मोदी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में पर्यटन क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है। इस क्षेत्र में देश ने जिस गति से तरक्की की है उससे लगता है कि आने वाले समय में दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर भी भारत अव्वल देशों में शामिल हो जाएगा। मात्र तीन वर्षों में देसी मानदंडों पर ही नहीं विदेशी मानदंडों पर भी पर्यटन के क्षेत्र में भारत की रैंकिंग काफी सुदृढ़ हुई है। विदेशी सैलानियों ने भारत को काफी अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि देश में विदेशी सैलानियों के साथ ही विदेशी मुद्रा का भंडार भी भरने लगा है। ये तय है कि पर्यटन के क्षेत्र में देश जैसे-जैसे विकास करेगा, रोजगार के मौके भी बढ़ते जाएंगे और विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोत्तरी होती जाएगी। मोदी सरकार ने देश की कमान संभालते ही जिन चीजों पर सबसे अधिक जोर देना शुरू किया था उनमें से पर्यटन भी एक है। इसके लिए प्रधानमंत्री ने खुद अपने स्तर पर पहल शुरू की थी। पीएम मोदी ने दुनियाभर में जाकर भारत के पर्यटन क्षेत्र को जीवंत बनाने की कोशिश की है। उनके उन्हीं प्रयासों और प्राथमिकताओं का असर अब दिखाई देने लगा है।
वर्ल्ड रैंकिंग में लगाई छलांग
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के अनुसार मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत में पर्यटन के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। WEF की Travel & Tourism, Competitiveness Report 2017 की हालिया रैंकिंग में भारत ने 12 अंकों की लंबी छलांग लगाई है। भारतीय टूरिज्म की रैंकिंग 52वें पायदान से ऊपर चढ़कर 40वें पायदान पर पहुंच गई है। जहां साल 2013 में भारत 65वें नंबर पर था, वहीं साल 2015 में 52वें नंबर पर आ गया और महज डेढ़ साल के भीतर 12 अंकों की छलांग लगाते हुए 40वें पायदान पर जा पहुंचा है। पर्यटकों के आगमन के मामले में जापान के पांच और चीन के दो अंक के मुकाबले भारत को 12 अंकों का फायदा हुआ है। जबकि अमेरिका शून्य से दो अंक नीचे और स्विट्जरलैंड शून्य से चार अंक नीचे रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि पर्यटकों की सुरक्षा के मामले में भी भारत 15 स्थान ऊपर आ गया है । यही नहीं पर्यटन से राजस्व में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है। यह 2015 में 1.35 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2016 में 1,55,650 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस तरह से विदेशी मुद्रा की कमाई में 15.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।

नोटबंदी के बावजूद पर्यटन क्षेत्र बम-बम
आशंका जताई जा रही थी कि पर्यटन व्यवसाय पर नोटबंदी की बड़ी मार पड़ेगी। लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। अगर हम सिर्फ जनवरी से मार्च की तिमाही की तुलना करें तो इस साल जहां 28.45 लाख विदेशी सैलानी भारत यात्रा पर आए जो पिछले साल के इन्हीं महीनों की 25.8 लाख सैलानियों के मुकाबले 13.4 % अधिक है। बड़ी बात ये भी है कि भारत की यात्रा पर आने वाले विदेशी सैलानियों में भी सबसे अधिक संख्या अमेरिकी पर्यटकों की रही है। इसी तरह विदेशी सैलानियों से होने वाली विदेशी मुद्रा से आय में भी भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। जैसे इस साल जनवरी से मार्च की तिमाही में पर्यटकों से 46,310 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आमदनी हुई, जो कि इसी अवधि में पिछले साल के 40,411 करोड़ रुपये से 14.6 % अधिक है।
ई-वीजा ने बढ़ाया भारत के प्रति आकर्षण
वैसे 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2015 में 80.3 लाख पर्यटक भारत घूमने आए थे, तो 2016 में उससे 10.7 प्रतिशत अधिक यानि 88.9 लाख विदेशी पर्यटक भारत की यात्रा पर पहुंचे थे। बड़ी बात ये है कि ई-वीजा की सुविधा मिलने के बाद से भारत के प्रति विदेशी सैलानियों की रूचि और बढ़ी है और वो बड़ी संख्या में भारत का रुख कर रहे हैं। जैसे इस साल जनवरी से मार्च के बीच 4.67 लाख विदेशी सैलानी ई-वीजा पर भारत आए जो कि पिछले साल इसी अवधि के 3.21 लाख पर्यटकों की तुलना में 45.6 प्रतिशत अधिक है। भारत आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की असुविधा न हो इसे देखते हुए अभी 161 देशों के नागरिकों को ये सुविधा दी जा रही है। भारत ने अपने पर्यटकों को वेलकम कार्ड देना भी शुरू किया है, जिनसे सैलानियों को सभी महत्वपूर्ण जानकारियों मिल जाएं और उन्हें किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
पर्यटन क्षेत्र पर खुद प्रधानमंत्री की नजर है और उनके नेतृत्व में लगातार इसपर काम चल रहा है-
- पर्यटन में छुपी हुई अपार संभावानाओं को पीएम मोदी अच्छी तरह समझते हैं इसलिए देश में कनेक्टिविटी और स्वच्छता पर उनका बहुत जोर है।
- केंद्र सरकार जल्दी ही एक राष्ट्रीय पर्यटन नीति की घोषणा करने वाली है। उम्मीद है कि नई नीति के आने से पर्यटन उद्योग में और चार चांद लग जाएगा। संभावना है कि इसके तहत एक राष्ट्रीय पर्यटन प्राधिकरण की स्थापना की जाए। इस मामले पर 4 मई, 2017 को पीएम ने एक समीक्षा बैठक भी की है।
- 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर मोदी सरकार ‘वेलनेस टूरिज्म पॉलिसी’ लेकर आने वाली है। माना जा रहा है कि इसके बाद विदेशी पर्यटकों का भारत की तरफ रुझान और बढ़ेगा।
- उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को आकर्षित बनाने के लिए मोदी सरकार चारों धाम को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का ऐलान पहले ही कर चुकी है। रेल मंत्रालय पीएम की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर तेजी से काम कर रहा है।
इनके अलावा भी कई परियोजनाओं पर काम हो रहा है जिसका उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र के आधारभूत ढांचा को मजबूत करना है-
स्वदेश दर्शन
केंद्र सरकार स्वदेश दर्शन के थीम पर टूरिस्ट सर्किट का विकास कर रही है। इसके तहत 13 सर्किट की पहचान की गई है- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालयन सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, मरुस्थल सर्किट, जन-जातीय सर्किट, इको सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट, और विरासत सर्किट। 31 दिसम्बर 2016 से पर्यटन मंत्रालय ने इस योजना के तहत 2601.76 करोड़ रुपये की लागत वाली सभी 31 परियोजनाओं पर काम प्रारम्भ कर दिया है और 506.47 करोड़ रुपये का काम भी पूरा हो चुका है।
प्रसाद योजना
इस योजना के अंतर्गत देश में धार्मिक महत्व के 25 स्थलों की पहचान की गई है। यह है अमरावती( आन्ध्रप्रदेश), अमृतसर(पंजाब), अजमेर(राजस्थान), अयोध्या(उत्तरप्रदेश), बद्रीनाथ(उत्तराखंड), द्वारका(गुजरात), देवघर(झारखंड), बेलूर(पश्चिम बंगाल), गया( बिहार), गुरुवायुर(केरल), हजरतबल( जम्मू कश्मीर), कामाख्या( असम), कांचीपुरम( तमिलनाडु), कटरा( जम्मू कश्मीर), केदारनाथ( उत्तराखंड), मथुरा (उत्तर प्रदेश), पटना (बिहार), पुरी( ओडिशा), श्रीसेलम(आंध्रप्रदेश), सोमनाथ(गुजरात),तिरुपति( आंध्रप्रदेश), त्रम्बकेश्वर(महाराष्ट्र), उज्जैन(मध्य प्रदेश), वाराणसी( उत्तर प्रदेश) और वेलानकनी(लमिलनाडु)। 31 दिसम्बर 2016 तक इस योजना के तहत निम्न स्थलों के विकास का कार्य तेजी से चल रहा है-
विशिष्ट पर्यटक उत्पाद विकसित करने की योजना
देश में विशिष्ट प्रकार के नये पर्यटक उत्पादों को विकसित करने का कार्य चल रहा है। इनपर समितियां गठित की गई हैं जो इनके विकास की रूपरेखा तैयार कर रही हैं और इनपर जल्द ही कार्य प्रारम्भ होने की संभावना है। ये विशिष्ट क्षेत्र हैं— क्रूज, रोमांचकारी, चिकित्सा, निरोगता(Wellness),गोल्फ, पोलो, प्रदर्शनी, इको पर्यटन, फिल्म पर्यटन और सतत पर्यटन।
पर्यटन का रोजगार और जीडीपी में योगदान
पर्यटन उद्योग, राष्ट्रीय लेखा प्रणाली में एक उद्योग के रूप में उस प्रकार परिभाषित नहीं है जिस रूप में बाकी उद्योग परिभाषित हैं। इसीलिए पर्यटन उद्योग के जीडीपी में योगदान के मूल्यांकन के लिए पयर्टन सैटेलाइट एकाउंट(टीएसएआई) के तरीके को अपनाया जाता है। इसके आकलन के अनुसार जीडीपी और रोजगार में पर्यटन उद्योग की हिस्सेदारी अच्छी खासी है।
“ये बात सही है कि टूरिज्म सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। गरीब से गरीब व्यक्ति कमाता है और जब टूरिस्ट, टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाता है। टूरिस्ट जाएगा तो कुछ न कुछ तो लेगा। अमीर होगा तो ज्यादा खर्चा करेगा और टूरिज्म के द्वारा बहुत रोजगार की संभावना है। विश्व की तुलना में भारत टूरिज्म में अभी बहुत पीछे है। लेकिन हम सवा सौ करोड़ देशवासी तय करें कि हमें अपने टूरिज्म को बल देना है तो हम दुनिया को आकर्षित कर सकते हैं। विश्व के टूरिज्म के एक बहुत बड़े हिस्से को हमारी ओर आकर्षित कर सकते हैं और हमारे देश के करोड़ों-करोड़ों नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा सकते हैं। सरकार हो, संस्थाएं हों, समाज हो, नागरिक हों, हम सब को मिल करके ये काम करना है”।– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री ( मन की बात-26 मार्च, 2016)