प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्राजील में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया के बड़े-बड़े संस्थानों को आईना दिखाया। 6 जुलाई को वैश्विक शासन पर सत्र के दौरान उन्होंने वैश्विक संस्थाओं में तत्काल व्यापक सुधार की जरूरत पर जोर दिया। अपने बेबाक अंदाज में दुनिया को सीधा संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि आज की दुनिया बहुत बदल चुकी है, लेकिन दुनिया के बड़े-बड़े संस्थान अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं।
उन्होंने ब्रिक्स के विस्तार की तारीफ करते कहा कि जैसे ब्रिक्स समय के साथ बदल रहा है, वैसे ही अब संयुक्त राष्ट्र, डब्ल्यूटीओ और बाकी संस्थानों को भी बदलना होगा। उन्होंने कहा कि आज जब टेक्नोलॉजी हर हफ्ते अपडेट हो रही है, तो ये कैसे चलेगा कि बड़े-बड़े संस्थान 80 साल से वैसे के वैसे ही हैं?
The expansion of BRICS clearly shows that BRICS is an organization capable of changing itself with the times. Now, we need to show the same resolve for reforms in institutions like the UN Security Council, WTO, and multilateral development banks.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि अगर दुनिया को आगे बढ़ना है तो सिस्टम को भी नया बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ‘AI के युग में, जहां हर हफ्ते टेक्नॉलजी अपटेड होती है,ऐसे में ग्लोबल इन्स्टिट्युशन का अस्सी वर्ष में एक बार भी अपडेट न होना स्वीकार्य नहीं है। इक्कीसवीं सदी की सॉफ्टवेयर को बीसवीं सदी के टाइपराइटर से नहीं चलाया जा सकता!’
In this era of AI, where technology updates on a weekly basis, it is unacceptable that global institutions haven’t undergone an update even once in eighty years.
21st-century software can’t run on a 20th-century typewriter!
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2025
ब्राजील ब्रिक्स समिट में प्रधानममंत्री मोदी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि ग्लोबल साउथ और हाशिए पर पड़े देशों की आवाज सुनी जाए और पुराने सिस्टम में बड़े बदलाव किए जाएं। उन्होंने दो टूक कहा कि इन देशों के साथ हमेशा दोहरा बर्ताव होता है और 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए अब इन ग्लोबल संस्थाओं में तुरंत सुधार जरूरी हैं।
The Global South has often been a victim of double standards. Their interests haven’t been given priority. On pressing issues like climate finance, sustainable development and technology access, the Global South has often received nothing more than token gestures.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2025
ग्लोबल साउथ की आवाज उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन देशों के साथ हमेशा दोहरा रवैया अपनाया जाता है। उन्होंने कहा कि चाहे विकास की बात हो, सुरक्षा की या रिसोर्स बांटने की। ग्लोबल साउथ को अक्सर सिर्फ दिखावे के लिए सपोर्ट मिलता है, असली मदद नहीं। अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया की बड़ी आबादी को आज भी अहम फैसलों की टेबल पर जगह नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि दिखावे को तो सब है, पर असल में काम का कुछ नहीं।
उन्होंने कहा कि ’20th सेंचुरी में बने ग्लोबल संस्थानों में मानवता के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जिन देशों का, आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है, उन्हें डिसिजन मेकिंग टेबल पर बिठाया नहीं गया है। यह केवल प्रतिनिधित्व का प्रश्न नहीं है, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी प्रश्न है। बिना ग्लोबल साउथ के ये संस्थाएं वैसी ही लगती हैं जैसे मोबाइल में सिम तो है, पर नेटवर्क नहीं। यह संस्थान, 21st सेंचुरी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्ष हों, महामारी हों, आर्थिक संकट हों, या साइबर और स्पेस में नयी उभरती चुनौतियां, इन संस्थानों के पास कोई समाधान नहीं है।’
Global institutions established in the 20th century have not provided adequate voice to two-thirds of humanity. Nations contributing significantly to the world economy don’t even have a seat on key decision making tables. Without the Global South, global institutions are like a…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद पर भी कड़ा रुख दिखाया और कहा कि यह पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने पहलगाम हमले का मुद्दा भी उठाया और दुनिया से एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की अपील की। आखिर में मोदी ने दोहराया कि भारत हमेशा अपने फायदों से ऊपर उठकर मानवता के लिए काम करता रहा है और आगे भी ब्रिक्स के साथ मिलकर दुनिया के लिए रचनात्मक योगदान देता रहेगा