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पेरियार के समर्थक तेजस्वी यादव और RJD नेता एंटी हिंदू, रामचरितमानस को कहा पोटेशियम साइनाइड, अपने-अपने राम कार्यक्रम पर रोक लगाई

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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बेवजह की कूद-फांद कर रहे कट्टर नास्तिक पेरियार के समर्थक तेजस्वी यादव का एंटी हिंदू चेहरा फिर उजागर हो गया है। एक ओर तेजस्वी यादव मुस्लिम तुष्टिकरण की इंतेहा करते हुए वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में डालने की बात करते हैं, तो दूसरी ओर उनकी दिखावटी आस्था का भी पर्दाफाश हो गया है। तेजस्वी यादव सिर्फ मतलब पड़ने पर मंदिर जाते हैं और फिर बाहर निकलते ही तत्काल टीका मिटा देते हैं। ताकि टीका देखकर मुस्लिम कहीं नाराज ना हो जाएं और उनका MY फैक्टर एक बार फिर फेल हो जाए। तेजस्वी यादव किस कदर हिंदू विरोधी हैं, यह इसी से समझा जा सकता है कि वे हिंदू धर्म के घोर विरोध पेरियार को नमन करते हैं। बिहार जनता अब ऐसे फर्जी हिंदुओं को पहचान चुकी है। देवी मां के नवरात्रों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मटन बनाकर खिलाने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव किस मुंह से सावन में नॉनवेज जा जिक्र कर रहे हैं? राजद का सनातन विरोधी चेहरा इससे भी उजागर होता है कि राजद नेता और बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव तो भगवान श्री राम के पावन ग्रंथ रामचरितमानस को ही नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बता चुके हैं।

तेजस्वी यादव फर्जी हिंदू, मतलब के लिए मंदिर गए और फिर टीका मिटाया
राजद नेता तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के सनातन का विरोध करने और फर्जी हिंदू बनने के एक नहीं, अनेक उदाहरण हैं। कुछ समय पहले तेजस्वी यादव मिथिला में अहिल्या महोत्सव में शामिल हुए। वहां पर उन्होंने दिखावे के लिए टीका-चंदन किया। लेकिन, इनका दोहरा पैमाना देखिए कि वहां से निकलने के बाद ही इन्होंने टीका मिटा भी दिया। क्योंकि राजद नेता केवल दिखावे और जरूरत पड़ने पर मंदिर जाते हैं। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने तेजस्वी यादव पर कड़ा प्रहार करते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को फर्जी हिंदू करार दिया। उन्होंने कहा कि यह जरूरत पड़ने पर मंदिर जाते हैं और निकलते ही टीका मिटा देते हैं। यह उनकी दिखावटी आस्था को दर्शाता है। जनता अब इन जैसे फर्जी हिंदुओं को पहचान चुकी है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव फर्जी हिंदू हैं, जिन पर किसी भी कीमत पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। राजनीति में अब तेजस्वी यादव की विश्वसनीयता खतरे में आ चुकी है। आज इन लोगों की साख राजनीति में पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। इसी वजह से इन्हें नकारा जा रहा है।

तुष्टिकरण की इंतेहा, वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में डालेंगे
राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुस्लिम तुष्टिकरण की इंतेहा दिखाते हुए कहा कि बिहार में विपक्षी महागठबंधन सत्ता में आने पर वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में डाल देगा। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि वे केवल एक विशेष समुदाय के सशक्तिकरण के लिए शरिया कानून लाने की शक्ति हासिल करना चाहते हैं, जबकि एनडीए समाज के सभी वर्गों की प्रगति के लिए काम करता है। भाजपा ने वक्फ अधिनियम पर टिप्पणी को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा हमला किया। भाजपा नेता भाटिया ने उन्हें उन्हें “मौलाना” कहते हुए कहा कि वे बिहार में सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करने की साजिश कर रहे हैं। इससे यह साफ हो गया है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में विपक्षी महागठबंधन को “आसन्न” हार का अभी से आभास हो गया है। उन्होंने कहा मैं ‘नमाज़वादी’, ‘मलूणा’ और ‘तुष्टीकरण करने वालों’ के नेता तेजस्वी यादव से पूछता हूं कि क्या उन्होंने कभी संविधान पढ़ा है? क्या कभी संविधान की मूल भावना का पालन किया है? उन्होंने पूछा कि क्या कोई राज्य सरकार संसद द्वारा पारित कानून को रद्दी में डाल सकती है।

तेजस्वी यादव ने मुस्लिमों की सभा में संस्कारहीन भाषण दिया
बिहार की सियासत में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के एक बयान से हलचल मच गई है। तेजस्वी यादव ने पटना के गांधी मैदान में ‘वक्फ बचाओ, दस्तूर बचाओ’ सम्मेलन में कहा, ‘ये देश किसी के बाप का नहीं है!’ तेजस्वी यादव के इस बयान पर एनडीए नेताओं ने भी करारा जवाब देते हुए ‘संस्कारहीन’ तक बोल दिया। गांधी मैदान में इमारत-ए-शरिया द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में तेजस्वी ने वक्फ संशोधन बिल को सत्ता में आने के बाद फाड़ने तक की बात कही। दरअसल, तेजस्वी यादव का बयान उनकी मुस्लिस तुष्टिकरण की नीति को दर्शाता है। बिहार की 17 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, जिसमें 73 प्रतिशत पसमंदा मुस्लिम हैं और आरजेडी का परंपरागत ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिमों को एकजुट करने का है। जहां तक बिल की बात है तो हकीकत यह है कि यह बिल पारदर्शिता और पसमंदा मुस्लिमों के हित में है। बीजेपी और जेडीयू नेताओं का दावा है कि यह बिल पारदर्शिता के साथ ही पसमंदा मुस्लिमों को ताकत देगा।

नवरात्र और सावन में मछली-मटन खाता है तेजस्वी का परिवार
राजद नेताओं की हिंदू और सनातन विरोधी मानसिकता की पोल पीएम मोदी भी खोल चुके हैं। नवरात्रि के दौरान सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव के नॉनवेज खाने के वीडियो वायरल होने के बाद पीएम मोदी ने बिना नाम लिए तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के अलावा लालू यादव पर हमला बोला। जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि सावन के महीने में एक सजायाफ्ता, जिसे कोर्ट ने सजा दी, जो जमानत पर बाहर हैं, ऐसे मुजरिम के घर जाकर मटन बनाने का मौज ले रहे थे। उसके बाद पीएम ने कहा कि इतना ही नहीं उसका वीडियो बनाकर के देश के लोगों को चिढ़ाने का काम कर रहे थे। इसके पीछे इनकी मंशा मुस्लिम तुष्टिकरण की भी है। कानून किसी को कुछ भी खाने से नहीं रोकता है और ना ही मोदी रोकता है। सबको स्वतंत्रता है कि जब मन करे वेज और नॉनवेज खाए। लेकिन, इन लोगों की मंशा दूसरी होती है। तेजस्वी यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर मुकेश सहनी के साथ मछली खाने का वीडियो शेयर किया था। वे उस वक्त मुकेश सहनी के साथ चुनाव प्रचार के लिए निकले हुए थे।

लालू यादव ने बेटी के घर में राहुल को मटन बनाना सिखाया
तेजस्वी यादव के मटन वीडियो पर बिहार बीजेपी के नेता विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी भी हमला बोल चुके हैं। तेजस्वी यादव के उस वीडियो की खूब आलोचना हो रही है। सियासी जानकार मानते हैं कि ऐसा नहीं है कि यादव नवरात्रि नहीं मनाते हैं। तेजस्वी यादव वो वीडियो शेयर करके खुद ही फंस गए हैं। बिहार क्या देश की आम जनता भी उस वीडियो से खुश नहीं है। तेजस्वी यादव को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। सियासी जानकार मानते हैं कि नवरात्रि और चैती छठ के इस पावन पर्व पर तेजस्वी को ऐसा नहीं करना चाहिए था। तेजस्वी यादव ने उसका वीडियो बनाकर लोगों को चिढ़ाने का काम किया है। चुनाव के दौरान छोटी से छोटी बातों का ख्याल रखना चाहिए। लोग किस बात से आहत हुए हैं। तेजस्वी यादव के इस कृत्य से लालू यादव भी खुश होंगे, क्योंकि वे खुद राहुल गांधी के साथ मटन बनाने को इंजॉय कर चुके हैं।

राहुल ने लिख-मटन बनाने की सीक्रेट रेसिपी के साथ-साथ राजनीति
दरअसल, राहुल गांधी ने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मटन बनाना सीखा था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और नेता राहुल गांधी ने बकायदा इसका वीडियो अपने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया। वो मटन बनाने की सीक्रेट रेसिपी के साथ-साथ राजनीति के गुर भी लालू यादव से सीखते नजर आ रहे हैं। जब लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती के आवास पर राहुल गांधी पहुंचे थे। इस दौरान राहुल गांधी ने लालू परिवार संग न सिर्फ बिहारी मटन का स्वाद चखा था, बल्कि इसे बनाया भी था। वीडियो शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कैप्शन लिखा- लालू जी की सीक्रेट रेसिपी और राजनीतिक मसाला। वीडियो में राहुल गांधी लालू यादव से मटन की रेसिपी के साथ राजनीतिक मसालों की टिप्स भी लेते नजर आ रहे हैं। इस दौरान लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा और तेजस्वी भी वहां पर मौजूद थे।

तेजस्वी के इशारे पर उनके शिक्षा मंत्री ने ‘अपने-अपने राम’ को भी रद्द कराया

बिहार में आरजेडी जब कुछ समय के लिए सत्ता में आई थी, तब भी उनके नेताओं की एंटी हिंदू छवि बार-बार उजागर हुई थी। बिहार के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की शह पर उनके शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरितमानस से बारे में पहले भड़काऊ और विवादित बयान दिया था। उसके बाद वो इससे एक कदम और आगे निकल गए हैं। बिहार की राजधानी पटना में होने वाले मशहूर कवि कुमार विश्वास के कार्यक्रम ‘अपने-अपने राम’ को भी राजद नेता ने रद्द करा दिया। दरअसल, यह शिक्षामंत्री की राजनीतिक बदले की भावना की पराकाष्ठा ही नहीं, अपितु भगवान श्रीराम का अपमान भी था। उनकी घटिया सोच की दुष्परिणाम है कि पहले चंद्रशेखर ने रामचरितमानस जैसे जन-जन में लोकप्रिय हिंदू ग्रंथ को नफरत फैलाने वाला बताया और फिर राम-कथा को ही रोक दिया।

देश के कई शहरों में हुआ कुमार विश्वास का कार्यक्रम, लाखों लोगों ने सराहा
डॉ. कुमार विश्वास ने अपने इस लोकप्रिय कार्यक्रम ‘अपने-अपने राम’ को लेकर जनता के बीच खूब सुर्खियां बटोरीं। देश के विभिन्न भागों में उन्होंने रामकथा को अपने ही अंदाज में पेश किया। भगवान श्रीराम की कथा रामचरिम मानस के प्रसंगों का वे इतने अद्भुत अंदाज और शब्दों में चित्रण करते हैं कि श्रोतागण भाव-विभोर होकर उन्हें सुनते हैं। डॉ.कुमार ने अपने इस कार्यक्रम को देश के कई बड़े शहरों में कई दिन तक कर किया और लाखों लोगों ने उनकी रामकथा को सराहा। इसी कड़ी में पटना में डॉ. कुमार के कार्यक्रम अपने-अपने राम का आयोजन था, जिसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, लेकिन तेजस्वी यादव की हिंदू विरोधी मानसिकता के चलते इस धार्मिक कार्यक्रम पर ही रोक लगा दी गई थी।

तेजस्वी यादव ऐसे ऐसे नेता को पार्टी और सरकार से बाहर करें- कुमार विश्वास 
कवि कुमार विश्वास के अपने-अपने राम कार्यक्रम पर रोक की तह में जाने के लिए आपको कुछ पीछे चलना होगा। इससे आपको पता चलेगा कि कतिपय नेता किस तरह की बदले की भावना से भरे हुए हैं। दरअसल, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस पर दिए गए विवादास्पद बयान पर बीजेपी नेताओं, साधु-संतों के साथ कुमार विश्वास ने भी तत्कालीन शिक्षा मंत्री पर निशाना साधा था। कवि डॉ. कुमार विश्वास ने बिहार के उनकी रामचरितमानस के प्रति समझ पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि बिहार के मंत्री रामचरितमानस के बारे में ऐसा बयान देने से पहले सौ बार सोचना चाहिए। उन्होंने बिहार के आरजेडी नेता चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर सवाल उठाने पर कार्रवाई करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि मैं तेजस्वी यादव से अनुरोध करता हूं कि ऐसे व्यक्ति को अपने संगठन और अपनी सरकार से बाहर करें। उन्हें दंडित करें, या उनसे क्षमा मांगने के लिए कहें। क्योंकि राजा राम आदर्श पुत्र, आदर्श पति और वंचितों, दलितों, पिछड़ों, वनवासियों को गला लगाने वाला सभी जातियों को साथ लेने वाला आदर्श पुरुष हैं। उनकी कहानी को जहर फैलाने वाला वही व्यक्ति बता सकता है, जिसके मस्तिष्क में जहर हो। मैं उनके स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

शिक्षामंत्री का दिमाग जहरीला, उनको तत्काल हटाकर माफी मंगवानी चाहिए
उन्होंने यहां तक कह दिया कि आरजेडी नेता चंद्रशेखर का दिमाग जहरीला है। बिहार के तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से चंद्रशेखर को मंत्री पद से हटाने और रामचरितमानस के खिलाफ बयान के लिए उनसे माफी मंगवाने की मांग की है। डॉ. विश्वास ने कहा कि हम सभी धार्मिक ग्रंथों का सम्मान करते हैं। भगवान राम के विराट और विशाल व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए डॉ. कुमार विश्वास कहते हैं कि भगवान राम का चरित्र हर किसी के लिए अनुकरणीय है। राम राज में किसी भी जाति को लेकर कोई भेदभाव नहीं था। अगर जातीय विभेद होता तो माता सबरी के जूठे बेर क्या राम खाते? भीलराज से लेकर निषादराज तक भगवान राम के मित्रों में शामिल थे। भगवान श्रीराम के मित्रों में प्रमुख निषाद राज के साथ शिक्षा ग्रहण करने के प्रसंग को शायद शिक्षा मंत्री भूल गए। जिस रामचरित मानस को तत्कालीन शिक्षा मंत्री नफरत फैलाने वाला करार दे रहे हैं, उसी में भगवान राम के दरबार में निषाद राज की काबिलियत के आधार पर मंत्री बनाए जाने की बात कही है।

‘अपने-अपने राम’ कार्यक्रम पर रोक लगवाकर आरजेडी नेता ने किया बदला पूरा
डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि इसका लोग राजनीतिक उपयोग करेंगे। फिर कहा जाएगा कि धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण हो रहा है। मैं आशा करता हूं कि आगे से इस बात का ध्यान रखेंगे। कवि ने कहा कि अगर रामकथा के विषय में उन्हें पूरा ज्ञान नहीं है तो मैं उन्हें ‘अपने अपने राम’ के अगले सत्र में आमंत्रण देता हूं। वह आएं वहां इसे सुनें। अग्रिम पंक्ति पर बैठें। कोई शंका हो तो मैं अपनी क्षमता के अनुसार उसका निवारण करने की कोशिश करूंगा। बिहार में जब मैं ‘अपने-अपने राम’ करने के लिए जाऊं, तो वे मेरे कार्यक्रम में जरूर आएं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इसी सच्ची आलोचना के प्रतिउत्तर में तत्कालीन शिक्षा मंत्री के इशारे पर पटना में  होने वाली राम कथा पर ही रोक लगा दी गई। इस कार्यक्रम का नाम ‘अपने-अपने राम’ है। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को जलाने की बात ही कह डाली
हिंदुओं के विरोध की राजनीति भाजपा के अलावा अन्य दलों को आसान रास्ता लगता है। यही वजह है कि वे जब भी मौका मिलता है सनातन हिंदू धर्म का अपमान करने से बाज नहीं आते। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य से भी पहले रामचरितमानस पर बिहार के  आरजेडी नेता ने भी बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। आरजेडी पर तो पहले से ही मुस्लिम तुष्टिकरण हावी है। आरजेडी और सपा दोनों पार्टियों के नेता मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दुओं को अपमानित करने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। यही वजह है कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को जलाने की बात ही कह डाली।

रामचरितमानस ग्रंथ दुनिया में नफ़रत फैलाने का काम करती है : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का शर्मनाक बयान pic.twitter.com/mUGY4SbAf9

रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री का अधूरा ज्ञान
गौरतलब है कि बीपी मंडल इंजीनियरिंग कॉलेज बिहार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विधानसभा क्षेत्र मधेपुरा के अंतर्गत आता है। चंद्रशेखर यादव ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा था, ‘मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं। रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं। यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं। एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट, ये सभी देश को, समाज को नफरत में बांटते हैं। ये देश को कभी महान नहीं बनाएंगे। देश को महान केवल मोहब्बत ही बनाएगी।’

एक और तुष्टिकरण: शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती पूजा पर भी पाबंदी 

इतना ही नहीं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरितमानस के खिलाफ ही अमर्यादित टिप्पणी करने के बाद भी नहीं रुके। उनकी तुष्टिकरण की राजनीति इससे पूरी नहीं हुई तो उन्होंने हिंदुओं के आदि ग्रंथ रामचरितमानस के बाद विद्यादायिनी मां सरस्वती के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर डाली। उन्होंने कहा कि अब शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती पूजा पर भी पाबंदी लगाई जा रही है। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विधानसभा क्षेत्र मधेपुरा में स्थित बीपी मंडल इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में सरस्वती पूजा पर रोक लगा दी गई। इसके पीछे साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ने की वजह बताई गई। इससे कॉलेज के छात्र भड़के हुए हैं।

माहौल बिगड़ने का बहाना बनाकर सरस्वती पूजा पर लगाई रोक

मधेपुरा के बीपी मंडल इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र  सरस्वती पूजा की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच कॉलेज के प्रिंसिपल ई. अरविंद कुमार अमर ने कॉलेज परिसर में सरस्वती पूजा पर रोक लगा दी। उन्होंने इसके पीछे साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका जतायी। उन्होंने दलील दिया कि सरस्वती पूजा की अनुमति देने से दूसरे धर्म के लोग भी इस तरह की मांग करेंगे। अरविंद कुमार ने कहा कि हमने किसी भी प्रकार के सार्वजनिक पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान से संबंधित आयोजनों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। उन्होंने छात्राों को चेतावनी दी है कि अगर कोई छात्र नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

तेजस्वी ने किया कट्टर नास्तिक और हिंदू धर्म के विरोधी पेरियार का समर्थन
RJD नेता तेजस्वी यादव ने तमिलनाडु के पेरियार के नाम से विख्यात, उन ई.वी. रामास्वामी का समर्थन किया है, जो घोर नास्तिक थे और हिंदू धर्म के विरोधी थे। उनके अनुयायियों ने वैवाहिक अनुष्ठानों को चुनौती दी थी। यहां तक कि शादी के निशान के रूप में थली (मंगलसूत्र) पहनने का विरोध भी किया। पेरियार का मानना था कि समाज में वैदिक हिंदू धर्म की गहरी जड़ें हैं, जो अंधविश्वास और भेदभाव के साथ समाज को जाति के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटता है। इसमें ब्राह्मणों का स्थान सबसे ऊपर है।

पेरियार के लिए वैदिक हिंदू धर्म अंधविश्वास, मंगलसूत्र तक का विरोध
इसलिए, वो हिंदू और वैदिक धर्म के आदेश और ब्राह्मण वर्चस्व को तोड़ना चाहते थे। एक कट्टर नास्तिक के रूप में उन्होंने भगवान के अस्तित्व की धारणा के विरोध में प्रचार किया। यहां तक कि वो दक्षिण भारतीय राज्यों के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के ख़िलाफ़ थे। उन्होंने दक्षिण भारत राज्यों की एक अलग द्रविड़नाडू (द्रविड़ देश) की मांग की थी। लेकिन दक्षिण के अन्य राज्य उनके विचारों से सहमत नहीं हुए। 1937 में उन्होंने तमिल भाषी लोगों पर हिंदी थोपने का विरोध किया था।

पेरियार को श्रद्धासुमन अर्पित करने पर भी भाजपा ने तेजस्वी यादव को घेरा
हिंदू, सनातन और वैदिक धर्म की लगातार खिलाफत करने वाले पेरियार को श्रद्धासुमन अर्पित करने पर भी भाजपा ने तेजस्वी यादव को घेरा था। बिहार भाजपा ने ट्वीट कर कहा कि तेजस्वी का हिंदू विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। हिंदू देवी-देवताओं के नफरत करने वाले पेरियार की जयंती पर तेजस्वी यादव ने उनको महान विचारक और सृष्टि के प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा के समक्ष रखा है। भाजपा के मुताबिक ऐसे नेता को हिंदू विरोधी न कहें तो और क्या कहें?

प्रभु श्री राम का जो ना हो सका, वो बिहार वालों का क्या होगा
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली थी। मुस्लिम तुष्टिकरण की इंतेहा करते हुए तत्कालीन सीएम लालू यादव ने तब बिहार में रथयात्रा को रोकने की साजिश रची। क्योंकि लालू को पता था कि यदि वे देशभर में धूमधाम से निकल रही रथयात्रा को रोकने में सफल हो गए तो मुस्लिमों के हीरो बन जाएंगे। इसीलिए 22 अक्टूबर 1990 की रात को लालू यादव ने दो लोगों को अडवाणी को गिरफ्तार करने व जिम्मेदारी सौंपी। एक रहे राज कुमार सिंह जो उस समय बिहार सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी थे, वहीं दूसरे थे रामेश्वर ऐरॉन, जो तब डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल थे। दोनों ही अधिकारी को तुरंत समस्तिपुर रवाना किया गए। आदेश साफ था- आडवाणी की गिरफ्तारी हो और सीधे मुझे रिपोर्ट किया जाए। अब उस रात को अधिकारियों ने खूब पसीना बहाया और आखिरकार लालू यादव की साजिश सफल हो गई। ऐरॉन का फोन लालू के पास आया- सर हमने आडवाणी जी को गिरफ्तार कर लिया है। लालू सातवें आसमान पर थे। क्योंकि उन्हें लगा था कि वे भले ही प्रभु श्रीराम के काम नहीं आए, लेकिन मुस्लिमों के मसीहा बनकर उभरे। यह अलग बात है कि राम-काज रोकने वाले लालू यादव हमेशा चारा घोटाला के लिए याद किए जा रहे हैं।

अयोध्या में राम लला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को ठुकराया
इतना ही नहीं अयोध्या में राम लला के मंदिर के लेकर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद नेताओं के मन में इतनी नफरत थी की उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को ही ठुकरा दिया। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से उनको निमंत्रण दिया गया था। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। लेकिन 5 अगस्त को हुए इस प्राण-प्रतिष्ठा के भव्य-दिव्य कार्यक्रम में शामिल होने के लालू परिवार और उनकी पार्टी के नेताओं ने जरूरत ही नहीं समझी। हिंदू विरोधी होने के इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि जब मीडिया ने पूछा कि आपको न्यौता मिला है, क्या आप जाएंगे तो लालू ने रूखा सा जवाब दिया- नहीं जाएंगे। दरअसल, लालू एंड पार्टी का प्रभु श्री राम की भक्ति से ज्यादा इंडी गंठबंधन के साथी राहुल गांधी की यारी ज्यादा प्यारी थी। राहुल गांधी भी प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे।

 

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