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मामूली जीत के जश्न पर AAP विधायकों का मातम भारी, आप का दलित विरोधी चेहरा उजागर, पंजाब-गुजरात में दो विधायक निलंबित

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आम आदमी पार्टी जानबूझकर बाबासाहेब अम्बेडकर के अनुयायियों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है। इतना ही नहीं अरविंद केजरीवाल की पार्टी अपने फायदे के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने में भी पूरे जोर-शोर से लगी हुई है। इन आश्चर्यजनक दावों में भी सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि ऐसे आरोप आम आदमी पार्टी पर विपक्षी नहीं लगा रहे हैं, बल्कि आप के ही चुने हुए विधायक और वरिष्ठ नेता लगा रहे हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनावों में करारी हार से अज्ञातवास के कोपभवन में चले गए पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल उपचुनावों में मिली मामूली-सी जीत के बाद ही फिर से कूदने लगे हैं। लेकिन उनके जोश और इतराने को पार्टी के विधायकों ने ही जोर का झटका दिया है। पंजाब से लेकर गुजरात तक मिले इन झटकों से पार्टी इतना घबरा गई कि अपने विधायकों की बातों और दावों को तजव्जो देने के बजाए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता ही दिखा रही है। इससे पहले से ही रसातल में जा पहुंचे आम आदमी पार्टी के नेताओं को छवि को और ज्यादा नुकसान हुआ है, बल्कि पार्टी का दलित विरोधी चेहरा भी सबके सामने एक बार फिर उजागर हो गया है।

बरगाड़ी गोली कांड पर दी रिपोर्ट पर अनदेखी से नाराज थे पूर्व आईपीएस
कुंवर विजय प्रताप सिंह पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। अमृतसर उत्तरी से आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह बरगाड़ी गोली कांड पर दी गई अपनी रिपोर्ट पर भगवंत मान सरकार की ओर से कोई कार्रवाई न किए जाने को लेकर नाराज थे। वह विधानसभा के भीतर और बाहर कई बार मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। हाल ही में उन्होंने विजिलेंस ब्यूरो द्वारा अकाली नेता विक्रमजीत सिंह मजीठिया को गिरफ्तार किए जाने के बाद मजीठिया के पक्ष में बयान दिया था। जिसके बाद पार्टी हाईकमान उनसे नाराज चल रही थी। मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद कुंवर विजय प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि वर्ष 2022 में जब बिक्रमजीत मजीठिया जेल में थे, तब पंजाब सरकार ने न तो उनसे कोई पूछताछ की न ही कोई चालान पेश किया गया और बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह आप से 5 साल से लिए निलंबित
अमृतसर उत्तरी से आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप के पंजाब सरकार के गलत कार्यों पर सवाल उठाने के चलते आम आदमी पार्टी ने उनको पांच साल के लिए निलंबित कर दिया है। उन पर बिक्रम मजीठिया के समर्थन में बयान को वापस लेने का दबाव था। पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति ने यह कठोर कदम उठाते हुए कुंवर विजय प्रताप की सही आवाज को पार्टी विरोधी गतिविधियां करार दिया। दरअसल, पंजाब सरकार ड्रग्स के खिलाफ कोई मजबूत एक्शन ले नहीं पा रही है, ऐसे में उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर एक्शन लेने में लगी है। कुंवर विजय प्रताप कोटकपूरा व बहिबल कलां मामले की जांच करने वाली एसआईटी के प्रमुख रह चुके हैं। आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह अपने इस्तीफे पर कायम हैं।

मजीठिया के खिलाफ विजिलेंस कार्रवाई और गिरफ्तारी पर सवाल
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को 25 जून को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने अमृतसर में उनके घर से गिरफ्तार किया था। मजीठिया पर 540 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का है। मजीठिया को मोहाली कोर्ट ने 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है। अब उनकी पेशी 2 जुलाई को होगी। हाल ही में कुंवर विजय प्रताप ने शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ विजिलेंस कार्रवाई और उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर मजीठिया की पत्नी के साथ विजिलेंस टीम की बहस का वीडियो साझा करते हुए सरकार की कार्रवाई को अनुचित बताया था। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद कुंवर प्रताप के बयानों से पार्टी उनसे नाराज चल रही थी।

भगवंत मान सरकार भी विजिलेंस का कर रही है दुरुपयोग
आप विधायक विजय प्रताप ने कहा कि मजीठिया जेल में थे तब पंजाब सरकार ने कोई पूछताछ नहीं की और उनकी जमानत में सहायता की, लेकिन अब अचानक कार्रवाई शुरू करना सवाल उठाता है। विजय प्रताप ने मजीठिया की गिरफ्तारी पर कहा था कि वह मजीठिया से पहले भी असहमत थे और आगे भी असहमत रहेंगे, लेकिन परिवार की इज्जत सभी की साझी होती है। चाहे वह नेता हो या अभिनेता। अमीर हो या गरीब, दोस्त हो या विरोधी। आम आदमी पार्टी विधायक विजय प्रताप ने कहा था कि विजिलेंस की रेड डालना गलत है और पूर्व सरकारों की तरह मौजूदा सरकार भी विजिलेंस का दुरपयोग कर रही है। अमृतसर उत्तरी विधानसभा सीट से विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं। उन्हें आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी में शामिल किया था। कुंवर विजय प्रताप सिंह पंजाब में विभिन्न पदों पर रहते हुए कई बड़े मामलों को बेनकाब करने को लेकर जहां सुर्खियों में रहे, वहीं वर्ष 2022 में हुए चुनाव से पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की। आम आदमी पार्टी ने उन्हें अमृतसर उत्तरी सीट से उम्मीदवार बनाया था और वे जीत गए थे।

गुजरात में आप विधायक ने पार्टी से नाराज होकर सभी पद छोड़े
इससे कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने अपने गुजरात के विधायक उमेश मकवाना को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया था। हालांकि मकवाना ने आप पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए निलंबन से कुछ घंटे पहले ही विधायक पद को छोड़कर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। उनका दावा था कि आप पिछड़े वर्गों के मुद्दों को उठाने में विफल रही है। विधायक ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब तीन दिन पहले ही आप ने उपचुनाव में विसावदर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की खुशी मना रही थी।

पद छोड़ने के कुछ देर बाद मकवाना को पांच साल के लिए निकाला
गुजरात में आम आदमी पार्टी के बोटाद विधायक उमेश मकवाना ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा है, ‘इस समय मेरी सामाजिक सेवाएं कम हो रही हैं, इसलिए मैं आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं पार्टी के लिए कार्यकर्ता के तौर पर काम करूंगा।’ इसके थोड़ी देर बाद ही उन्हें पार्टी से पांच साल के लिए निलंबित कर दिया गया। आप गुजरात के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने ट्वीट किया, ‘उमेश मकवाना को पार्टी विरोधी और गुजरात विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पार्टी से पांच साल के लिए निलंबित कर दिया गया है।’

आम आदमी पार्टी और नेताओं का दलित विरोधी चेहरा उजागर
बोटाद विधायक उमेश मकवाना ने कहा, ‘मैंने 20 साल तक भाजपा में अलग-अलग पदों पर काम किया। उस समय जब गुजरात में आप को कोई पहचानता तक नहीं था। तब मैंने सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी। तब मुझे लगा था कि यह पार्टी दलितों का उद्धार करेगी। लेकिन आज आप में मुझे लगता है कि इसके नेता डॉ. बीआर आंबेडकर के सिद्धांतों से भटक गए हैं। पार्टी का दलित विरोधी चेहरा उजागर होने के कारण ही मैंने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। मैं बोटाद के लोगों के बीच जाऊंगा। मैं अपने समर्थकों और स्थानीय लोगों से मिलकर अलग पार्टी बनाने या न बनाने पर भी चर्चा करूंगा।

लोगों से सलाह-मशविरा करने के बाद आगे कोई निर्णय लेंगे
बोटाड सीट से विधायक मकवाना ने गांधीनगर में घोषणा की कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और राज्य विधानसभा में सचेतक के पद से इस्तीफा दे दिया है। कोली (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विधायक ने कहा कि वह एक साधारण आप कार्यकर्ता के रूप में काम करना जारी रखेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह विधायक पद से भी इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं, मकवाना ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से सलाह-मशविरा करने के बाद निर्णय लेंगे कि अब विधायक रहना है या नहीं रहना है। पार्टी ने नहीं, बल्कि जनता ने उन्हें चुना है, इसलिए वे जनता की बात मानेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें कोई परेशानी ना हो।

उपचुनाव जीतने की खुशी पर मकवाना का मातम पड़ा भारी
इस कदम के तुरंत बाद गुजरात आप अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने एक बयान जारी कर मकवाना के निलंबन की घोषणा की। मकवाना 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए 2022 के चुनावों में पहली बार चुने गए पांच आप विधायकों में से एक थे। उनकी अचानक घोषणा आप नेता गोपाल इटालिया की ओर से जूनागढ़ जिले की विसावदर सीट पर भाजपा उम्मीदवार किरीट पटेल को हराकर उपचुनाव जीतने के ठीक तीन दिन बाद हुई। 2022 के विधानसभा चुनावों में आप के भूपेंद्र भयानी विसावदर में विजयी हुए, लेकिन दिसंबर 2023 में भयानी के इस्तीफा देने और सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद यह सीट खाली हो गई। हाल ही में हुए उपचुनाव में पूर्व राज्य आप प्रमुख इटालिया ने भाजपा के किरीट पटेल को 17,554 मतों के अंतर से हराया। हालांकि, आप को अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित मेहसाणा के कादी निर्वाचन क्षेत्र में करारी हार का सामना करना पड़ा, जहां पार्टी के उम्मीदवार जगदीश तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा ने यह सीट बरकरार रखी, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही।

ओबीसी नेताओं को सिर्फ चुनाव के दौरान ही महत्व दिया जाता है
गांधीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मकवाना ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी समेत सभी दल, हमेशा पिछड़े वर्गों की अनदेखी करती हैं। उन्होंने दावा किया, ‘गुजरात में कोली समेत ओबीसी की आबादी सबसे ज्यादा है। कांग्रेस भी कोली और अन्य पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाने में विफल रही। मकवाना ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी में ओबीसी नेताओं को सिर्फ चुनाव के दौरान ही महत्व दिया जाता है, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। इसलिए आप भी पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाने में विफल रही है। मकवाना ने कहा, ‘चाहे गुजरात की राजनीति हो या राष्ट्रीय राजनीति, अगर पार्टी उनके दिखाए रास्ते पर नहीं चल सकती तो दफ्तरों में डॉ. बीआर आंबेडकर की तस्वीर लगाने का कोई मतलब नहीं है।’आप नेताओं के पक्षपात के चलते कादी से जगदीश चावड़ा चुनाव हारे
मकवाना ने आप के राष्ट्रीय और स्थानीय नेतृत्व पर कादी सीट पर पार्टी के दलित उम्मीदवार जगदीश चावड़ा के खिलाफ पक्षपात करने का आरोप लगाया, जो चुनाव हार गए। उन्होंने कहा, ‘पार्टी नेताओं ने केवल विसावदर चुनाव पर ध्यान केंद्रित किया और वहां सभी संसाधन लगाए, क्योंकि गोपाल इटालिया पाटीदार हैं। दूसरी ओर हमारे कादी उम्मीदवार जगदीश चावड़ा को कोई मदद नहीं मिली, क्योंकि वह दलित हैं। चावड़ा ने चुनाव लड़ने के लिए 10 लाख रुपये का कर्ज लिया। ऐसा भेदभाव क्यों?’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं बोटाद में अपने लोगों से सलाह-मशविरा करने के बाद विधायक पद छोड़ने का फैसला लूंगा। मैंने आने वाले दिनों में सभी ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उस बैठक के बाद मैं अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताऊंगा।’

 

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