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PM Modi Vision: शहर से गांव तक समृद्ध-सशक्त हो रही नारीशक्ति, डिमेट अकाउंट चार गुना बढ़े, बैंकों में भी बढ़ा महिलाओं का पैसा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशभर की महिलाओं को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने में निरंतर जुटे हुए हैं। यही वजह है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में शहर से लेकर गांव तक और बिजनेस से लेकर शेयर बाजार तक महिलाओं का सशक्तिकरण खूब नजर आने लगा है। पीएम मोदी नारीशक्ति को देश के प्रमुख चार स्तंभों में से एक मानते हैं और उनके लिए ऐसी कई योजनाएं लगातार ला रहे हैं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और उनका सशक्तिकरण भी हो सके। प्रधानमंत्री के इसी भरोसा देने के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में नारीशक्ति का योगदान दिनों-दिन बढ़ रहा है। कभी महिलाओं के बिल्कुल अछूते रहे शेयर बाजार में भी अब महिलाओं की संख्या और दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। आज हालात यह हैं कि देश के कुल बैंक खातों में से 39.2 प्रतिशत महिलाओं के ही हैं। यही नहीं, बैंक खातों में जमा कुल रकम में भी करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी महिलाओं की है। गांवों में 42 प्रतिशत महिलाएं खाताधारक हैं। इतना ही नहीं शेयर बाजार तक में महिलाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। पिछले तीन साल में ही महिलाओं के डीमेट अकाउंट भी चार गुना बढ़े हैं।

डीमेट खातों की संख्या 3.32 करोड़ से बढ़कर 14.3 करोड़
सांख्यिकी मंत्रालय की ताजातरीन रिपोर्ट ‘भारत में महिलाएं और पुरुष 2024’ के उत्साहवर्धक आंकड़े महिलाओं की सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं। भले ही ट्रंप ट्रैरिफ के चलते फिलहाल शेयर बाजार कुछ नीचे हो, लेकिन पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार में भी महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। 31 मार्च 2021 से 30 नवंबर 2024 के बीच डीमेट खातों की संख्या 3.32 करोड़ से बढ़कर 14.3 करोड़ हो गईं। यह 4 गुना से अधिक की वृद्धि है। 2021 के दौरान डीमेट अकाउंट में महिलाओं की संख्या 66.7 लाख थी, जो 2024 में बढ़कर 2.77 करोड़ हो गई। यह संकेत करता है कि महिलाएं अब निवेश और वित्तीय निर्णयों में भी सक्रिय हो रही हैं। पुरुष खाताधारकों की संख्या अब भी अधिक है, लेकिन महिला भागीदारी में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2021 में पुरुष खातों की संख्या 2.659 करोड़ थी। यह 2024 में बढ़कर 11.531 करोड़ तक जा पहुंची है। वहीं, महिला खातों की संख्या 0.667 करोड़ से बढ़कर 2.771 करोड़ तक पहुंच गई।

उच्च पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी, जबकि पुरुषों की घट रही
वहीं, 15 साल और उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 2017-18 में 49.8 प्रतिशत था, जो 2023-24 में 60.1 प्रतिशत हो गया है। यह दर्शाता है कि कामकाजी महिलाएं तेजी से बढ़ी हैं। वित्त वर्ष 2020 में वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी 14.7 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 16.6 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं, इसी दौरान पुरुषों की हिस्सेदारी 85.3 प्रतिशत से घटकर 83.3 प्रतिशत पर आ गई। रिपोर्ट बताती है कि अब हर एक महिला की भर्ती पर करीब दो पुरुषों की नियुक्ति की जा रही है। पहले पुरुषों की नियुक्ति की संख्या ज्यादा थी।
पंचायतों में सबसे ज्यादा 56 प्रतिशत महिलाएं उत्तराखंड में
महिलाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में लाने का पीएम मोदी के लगातार प्रयासों के अब अद्भुत नतीजे आ रहे हैं। ग्रामीण अंचल की ही बात करें तो पंचायती राज संस्थानों में सबसे ज्यादा 56 प्रतिशत महिलाएं उत्तराखंड में हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश (55.5 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (55 प्रतिशत), असम (54.7 प्रतिशत), केरल (54.5 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (54.3 प्रतिशत) का नंबर है। वहीं, पंचायतों में सबसे कम महिलाएं लद्दाख (31.8 प्रतिशत), दादरा नगर हवेली (32 प्रतिशत), जम्मू-कश्मीर (33.2 प्रतिशत) और यूपी (33.3 प्रतिशत) में हैं। चुनावों में महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है। 1952 में भारत में कुल 17.32 करोड़ मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 97.8 करोड़ हो गए हैं। इस दौरान महिला मतदाताओं की संख्या में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। इससे लिंग आधारित मतदान का अंतर कम हुआ है।

देश के कुल बैंक खातों में से 39.2 प्रतिशत खाते महिलाओं के नाम
पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन से निकली पीएम जन-धन योजना में 53 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुल चुके हैं। इस योजना का सबसे खास प्रभाव नारीशक्ति पर ही देखने को मिला है। जहां पहले महिलाओं के नाम बैंक खाते कम होते थे, वहीं अब भारत के कुल बैंक खातों में से 39.2 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं के नाम हैं। इसके साथ ही दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा और भी अधिक है। मसलन यहां महिलाओं के नाम 42.2 प्रतिशत बैंक खाते हैं। महिलाओं से जुड़ी यह जानकारी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रविवार को जारी भारत में महिला और पुरुष 2024 : चयनित संकेतक और तथ्य शीर्षक से प्रकाशित 26वीं रिपोर्ट से मिली है। 

नारीशक्ति का कुल बैंक जमा राशि में 39.7 प्रतिशत का योगदान
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट भारत में लैंगिक स्थिति की व्यापक तस्वीर पेश करती है। इसमें जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक भागीदारी और निर्णय-निर्माण जैसे क्षेत्रों से संबंधित आंकड़े शामिल हैं। ये आंकड़े विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों से जुटाए गए हैं। मंत्रालय के बयान के मुताबिक, महिलाएं कुल बैंक जमा राशि में 39.7 प्रतिशत का योगदान देती हैं। ग्रामीण भारत में उनकी भागीदारी सबसे अधिक है, जहां लगभग हर दो में से एक खाता महिला के नाम है। इससे भी अच्छी बात है कि बैंक खातों में महिलाओं भागीदारी ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक है। यहां खाताधारकों में उनकी हिस्सेदारी 42.2 प्रतिशता है।व्यापार, विनिर्माण आदि उद्यमों में आधी आबादी का मालिकाना हक
यह रिपोर्ट बताती है कि व्यापार, विनिर्माण और अन्य सेवा क्षेत्रों में महिलाओं के मालिकाना हक वाले प्रतिष्ठानों (प्रोप्राइटरी फर्म्स) की संख्या भी 2021 से 2024 के बीच लगातार बढ़ी है। यह महिलाओं के विकास का खासा अच्छा संकेत है जो बताता है कि महिला उद्यमिता में बढ़ोतरी हो रही है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (डीपीआईआईटी) के मान्यता वाले स्टार्टअप के क्षेत्र में भी महिलाओं की मौजूदगी बढ़ रही है। 2017 में जहां केवल 1,943 स्टार्टअप ऐसे थे जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक थीं, वहीं 2024 में इनकी संख्या बढ़कर 17,405 हो गई है। शिक्षा क्षेत्र में भी सकारात्मक संकेत हैं। प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर लिंग समानता सूचकांक (जीपीआई) लगातार ऊंचा बना हुआ है, जो लड़कियों की मजबूत नामांकन दर को दर्शाता है। 

शेयर बाजार ही नहीं, पिछले एक दशक में देश के हर सेक्टर में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। आइए, देखते हैं कैसे समृद्ध हो रही है नारीशक्ति….

बिग चेंज: 72 प्रतिशत शहरी महिलाएं खुद कर रहीं निवेश
कुछ समय पहले आई एक्सिस बैंक की ‘विमेन इंवेस्टमेंट बिहेवियर रिपोर्ट 2024’ के अनुसार देश के शीर्ष 30 शहरों में रहने वाली महिलाओं की निवेश प्राथमिकताओं में सुखद बदलाव आया है। फिनटेक उपयोग करने वाली निवेशकों का अनुपात 5 वर्षों में 14% से बढ़कर 55% हुआ। लंबी अवधि के निवेश में अब महिलाएं 37% अधिक औसत निवेश कोष रख रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र की लगभग 72% महिलाएं अब निवेश को लेकर स्वतंत्र निर्णय लेती हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक निवेश कर रही हैं और उनका जमा फंड भी पुरुषों से अधिक है। 22 लाख महिला निवेशकों ने औसतन 80,000 रुपए से अधिक का लाभ कमाया है। यह दिखाता है कि पीएम मोदी के कार्यकाल में सुरक्षा की भावना बढ़ी है और महिलाएं लॉन्ग टर्म सोच रही हैं। 5 साल के अंतराल में म्यूचुअल फंड में उनकी नियमितता अब पहले की तुलना में 22% से अधिक है।

सशक्तिकरण: वैश्विक औसत से ज्यादा देश की कंपनियों में महिला भागीदारी
मैनपावर ग्रुप इंडिया द्वारा किए गए ताजा सर्वे के अनुसार भारत में 54% कंपनियां विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही हैं। इस मामले में वैश्विक औसत 46% है। पीएम मोदी की महिला सशक्तिकरण की नीतियों के चलते देश में नियोक्ताओं का बड़ा वर्ग प्रगतिशील नीतियों, कौशल बढ़ाने और लचीलेपन के जरिए विविधता तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। जिससे महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। वहीं, वेतन समानता पर 32% कंपनियों ने माना कि अभी इसमें सुधार की गुंजाइश है। विविधता अनुपात को लेकर देश में आईटी क्षेत्र सबसे आगे है। 70% नियोक्ताओं ने कहा कि प्रौद्योगिकी से लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है। इसके बाद हेल्थकेयर सेक्टर, फाइनेंस व रियल एस्टेट सेक्टर का स्थान है।

टॉप मैनेजमेंट: महिलाओं की हिस्सेदारी कंपनी बोर्ड में 11% बढ़ी
‘नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) का एक ताजा अध्ययन बताता है कि शीर्ष प्रबंधन में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब एक दशक के दौरान 14% से बढ़कर 22% हो गई है। कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2013-14 के 5% की तुलना में 2023-24 में करीब 16% हो गई है। यानी इसमें 11% वृद्धि हुई है। मझोले स्तर के प्रबंधन स्तर पर देश पीछे है। इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी महज 20% है, जबकि वैश्विक स्तर पर हिस्सेदारी 33% है। ऐसा माना जाता है कि टॉप मैनेजमेंट या बोर्ड में कम से कम एक महिला रहने से आर्थिक प्रदर्शन सुधरने और कम जोखिम की संभावना होती है। देश की प्रमुख कंपनियां की बात करें तो इंफोसिस के बोर्ड में 17.9 प्रतिशत, एचडीएफसी में 12.9 प्रतिशत और एसबीआई बोर्ड में आठ प्रतिशत महिलाएं हैं। प्रशासनिक, फ्रंट लाइन मैनेजमेंट जैसी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 57% तक हो गई है। हालांकि मध्यस्तरीय प्रबंधन में 53% के साथ प्रतिनिधित्व फिलहाल कुछ कम है।

लखपति दीदी: देश की तीन करोड़ महिलाओं हासिल करेंगी यह गौरव
मोदी सरकार देश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लखपति दीदी योजना भी चला रही है। यह महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाली केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था कि नारीशक्ति को आगे बढ़ाना हमारा हमेशा मिशन रहा है। हमारा लक्ष्‍य 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का है। हालांकि, मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में लखपति दीदी योजना का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने का फैसला किया। इस योजना का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जुड़ा होना जरूरी है। देश में इस समय करीब 83 लाख स्वयं सहायता समूह यानी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हॆ। इनसे 9 करोड़ से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। लखपति दीदी योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सरकार की ओर से फाइनेंशियल और स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जाती है। जिससे वह ना सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होती हैं, बल्कि इसके जरिये उन्हें अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है।ड्रोन दीदी: 1261 करोड़ की योजना से गांवों में महिलाएं बनेंगी ड्रोन पायलट
पीएम मोदी शहरों के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त और समृद्ध बनाने में लगे हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी उनकी ‘ड्रोन दीदी योजना’ सुदूर गांवों में महिलाओं को ड्रोन पायलट बना रही है। 28 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ड्रोन दीदी योजना’ की शुरुआत की। इस योजना के तहत 15,000 स्वयं सहायता समूहों को कृषि क्षेत्र में ड्रोन प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह ड्रोन किराए पर दिया जाएगा और उर्वरकों का छिड़काव करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। 2023-24 और 2025-26 के दौरान, इस योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, महिला ड्रोन पायलट को मानदेय भी प्रदान किया जाएगा और महिला ड्रोन सखियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह योजना महिलाओं को कृषि सेक्टर में सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार इस परियोजना पर आगामी चार वर्षों में लगभग 1,261 करोड़ रुपए खर्च करेगी। यह योजना कृषि क्षेत्र में महिलाओं की सामर्थ्य और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

नारीशक्ति: मोदी सरकार महिलाओं के लिए चला रही कई क्रांतिकारी योजनाएं
इतना ही नहीं मोदी सरकार ने जन धन योजना से लेकर उज्जवला योजना तक, मुद्रा योजना से लेकर वोकल फॉर लोकल तक कई ऐसी योजनाएं चलाई हैं, जिनसे आज महिलाओं का जीवन तो आसान हुआ है। यह पीएम मोदी ही हैं, जिन्होंने तीन तलाक खत्म कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया। आज महिलाएं शिक्षा, सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य समेत हर सुविधा पा रहीं हैं। आत्मनिर्भर बनकर अपने सपनों को पूरा कर रहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी वित्तीय सहायता देकर महिलाओं का अपने पक्के घर का सपना भी पूरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना या स्वामित्व योजना से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। इन योजनाओं के तहत महिलाएं होम लोन लेने में पहली बार बड़ी तादाद में आगे आई हैं। आंकड़ों के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है कि 16 प्रतिशत महिलाओं ने होम लोन लिया है। यहीं नहीं देश के कुछ जिलों में तो होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 80 प्रतिशत को पार कर गई है। इसी तरह पीएम मोदी ने उज्जवला योजना, नल जल योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, मातृत्व वंदना योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना आदि योजनाएं शुरू की जिससे महिलाएं लाभान्वित हुई।

पीएम मोदी ने नारीशक्ति के रूप में जीत का अचूक फार्मूला दिया
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यूं ही दूरदर्शी और विजनरी राजनेता नहीं कहा जाता। उनकी दूरगामी नीतियों और सोच के चलते जहां एक ओर पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीदभरी नजरों से देख रही है, तो दूसरी ओर देश की उनकी पार्टी भाजपा को उन्होंने जीत का अचूक फार्मूला दे दिया है। दरअसल, पीएम मोदी जिन्हें भारत के चार प्रमुख स्तंभ मानते हैं उनमें से सबसे अग्रणी है- नारीशक्ति। उन्हें इस शक्ति की ताकत का पता है, इसीलिए मोदी सरकार की नीति और निर्णयों के केंद्र में देश की माताएं-बहनें और बेटियां रही हैं। जिस हरियाणा की धरती से पीएम मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का शानदार अभियान शुरू किया, वहीं से हाल ही में बीमा सखी योजना भी शुरू की है। नारीशक्ति को महत्ता देने के इस अचूक फार्मूले का ही परिमाण है कि एक साल, यानी नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 13 राज्यों में चुनाव हुए हैं। इनमें 9 में नारीशक्ति को बढ़ावा देने वाली ‘लाडली बहना’ जैसी योजनाएं लागू की गई या वादा किया गया। इनमें से 8 राज्यों में योजना कारगर रही। इन आठ में भी ज्यादातर में भाजपा को जीत मिली है।

महिलाओं के लिए बजट में 3 लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का ऐलान
महाराष्ट्र  विधानसभा चुनाव उदाहरण है। पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए राज्य भाजपा और महायुति सरकार ने ‘माझी लाडकी बहिन’ योजना लागू की। भाजपा गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 288 में से 230, यानी 80% सीटें जीत लीं। इसमें भी भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। बीते एक साल में जिन 9 राज्यों में ‘लाडली बहना’ जैसा फैक्टर था, उनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या NDA को फायदा मिला। दरअसल पीएम मोदी के दिशा-निर्देशन में केंद्र से लेकर राज्यों तक बीजेपी ने महिलाओं को पहचान देने के कई कदम उठाए हैं। मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में अपने बजट में महिलाओं और बच्चियों की मदद करने वाली योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देने का ऐलान किया। मोदी सरकार 3.0 ने पहले 100 दिनों में 11 लाख नई ‘लखपति दीदियों’ को सर्टिफिकेट दिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक करोड़ से ज्यादा ‘लखपति दीदियां’ अब हर साल एक लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं।आइये पहले जानते हैं कि इनके अलावा मोदी सरकार ने नारीशक्ति के कल्याण के लिए कैसे कदम उठाए हैं…

  • हर 10 में से 7 मकान महिलाओं कोः प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70% से ज्यादा घर महिलाओं को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उभरती बिजनेसविमेंस को 30 करोड़ रुपए लोन दिया गया है।
  • 10 करोड़ महिलाओं को फ्री गैस सिलेंडरः प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर दिया गया है। साथ ही हायर एजुकेशन में महिलाओं के रजिस्ट्रेशन में 28% के बढ़त हुई है।
  • अल्पसंख्यक महिलाओं पर भी फोकसः अगस्त 2019 में बीजेपी की मोदी सरकार ने ‘तीन तलाक’ को खत्म करने के लिए कानून बनाया। ऐसा कर पीएम मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी की ओर लामबंद करने की कोशिश की।
  • महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षितः सितंबर 2023 में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पास किया। इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं। यानी 543 सीटों वाली लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

महाराष्ट्रः चुनाव से पहले 7500 खाते में पहुंचे, महायुति को 80% सीटें मिलीं
अब राज्यवार विश्लेषण पर आते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र का महायुति गठबंधन सिर्फ 37% सीटें जीत सका। पीएम मोदी का इशारा हुआ तो महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने मध्य प्रदेश जैसी लाड़ली बहना योजना लाने के ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र ने विधानसभा चुनाव से पहले ही ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ को लागू कर दिया। ये योजना महायुति ने बहुत अच्छे से प्लान की थी। इसका फॉर्म बेहद सिंपल था। न पैन नंबर भरना था, न कोई फॉर्म 16 जैसा कुछ। बस फॉर्म भरने वाली महिला को खुद से ये घोषणा करनी थी कि उनके परिवार की सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम है। 6% बढ़े हुए महिला वोटरों ने महाराष्ट्र में खेल बदल दिया। मुंबई और आसपास के जिलों में महिला मतदाताओं में बढ़ोतरी हुई है। अगर हम 2019 से तुलना करें तो ये आंकड़ा मुंबई में 7% बढ़ा हुआ है। ठाणे 11%, पालघर में 9% महिला वोटर में बढ़ोतरी हुई है।

• 28 जून 2024 को योजना लॉन्च हुई। 21 से 65 साल की महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए दिए जाते हैं।
• महाराष्ट्र की 2.34 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने रुपए आए। जुलाई 2024 से अब तक कुल छह किस्तें आ चुकी हैं। चुनाव से पहले ही महिलाओं के खातों में 7500 रुपए पहुंच गए थे।
• सरकार ने इसके लिए 46,000 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें 200 करोड़ रुपए मार्केटिंग के लिए हैं। इसमें राज्य बजट का लगभग 7.6% खर्च हो रहा है।
• मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी खुले मंच से स्वीकार करते हैं कि इस योजना ने खेल पलटा है।मध्यप्रदेश: चुनाव से 240 दिन पहले 6 किस्तें पहुंचीं, नतीजों में ‘प्रो इन्कम्बेंसी’ दिखी
महिलाओं को हर महीने कैश देने की स्कीम की चर्चा मध्य प्रदेश से ही शुरू हुई। 15 मार्च 2023 को चुनाव से 8 महीने पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना लॉन्च की। 10 जून 2023 को इसकी पहली किस्त जारी हुई थी। चुनाव से पहले कुल 6 किस्तें प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते में पहुंच गई थी। विशेषज्ञों के मुताबिक जाति और धर्म की तरह अब वोटिंग पैटर्न जेंडर के आधार पर शिफ्ट हो गया है। जब आप महिलाओं को कुछ सुविधाएं देते हैं, तो वे घर से निकलकर वोट डालने आती हैं। पहले महिलाओं को उनके पति बताते थे कि उन्हें किसे वोट करना है। पीएम मोदी सीधे महिलाओं को संबोधित और प्रोत्साहित करते हैं। 2023 में 15 साल के एंटी इन्कम्बेंसी के बावजूद मध्य प्रदेश में BJP के जीतने की सबसे बड़ी वजह लाड़ली बहना योजना बनी। इस योजना ने अलग महिला वोट बैंक का ध्यान खींचा।
• मध्य प्रदेश सरकार सालाना इस योजना पर 19 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम खर्च करती है। ये खर्च मध्य प्रदेश के कुल बजट का करीब 5% है।
• लाड़ली योजना के लागू होने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में राज्य में रिकॉर्ड 76% से ज्यादा महिलाओं ने वोट किया था। 2018 विधानसभा चुनाव की तुलना में 31 लाख ज्यादा महिलाओं ने वोट किए।
• चुनावी सर्वे कराने वाली पोलस्टार कंसल्टिंग फर्म के मुताबिक मध्य प्रदेश चुनाव में कुल महिलाओं के वोट में से करीब 50% महिलाओं ने BJP को वोट किया। BJP को मिलने वाला वोट कांग्रेस की तुलना में 10% ज्यादा था।

छत्तीसगढ़: चुनाव से महिलाओं को 1000 रुपए देने का वादे ने पलटा खेल
शायद आपको याद होगा कि हरियाणा की तरह 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी कमोबेश सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना जताई गई थी। लेकिन नतीजे आए तो बीजेपी ने बाजी पलट दी। दरअसल, इसमें कमाल नारीशक्ति का भी रहा। भाजपा ने महिला वोट बैंक को साधने के लिए उनके खाते में सीधे 1000 रुपए प्रतिमाह भेजने का वादा किया। इसके लिए फॉर्म भी भरवाने भी शुरू कर दिए। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल जब तक इस वादे की गंभीरता को समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। महिलाओं ने देखा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पैसे मिलने शुरू हो चुके हैं। इसलिए उन्होंने बीजेपी के वादे पर ही भरोसा किया।
• राज्य की करीब 76% महिलाओं ने वोटिंग में हिस्सा लिया। ये 2018 की तुलना में 11 लाख ज्यादा था। महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रहा।
• चुनाव के बाद 10 मार्च 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने ही छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना का शुभारंभ किया। 70 लाख महिलाओं के खाते में प्रतिमाह 1000 रुपए भेजना शुरू किया गया।
• परिवार में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता, लेकिन ऐसी योजनाओं से इन महिलाओं को कुछ पैसे मिल रहे हैं और उनके परिवारों में उनकी स्थिति सुधर रही है।
• यही वजह है कि महिलाएं उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाले राजनीतिक दलों को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक जा रही हैं।

हरियाणा: एग्जिट पोल के कयासों पर नारीशक्ति का वोट बैंक भारी
हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार आना कुछ मुश्किल लग रही थी। यहां तक कि चुनाव के बाद कमोबेश एग्जिट पोल ने कांग्रेस की सरकार बनने का ऐलान तक कर दिया। लेकिन परिणाम आने पर सारी बाजी भाजपा के पक्ष में पलट गई। इसमें सबसे अहम भूमिका पीएम मोदी की नारीशक्ति ने निभाई। बीजेपी ने चुनाव से पहले लाडो लक्ष्मी योजना का वादा किया। इसमें हर महीने महिलाओं को 21 सौ रुपये देने की गारंटी दी गई। चुनाव के बाद लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार बनी।
• नायब सिंह सैनी सरकार ने लाडो लक्ष्मी योजना के लिए करीब 24 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।
• इस योजना का लाभ राज्य की 95.7 लाख महिलाओं को मिल रहा है।
• इस योजना का ही असर रहा कि महिलाएं वोट उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाली भाजपा को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक पहुंची।
• इससे भाजपा का वोट 3.5 प्रतिशत तक बढ़ा, जो जीत का आधार बना। भाजपा के पिछले चुनाव के मुकाबले 8 विधायक भी ज्यादा आए।

ओडिशा: भगवान जगन्नाथ की धरती पर महिलाओं ने दोनों हाथ से दिए वोट
पीएम मोदी की नारीशक्ति ने ओडिशा में तो कमाल ही कर दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा के सांसदों की सीट पक्की करने के साथ-साथ पहली बार विधानसभा में भी पूर्ण बहुमत से कमल खिला दिया। ओडिशा भाजपा ने चुनाव से पहले यहां सुभद्रा योजना की गारंटी दी थी। इस योजना के तहत महिलाओं को साल में 10 हजार रुपये देने का वादा किया था। 2024 में महिलाओं का वोट प्रतिशत 75.6 प्रतिशत था। इसके चलते भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में 7.6 प्रतिशत वोट अधिक मिले और 55 विधायक ज्यादा आए।
• छत्तीसगढ़ हो या ओडिशा इन राज्यों में महिलाओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिसके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं है।
• ऐसे में साल में दस हजार रुपये की मदद महिलाओं के लिए बड़ा आर्थिक संबल बन रही है।
• ओडिशा सरकार की सुभद्रा योजना से राज्य की 80 लाख से ज्यादा महिलाएं लाभांवित होंगी।
• भाजपा सरका ने नारीशक्ति को संबल देने वाली इस योजना के लिए 55.8 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।राजस्थान: पीएम पर भरोसा ज्यादा, गहलोत के वादे पर ऐतबार नहीं
भारतीय जनता पार्टी की नकल करते हुए नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अक्टूबर 2023 में अशोक गहलोत ने राजस्थान के झुंझुनू में गृह लक्ष्मी गारंटी के तहत परिवार की महिला मुखिया को साल में 10 हजार रुपए देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि ये राशि दो से तीन किश्तों में दी जाएगी। कांग्रेस ने इस वादे का चुनाव प्रचार के दौरान खूब इस्तेमाल किया। महिलाओं के खाते में पैसे भेजने के सिर्फ वादे किए। चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में पैसा नहीं आया। दूसरी ओर भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं और लड़कियों से जुड़ी तीन मुख्य योजनाएं लाडो प्रोत्साहन योजना, लखपति दीदी योजना और पीएम मातृ वंदना योजना शुरू करने का वादा किया। महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। महिलाओं को लगा कि सत्ता में रहते हुए जो सरकार महिलाओं के लिए ये योजना नहीं लागू कर पाई वो चुनाव जीतने के बाद लागू करेगी इसकी गारंटी नहीं है। ऐसे में महिलाओं ने खुलकर कांग्रेस का विरोध और भाजपा की योजनाओं का साथ दिया।

 

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