अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर व्यापार के मामले में देशों को धमकाने के लिए ऊंचा टैरिफ लगाते हैं, फिर अपनी मर्जी के मुताबिक ट्रेड डील करते हैं। ईयू, जापान और कई अन्य देशों ने ट्रंप के दबाव में आकर उनकी बात मान ली थी। ट्रंप का टैक्स लगाने का तरीका दिखाता है कि वे व्यापार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते भारत ने अपने हितों को बचाने का फैसला किया है। भारत के मामले में ट्रंप का यह तरीका अभी सफल नहीं हो पाया। क्योंकि भारत दबाव में आने के बजाय अपनी बात पर कायम रहा। नई दिल्ली ने तो साफ-साफ संदेश दे दिया कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। थिंक टैंक जीटीआरआइ ने कहा है कि 25 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद भारत की स्थिति अमरीका के साथ ट्रेड डील करने वाले देशों से बेहतर हो सकती है। भारत के भाव न देने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का रुख नरम पड़ता दिखाई दे रहा है। 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा के बाद ट्रंप के तेवर कुछ ही घंटे में ढीले पड़ गए। अब उन्होंने पीएम मोदी की दोस्ती का हवाला देते हुए भारत के साथ बातचीत जारी रखने की बात कही है।
पीएम मोदी को दोस्त बताकर ट्रंप बोले- बातचीत अभी जारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आखिरकार मुंह की खानी पड़ी है। 25 प्रतिशत ट्रंप टैरिफ के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में आने वाला नहीं है। भारत के इस कदम के बाद अब ट्रंप ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और कहा है कि मोदी मेरे दोस्त हैं और ट्रेड डील पर फिर से बातचीत हो सकती है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के पीछे ब्रिक्स समूह और नई दिल्ली के साथ भारी व्यापार घाटे का हवाला दिया और यह भी कहा कि भारत के साथ बातचीत जारी है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया लेकिन कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में ज्यादा कुछ नहीं करता है। उन्होंने कहा कि ‘भारत ब्रिक्स का सदस्य’ है, जो ‘अमेरिका विरोधी देशों का समूह’ है।
डोनाल्ड ट्रंप के ट्रैप में ना फंसना भारत की एक बड़ी सफलता
जीटीआरआइ ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच अभी भी समझौता हो सकता है, लेकिन यह केवल उचित शर्तों पर ही होगा। इसमें भारत के हित भी समाहित होंगे। फिललहाल तो भारत डोनाल्ड ट्रंप के एकतरफा समझौते के जाल से दूर निकल आया है, जो कि वैश्विक परिदृश्य में एक बड़ी सफलता है। ब्रिटेन, ईयू, जापान, इंडोनेशिया और वियतनाम ट्रेड डील के बावजूद अब उच्च टैरिफ का सामना कर रहे हैं और बदले में अमरीका को व्यापक रियायतें भी देंगे। इसमें अमरीकी कृषि उत्पादों पर शून्य टैरिफ, बड़े पैमाने पर निवेश के वादे और अमरीकी तेल, गैस व हथियारों की खरीद शामिल है। भारत ने ऐसी कोई रियायत नहीं दी है।
झंडा ऊंचा रहे हमारा: दबाव के बावजूद 5 वजह से नहीं झुका भारत
• भारत ने खेती और डेयरी-उत्पादों के मामले में झुकने से इनकार कर दिया। दरअसल पीएम मोदी भारत के जिन चार स्तंभों की बात करते हैं, उनमें एक अन्नदाता यानी किसान हैं। खेती और डेयरी-उत्पाद सीधे तौर पर इस बड़े वर्ग से जुड़ें हैं। यही वजह है कि भारत के किसानों के पक्ष में अड़ने से अमरीका के साथ बातचीत अटकी हुई है। अमरीका में डेयरी उत्पादों को बनाने के लिए जानवरों को जो खाना खिलाया जाता है, उसमें मांसाहारी चीजें भी होती हैं। यह भारत की संस्कृति के खिलाफ है।
• भारत सरकार ने स्टेंट और घुटने के इम्प्लाट जैसे कई जरूरी मेडिकल उपकरणों की कीमतों पर नियंत्रण हटाने से भी इनकार कर दिया।
• डिजिटल क्षेत्र में भी भारत ने 3 अपने डेटा को देश में ही रखने के नियम पर अडिग रहा। अमरीका की टेक कंपनियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन भारत ने उनकी बात नहीं मानी।
• खेती भी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर भारत ने समझौता नहीं किया। भारत ने जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फसलों के मामले में भी कोई समझौता नहीं किया। अगर भारत इन मामलों में झुक जाता, तो इसका किसानों पर बुरा असर पड़ता।
• कुछ मुद्दे डोनाल्ड ट्रंप की निजी कंपनियों से जुड़े हैं, जैसे रियल एस्टेट और क्रिप्टोकरेंसी। अमेरिका ने उन्हें भी डील में शामिल किया है, जिस पर भारत राजी नहीं हुआ।
टाइमिंग देखिए- कल भारत के प्रधानमंत्री का बयान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में आया।
ठीक कुछ घंटे बाद डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ को लेकर घोषणा आ जाती है।
1 अगस्त से भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया।
उन्होंने टैरिफ की घोषणा के साथ और भी बातें कही-
“याद रखिए, भारत हमारा मित्र है,… pic.twitter.com/pgh8UIbmM3
— Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) July 30, 2025
जगी उम्मीदें: जब ट्रेड डील होगी तो टैरिफ की दरें कम रहेंगी
ट्रंप टैरिफ से बाजार के एक्सपर्ट ज्यादा टेंशन में नहीं हैं। वे मान रहे हैं कि यह ट्रंप की भारत के साथ अपनी शर्तों पर डील करने की एक रणनीति भर है। पूर्व डिप्लोमेट दीपक वोहरा ने कहा, बिना डील के 25 फीसदी टैरिफ हासिल करना इसलिए अहम है, क्योंकि अधिकांश देश 30 फीसदी या उससे ज्यादा के स्तर पर हैं। वहीं ईयू और जापान ही 15-15 फीसदी के स्तर पर हैं। भारतीय एक्सपोर्टर के कंपटीशन वाले देशों में फिलीपींस, वियतनाम और इंडोनेशिया 19-20 फीसदी ब्रेकेट में हैं और इन्होंने डील कर ली है। ऐसे में जब ट्रेड डील होगी तो टैरिफ की दरें कम रहेगी और भारत अपने प्रतिस्पर्धियों से फायदे में ही रहेगा।
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड-डील टॉक की टाइमलाइन
• 13 फरवरी 2025: प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान व्यापार समझौते को लेकर बातचीत में तेजी आई।
• 4-6 मार्च 2025: भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका का दौरा किया ताकि नीतिगत स्तर की बातचीत का आधार तैयार हो सके।
• 26-29 मार्च 2025: अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत आया और डिजिटल व्यापार, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों तक पहुंच पर तकनीकी बातचीत हुई।
• मार्च से जुलाई 2025 तक: दोनों देशों के अधिकारियों के बीच आमने-सामने की पांच दौर की वार्ता हुई।
• 2 अप्रैल 2025: ट्रंप ने भारत पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया (शुरुआत में 26प्रतिशत).
• 9 अप्रैल 2025: इस ऐलान पर अमल के लिए 90 दिनों की मोहलत दी गई।
• 9 जुलाई 2025: डेडलाइन खत्म होने पर इसे 1 अगस्त तक बढ़ा दिया गया।
• 30 जुलाई 2025: ट्रंप ने 1 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की, साथ ही रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर जुर्माने का भी ऐलान किया।
• 25 अगस्त 2025: छठे दौर की वार्ता नई दिल्ली में होनी है।
डोनाल्ड ट्रंप यानी खिसयानी बिल्ली खंभा नोंचे, भारत से चिढ़ने की वजहें
• भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर श्रेय: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर श्रेय लेने की कई बार कोशिश की। लेकिन भारत ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि यह किसी बाहरी दबाव में नहीं हुआ था। पाकिस्तान के बुरी तरह भारत के समक्ष गिड़गिड़ाने के बाद ही यह निर्णय लिया गया। इससे ट्रंप को मिर्ची लग रही है।
• भारत का आत्मनिर्भरता का रुख: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)’ जैसी योजनाएं घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, जो अमेरिका के हितों से टकराती हैं, क्योंकि ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर चल रहे हैं।
• भारी व्यापार घाटा: ट्रंप ने ब्रिक्स समूह और नई दिल्ली के साथ ‘भारी’ व्यापार घाटे का हवाला दिया है। ट्रंप का मानना है कि भारत व्यापार के मामले में अमेरिका के साथ ‘बहुत ज्यादा जुड़ा नहीं है।
• ब्रिक्स समूह: ब्रिक्स समूह भी ट्रंप की दुखती रग है। वे ब्रिक्स समूह को मूलतः अमेरिका विरोधी देशों का एक समूह मानते हैं, और भारत इसका सदस्य है। पता नहीं क्यों ने मानते हैं कि ब्रिक्स अमेरिकी मुद्रा पर हमला है।
• रूस से कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद: अमेरिका भारत द्वारा रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने से नाराज है। जबकि मोदी सरकार ने रूस से सस्ता कच्चा तेज खरीदने का निर्णय राष्ट्रीय हितों में किया है। यदि मोदी ऐसा ना करते तो यहां पेट्रो उत्पाद की कीमतें बढ़ सकती थीं।
• हथियारों का व्यापार: अमेरिका चाहता है कि भारत उससे ही सारे हथियार खरीदे, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है। ट्रंप मानते हैं कि भारत तेल भी अमेरिका से ही खरीदना चाहिए।
यह फैसला अमेरिका के लिए कई तरह से घाटे का सौदा
• आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: भारत से आयातित उत्पादों पर टैरिफ लगने से अमेरिकी कंपनियों को महंगे विकल्प तलाशने होंगे, जिससे उनकी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आ सकता है।
• अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ना: भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगने से अमेरिकी बाजार में उन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा बोझ पड़ेगा।
• अमेरिकी कंपनियों को नुकसान: भारत से आयातित कच्चे माल या कंपोनेंट्स पर निर्भर अमेरिकी कंपनियों को उच्च लागत का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है।
• राजनीतिक अस्थिरता: भारत जैसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझीदार के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ने से भू-राजनीतिक संबंधों में अस्थिरता आ सकती है, जो अमेरिका के व्यापक हितों के लिए हानिकारक हो सकता है।
• भारत में निवेश पर असर: अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। व्यापारिक तनाव से अमेरिकी कंपनियों के निवेश की योजनाओं पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
टैरिफ के ऐलान का भारतीय शेयर बाजार पर ज्यादा असर नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त से भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ और पेनल्टी लगाने की धमकी का शुरुआती असर शेयर बाजार ज्यादा नहीं दिखा। सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आने बाद यह जल्द ही संभल गया। हालांकि मार्केट लाल निशान पर ही बंद हुआ। आज यानी गुरुवार, 31 जुलाई को सेंसेक्स 296 अंकों की गिरावट के साथ 81,185 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में करीब 80 अंक की बढ़त है, ये 24,930 पर है। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 17 में तेजी और 13 में गिरावट है। आज FMCG, एनर्जी, बैंकिंग और ऑटो शेयर्स में ज्यादा बढ़त देखने को मिल रही है।