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बलिदान की अमर गाथा: शताब्दी वर्ष में पश्चिम बंगाल के संघ कार्यकर्ताओं का संघर्ष और समर्पण

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पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए मां भारती की सेवा का संकल्प अनंत चुनौतियों से भरा रहा है। हर कदम पर विरोध, हर मोड़ पर जान का खतरा, और हर विचार पर राजनीतिक हमला। लेकिन इन परिस्थितियों के बीच भी संघ के कार्यकर्ताओं ने बंदूकों के साए में अपने आदर्शों, राष्ट्रीय मूल्यों और सामाजिक समरसता की भावना से प्रेरित होकर जनसेवा के लिए स्वयं को झोंक दिया है। उनका यह साहसिक कार्य, आज हर देशवासी को प्रेरित कर रहा है। सत्ताधारी ताकतों और वैचारिक विरोधियों की आंखों की किरकिरी बने इन स्वयंसेवकों ने जान की बाज़ी लगाकर यह साबित किया कि विचारधारा की शक्ति बंदूक से कहीं बड़ी होती है।

पश्चिम बंगाल में ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं, जिनमें भारत की सनातन परंपरा और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की कोशिशों में जुटे स्वयंसेवकों को प्रताड़ित किया गया। उनके परिवारों को डराया गया और यहां तक की उनकी हत्या तक कर दी गई। यह इस लेख भारत माता की सेवा में जुटे संघ के कार्यकर्ताओं के बलिदान की अमर गाथा को समेटे हैं।

संघर्ष और समर्पण की अमर गाथा

बलिदानी 10- बलराम माझी, उम्र 22, पूर्वी वर्दवान

साल 2021 में 22 साल के बलराम माझी की हत्या कर दी गई थी। वे आरएसएस सक्रिय कार्यकर्ता थे और संगठन की विभिन्न गतिविधियों में निरंतर रूप से जुड़े रहते थे। पूर्वी बर्दवान ज़िले के केतुग्राम तहसील के श्रीपुर गांव में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उनके घर पर हमला किया। इस हमले में बलराम माझी को अपनी जान गंवानी पड़ी।

संघर्ष और समर्पण की अमर गाथा

बलिदान 9- अभिजीत सरदार, दक्षिण 24 परगना, सोनाखाली में हत्या

बलिदान 8- पतितपावन नास्कर, दक्षिण 24 परगना, सोनाखाली में हत्या 

बलिदान 7- सुजीत नास्कर, दक्षिण 24 परगना, सोनाखाली में हत्या

बलिदान 6- अनादी नास्कर, दक्षिण 24 परगना, सोनाखाली में हत्या 

10 फरवरी 2001 की रात दक्षिण 24 परगना के सोनाखाली गांव में संघ की बैठक चल रही थी, जिसमें पांच कार्यकर्ता शामिल थे। इसी दौरान दर्जन भर हथियारबंद लोगों ने अचानक हमला बोल दिया। इस हमले का मास्टरमाइंड था स्थानीय RSP नेता अनवर हुसैन सरदार। गोलीबारी में संघ के चार स्वयंसेवक अभिजीत सरदार, पतितपावन नास्कर, सुजीत नास्कर, अनादी नास्कर की मौके पर ही शहीद हो गए। इस नृशंस हत्याकांड में किसी तरह से बच निकले संघ कार्यकर्ता बिकर्णा नास्कर ने पुलिस के सामने इसका खुलासा किया था।

संघर्ष और समर्पण की अमर गाथा

बलिदान -5 स्वदेश मन्ना, हावड़ा से संघ के कार्यकर्ता 

स्वदेश मन्ना, हावड़ा के आरएसएस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। उन्होंने “जय श्री राम” रैली से अपनी पहचान बनाई थी। लेकिन 9 जून 2019 को उनकी लाश एक पेड़ से लटकती हुई मिली। पुलिस ने शुरू में इसे आत्महत्या बताया। लेकिन परिजनों और स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना था कि यह एक सुनियोजित हत्या थी।

संघर्ष और समर्पण की आमर गाथा  

बलिदान -4 सामतुल डोलुई की हत्या, हावड़ा से संघ के कार्यकर्ता

10 जून 2019 को हावड़ा के रहने वाले सामतुल डोलुई की लाश एक पेड़ से लटकती हुई मिली थी। वे भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकर्ता थे और आरएसएस से भी जुड़े थे। यह हत्या स्वदेश मन्ना की हत्या के ठीक एक दिन बाद हुई थी। इन्होंने भी “जय श्री राम” रैली में हिस्सा लिया था। इनके परिवारवालों का कहना था कि उन्हें पहले से धमकियां मिल रही थीं क्योंकि उन्होंने बूथ चुनाव में पार्टी की जीत में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। पश्चिम बंगाल में हो रही ये घटनाएं केवल निजी रंजिश का मामला नहीं थीं, बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत इन्हें अंजाम दिया गया था।

संघर्ष और समर्पण की अमर गाथा

बलिदान- 3 बन्धु प्रकाश पाल, संघ के कार्यकर्ता, मुर्शिदाबाद के जीयागंज में हत्या

बलिदान -2 सुंदर पाल, बन्धु प्रकाश पाल की पत्नी, मुर्शिदाबाद के जीयागंज में हत्या

बलिदान -1 अंजन पाल, बन्धु प्रकाश पाल का बेटा, मुर्शिदाबाद के जीयागंज में हत्या

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में RSS कार्यकर्ता बन्धु प्रकाश पाल उनकी पत्नी सुंदर पाल और पुत्र अंजन पाल की नृशंस हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। 8 अक्टूबर 2019 को जब इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस वक्त बन्धु प्रकाश पाल की पत्नी गर्भवती थीं। इनका बेटा सिर्फ आठ का था। इस निर्मम हत्याकांड के पीड़ित लोगों के शव जिस हाल में मिले उसने लोगों को हिला दिया। कमरे में खून ही खून फैला था। यह हत्याकांड पूरे परिवार के साथ ही एक विचारधारा को भी जड़ से मिटाने का प्रयास था।

पश्चिम बंगाल में संघ के के कार्यकर्ताओं को इसलिए निशाना बनाया गया क्यों कि वे समाज सेवा, शिक्षा, ग्रामीण उत्थान और राष्ट्रीय एकता के कार्यों में निस्वार्थ भाव से जुटे थे। इन चुनौतियों के बीच भी संघ के स्वयंसेवक मैदान में डटे हुए हैं। निडरता, सेवा और समर्पण की भावना से प्रेरित स्वयंसेवक राष्ट्र की चेतना की रक्षा के लिए निरंतर जुटे है।

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