प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 जुलाई को त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित कर एक नया इतिहास रच दिया। वे त्रिनिदाद और टोबैगो (टीएंडटी) की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। यह अवसर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं गौरवशाली लोकतंत्र और मित्र राष्ट्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों के समक्ष मौजूद होकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने भारत और त्रिनिदाद व टोबैगो के गहरे और ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते सदियों पुराने संबंधों की बुनियाद पर टिके हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए ऐतिहासिक कदमों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत ने संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। इसके साथ ही, उन्होंने स्थानीय शासन में 15 लाख निर्वाचित महिला नेताओं की भूमिका का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने मानवता के समक्ष मौजूद चुनौतियों, विशेषकर आतंकवाद के खतरे पर चिंता जताई और वैश्विक समुदाय से इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम अपने विकास को दूसरों के प्रति जिम्मेदारी के रूप में देखते हैं; और, ग्लोबल साउथ हमेशा हमारी प्राथमिकता रहेगी। उन्होंने वैश्विक शासन में सुधार और ग्लोबल साउथ को उसका हक दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने त्रिनिदाद में भारतीयों के आगमन के 180 वर्ष पूरे होने के अवसर का उल्लेख करते हुए दोनों देशों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि महासागर ग्लोबल साउथ के लिए भारत का मार्गदर्शक दृष्टिकोण है और भारत-कैरिकॉम संबंधों को और सुदृढ़ किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन न केवल दोनों देशों के बीच मित्रता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला है, बल्कि वैश्विक मंच पर लोकतंत्र, महिलाओं के सशक्तिकरण और ग्लोबल साउथ की आवाज को भी मजबूती प्रदान करता है। यह ऐतिहासिक अवसर भारत और त्रिनिदाद व टोबैगो के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत है।