Home नरेंद्र मोदी विशेष भारत ने भूकंप में जिस तुर्किये के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया, वह...

भारत ने भूकंप में जिस तुर्किये के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया, वह गद्दार बनकर पाक की गोद में जा बैठा, अब हम इसे सबक सिखाएंगे

SHARE

पाकिस्तान के खिलाफ भारत के दमदार ऑपरेशन सिंदूर में जहां पूरा वैश्विक समुदाय भारत के समर्थन में था, वहीं दो-तीन मुल्कों के साथ पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया था। पाकिस्तान की मदद जिस तुर्किये ने की थी, वह ‘गद्दार’ भूल गया कि जब उसके देश में विनाशकारी भूंकप आया था, तब पीएम मोदी ने ही ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर तुर्किये की भारी मदद की थी। यह पीएम मोदी की कूटनीति ही थी कि संकट के समय भारत ने ऑपरेशन के तहत तत्काल राहत और बचाव दल को रवाना किया था। तब वहां से लौटी टीम के सदस्यों ने पीएम मोदी को अपने जो अनुभव सुनाए वह हर भारतवासी को गौरव से भर देने वाले थे। उन्होंने बताया कि जब वे लौट रहे थे तो तुर्की के लोग रो रहे थे। उन्होंने भारतीय कर्मियों को ईश्वर के समान माना। किसी ने माथा चूमा तो किसी ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां भारत के योगदान को हमेशा याद रखेंगी। लेकिन तुर्किये के प्रधानमंत्री रिचप तैयब एर्दोगन दो साल में भारत के अहसान को भूल गए। वे गद्दारी करके पाकिस्तान की गोद में जा बैठा और भारत के खिलाफ लड़ाई के लिए उसे हथियार मुहैया कराए। लेकिन अब भारत ने पाकिस्तान के सामरिक घेराव की तैयारी कर ली है। भारत ने पाकिस्तान के पड़ौसी अफगानिस्तान से हाथ मिला लिए हैं और जल्द ही दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध बहाल होंगे। इस दोस्ती से पाकिस्तान को झटका लगने के साथ-साथ अफगानिस्तान में चीन के विस्तार पर भी रोक लगने की संभावना है।

दो साल पहले तुर्किए में आए भीषण भूकंप में भारत ने बेशुमार मदद की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन की वजह से आज दुनियाभर में भारत का मान बढ़ रहा है। दुनियाभर में बसे भारतीय प्रवासियों को ही नहीं, बल्कि कई देशों को भी भरोसा है कि जब वे किसी संकट में आएंगे, तो भारत सबसे पहले उनकी मदद के लिए आगे आएगा। पीएम मोदी कई बार यह साबित करके दिखा चुके हैं। वे संकटासन्न लोगों की मदद बिना किसी भेदभाव के करते हैं। वो चाहे कोरोनाकाल हो या कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आई हो। ऐसा ही एक संकट दो साल पहले तुर्किये में आया था। 6 फरवरी 2023 को तुर्किये और सीरिया में 7.8 तीव्रता का भयानक भूकंप आया। इस आपदा में 50 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। करीब 1.60 लाख इमारतें ढह गईं, जिससे करीब 15 लाख लोग बेघर हो गए। तब पीएम मोदी के निर्देश पर भारत फौरन तुर्किये की मदद को आगे आया और ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू किया। इसके तहत तुर्किए की सहायता के लिए कई कदम उठाए गए।
• NDRF के 50 और भारतीय सेना के 250 जवानों की टीमें तुर्किये भेजीं। यह टीमें दिन-रात मलबे में फंसे लोगों को बचाने में लगी रहीं।
• इंडियन एयरफोर्स के 7 विमान भेजे। इनमें 6 C-17 में राहत सामग्री और 1 C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान में मेडिकल उपकरण थे। भारत ने 140 टन से ज्यादा राहत सामग्री भेजी।
• मरीजों के इलाज के लिए दवाइयां, सिरिंज पंप, ECG मशीनें, एक्स-रे मशीनें, वेंटिलेटर और सर्जरी का सामान भेजा।
• इसके अलावा कंबल, टेंट, कपड़े, ड्रिलिंग मशीनें, बचाव उपकरण, बिजली जनरेटर और खाने का सामान भेजा गया।
• भारत ने तुर्किये में 30 बिस्तरों वाला फील्ड हॉस्पिटल भी बनाया, जिसमें क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट, सर्जन और डॉक्टर समेत 99 लोग थे। इस अस्पताल में लगभग 4 हजार मरीजों का इलाज किया।

भारत ने भूकंप के अलावा भी तुर्किये की कई बार सहायता की
भारत ने भूकंप के अलावा भी तुर्किये की कई बार सहायता की है, लेकिन जब मौका आया तो उसने गद्दारी ही दिखाई और भारत के दुश्मन के पक्ष में खड़ा हो गया। इतिहास की बात करें तो भारत ने 1948 में तुर्किये के साथ डिप्लोमैटिक रिश्ते शुरू किए और राजधानी अंकारा में अपना दूतावास खोला। तुर्किये को कपास, चाय और मसाले एक्सपोर्ट करना शुरू किया। 1950 में ‘मैत्री संधि’ पर हस्ताक्षर किए। 2009 में तुर्किये ने पहली नैनो सैटेलाइट ITUpSAT-1 बनाई, जिसे स्पेस में नई टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करना, पृथ्वी की तस्वीरें लेना और डेटा इकट्ठा करने के लिए भेजा जाना था। इस लॉन्च में भारत ने तुर्किये की मदद की थी।

तुर्किये-पाकिस्तान जैसा भाईचारा दुनिया में मिसाल- एर्दोगन
इस सबके बावजूद तुर्किये हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। उसने पाकिस्तान के पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की सिफारिश का भी समर्थन किया। 10 मई को सीजफायर के बाद शहबाज शरीफ ने एर्दोगन को मदद करने के लिए शुक्रिया अदा किया। इसके जवाब में X पर एर्दोगन ने लिखा- ‘तुर्किये-पाकिस्तान जैसा भाईचारा दुनिया में बहुत कम देशों में मिलता है। यह सच्ची दोस्ती के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। हम पहले की तरह भविष्य में भी पाकिस्तान के अच्छे और बुरे समय में साथ खड़े रहेंगे। मैं अपने मित्र और भाई पाकिस्तान को अपने हार्दिक स्नेह के साथ बधाई देता हूं।’

हथियारों के सौदे और धार्मिक कट्टरता के लिए पाक से साथ तुर्किये
बड़ा सवाल यह है कि आपदा के समय तुर्किये की इतनी मदद करने के बावजूद वो ऑपरेशन सिंदूर में भारत के दुश्मन के साथ क्यों खड़ा नजर आया? भारत की मदद के बावजूद तुर्किये का झुकाव पाकिस्तान की तरफ क्यों रहा? दरअसल, इतिहास में दो दशक पीछे चलें तो 2003 में तुर्किये का प्रधानमंत्री बनने के बाद रिचप तैयब एर्दोगन अब तक 10 से ज्यादा बार पाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं, जबकि G20 के अलावा सिर्फ 2 बार भारत आए हैं। 2015-19 से 2020-24 के बीच तुर्किये का पाकिस्तान को हथियार निर्यात करीब 103% बढ़ गया है। धार्मिक आधार के साथ ही हथियारों की सौदेबाजी पाकिस्तान के साथ का बड़ा कारण है। तुर्किये ने पाकिस्तान की नेवी के मॉडर्नाइजेशन में भी मदद की है। दोनों देशों की नेवी साथ में डिफेंस एक्सरसाइज भी करती हैं। जबकि भारत और तुर्किये ने कभी ऐसी कोई एक्सरसाइज नहीं की है। कश्मीर के मुद्दे पर तुर्किये ने हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का समर्थन किया है।ऑपरेशन सिंदूर में तुर्किये ने पाक को करीब 350 ड्रोन और युद्धपोत दिए
तुर्किये ने 2019 में भारत के धारा 370 हटाने का भी विरोध किया था। इसके बाद से लगातार तुर्किये यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNGA) में कश्मीर का मुद्दा उठाता आया है। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 6-7 मई की रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, तो तुर्किये खुलकर पाकिस्तान के साथ दिखा। तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से फोन पर कहा- मैं हमलों में जान गंवाने वाले अपने भाइयों के लिए अल्लाह से रहम की दुआ करता हूं और पाकिस्तान के भाईचारे वाले लोगों और देश के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तुर्किये ने पाकिस्तान को करीब 350 ड्रोन और उन्हें चलाने के लिए ऑपरेटर भेजे। 4 मई 2025 को तुर्किये नौसेना का युद्धपोत TCG बुयुकडा (F-512) पूरे बेड़े के साथ पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर भेज दिया।

केंद्र ने तुर्किये की कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द की
केंद्र सरकार ने भी 15 मई को तुर्किये की कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। यह दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु सहित प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर हाई सिक्योरिटी ऑपरेशन संभालती है। इसके अलावा 12 मई को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी JNU ने तुर्किये की इनोनु यूनिवर्सिटी के साथ MoU खत्म कर दिया। जेएनयू ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से, जेएनयू और इनोनू यूनिवर्सिटी, तुर्किये के बीच समझौता ज्ञापन को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है। जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है।’

तुर्किये से रिश्ते बिगड़ने का भारत पर नहीं होगा कोई असर
पाकिस्तान के चलते तुर्किये से रिश्ते बिगड़ने का भारत की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। इसकी 3 बड़ी वजहे हैं। पहली तो यह कि भारत और तुर्किये में व्यापार ना के बराबर है भारत अपने कुल निर्यात का सिर्फ 1.5% तुर्किये से करता है। 2023-24 में जहां भारत ने तुर्किये को 6.65 बिलियन डॉलर यानी 56 हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया था, वह 2024-25 में घटकर 5.2 बिलियन डॉलर यानी करीब 44 हजार करोड़ रुपए हो गया था। इसी तरह भारत के कुल आयात में भी तुर्किये की हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% है। 2023-24 में जहां भारत ने तुर्किये से 3.78 बिलियन डॉलर यानी करीब 32 हजार करोड़ रुपए का आयात किया था, अप्रैल-फरवरी 2024-25 में यह घटकर 2.84 बिलियन डॉलर यानी करीब 24 हजार करोड़ रुपए रह गया।

चीन और रूस के सपोर्ट के चलते ज्यादा कूद रहा है तुर्किये
तुर्किये को भारत से रिश्ते बिगड़ने का डर इसलिए भी नहीं है, क्योंकि उसके रूस और चीन जैसे सुपर पावर्स से अच्छे संबंध हैं। तुर्किये अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है। 2023 में तुर्किये ने रूस को 11 बिलियन डॉलर यानी करीब 94 हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया था। इससे पहले 2019 में तुर्किये ने S-400 मिसाइल भी खरीदी, जिसके बाद उसे NATO का विरोध भी झेलना पड़ा। तुर्किये ने चीन के साथ भी अपने रिश्ते मजबूत किए हैं। चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनी BYD ने 2024 में तुर्किये में अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए 1 बिलियन डॉलर यानी करीब 8.5 हजार करोड़ का निवेश किया था। पिछले साल तुर्किये ने चीन से व्यापार बढ़ाने के लिए 2 हजार चीजों की लिस्ट दी थी जो चीन उनसे आयात कर सकता है।

भारत हिंदू बहुल, जबकि तुर्किये का फोकस इस्लामिक देश
तुर्किये और पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्ते इसलिए भी हैं क्योंकि दोनों ही इस्लामिक देश हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन यहां हिंदू आबादी बहुतायत में रहती है। तुर्किये इस्लामिक देशों को साथ जोड़ना चाहता है और उनसे अच्छे संबंध बना रहा है। भारत इस कैटेगरी में नहीं आता। लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने तुर्किये को बड़ा सबक सिखाने का मन बना लिया है। विदेश मामलों के जानकारों के मुताबिक तुर्किये को सबक सिखाने के लिए भारत उसके अंदर के मुद्दों को बाहर लाएगा। तुर्किये में ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। भारत को कूटनीतिक रणनीति अपनाते हुए इस मुद्दे को यूनाइटेड नेशन्स यानी UN के सामने मजबूती से रख सकता है। इससे तुर्किये को सीधे तौर पर चोट पहुंचेगी। इसके अलावा ‘साइप्रस का मुद्दा तुर्किये की सबसे बड़ी कमजोरी बन चुका है। तुर्किये और साइप्रस के बीच की जंग दशकों पुरानी है, इसके बावजूद तुर्किये इसे खत्म नहीं कर पा रहा। भारत इस मुद्दे के सहारे तुर्किये को सबक सिखा सकता है। इसके अलावा भारत आर्मेनिया और इजराइल जैसे तुर्किये के दुश्मन देशों का दोस्त है। जो तुर्किये को किसी भी तरह रास नहीं आते।

तुर्किये की आर्थिक रीढ़ तोड़ने के लिए भारत उठा सकता है ये कदम
भारत की जागरुक जनता ने पहले बॉयकॉट तुर्किये का अभियान चला दिया है। इससे यहां के टूरिज्म पर खासा असर पड़ेगा। 2019 से 2025 तक करीब 11 लाख से ज्यादा भारतीय टूरिस्ट तुर्किये गए। टूरिज्म तुर्किये की GDP में 12% का योगदान करता है 10% लोगों को रोजगार देता है। तुर्किये हर साल करीब 3 हजार करोड़ रुपए भारतीय टूरिस्ट से कमाता है। बड़े पैमाने पर बॉयकॉट से तुर्किये पर असर पड़ेगा। इसके अलावा तुर्किये से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पर बैन लगाया जा सकता है। भारत तुर्किये को पेट्रोलियम, केमिकल्स और कपड़े एक्सपोर्ट करता है, जबकि तुर्किये से मशीनरी और ऑटोमोबाइल पार्ट्स इम्पोर्ट होते हैं। भारत इन सामानों को जापान या साउथ कोरिया जैसे देशों से खरीद सकता है। तुर्किये की इकोनॉमी को इससे डेंट जरूर लगेगा। भारत कूटनीतिक कदम के तहत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तुर्किये का मुद्दा उठाएगा। भारत BRICS, G20 और संयुक्त राष्ट्र यानी UN जैसे मंचों पर तुर्किये की नीतियों पर सवाल उठा सकता है। जिस तरह 2024 में भारत ने BRICS में तुर्किये की सदस्यता का विरोध किया। इससे तुर्किये की अंतरराष्ट्रीय साख कमजोर होगी और वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ जाएगा। भारत ने इससे पहले मलेशिया जैसे देशों को कूटनीतिक दबाव से चुप कराया है।

हर्ष गोयनका बोले- तुर्किये और अजरबैजान हमारे दुश्मन के साथ खड़े
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच भारतीय टूरिस्ट तुर्किये और अजरबैजान का बॉयकॉट कर रहे हैं। मेकमाइट्रिप के अनुसार पिछले एक हफ्ते में तुर्किये-अजरबैजान जाने वाले यात्रिओं के कैंसिलेशन 250% बढ़े हैं। इसी के साथ बुकिंग्स में 60% गिरावट आई है। वहीं जरबैजान के लिए 30%, तुर्किये के लिए 22% कैंसलेशन बढ़े हैं। दरअसल, भारत के ऑपरेशन सिंदूर की तुर्किये और अजरबैजान ने खुलकर आलोचना की थी। इसके बाद पिछले दिनों सोशल मीडिया पर बॉयकॉट टर्की और बॉयकॉट अजरबैजान ट्रेंड पर रहे। हर्ष गोयनका ने तुर्किये और अजरबैजान जाने वाले भारतीय पर्यटकों से ना जाने की गुजारिश की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा ‘भारतीयों ने इन देशों को पिछले साल 4,000 करोड़ रुपए दिए। हमने इनकी इकोनॉमी को सपोर्ट किया, लेकिन आज ये हमारे दुश्मन के साथ खड़े हैं। भारत और दुनिया में ढेरों खूबसूरत जगहें हैं… इन दोनों को स्किप करें। इससे पहले कई ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग कंपनियों ने अपने ग्राहकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी।

भारत में तुर्किये का बॉयकॉट लगातार बढ़ता जा रहा है
सोशल मीडिया पर लोग तुर्किये के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं और #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। भारत सरकार ने तुर्किये के सरकारी मीडिया चैनल TRT World के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था। अरबपति हर्ष गोयनका ने एक्स पर लिखा, पिछले साल भारतीयों ने पर्यटन के जरिए तुर्किये और अजरबैजान को 4,000 करोड़ रुपए दिए। इससे नौकरियां पैदा हुईं। उनकी अर्थव्यवस्था, होटल, शादियां, उड़ानें बढ़ीं। आज, पहलगाम हमले के बाद दोनों पाकिस्तान के साथ खड़े हैं। भारत और दुनिया में बहुत सी खूबसूरत जगहें हैं। कृपया इन दो जगहों पर न जाएं। जय हिंद। MakeMyTrip के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में तुर्किये-अजरबैजान जाने वाले यात्रिओं के कैंसिलेशन 250% बढ़े हैं। भारतीय व्यापारी तुर्की संगमरमर और तुर्की सेब का भी बहिष्कार कर रहे हैं। ANI के अनुसार, भारत के संगमरमर हब उदयपुर ने तुर्की से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत ने अफगानिस्तान से संबंध बढ़ाए
दूसरी ओर भारत ने पाकिस्तान को घेरने के लिए उसके पड़ौसी अफगानिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंध सुधारे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार रात अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बातचीत की। जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए मुत्ताकी को शुक्रिया कहा। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के उन आरोपों को खारिज कर दिया था, जिनमें कहा गया था कि भारतीय मिसाइलों ने अफगानिस्तान को टारगेट किया। जयशंकर ने इस बात के लिए भी अफगान सरकार का शुक्रिया किया। यह भारत और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के बीच मंत्री स्तर की पहली बातचीत थी। जयशंकर ने कहा कि भारत और अफगान लोगों के बीच जो पुराना दोस्ताना रिश्ता है, उसे दोहराया गया और भविष्य में इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर बातचीत हुई। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद भारत और तालिबान सरकार के बीच बातचीत की शुरुआत जनवरी में हुई थी। जनवरी में विक्रम मिसरी और मुत्ताकी के बीच दुबई में बैठक हुई थी। तब अफगान विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के लोगों से जुड़ने और उनका समर्थन करने के लिए भारतीय नेतृत्व की सराहना की थी।

तालिबान सरकार की भारत से वीजा देने की डिमांड
• इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के विदेश मंत्री ने भारत से अफगान व्यापारियों और मरीजों के लिए भारतीय वीजा की सुविधा की मांग की।
• इसके अलावा भारत में अफगान कैदियों की रिहाई और स्वदेश वापसी का भी अपील की। जयशंकर ने इन मुद्दों को तुरंत हल करने की बात कही।
• भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान की एंट्री के बाद 25 अगस्त 2021 को तत्काल प्रभाव से वीजा देना बंद कर दिया था। तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां की सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर यह फैसला लिया गया था।

Impact: मुश्किल में पाकिस्‍तान के ‘भाईजान’ बने तुर्किए, अजरबैजान और चीन

उधर ऑपरेशन सिंदूर के दूरगामी प्रभाव अब सामने आने लगे हैं। इस ऑपरेशन पाकिस्‍तान के ‘भाईजान’ बने तुर्किए, अजरबैजान और चीन की भारत में दुकान बंद होने वाली है। तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ तो भारत में ट्रेड स्ट्राइक के तहत इन देशों का हर स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। दरअसल, भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन, तुर्किए और अजरबैजान का असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने आ गया। पाकिस्‍तान ने इस दौरान भारत पर जो ड्रोन और मिसाइल दागे वो ‘मेड इन’ चाइना और तुर्किए में बने थे। पाकिस्‍तान ने जो चीन की फुस्‍स मिसाइल और तुर्किए के ड्रोन भारत पर हमले में इस्‍तेमाल किये, उनके अवशेष अब देश में मौजूद हैं। चीन और तुर्किए अब इन सबूतों को नकार नहीं सकता है। भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्‍तान को ऑपरेशन सिंदूर में ऐसी चोट दी कि वो घुटनों पर आ गया और सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाने लगा। पाकिस्‍तान को सबक सिखा दिया गया है अब उसके ‘भाईजान’ चीन, तुर्किए और अजरबैजान की दुकान भारत में बंद करने की तैयारी हो रही है। इसके साथ ही भारत द्वारा पाकिस्तान को दिए मुंह तोड़ जवाब की वीरगाथा अब स्कूल और कालेजों में पढ़ाई जाएगी। वीरों की धरती राजस्थान ने इसमें बाजी मारी है। यानी, ऑपरेशन सिंदूर के बारे में राजस्थान के स्कूल और कालेजों में सिलेबस का हिस्सा बनेगा। इसमें स्टूडेंट्स को देश प्रेम जागृत करने के लिए भारतीय सेना के साहस और उनके द्वारा ऑपरेशन सिंदूर में किए गए भरपूर एक्शन के बारे में बताया जाएगा।

राजस्थान पहला राज्य जहां ऑपरेशन सिंदूर सिलेबस में होगा शामिल
संभवत आने वाले नए सत्र में ही स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर के चैप्टर को शामिल किया जाएगा। राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है जो ऑपरेशन सिंदूर को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल कर रहा है। बताया जा रहा है कि एक पुस्तक को नया नाम ‘सिंदूर’ दिया जा रहा है। इस बार स्टूडेंट के सिलेबस में बदलाव किया जा रहा है। पहले फेज में इस सत्र से कक्षा एक से पांचवी तक का पूरा सिलेबस बढ़ेगा। उसके दूसरे और तीसरे फेज में 6 से 12 तक का सिलेबस बदलेगा। ऐसे में सरकार नए शिक्षा सत्र से स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव और अपग्रेडेशन कर रही है। आपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने वाला राजस्थान पहला राज्य होगा। राष्ट्रीय शिक्षानीति के अनुरूप इसी सत्र से स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी है। ऐसे में भारतीय सैन्य शक्ति के अदम्य साहस से युवा पीढ़ी को परिचित करवाने के लिए इस गौरवगाथा को शामिल किया जाएगा। विभागीय स्तर पर एक्सपर्ट कमेटी के साथ चर्चा कर इसे सिलेबस का हिस्सा बनाया जाएगा।

ऑपरेशन सिंदूर से सेना के बहादुरी की कहानियां पढ़ेंगे बच्चे और युवा
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पूरे देश में उत्साह है। 7 मई को भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में संचालित आतंक के अड्डों पर एयर स्ट्राइक की थी। भारतीय सेना ने सिर्फ 25 मिनट में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया और सकुशल वापस लौट आई। इस एयर स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना पाकिस्तान में 400 किलोमीटर तक अंदर घुस गई थी। चार दिन तक चले ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की बहादुरी पर पूरे देश को नाज है। ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी सेना के बहादुरी की कहानियां स्कूल और कॉलेज के छात्रों को पढाई जाएंगी। यह सफल ऑपरेशन बच्चों और युवाओं में राष्ट्रभक्ति का नया जोश भर रहा है।

 

किताब का नाम होगा सिंदूर, परीक्षाओं में ऑपरेशन से जुड़े सवाल आएंगे
इसके अलावा स्कूली बच्चों की एक किताब का नाम सिंदूर रखा जाएगा। राजस्थान शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद शर्मा के मुताबिक समिति द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किए जाने को लेकर अनुशंसा अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा है कि नए सत्र से सिलेबस अपग्रेडेशन की तैयारी है, ऐसे में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को हम कैसे छोड़ सकते हैं। एजुकेशन एक्सपर्ट सुरेंद्र सेनी के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर भारत की सेना के अदम्य साहस का प्रतीक है। इसमें भारत ने दिखाया है कि अगर कोई भारत को नुकसान पहुंचाएगा तो भारत की सेना उसे छोड़ेगी नहीं। ऑपरेशन सिंदूर भारत के प्रतीक व्यक्ति के लिए गर्व की बात है। आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे जुड़े सवाल भी आ सकते हैं। वहीं, किताबों में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने की पहल की टीचर्स ने भी स्वागत किया है।

पाकिस्तान का साथ देने से हैशटैग बॉयकॉट तुर्की सोशल मीडिया पर ट्रेंड
दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर का एक और इफेक्ट सोशल मीडिया पर हैशटैग बॉयकॉट_तुर्की ट्रेंड करना भी है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बीच वार में तुर्की, अजरबैजान और चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया है। तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया जो अब उसे काफी भारी पड़ता नजर आ रहा है. सोशल मीडिया पर तभी से हैशटैग बॉयकॉट तुर्की ट्रेंड करने लगा। वहीं ट्रेवल एजेंसियों ने भी अजरबैजान और उज्बेकिस्तान के लिए टूर ट्रिप लेना कैंसिल कर दिया है। साथ ही जिन लोगों की ट्रिप हाल फिलहाल में तुर्की के लिए थी वो अपना ट्रिप कैंसिल करा रहे हैं। इसी बॉयकॉट तुर्की ट्रेंड में अब ट्रेड सेक्टर की भी एंट्री हो गई है। उन्होंने बताया कि भारत में आयात होने वाले कुल मार्बल का करीब 70% हिस्सा तुर्किये से आता है, लेकिन अब यह आयात बंद किया जा रहा है।

एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी उदयपुर के तुर्की से ट्रेड रिलेशन खत्म
तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के बाद उदयपुर की मशहूर मार्बल मंडी ने तुर्की के साथ अपने सभी ट्रेड रिलेशन खत्म करने का ऐलान किया है। उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति ने यह फैसला राष्ट्रहित और देशभक्ति के चलते लिया है। समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी दी है और स्पष्ट किया है कि वे हर उस कदम का समर्थन करेंगे, जो भारत सरकार राष्ट्रहित में उठाएगी। उदयपुर, जो एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी के रूप में प्रसिद्ध है, यहां के व्यापारियों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि अब तुर्की से मार्बल का आयात नहीं किया जाएगा। समिति के महासचिव हितेश पटेल ने जानकारी दी कि उदयपुर में 50 से अधिक बड़े व्यापारी तुर्की से मार्बल आयात करते थे, जिनकी आयात मात्रा हजारों टन में होती थी। लेकिन तुर्की के पाकिस्तान के प्रति रुख को देखते हुए इन व्यापारियों ने तुर्की से किसी भी तरह का मार्बल खरीदने से इनकार कर दिया है।

तुर्की से अकेला उदयपुर करता है 5 हजार करोड़ का कारोबार
भारत हर साल तुर्की से करीब 14 लाख टन मार्बल आयात करता है, जिसमें से 5,000 करोड़ रुपये का व्यापार अकेले उदयपुर से होता था। तुर्की का मार्बल अपने उच्च गुणवत्ता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए उदयपुर के व्यापारियों ने अपने मुनाफे की परवाह किए बिना तुर्की से व्यापार बंद कर दिया है। समिति के अध्यक्ष कपिल सुराणा ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि देशभक्ति और राष्ट्रहित की भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में भारत सरकार तुर्की या किसी भी अन्य देश के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाती है, तो उदयपुर मार्बल मंडी उसके साथ खड़ी होगी। यह फैसला दिखाता है कि देश के व्यापारी केवल लाभ कमाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे मोदी सरकार के लिए आर्थिक नुकसान उठाने को भी तैयार हैं। उदयपुर की मार्बल मंडी ने तुर्की से व्यापार खत्म कर यह साबित कर दिया है कि भारत के व्यापारी अपने देश के सम्मान और सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना पूरी तरह बंद किया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की ने पाकिस्तान को वॉर के मिसाइल से ड्रोन तक देने में मदद की। भारत के लोगों को तुर्की का ये रवैया रास नहीं आया है। लिहाजा भारत ने अब पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले तुर्की को आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब देना शुरू कर दिया है। तुर्कीये के खिलाफ भारतीय व्यापारियों ने ‘ट्रेड स्ट्राइक’ का ऐलान कर दिया है। कर दिया है। वे अपने देश के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब मंगवा रहे हैं। वहीं उदयपुर में मार्बल कारोबारी भी तुर्की से व्यापार रोकने को ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र के पुणे में व्यापारियों ने तुर्की से आयात होने वाले सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी है। स्थानीय बाजारों से ये सेब गायब हो गए हैं और ग्राहकों ने भी इसका बहिष्कार कर दिया है। हर साल पुणे के फलों के बाजार में तुर्की सेबों की हिस्सेदारी लगभग ₹1,000 से ₹1,200 करोड़ की होती है, लेकिन अब यह कारोबार ठप हो गया है। पुणे के एपीएमसी (कृषि उत्पन्न बाजार समिति) मार्केट में सेब व्यापारी सय्योग जेंडे ने बताया कि हमने तुर्की से सेब मंगवाना पूरी तरह बंद कर दिया है। अब हम हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य स्रोतों से सेब मंगा रहे हैं।

ट्रेवल एजेंसियां तुर्की और अजरबैजान की बुकिंग बंद की
तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों की इकोनॉमी में टूरिज्म का बहुत बड़ा रोल है। इन दोनों के देश की कुल जीडीपी का 10 फीसदी हिस्सा टूरिज्म से ही आता है। अजरबैजान की बात करें तो यहां 70% पर्यटक भारत से ही जाते हैं। भारत-पाक तनाव के बाद भारत के लोगों के बॉयकॉट तुर्की और अजरबैजान कैंपेंन छेड़ दिया, जिसका असर दिखना शुरु हो गया। travel booking platforms जैसे Ixigo और EaseMyTrip Turkey के लिए बुकिंग नहीं ले रहे हैं। भारत के लोगों तुर्की को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है। अब लोग अजरबैजान की जगह बैंकाक जाने लगे हैं। देश भर के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने इन देशों में जाने का अपना प्लान कैसिंल कर दिया है। अकेले पूर्वांचल से 15000 पर्यटकों ने इन दोनों देशों का प्लान कैंसिल किया है।

अब भारत से लाखों टूरिस्ट तुर्की और अजबैजान नहीं जाएंगे
ऑल इंडिया टूरिस्ट फेडरेशन के मुताबिक दिनों में सिर्फ पूर्वांचल से 15000 से ज़्यादा पर्यटकों ने अपना प्लान और टिकट कैंसिल करा लिया है। अभी तो तीन दिन का ही ये आंकड़ा है उम्मीद की जा रही है कि ये संख्या 25 हज़ार से 30 हज़ार के बीच जा सकती है। ट्रैवल कंपनियां भी इसमें लोगों का साथ दे रही है। कॉक्स एन्ड किंग, एसओटीसी और इज़ माय ट्रिप जैसी ट्रैवेल कम्पनियां लोगों से कोई कैंसिलेशन चार्ज भी नही ले रही हैं। इंफोइंडिया के आकड़ों के मुताबिक साल 2024 में भारत से करीब 2.50 लाख टूरिस्ट ने अजरबैजान की यात्रा की। वहीं तुर्की की बात करें तो करीब 3 लाख टूरिस्ट भारत से तुर्की गए थे। यात्रा के दौरान हर यात्री औसतन करीब 1000 अमेरिकी डॉलर यानी 85,000 रुपये खर्चा किया। इस तरह पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देशों को पिछले साल करीब 469 करोड़ रुपये की आय हुई।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खास अखबारों का सोशल मीडिया खाता बंद
पाकिस्तान के मददगारों के खिलाफ भारत ने कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दो भोंपू ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ न्यूज के सोशल मीडिया अकाउंट्स के बाद अब टीआरटी वर्ल्ड के एक्स अकाउंट को भी बंद कर दिया गया है। टीआरटी वर्ल्ड, तुर्की का ब्रॉडकास्टर है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद लगातार भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैला रहा था। तुर्की और चीन के ब्रॉडकास्टर लगातार भारत के खिलाफ फर्जी खबरें और भ्रामक जानकारियां फैला रहे थे। इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यर एर्दोगन ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत को संकेतों में चेतावनी देने की कोशिश की थी। जिसके बाद भारत ने तुर्की के लीडिंग ब्रॉडकास्टर के सोशल मीडिया अकाउंट को बैन कर दिया गया है।

Leave a Reply