। उदयपुर में नूपुर शर्मा के समर्थकों पर हमले के लिए मीटिंग की और अजमेर में CRPF की जासूसी तक की। सरवर चिश्ती के  बेटे आदिल ने हिंदू देवी-देवताओं के अस्तित्व पर सवाल खड़े किए।

नूपुर शर्मा से सवाल- हिंदुओं के 333 करोड़ देवताओं का अस्तित्व कैसे माना जाए
दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने भी भड़काऊ बयान दिया था। ऐसे बयानों पर रोक तो नहीं लगी, और  इन्हीं चिश्ती के बेटे आदिल चिश्ती ने और ज्यादा आपत्तिजनक बयान दे डाला है। विवादित बयान में आदिल ने कहा, “मैं नूपुर शर्मा से सवाल करता हूं कि हिंदुओं के 333 करोड़ देवताओं का अस्तित्व कैसे माना जाए. एक खुदा तो समझ आता है. लेकिन अगर एक इंसान को हजार साल की भी जिंदगी मिले तो वो 333 करोड़ खुदाओं को राजी नहीं कर सकता. विष्णु भगवान के दस अवतार बताए जाते हैं. इसका लॉजिक क्या है? वो इंसान, जानवर और आधे इंसान-आधे जानवर के रूप में हैं, ये कैसे लॉजिकल है? ऐसे ही श्री गणेश और हनुमान को कैसे जस्टिफाई किया जाएगा.”

अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती की पाक के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ से नजदीकी
सरवर चिश्ती दरगाह की अंजुमन कमेटी का सचिव और PFI का मेंबर है। उसने अजमेर में कई लोगों को PFI से जोड़ा था। चिश्ती कई बार पाकिस्तान गया था। वह पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का भी नजदीकी है। सरवर चिश्ती, उसके भतीजे गौहर चिश्ती और बेटे आदिल ने नुपूर शर्मा के बयान के बाद लोगों को उकसाने के लिए कई बैठकें की थीं। कन्हैयालाल की हत्या के बाद अजमेर में हिंदुओं की दुकानों को बायकॉट करने का फतवा जारी किया था। आखिर में अजमेर पुलिस ने सरवर चिश्ती को बयानों के लिए पाबंद किया।जांच में खुलासा- आतंकियों ने हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ किताबें भी छपवाईं
एनआईए व एटीएस की जांच में सामने आया कि दावत-ए-इस्लाम ने हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ किताबें भी छपवाई। इनको पीएफआई के सदस्यों और दूसरे समान विचारधारा के लोगों में बांटा गया। यह किताबें अजमेर के एक बुक स्टोर से बंटवाई गई थीं। किताबों के जरिए युवाओं को कट्‌टर बनाया जा रहा था, ताकि वे आदेश देने पर किसी पर भी हमला कर दें। गौस और रियाज ने यहीं से किताबें लेकर अपने वॉट्सऐप ग्रुप के सभी साथियों में बंटवाई थीं। एटीएस ने बुक स्टोर के मालिक अनवर से मामले को लेकर पूछताछ भी की। टीम जांच कर रही है कि किताबें कहां से आईं और कहां प्रिंट हुईं।

राज्य की पुलिस और इंटेलिजेंस फेल, एनआईए ने खोजा पाक कनेक्शन
हमेशा शांत रहने वाले राजस्थान में गहलोत सरकार के कार्यकाल मों एक के बाद एक शहरों में सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। अफसोस की बात है कि ये सब सुनियोजित थे। पता नहीं इंटेलिजेंस एजेंसियां क्या इनपुट सरकार तक पहुंचाती हैं ? वह क्या वाकई पूरी गंभीरता से अपनी ड्यूटी कर रही हैं ?  कम से कम उदयपुर के बवाल से तो यह नहीं लगता। अब जांच में सामने आया है कि उदयपुर में हुए तालिबानी मर्डर के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। इस इनपुट केंद्रीय एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। बड़ा सवाल यही है कि इससे पहले राज्य का पुलिस सिस्टम और इंटेलिजेंस क्या कर रही थी ? यदि अपराधियों, अराजक तत्वों और ऐसे आतंकियों के खिलाफ योगी सरकार की तरह बगैर किसी तुष्टीकरण के तेजतर्रार तेवर, आक्रामक रणनीति और अपराधियों पर धारदार प्रहार होते तो किसी ‘आतंक के दूत’ की मजाल नहीं थी कि उदयपुर जैसा नरसंहार कर पाता।रियाज और गौस की पाकिस्तान के नंबरों पर खूब होती थी बातचीत, कराची में ली ट्रेनिंग
अब इस मामले में खुलासा हुआ है कि दोनों पाकिस्तान और अरब देशों के लोगों से कॉन्टैक्ट में थे। इनके मोबाइल में पाकिस्तान और अरब देशों के नंबर मिले हैं। रियाज और गौस की पाकिस्तान के नंबरों पर खूब बातचीत होती थी। अब राज्यमंत्री यादव ने इनके कराची में ट्रेनिंग लेने का भी दावा किया है। बताया गया कि दोनों ने करीब 15 दिन की ट्रेनिंग ली थी। पाकिस्तान के आका के बुलावे पर दोनों नेपाल के रास्ते वहां गए थे। उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के बाद राजस्थान पुलिस में खलबली मची। क्योंकि जिस अंदाज में कन्हैयालाल को मारा गया, वह तालिबानी तरीका था। इसके बाद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर आरोपियों ने अपने मंसूबे साफ कर दिए।

दोनों आतंकियों के दावत-ए-इस्लामी नाम के पाकिस्तानी संगठन से जुड़े होने के सुबूत मिले
एनआईए की जांच में गौस और रियाज के पाकिस्तानी कनेक्शन के पुख्ता सबूत मिले हैं। यह दोनों दावत-ए-इस्लाम  से जुड़े हैं। रियाज पाकिस्तान में कराची के एक मौलाना के संपर्क में था। अब यह साफ हो गया है कि कन्हैयालाल का मर्डर पूरी तरह से प्री-प्लान्ड था। दोनों मिलकर दहशत फैलाना चाहते थे। इन दोनों ने कराची से लौटने के बाद उदयपुर में युवाओं को भड़काना शुरू कर दिया था। उनके मन में नफरत की आग को भड़का रहे थे।  इन लोगों ने अपने साथ बड़ी संख्या में युवाओं को जोड़ा था।

 

Leave a Reply Cancel reply