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महागठबंधन के दोस्त घोटालों के सरदार, सोनिया-राहुल ने रची 2000 करोड़ की संपत्ति हड़पने की साजिश, लालू ने चारे के साथ हफ्ता भी खाया

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महागठबंधन के पार्टनर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति के बजाए घोटालों के चलते ज्यादा सुर्खियों में आ रहे हैं। नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी अपनी करतूतों के चलते पहले ही घिर चुके हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बिल्कुल साफ कर दिया है कि नेशनल हेराल्ड मामले में 2000 करोड़ की संपत्ति हड़पने की साजिश सोनिया-राहुल गांधी ने ही रची थी। ईडी ने यह बड़ा दावा बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान किया है। ईडी ने बताया कि कांग्रेस और राहुल-सोनिया की करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पना चाहते हैं। इसके चलते इन्होंने साजिशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) का पूरा स्वामित्व मात्र 50 लाख देकर हासिल किया था। प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और राजीव गांधी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुमन दुबे भी अभियुक्त हैं। लोगों के जेहन में अभी बड़ा सवाल यही है कि सोनिया-राहुल नेशनल हेराल्ड केस में कैसे फंसे? दरअसल, नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) करती है। इसका मालिकाना हक यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है। यही वह कंपनी है, जिसमें सोनिया-राहुल की हिस्सेदारी है। यही वजह है कि ईडी की जांच की आंच इन दोनों तक जा पहुंची है। दूसरी ओर महागठबंधन के एक अन्य पार्टनर राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव भी करोड़ों के घोटाले में एक बार फिर सुर्खियों में हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का जिन्न एक बार फिर निकल आया है।

कंपनी पर कब्जे के लिए सोनिया-राहुल ने मात्र 50 लाख का भुगतान किया
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा दावा किया है। ईडी ने साफ-साफ कहा कि कांग्रेस और सोनिया-राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड की करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पना चाहते थे। ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में कहा, ‘नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कंट्रोल करने के लिए यंग इंडियन लिमिटेड बनाने की साजिश रची गई थी, जिसमें कांग्रेस संसदीय पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी प्रमुख हिस्सेदार हैं। इसका लक्ष्य पार्टी नेतृत्व को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाना था।’ एएसजी ने कहा कि दो हजार करोड़ रुपये की पूरी कंपनी को अपने कब्जे में लेने के लिए सोनिया-राहुल ने मात्र 50 लाख का भुगतान किया था।

कांग्रेस के बड़े नेताओं के निर्देश पर फर्जी तरीके से भुगतान किए गए
एएसजी राजू ने दावा किया कि कांग्रेस के कई सीनियर नेता एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को किए गए ‘फर्जी लेनदेन’ में शामिल थे। ईडी के मुताबिक, कांग्रेस के बड़े नेताओं के निर्देश पर कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से किराए का भुगतान किया था। इन लेन-देन के साथ फर्जी किराया रसीदें तैयार की गई थीं। ईडी ने दावा किया कि साजिश थी कि यंग इंडिया के माध्यम से 2,000 करोड़ की संपत्ति कब्जे में लेकर 90 करोड़ का कर्ज लिया जाए। अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा कि एजेएल के पास दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, इंदौर, पंचकूला, पटना और अन्य स्थानों पर संपत्तियां हैं। हालांकि, एजेएल का अधिग्रहण करने के तुरंत बाद यंग इंडिया (गांधी परिवार द्वारा नियंत्रित एक इकाई) ने घोषणा की कि वह नेशनल हेराल्ड सहित किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन में शामिल नहीं होगी। एएसजी राजू ने कोर्ट को बताया कि ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि यंग इंडिया पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नियंत्रण था। दोनों ने मिलकर 76 प्रतिशत शेयर अपने पास रखे थे। वास्तव में ये कंपनियां उनके नियंत्रण में थीं और इनके संचालन के लिए वो जिम्मेदार थे।

करोड़ों की कंपनी को खरीदने और बेचने वाला एक ही पक्ष- भाजपा
अब भाजपा की तरफ से भी यही दावा किया गया है कि नेशनल हेराल्ड का मामला बड़ा विचित्र है, जिसमें हजारों करोड़ रुपए की संपत्तियों वाली एक कंपनी महज 90 करोड़ रुपए की देनदारी में बिक गई और इसे खरीदने और बेचने वाला दोनों एक ही पक्ष के थे। जो कांग्रेस देश में इतने साल तक सत्ता में रही, उसके रहते 2008 में यह अखबार बंद हो गया। यानी सत्ता में रहते हुए भी कांग्रेस अपनी इस विरासत को नहीं बचा पाई। भाजपा की तरफ से तो यह भी दावा किया गया है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता चाहते ही नहीं थे कि यह अखबार चले। भाजपा की तरफ से यह भी कहा गया कि 5 मई से पहले 3 मई 1950 को भी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू को एक पत्र लिखा था, जिसका स्पष्ट उल्लेख कॉरेस्पोंडेंस ऑफ सरदार पटेल में मिलता है। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि यदि यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के द्वारा शुरू किया गया अखबार था, तो सरकार से जुड़े हुए लोगों की इसमें इतनी संलिप्तता आपत्तिजनक है।करोड़ों के कांग्रेसी घपले वाला नेशनल हेराल्ड केस क्या है?
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। आरोप के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का अवैध अधिग्रहण कर लिया।

2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जे की सरेआम साजिश
सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था। स्वामी ने 2000 करोड़ रुपए की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में एक्शन लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी।

बिहार में 30 साल पुराना चारा घोटाला का सियासी जिन्न लौटा
दूसरी ओर बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव से पहले ही 30 साल पुराना चारा घोटाला नाम का सियासी जिन्न भी लौट आया है। लालू यादव और चारा घोटाले के आरोपियों ने करोड़ों रुपये अभी भी दबा के रखे हैं। बिहार में एनडीए की सरकार चारा घोटाले का पैसा सरकारी खजाने में लालू यादव से वापस चाहती है। बिहार सरकार चारा घोटाले के 950 करोड़ रुपए की वापसी के लिए अदालत जाने का मन बना रही है। बिहार सरकार इसके लिए सीबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से राय-मशविरा करने में लगी है। दरअसल, लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला के पांच मामलों में सजायाफ्ता हैं। लालू प्रसाद यादव के अलावा अन्य नेता और अधिकारी भी चारा घोटाले की जद में हैं। अगर पैसों की बात करें तो चारा घोटाले की रकम करीब 950 करोड़ का है और यह मामला काफी दिलचस्प है। इसमें कई केस हैं।

लालू एंड कंपनी से 950 करोड़ की वसूली के लिए होंगे प्रयास
दरअसल, चारा घोटाला का मामला तीन दशक पुराना है। बिहार सरकार चारा घोटाले के 950 करोड़ रुपए की वापसी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। जानकारी के मुताबिक, तब चारा घोटाले की पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपते समय गबन किये गए पैसे को सरकार के खजाने वापस लौटाने की भी जिम्मेदारी दी थी। 1996 के चारा घोटाला मामले में अब तक एक पैसा भी वापस नहीं हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को चारा घोटाले की जांच मार्च 1996 में सौंपी गई थी। हालांकि पैसा सरकार के खजाने में वापस कैसे आएगा, ये बहुत बड़ा सवाल है। लेकिन सरकार इसके लिए प्रयास करेगी। यह पैसा गबन करने वाले अधिकारियों, राजनेताओं और बिचौलियों के संपति को बेचकर लौटना था। ऐसे में अब भाजपा और जदयू की अगुवाई वाली सरकार इस पैसे की वापसी के लिए पहल करेगी।

ये लोग सिर्फ चारा ही नहीं खाते थे, हफ्ता भी खाते थे- राजनाथ
देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पटना में राज्य कार्यकारिणी बैठक में बुधवार (2 जुलाई) को चारा घोटाले को लेकर लालू फैमिली पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले सत्ता में बैठे लोग सिर्फ चारा ही नहीं खाते थे, हफ्ता भी खाते थे। रक्षामंत्री ने आगे कहा, ‘कांग्रेस और आरजेडी की विफल और जाति की राजनीति ने बिहार को गर्त में पहुंचा दिया है। आज एनडीए का संकल्प केवल सत्ता प्राप्ति नहीं, दशकों के अन्याय का प्रतिकार है, जिसे बिहार ने झेला है। सिंह ने आगे कहा कि हम सबको सजग रहना है. इन्होंने सत्ता को जन सेवा का माध्यम नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य में अंधेरे में धकेला, महिलाओं को असुरक्षा का एहसास कराया। सिवान की धरती ने भारत को राजेंद्र प्रसाद दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से लालू के राज में यही धरती अपराध की प्रयोगशाला रही। खौफ का साम्राज्य रही। उस लालटेन ने रोशनी की जगह लोगों के घरों में आग लगायी है। राजनाथ सिंह ने वर्तमान सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि एनडीए सरकार में बिहार को आत्मनिर्भर बना दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 11 सालों में यह सिद्ध किया है कि भारत बदल सकता है और भारत आगे बढ़ सकता है, बशर्ते नेतृत्व सुदृढ़ हो, नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट हो और राष्ट्र-हित सर्वोपरि रखा जाए। हमें यह विश्वास है कि हम बिहार के हर निवासी के दिल तक पहुंचेंगे।

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