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करप्शन-झूठ पर वार: प्रियंका के पति पर 58 करोड़ की अवैध कमाई का शिकंजा, वोट चोरी के झूठ पर राहुल से मांगे सबूत

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कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहुल-रॉबर्ट वाड्रा तक करप्शन का कारोबार और झूठ की राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। एक के बाद एक कई मामले इनके खिलाफ उजागर हो रहे हैं और इनकी जिंदगी जमानत पर बसर हो रही है। अब प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह सनसनीखेज मामला सामने आया है कि प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने आपराधिक आय के रूप में 58 करोड़ रुपये लिए हैं। गुरुग्राम के एक केस में जांच एजेंसी ने आरोपपत्र में वाड्रा को सात कंपनियों समेत 10 अन्य लोगों के साथ आरोपित नंबर-1 बनाया है। दिलचस्प है कि सात कंपनियां एक ही पते पर पंजीकृत हैं। दिल्ली की विशेष पीएमएलए अदालत ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने के लिए 28 अगस्त की तिथि तय की है और वाड्रा को नोटिस जारी किया है। हरियाणा ही नहीं, वाड्रा के खिलाफ राजस्थान और कर्नाटक में भी घोटाले करने के मामले चल रहे हैं। उधर राबर्ट के साले और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी फिर एक झूठा नैरेटिव लेकर आए हैं। चुनाव में हारने पर ईवीएम की खराबी के बार-बार के आरोपों में दम नहीं रह जाने के बाद इस बार राहुल वोट चोरी का शिगूफा लाए हैं। वे शायद नहीं जानते कि नेहरू-इंदिरा और उनके पिता के कार्यकाल में तो वोट छोड़िए, पूरे बैलेट बॉक्स ही चोरी हो जाते थे और मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया जाता था। बहरहाल, अब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को जांच के बाद पूरी तरह मनगढ़त पाया है और राहुल गांधी को नोटिस जारी कर पूरी जानकारी मांगी है।

प्रियंका के पति पर जमीन सौदे में अवैध कमाई करने के कई आरोप
प्रियंका गांधी के पति की मुश्किलें जमीन घोटाले के मामलों में बढ़ती जा रही हैं। रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन सौदे में अवैध कमाई करने के कई आरोप है। चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत चरितार्थ करते हुए राहुल गांधी उनके बचाव में उतर आए हैं। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन सौदे को लेकर चार्जशीट में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके मुताबिक जांच में यह सामने आया है कि वाड्रा को गुरुग्राम में लैंड डील में घोटाले से 58 करोड़ रुपये ‘अपराध की आय’ के तौर पर मिले हैं। ईडी ने बताया कि 5 करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड और 53 करोड़ रुपये स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड से ट्रांसफर हुए। चार्जशीट के अनुसार, इन फंड्स का इस्तेमाल वाड्रा ने अचल संपत्तियों की खरीद, निवेश, कर्ज, भुगतान और उनके साथ जुड़ी समूह कंपनियों की देनदारियों को चुकाने के लिए किया।

प्रवर्तन निदेशालय धन के लेनदेन में मनी लॉन्ड्रिंग की कर रहा जांच
दरअसल गांधी परिवार के सदस्यों ने कांग्रेस सरकारों के जमाने में दबाव की राजनीति कर उनका अनुचित लाभ लेने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। गुरुग्राम से जुड़ा यह मामला काफी पुराना है। वाड्रा समेत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्रियों मनोहर लाल खट्टर और भूपिंदर सिंह हुड्डा, रियल एस्टेट फर्म डीएलएफ और एक प्रॉपर्टी डीलर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें भ्रष्टाचार, जालसाजी और धोखाधड़ी सहित अन्य आरोप शामिल हैं। ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी ने फरवरी 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। बाद में कंपनी ने यह जमीन रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी। ईडी इस धन के लेनदेन की जांच कर रहा है, उसे संदेह है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला हो सकता है।

वाड्रा की 37.6 करोड़ की कुल 43 अचल संपत्तियां कुर्क की गईं
मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी ने विशेष अदालत को बताया है कि गुरुग्राम में एक जमीन सौदे के तहत कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी राबर्ट वाड्रा को आपराधिक आय के रूप में 58 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। हरियाणा के जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच और अब चार्जशीट ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ईडी ने गुरुग्राम जमीन घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसके साथ ही रॉबर्ट वाड्रा और उनकी कंपनियों जैसे स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की 37.6 करोड़ की कुल 43 अचल संपत्तियां कुर्क की गई हैं। हैरानी की बात यह भी है कि कंपनी के खाते में सिर्फ एक लाख रुपये होने के बावजूद 58 करोड़ रुपये की जमीन का सौदा कर लिया गया। जांच एजेंसी ने आपराधिक मामले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की गई है। रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े लैंड स्कैम मामले में अब 24 जुलाई को सुनवाई होगी।

दिल्ली में एक ही पते पर पंजीकृत सात कंपनियों का किया इस्तेमाल 
वाड्रा और अन्य के विरुद्ध दाखिल आरोपपत्र में ईडी ने कहा कि 53 करोड़ रुपये स्काई लाइट हास्पिटालिटी के जरिये और पांच करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग के माध्यम से प्राप्त हुए थे। इस सौदे में वाड्रा ने दिल्ली के सुखदेव विहार स्थित एक पते पर पंजीकृत अपनी सात कंपनियों का इस्तेमाल किया। ईडी ने अपनी अभियोजन शिकायत में कहा, “अधिसूचित अपराध से प्राप्त इन धनराशियों का उपयोग वाड्रा ने कथित तौर पर अचल संपत्तियां हासिल करने, निवेश करने, अग्रिम धनराशि व ऋण देने और अपनी समूह की विभिन्न कंपनियों की देनदारियों का निपटारा करने के लिए किया।” पीएमएलए की धारा-4 के तहत आरोपितों के लिए अधिकतम सात वर्ष की सजा और संपत्तियों को जब्त करने की मांग करते हुए ईडी ने कहा कि अपराध की प्रत्यक्ष आय के रूप में चिन्हित संपत्तियों में राजस्थान के बीकानेर में जमीन; गुरुग्राम के गुड अर्थ सिटी सेंटर में इकाइयां; मोहाली के बेस्टेक बिजनेस टावर में इकाइयां और अहमदाबाद के जय अम्बे टाउनशिप में आवासीय इकाइयां शामिल हैं। 

गुरुग्राम से राजस्थान के बीकानेर तक संपत्तियों के घपले-घोटाले
अपराध की मूल्य समतुल्य आय की श्रेणी के तहत ईडी ने अमीपुर, फरीदाबाद में विभिन्न कृषि भूमि; मेफील्ड गार्डन, गुरुग्राम में भूखंड; सेंट्रम प्लाजा, गुरुग्राम में वाणिज्यिक इकाइयां; बेस्टेक बिजनेस टावर, गुरुग्राम में व्यावसायिक इकाइयां; इंडिया एक्सपो मार्ट, नोएडा में व्यावसायिक इकाइयां; द अरालियाज, गुरुग्राम में एक अपार्टमेंट; बीकानेर, राजस्थान में जमीन और नोएडा में व्यावसायिक स्थान का उल्लेख किया। ईडी ने कहा, “ये संपत्तियां राबर्ट वाड्रा, मेसर्स आर्टेक्स (मालिक राबर्ट वाड्रा), मेसर्स स्काई लाइट रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड या मेसर्स रियल अर्थ अस्टेट्स एलएलपी के स्वामित्व में हैं। ईडी ने आरोप लगाया कि वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटालिटी प्राइवेट लिमिटेड ने कम पूंजी होने के बावजूद गुरुग्राम के शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रापर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से 7.50 करोड़ रुपये में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी।

वाड्रा ने तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लिया अनुचित लाभ
इस मामले में बिक्री पत्र में यह भी गलत जानकारी दी गई थी कि भुगतान चेक के जरिये किया गया था। ईडी ने आरोप लगाया कि चेक को कभी भुनाया ही नहीं गया। साथ ही कहा कि बिक्री पत्र में जमीन की कीमत कम दिखाई गई क्योंकि इसकी कुल कीमत 7.50 करोड़ रुपये नहीं, बल्कि 15 करोड़ रुपये थी। बिक्री पत्र में गलत और कम कीमत दर्शाने के कारण 45 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी की चोरी की गई, जो आइपीसी की धारा-423 के तहत एक अपराध है। ईडी ने आरोप लगाया कि यह लेन-देन रिश्वत थी जिसमें ओंकारेश्वर प्रापर्टीज ने बिना किसी वास्तविक भुगतान के जमीन वाड्रा की स्काईलाइट हास्पिटालिटी को हस्तांतरित कर दी। बदले में वाड्रा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रभावित कर ओंकारेश्वर प्रापर्टीज को उसी (शिकोहपुर) गांव में आवास योजना के लिए लाइसेंस दिलाने में मदद की।

राहुल गांधी को नोटिस भेजकर आयोग ने मांगे प्रासंगिक दस्तावेज
दूसरी ओर राहुल गांधी बिहार से कर्नाटक तक वोट चोरी के अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। राहुल के झूठे दावे करने के कारण अब कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी से सबूत मांगे हैं, जिनके आधार पर उन्होंने दावा किया था कि एक महिला ने दो बार वोट डाला। आयोग ने कहा कि बिना प्रमाण ऐसे आरोप चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं। राहुल गांधी ने यह बयान हाल ही में दिया था। यह मामला राजनीतिक और चुनावी नियमों के लिहाज से गंभीर माना जा रहा है। चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसे आरोपों की पुष्टि के लिए ठोस प्रमाण जरूरी हैं। नोटिस में कहा गया कि आपसे अनुरोध है कि आप वे प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिनके आधार पर आपने यह निष्कर्ष निकाला है कि श्रीमती शकुन रानी या किसी और ने दो बार मतदान किया है, ताकि इस कार्यालय द्वारा विस्तृत जांच की जा सके।

शकुन रानी ने दो बार नहीं, केवल एक बार किया मतदान- आयोग
राज्य के शीर्ष निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक ये दस्तावेज उनके कार्यालय को विस्तृत जांच करने में मदद करेंगे। गांधी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये दस्तावेज दिखाए थे। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी ने यह दावा भी किया था कि मतदान अधिकारी द्वारा दिए गए रिकॉर्ड के अनुसार, श्रीमती शकुन रानी ने दो बार मतदान किया था। जांच करने पर, श्रीमती शकुन रानी ने कहा है कि उन्होंने केवल एक बार मतदान किया है, दो बार नहीं, जैसा कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया है। नोटिस में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि कांग्रेस नेता द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुति में दिखाया गया सही का निशान वाला दस्तावेज मतदान अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था।

राहुल गांधी की मतदाता सूची को आयोग ने बताया भ्रामक
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने सख्त रुख दोहराया है। आयोग ने कहा है कि राहुल गांधी या तो समय रहते इस मामले में एक घोषणा पत्र दें या फिर अपने आरोपों के लिए देश से माफी मांगें। भारत के चुनाव आयोग ने रविवार को कांग्रेस राहुल गांधी की तरफ से जारी उस मतदाता सूची को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है, जिसमें 30,000 मतदाताओं के पते फर्जी होने का दावा किया है। चुनाव आयोग ने फैक्ट चेक के बाद कहा कि विधि सम्मत प्रक्रिया को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं और जितना भी संभव हो सकता है, उतना ज्यादा लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक एक्स सोशल मीडिया पर कांग्रेस की पोस्ट को साझा करते हुए लिखा, यह बयान पूरी तरह भ्रामक है। अगर राहुल गांधी को लगता है कि उनकी तरफ से साझा की जा रही सूची वाकई सही है तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्हें बिना देरी कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जवाब भेजना चाहिए।

बिहार मतदाता सूची के लिए दस दिन में किसी दल ने नहीं किया संपर्क
चुनाव आयोग ने कहा कि एक अगस्त को बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए संपर्क नहीं किया है। आयोग के मुताबिक, ड्राफ्ट सूची पर एक सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं, जिसमें पात्र नागरिकों के नाम शामिल करने या अयोग्य नाम हटाने का प्रावधान है। आयोग ने बताया कि एक अगस्त से 10 अगस्त दोपहर तीन बजे तक किसी भी राजनीतिक दल के बूथ-स्तरीय एजेंट ने दावा-आपत्ति की प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जून में शुरू हुई विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान विभिन्न दलों ने कुल 1.61 लाख बीएलए तैनात किए थे। इस अवधि में व्यक्तिगत स्तर पर 8,341 फॉर्म नाम जोड़ने या हटाने के लिए प्राप्त हुए। यह ड्राफ्ट सूची बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का हिस्सा है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि आवश्यक दस्तावेजों की कमी के चलते कई पात्र नागरिकों के नाम सूची से बाहर हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से बाहर नहीं रहेगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।

 

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