अयोध्या एक बार फिर अपने भव्य और ऐतिहासिक उत्सव के साथ इतिहास रचने को तैयार है। श्री राम लला मंदिर के मुख्य शिखर पर भगवा ध्वज फहराया जाएगा। इस ध्वज में सूर्य, ‘ॐ’ और कोविदार वृक्ष के प्रतीक अंकित हैं, जो भगवान श्री राम की प्रतिभा और वीरता तथा राम राज्य के आदर्शों को दर्शाता है। राम मंदिर परिसर में विशेष रूप से निर्मित पावन ध्वज का 25 नवंबर को अनावरण और ध्वजारोहण होगा। यह केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि हमारी आस्था, अध्यात्म, सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरणीय संदेशों का अद्भुत प्रतीक भी है। इस पावन आयोजन के लिए अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। सजावट के लिए गेंदा, गुलदाउदी, ऑर्किड और गुलाब जैसे फूलों के साथ लगभग 300 क्विंटल फूल विभिन्न शहरों से मंगाए गए हैं। सड़कों पर सूर्य स्तंभ और धार्मिक प्रतीकों वाले सजावटी लैंप पोस्ट लगाए गए हैं। धर्म पथ की दीवारों पर रामायण के विभिन्न प्रसंगों को दर्शाते म्यूरल बनाए गए हैं। इस धार्मिक आयोजन में पीएम मोदी के अलावा कई गणमान्य विभूतियां भी शामिल होंगी।
वीआईपी मूवमेंट के लिए स्पेशल रूट, ड्रोन कैमरों से निगरानी
इस आध्यात्मिक, सामाजिक-सांस्कृतिक अवसर के लिए राम जन्मभूमि चौक और हनुमानगढ़ी मार्ग पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। ड्रोन कैमरों से भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। सुबह से लेकर रात तक सुरक्षा बलों की मल्टी-लेयर चेकिंग चलेगी। इसके अलावा भीड़ के दबाव को नियंत्रित करने के विशेष इंतजाम होंगे। श्रद्धालुओं की कतार व्यवस्था और वीवीआईपी मूवमेंट के लिए स्पेशल रूट तैयार किए गए हैं। शहर के प्रमुख मार्गों पर यातायात व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इसके अलावा, साइबर टीम सोशल मीडिया पर गलत या भ्रामक जानकारी फैलाने वालों पर नजर रखे हुए है। विवाह पंचमी के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है, इसलिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। शहर में हर तरफ सुरक्षा बलों की मौजूदगी साफ तौर पर महसूस की जा सकती है और पूरे क्षेत्र में भारी सुरक्षा के बीच धार्मिक कार्यक्रमों की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है।

पीएम मोदी श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराएंगे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 25 नवंबर को सुबह करीब 10 बजे सप्तमंदिर जाने का कार्यक्रम है। जहां महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के मंदिर हैं। इसके बाद वे शेषावतार मंदिर भी जाएंगे। वे सुबह करीब 11 बजे माता अन्नपूर्णा मंदिर जाएंगे। इसके बाद राम दरबार गर्भ गृह में दर्शन-पूजन करेंगे। पीएम मोदी दोपहर करीब 12 बजे श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराएंगे, जो मंदिर के निर्माण-कार्य के पूरा होने तथा सांस्कृतिक उत्सव और राष्ट्रीय एकता के एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। वे इस ऐतिहासिक मौके पर एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।

श्री राम और मां सीता की विवाह पंचमी का अभिजीत मुहूर्त
राम लला मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण का यह कार्यक्रम मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की शुभ पंचमी तिथि को होगा, जो श्री राम और मां सीता की विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त के साथ मेल खाता है, यह दिन दिव्य मिलन का प्रतीक है। यह दिन नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस को भी दर्शाता है, जिन्होंने 17वीं सदी में अयोध्या में लगातार 48 घंटों तक ध्यान किया था, जिससे इस दिन का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है। दस फीट ऊंचे और बीस फीट लंबे, समकोण वाले तिकोने ध्वज पर एक चमकते सूरज की तस्वीर है, जो भगवान श्री राम की प्रतिभा और वीरता का प्रतीक है। इस पर कोविदारा पेड़ की तस्वीर के साथ ‘ॐ’ अंकित है। पवित्र भगवा ध्वज, राम राज्य के आदर्शों को प्रतिबिंबित करते हुए, गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का संदेश देगा। यह ध्वज पारंपरिक उत्तर भारतीय नगर स्थापत्य-कला के अनुरूप बने शिखर पर फहराया जाएगा, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा दक्षिण भारतीय स्थापत्य-कला परंपरा में डिज़ाइन किया गया है, जो मंदिर की स्थापत्य कला विविधता को दर्शाते हैं।

खेल, सिनेमा और उद्योग जगत की कई हस्तियां होंगी शामिल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस ऐतिहासिक समारोह में राजनीति के अलावा खेल, सिनेमा और उद्योग जगत की कई हस्तियां शामिल होंगी। बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार के साथ क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर भी इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बनने अयोध्या पहुंचेंगे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी अयोध्या आएंगे। वे भी हनुमानगढ़ी व राम मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद समारोह में शामिल होंगे। इन दिग्गजों की मौजूदगी से यह समारोह और भी खास हो जाएगा। समारोह में पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से करीबन 3 हजार से अधिक मेहमानों को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा, अयोध्या जनपद से करीबन 7 हजार लोग शामिल होंगे। इस तरह, 10 हजार से अधिक लोगों के लिए मंदिर परिसर में अलग-अलग ब्लॉक बनाए गए हैं। इस अवसर पर उपस्थित संत, विद्वान, राजनीतिक गुरु और गणमान्य जन मिलकर यह संदेश देंगे कि भारत अपनी आस्था के साथ-साथ आधुनिकता, व्यवस्था और आत्मनिर्भरता की राह पर भी निर्भीक कदम बढ़ा रहा है।

एयरपोर्ट पर कड़ी सुरक्षा, अयोध्या में पांच-स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया
वीवीआईपी मेहमानों के आगमन को देखते हुए महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यहां करीब 60 से 80 चार्टेड प्लेन उतरने की संभावना है, जिसके लिए अतिरिक्त पार्किंग और लैंडिंग की व्यवस्था की गई है। एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए 100 से अधिक सीआईएसएफ के जवान तैनात किए जा रहे हैं। ध्वजारोहण समारोह से पहले शहर की सुरक्षा को अभेद्य दुर्ग में बदला गया है। सभी सुरक्षा एजेंसियां हाई-अलर्ट पर हैं। रविवार को भारतीय सेना के हेलिकॉप्टर ने राम जन्मभूमि परिसर और आसपास के इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। समारोह के लिए पांच स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इसमें SPG (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप), NSG कमांडो और ATS (एंटी-टेरर स्क्वॉड) कमांडो तैनात रहेंगे। इसके अलावा केंद्रीय पुलिस बल CRPF और PAC भी सुरक्षा में शामिल हैं। एयरपोर्ट की सुरक्षा में CISF की तैनाती की गई है। फिलहाल पुलिस, पीएसी और अर्धसैनिक बलों के 10,000 से ज्यादा अधिकारी व कर्मचारी अयोध्या की सुरक्षा में तैनात हैं।

दुल्हन सी सजी राम नगरी, रोशनी-झालरों और फूलों से महकी अयोध्या
अयोध्या को पीएम के आगमन और ध्वजारोहण कार्यक्रम से पहले दिव्य रूप देने के लिए शहर को कई स्तरों पर सजाया गया है। राम पथ समेत मुख्य सड़कों पर नारंगी और पीले गेंदे की फूल-मालाएं लैंप पोस्ट पर लपेटी गई हैं, जबकि राम कथा पार्क में भगवान राम के धनुष-बाण और हनुमान जैसे विशाल पुष्प-पैटर्न तैयार किए हैं। सजावट के लिए गेंदा, गुलदाउदी, ऑर्किड और गुलाब जैसे फूलों के साथ लगभग 300 क्विंटल फूल विभिन्न शहरों से मंगाए हैं। सड़कों पर सूर्य स्तंभ और धार्मिक प्रतीकों वाले सजावटी लैंप पोस्ट लगाए हैं। धर्म पथ की दीवारों पर रामायण के विभिन्न प्रसंगों को दर्शाते म्यूरल बनाए हैं। शहरभर में प्रभु राम की नगरी में आपका स्वागत है जैसे संदेशों वाले पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं। रोशनी से सजी मूर्तियां, एलईडी आर्च और लाइटिंग इंस्टॉलेशन शहर को दिव्य आभा दे रहे हैं। साथ ही भजन-कीर्तन के मंच, स्वच्छता अभियान और यातायात सुधार से अयोध्या को सांस्कृतिक और सौंदर्यात्मक रूप से संवारा गया है।

भगवा ध्वजारोहण की आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्ता
यह समारोह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं होगा, बल्कि एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय प्रतीकात्मकता की महोत्सव की परिणति है। यह ध्वजारोहण केवल एक रस्मी चलन नहीं है। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, यह कदम वो प्रतीक है जो दशकों की आस्था, तपस्या, संघर्ष और इंतजार को सार्थक रूप देता है। ध्वज न केवल मंदिर की स्थापत्य पूर्णता को दर्शाता है, बल्कि यह यह संदेश भी देता है कि राम मंदिर अब आधार से लेकर कलश तक हर दृष्टि से “पूर्ण” हो चुका है। यह ध्वज न केवल राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनेगा, बल्कि धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक संपन्नता का संदेश भी विश्व को देगा।

प्रधानमंत्री मोदी का अतुलनीय योगदान- आस्था और नेतृत्व का मिलन
पीएम मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं। उन्होंने ही 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। इस बार ध्वजारोहण के अनुष्ठान करेंगे। यह उनकी उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसे उन्होंने मंदिर निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया के आरंभिक चरणों में ही व्यक्त किया था। इस बार उनका पदार्पण सिर्फ एक राजनीतिक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक श्रद्धालु, पुरोहित और राष्ट्र निर्माणकर्ता के रूप में होगा। आयोजन में शामिल 108 आचार्य पंचभूतों और विभिन्न भारतीय परंपराओं के पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान क्रियाएं संपन्न होंगी। एक ऐसा समन्वय जो भारत की विविध सांस्कृतिक पहचान को प्रतिबिंबित करता है। इस ध्वजारोहण समारोह की गूंज सिर्फ मंदिर परिसर तक सीमित नहीं रहेगी। यह वह क्षण है जब भारत अपनी सांस्कृतिक गहराई, अपनी आत्मिक शक्ति और अपनी राष्ट्रीय एकता का पुनरावलोकन करेगा। कई दशकों की प्रतीक्षा, संघर्ष और तपस्या के बाद यह आयोजन यह पुष्टि करेगा कि रामनगरी सिर्फ पुरातन मंदिरों का शहर नहीं बल्कि नया भारत बनने के उस आत्मविश्वास का प्रतीक है जिसका निर्माण हो चुका है।

राम मंदिर से धार्मिक पर्यटन हब बनी अयोध्या को मिला वैश्विक गौरव
राम मंदिर का निर्माण और ध्वजारोहण सिर्फ धार्मिक महोत्सव तक सीमित नहीं रहा है। यह अयोध्या को विश्व-स्तरीय तीर्थस्थल और पर्यटन हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मंदिर परिसर में पारंपरिक मंदिरों के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं का विकास हो रहा है। वैदिक अनुष्ठानों, तीर्थयात्राओं और सांस्कृतिक संरचनाओं के संयोजन से अयोध्या न सिर्फ यात्रियों का आध्यात्मिक गंतव्य बल्कि आर्थिक वृद्धि का केंद्र बन गया है। स्मार्ट-सिटी परियोजनाओं के तहत यहां सौर ऊर्जा, स्वच्छता, यातायात प्रबंधन और आगंतुक सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। यह न केवल तीर्थयात्रियों के देख-भाल को बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय व्यापार, भोजन, आवास और परिवहन को भी नए पर्यटन अर्थव्यवस्था की ओर ले जा रहा है। दूर-दूर से आने वाले भक्त, विद्वान और पर्यटक अब सिर्फ मंदिर देखने ही नहीं आते, बल्कि अयोध्या की भावना, उसकी रोशनी, उसकी व्यवस्थाओं और उसके भविष्य की यात्रा का हिस्सा बनते हैं।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से दर्शन-पूजन के लिए यहां आने वाले भक्तों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि हो रही है। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद केवल दो माह में ही 1 करोड़ 12 लाख श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए हैं। रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पिछले सालों की अपेक्षा तेजी से बढ़ी है। प्रतिदिन मंदिर में औसतन एक से सवा लाख रामभक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं। वहीं अयोध्या में आयोजित होने वाले पर्वों और मंगलवार को यह संख्या और बढ़ जाती है। डबल इंजन सरकार का टारगेट अयोध्या को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन हब बनाने का है। इसी को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में 32 हजार करोड़ से ज्यादा के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहे हैं। यह इसी से समझा जा सकता है कि सीएम योगी के साथ ही खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी अयोध्या के विकास कार्यों पर नजर रखे हुए हैं।

2017 में पूरे साल में आए 1.78 करोड़, अब दो माह में ही आ गए 1.12 करोड़
राज्य पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में जब से दीपोत्सव प्रारंभ हुआ है, उसके बाद से अयोध्या में भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में कुल 1,78,57,858 श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन किया। इनमें 1,78,32,717 भारतीय एवं 25,141 विदेशी शामिल हैं। वर्ष 2018 में 1,95,34,824 भारतीय व 28,335 विदेशी नागरिकों ने रामनगरी में दर्शन किया। इस प्रकार वर्ष 2019 में 2,04,63,403 भारतीय व 28,331 विदेशी श्रद्धालुओं को मिलाकर कुल 2,04,91,724 श्रद्धालुओं ने अयोध्या में दर्शन किया। वर्ष 2020 में कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखने को मिली। इस वर्ष 61,93,537 भारतीय एवं 2,611 विदेशी श्रद्धालुओं को मिलाकर कुल 61,96,148 श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे। वर्ष 2021 में 1,57,43,359 भारतीय एवं 431 विदेशी पर्यटकों ने अयोध्या में दर्शन पूजन किया। वर्ष 2022 में 2,21,12,402 भारतीय एवं 26,403 विदेशी पर्यटक अयोध्या पहुंचे थे।
राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा पर देशभर में हुआ था 50 हजार करोड़ का कारोबार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कराए जाने के बाद से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ से अयोध्या में रोजी-रोजगार में भी तेजी से वृद्धि होने लगी है। अब अयोध्या की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। खान-पान, होटल-रेस्टोरेंट, सजावटी सामानों की दुकानों पर सैलानियों की भीड़ अब आम हो चली है। अयोध्या ही नहीं राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के समय देशभर में इससे जुड़े बिजनेस ने ऊंची छलांग लगाई थी। एक अनुमान के मुताबिक तब देशभर में राम लला से जुड़ी वस्तुओं का ही पचास हजार करोड़ से ज्यादा का बिजनेस हुआ था।
अयोध्या में विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने में तेजी से हो रहा काम
लोगों का मानना है कि 22 जनवरी को जबसे रामलला विराजमान हुए हैं, यहां देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं व विदेशी पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसे लेकर प्रदेश की योगी सरकार तेजी से अयोध्या का विकास करने में लगी है। अयोध्या को फोर लेन व सिक्स लेन सड़कों से जोड़ा जा रहा है। विश्वस्तरीय हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया है। इसके अलावा तमाम अन्य सुविधाएं भी अयोध्या में विकसित की जा रही हैं। 2024 में अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद से 20 मार्च के बीच 1 करोड़ 12 लाख श्रद्धालु रामलला का दर्शन कर चुके हैं।
अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बनने की राह पर अग्रसर
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बनने जा रहा है। अमेरिकी कंपनी जेफ्फेरिज इक्विटी रिसर्च ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में अयोध्या में सालाना 5-10 करोड़ तीर्थयात्री आने का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में मंदिर निर्माण से लेकर अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर 850 अरब रुपए खर्च किया जाना है। इस अनुमान के मुताबिक अयोध्या तीर्थयात्री के आगमन के मामले में घरेलू आध्यात्मिक केंद्र को भी पीछे छोड़ने जा रहा है। क्योंकि आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति में सालाना 2.5 करोड़, जम्मू स्थित माता वैष्णव देवी के दर्शन करने सालाना 80 लाख तीर्थयात्री आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर की अच्छी सुविधा की वजह से अयोध्या बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित कर सकेगा।
अरबों रूपये से हो रहा है राम की नगरी अयोध्या का कायाकल्प
अयोध्या में मंदिर निर्माण से लेकर अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर 850 अरब रुपए खर्च किया जाना है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें लगभग 18 अरब रुपए राम मंदिर के निर्माण पर खर्च किए गए हैं। 14.5 अरब रुपए लगाकर अयोध्या एयरपोर्ट के पहले चरण का काम पूरा किया गया और इस प्रकार के तीन और टर्मिनल का निर्माण किया जाना है। अभी सालाना 10 लाख तो दूसरे चरण का काम पूरा होने के बाद सालाना 60 लाख यात्री अयोध्या हवाई जहाज से आसानी से आ-जा सकेंगे। 2.4 अरब रुपए के निवेश से रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है। 1200 एकड़ में 22 अरब की लागत से ग्रीनफील्ड टाउनशिप का निर्माण प्रस्तावित है। अयोध्या की तरह दुनिया के अन्य तीर्थस्थलों के पास इतने बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था नहीं है। भारत के कई तीर्थस्थानों के पास इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा नहीं होने के बावजूद सालाना 10-30 लाख तीर्थयात्री पहुंच जाते हैं। इन सबके अलावा अयोध्या में 73 नए होटल का निर्माण पाइपलाइन में है। आईएचसीएल, मैरियट इंटरनेशनल होटल की चेन निर्माण के लिए करार भी कर चुकी है। आईटीसी भी संभावना तलाश रही है तो ओयो 1000 कमरे अपनी चेन में जोड़ने जा रही है।
दुनिया के सबसे बड़े आस्था स्थल और इनमें पहुंचने वाले श्रद्धालु
सरकार राम मंदिर बनने के बाद देश के सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं को अयोध्या में लाने की तैयारी में है। अफसरों का मानना है कि मंदिर बनने के बाद यहां हर महीने 1 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। यानी साल में 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचेंगे। आइये जानते हैं कि दुनिया के वो धार्मिक स्थल, जहां सबसे अधिक लोग पहुंचते हैं..
1. वेटिकन सिटी – यह ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा धार्मिक केंद्र है। यहां पर सालभर में करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालु जाते हैं।
2. मक्का मदीना – यह मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है। यहां पर हर साल तीन करोड़ से भी ज्यादा लोग जाते हैं।
3. गोल्डन टेंपल – यह सिख समाज का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। यहां पर हर साल देश-विदेश से साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं।
4. काशी विश्वनाथ – यह हिंदू समाज का सबसे बड़ा धार्मिक आस्था का केंद्र है। श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद यहां 2022 में करीब 7 करोड़ भक्त आए।









