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मैं पाकिस्तानी आर्मी का एजेंट…आतंकी तहव्वुर राणा के कबूलनामे से खुली आतंक के आका की पोल, हेडली के साथ ली थी ट्रेनिंग

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पीएम मोदी की रणनीतिक कूटनीति से मुंबई हमलों में वांछित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई आतंकी तहव्वुर राणा को भारत लाने में कामयाबी मिली थी। अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की पूछताछ में 26/11 के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने 2008 में हुए आतंकी हमले को लेकर कई बड़े राज खोले हैं। राणा फिलहाल एनआईए की हिरासत में है और मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने पूछताछ की है। इस पूछताछ में उसने कई खुलासे किए हैं। उसने स्वीकार किया कि वो पाकिस्तान का एजेंट था। तहव्वुर राणा इस कबूलनामे ने ना सिर्फ सनसनी मचाई है, बल्कि पाकिस्तानी सेना की पोल भी खोल दी है। राणा ने बताया कि आतंकी हमले के वक्त वह राणा मुंबई में ही था। उसने हमलों के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे मेन टारगेट को पहचानने में मदद की थी। उसने बताया कि उसने डेविड कोलमैन हेडली के साथ पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के कई ट्रेनिंग सेशन किए थे। राणा ने यह भी कहा कि लश्कर असल में एक जासूसी नेटवर्क की तरह काम करता है।

आतंकी तहव्वुर राणा और मास्टरमाइंड हेडली का कनेक्शन
राणा और हेडली ने 1974 से 1979 के बीच हसन अब्दल कैडेट कॉलेज में पढ़ाई की थी। हेडली की मां अमेरिकी थीं और पिता पाकिस्तानी नागरिक थे। राणा ने कहा कि अपनी सौतेली मां से मतभेद के बाद हेडली अमेरिका भाग गया और अपनी असली मां के साथ रहने लगा। राणा ने कहा है कि हेडली ने 2003 से 2004 के बीच लश्कर-ए-तैयबा के तीन ट्रेनिंग कैंप्स में हिस्सा लिया था। राणा ने कहा है कि हेडली ने उसे बताया था कि लश्कर एक वैचारिक संगठन से ज्यादा एक जासूसी नेटवर्क के तौर पर काम करता है।

पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहा, कनाडा का नागरिक है राणा
64 साल का तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। राणा पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम करता था। इसके बाद वह 1997 में कनाडा चला गया और वहां इमिग्रेशन सर्विसेस देने वाले बिजनेसमैन के तौर पर काम शुरू किया। कनाडा से वह अमेरिका पहुंचा और शिकागो सहित कई लोकेशंस पर फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कंसल्टेंसी फर्म खोली। अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, राणा कई बार कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड भी गया था। वह लगभग 7 भाषाएं बोल सकता है।

 

 

 

खाड़ी युद्ध के दौरान सऊदी अरब में एक सीक्रेट मिशन पर भी गया
राणा ने पहले कहा था कि वह आतंकी साजिश का हिस्सा बनने के लिए इसलिए तैयार हो गया था क्योंकि हेडली ने उसे आश्वासन दिया था कि वह राणा के रिकॉर्ड साफ करने में मदद करेगा। तहव्वुर हुसैन ने कहा कि आतंकवादियों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी सेना उस पर भरोसा करने लगी थी और खाड़ी युद्ध के दौरान उसे सऊदी अरब में एक सीक्रेट मिशन पर भी भेजा। कनाडा में रहने से पहले वह जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में भी रह चुका था और वहां मीट प्रोसेसिंग, रियल एस्टेट और किराने का बिजनेस किया था। सियाचिन में रहने के दौरान राणा को पल्मोनरी एडिमा नाम की बीमारी हो गई, जिसकी वजह से वो काम पर नहीं पहुंच पाता था और बाद में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया।अब मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच जल्द राणा को रिमांड पर लेगी
तहव्वुर को अमेरिका के शिकागो में अक्टूबर 2009 में अमेरिकी एजेंसी FBI ने गिरफ्तार किया था। राणा को 10 अप्रैल को स्पेशल विमान से अमेरिका से भारत लाया गया था। पूछताछ में शामिल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच अब राणा को गिरफ्तार करके रिमांड पर लेने की तैयारी में है। अभी राणा NIA की न्यायिक हिरासत में है, जिसे दिल्ली की अदालत ने 9 जुलाई तक बढ़ा दिया है। राणा ने पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, राणा ने माना है कि वह पाकिस्तानी सेना का एजेंट है। राणा ने बताया कि उसने 1986 में पाकिस्तान के रावलपिंडी में आर्मी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कोर्स पूरा किया और क्वेटा में पाकिस्तानी सेना में कैप्टन डॉक्टर के तौर पर नियुक्ति हुई। उसे सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन-बलोतरा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया था।

मुंबई आतंकी हमले के दौरान खूब रही थी राणा की सक्रियता
मुंबई हमलों के मामले में एनआईए की चार्जशीट में कहा गया है कि हेडली ने इमिग्रेंट लॉ सेंटर नाम की एक कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में दिल्ली, मुंबई, जयपुर, पुष्कर, पुणे और गोवा समेत कई शहरों का दौरा किया था। राणा ने क्राइम ब्रांच को बताया है कि इस कंपनी को स्थापित करने का विचार उसका ही था। इसे एक महिला चलाती थी। हमलों से पहले इसका ऑफिस आतंकवादियों की निगरानी को सक्षम करने के लिए एक मुखौटे के रूप में काम करता था। राणा ने खुलासा किया है कि नवंबर 2008 में भारत आया था और आतंकी हमलों से ठीक पहले 20 और 21 तारीख को मुंबई के पवई में एक होटल में रुका था। हमले से पहले वो दुबई के रास्ते बीजिंग के लिए रवाना हो गया था। 2023 में क्राइम ब्रांच की दायर 405 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा गया है कि राणा ने हेडली को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे भीड़भाड़ वाली जगहों के बारे में जानकारी जुटाने में मदद की थी। 14 गवाहों ने उसकी भूमिका की पुष्टि की है।अमेरिका में बचने के राणा के सारे प्रयास हुए थे फेल
पाकिस्तानी आतंकी तहव्वुर राणा दुबई के रास्ते मुंबई आया था और 11 नवंबर 2008 से 21 नवंबर 2008 तक पवई के होटल रिनैसां में ठहरा था। इस दौरान उसने हमले से जुड़े सारे ठिकानों और इंतजामों का जायजा लिया। हर टारगेट स्थल की बारीकी से रेकी की। और उसके जाने के ठीक 5 दिन बाद 26 नवंबर को मुंबई में आतंकी हमला हो गया। तहव्वुर राणा के भारत आने से पाकिस्तान की परेशानी बढ़ जाएगी।. हालांकि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की राह आसान नहीं थी और मुंबई हमले के साजिशकर्ता राणा ने अपना प्रत्यर्पण रोकने की हरचंद कोशिशें कीं, लेकिन भारत की मोदी सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के सामने उसकी एक न चली। यही वजह है कि तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण देश की कूटनीति की बड़ी जीत माना जा रहा है। न्यूज एजेंसी एनआईए ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि तहव्वुर राणा को भारत लाना काफी मुश्किल था, लेकिन दो तथ्यों ने आतंकी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को आसान बना दिया।

आतंकी की दोहरे खतरे के सिद्धांत के बहाने पर भी नहीं मानी बात
पहला फैक्टर है कानूनी दांव-पेच, दरअसल तहव्वुर राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दोहरे खतरे सिद्धांत (Double Jeopardy) का हवाला दिया था। इसके तहत किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार सजा नहीं दी जा सकती। तहव्वुर राणा ने तर्क दिया कि मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में वह अमेरिका में सजा काट चुका है। ऐसे में उसे अब भारत प्रत्यर्पित करना दोहरे खतरे के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। हालांकि भारत का प्रतिनिधित्व मोदी सरकार की एक मजबूत कानूनी टीम कर रही थी, जिसने अपने तर्कों से तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण से बचने की हर कोशिश को नाकाम कर दिया।

पीएम मोदी के अमेरिकी प्रेसिडेंट से अच्छे रिश्ते काम आए
दूसरा फैक्टर है भारत का वैश्विक स्तर पर बढ़ता हुआ कूटनीतिक प्रभाव। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण भारत की बढ़ती हुई कूटनीतिक पहुंच, इसके अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों का सबूत है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व की बाइडन सरकार या मौजूदा ट्रंप सरकार दोनों ने ही तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। ट्रंप ने तो अपने एक बयान में साफ कर दिया था कि तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा। तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण में कई बार मुश्किलें भी आईं, लेकिन भारत ने अमेरिका के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों का फायदा उठाते हुए उन मुश्किलों को समाप्त कर दिया।

ऑपरेशन का हिस्सा रहे पूर्व एनएसजी कमांडो सुनाई पूरी कहानी
मुंबई आतंकी हमले के दौरान ऑपरेशन का हिस्सा रहे पूर्व एनएसजी कमांडो और अब भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि यह देश के लिए बड़ा दिन है। मैं प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति और इस प्रत्यर्पण प्रक्रिया में शामिल एजेंसियों को धन्यवाद देता हूं। जब उसे फांसी दी जाएगी, तो यह न केवल आतंकवाद पर बल्कि पाकिस्तान पर भी करारा तमाचा होगा। वे (आतंकवादी) अच्छी तरह प्रशिक्षित थे, लेकिन मरीन कमांडो ताज होटल में प्रवेश नहीं कर सके। मैंने दो आतंकवादियों को मार गिराया और हमने ताज होटल से 627 लोगों को बचाया। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी, जबकि 5 अन्य कमांडो घायल होने के बाद अस्पताल भेजे गए। पत्रकार भी अपनी जान जोखिम में डालकर रिपोर्टिंग कर रहे थे। हालांकि, लाइव कवरेज से पाकिस्तान के आकाओं को आतंकवादियों को गाइड करने में मदद मिल रही थी।

आतंकी तहव्वुर राणा को ये सबूत फांसी के फंदे तक पहुंचाएंगे!
1.मुंबई अटैक केस में सबसे बड़ा सबूत खुद आतंकी डेविड हेडली बन गया था। वह अमेरिका कोर्ट में इस मामले में अपने जुर्म को स्वीकार कर चुका है। भारत ने पड़ताल में यह साबित कर दिया है कि तहव्वुर राणा उसी मास्टरमाइंड डेविड हेडली का खास सहयोगी है।
2.भारतीय जांच एजेंसियों की ओर से जुटाए गए सबूत तहव्वुर राणा के गले में ऐसा फंदा बनकर फंसे कि उसे भारत तक खींच लाए। भारत में उसे तिहाड़ जेल में रखा जा सकता है. यहां पर उससे मुंबई अटैक केस में पूछताछ होगी और पाकिस्तान का आतंकवाद वाला राज फिर सामने आ सकता है।
3.इस जांच के दौरान जो अहम सबूत जांच एजेंसियों के हाथ लगे, इन्हें देखकर एक बारगी तो खुद आरोपी और अमेरिकी अदालत दोनों हिल गए। दरअसल, तहव्वुर राणा पाकिस्तान फौज में डॉक्टर रह चुका है। फौज से निकलने के बाद भी वह लगातार बड़े अधिकारियों, आतंकियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का करीबी बना हुआ था।
4.इतना ही नहीं तहव्वुर राणा मुंबई हमले को अंजाम देने वाले गुनहगारों के संपर्क में भी काफी समय से था। इन सबूतो में वो ईमेल भी शामिल थे, जिन्हें गुनहगार राणा ने भारत और अन्य जगहों से पाकिस्तान भेजे थे। यह ऐसा इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस था, जिसका कोई तोड़ इस आतंकवादी के पास नहीं है।
5.दस्तावेज की सबूतों में जांच एजेंसियों के पास तहव्वुर राणा के आठ बार भारत आने के सबूत हैं। साथ ही वह कोच्चि, अहमदाबाद, दिल्ली, आगरा और मुंबई गया था। जिन जगहों पर रुका था उसके भी सबूत हैं। इसमें सबसे बड़ा सबूत मुंबई के ताज होटल का था, जिसमें हमले के कुछ दिन पहले वह रुका था।
6.तहव्वुर राणा ने ताज होटल की पूरी रेकी की थी। जिन जगहों के फोटो खींचकर उसने आतंकवादियों तक पहुंचाये थे, वह ईमेल भी जांच एजेंसी के हाथ लगा है। जांच एजेंसी वह दस्तावेज भी खोज चुकी है, जिसमें तहव्वुर राणा जब आठ बार भारत आया तो उसने 231 बार इस मामले के दूसरे आरोपी डेविड हेडली से बात की थी।भारत के दबाव में आतंक के आका पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत की धमक पूरी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। मोदी सरकार के कूटनीतिक दबावों का असर है कि पाकिस्तान अब मुंबई हमले के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार हुआ है। कुछ समय पहले पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने पहली बार स्वीकार किया कि मुंबई में हुए 26/11 हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ था। अब तहव्वुर राणा के पाकिस्तान कनेक्शन एक बार फिर खुलकर सामने आएंगे। ऐसे में आतंक के आका पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

एफआईए ने माना है कि ताज होटल पर हुए हमले लश्कर-ए-तैयबा के 11 आतंकवादियों ने योजनाबद्ध तरीके से किए थे। पाकिस्तान ने इन आतंकवादियों को मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया है और इनकी नई सूची तैयार की है। साथ ही कड़ी कार्रवाई का फैसला लिया है। एफआईए के मुताबिक हमले के लिए बोट खरीदने वाले आतंकवादी मुल्तान के मोहम्मद अमजद खान के अब भी देश में होने की बात को पाकिस्तान ने स्वीकार लिया है। इसे भी तब भारत की बड़ी कामयाबी माना गया था। इसके अलावा मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली के भी मुंबई अटैक से जुड़े होने के सबूत मिले थो। 

नई सूची में 26/11 हमलों को लेकर जानकारी दी गई है कि नाव में 9 आतंकवादी सवार थे। इनके नाम हैं साहिवाल जिले के मोहम्मद उस्मान, लाहौर जिले के अतीक-उर-रहमान, हाफिजाबाद के रियाज अहमद, गुजरांवाला जिले के मुहम्मद मुश्ताक, डेरा गाजीपुर जिले के मुहम्मद नईम, सरगोधा जिले के अब्दुल शकूर, मुल्तान के मुहम्मद साबिर, लोधरान जिले का मोहम्मद उस्मान, रहीम यार खान जिले के शकील अहमद है। इन सभी का नाम संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध किए गए आतंकी ग्रुप में शामिल हैं जो कि लश्कर ए तैय्यबा के आतंकी हैं।

गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2008 की रात आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल सहित 6 जगहों पर हमला कर दिया था। हमले में करीब 160 लोगों ने अपनी जान गंवाई। सबसे ज्यादा लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में मारे गए। जबकि ताजमहल होटल में 31 लोगों को आतंकियों ने अपना शिकार बनाया था। लगभग 60 घंटों तक सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में करीब 160 लोगों की जानें गईं। लेकिन इस अचानक हुए हमले को भी हमारे देश के वीरों ने काबू में कर लिया।

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