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PM Modi की यूनुस को खरी-खरी, सख्त संदेश में कहा- हिंदुओं पर हमले कतई बर्दाश्त नहीं, उनकी सुरक्षा पहली जिम्मेदारी

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थाईलैंड में बिम्सटेक की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के बीच बातचीत हुई। पड़ोसी देश की पुरजोर कोशिशों के बाद ही हुई इस बैठक में भारत ने बांग्लादेश से कई मुद्दों पर मंथन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने ना सिर्फ पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों खास तौर पर हिंदुओं की सुरक्षा का मसला उठाया, बल्कि उन्होंने सख्त संदेश देते हुए साफ कहा कि हिंदुओं पर हमले बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। बांग्लादेश में उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की है। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने यूनुस को हिदायत दी कि बांग्लादेश को माहौल खराब करने वाली किसी भी अनर्गल बयानबाजी से बचना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बांग्लादेश को जिम्मेदारी की तरह निभाना ही चाहिए। ऐसा करने के बाद ही बांग्लादेश, भारत से सहयोग और समर्थन की उम्मीद कर सकता है। पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच यह पहली बैठक है। बांग्लादेश में चल रहे गतिरोध के बीच इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पीएम मोदी का पोस्ट- अवैध सीमा पार करने की घटनाओं को रोके बांग्लादेश
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार श्री मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। भारत बांग्लादेश के साथ रचनात्मक और जन-केंद्रित संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने बांग्लादेश में शांति, स्थिरता, समावेशिता और लोकतंत्र के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। अवैध सीमा पार करने की घटनाओं को रोकने के उपायों पर चर्चा की और हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई के लिए हमारी गंभीर चिंता व्यक्त की।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने संबंधों के प्रति भारत के जन-केंद्रित दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया और कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग से लोगों को लाभ हुआ है। मिस्री ने यूनुस के साथ मोदी की बातचीत के बारे में बताया, ‘‘इसी भावना से उन्होंने प्रोफेसर यूनुस को व्यावहारिकता की भावना के आधार पर बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा से अवगत कराया।’’

हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कही ये बात
बिम्सटेक की बैठक में विदेश मंत्री एस.जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने यूनुस से कहा कि कानून का सख्ती से पालन तथा अवैध सीमा पार करने की रोकथाम, विशेषकर रात के समय, सीमा सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। पीएम मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों के मुद्दे पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और उनके खिलाफ अत्याचार के मामलों की गहन जांच करेगी। प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश द्वारा बिम्सटेक की अध्यक्षता संभालने पर यूनुस को बधाई दी तथा उम्मीद जताई कि मंच उनके नेतृत्व में क्षेत्रीय सहयोग को और आगे बढ़ाएगा। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘‘नेताओं ने बिम्सटेक ढांचे के अंतर्गत क्षेत्रीय एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए परामर्श और सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि दोनों देशों के बीच आपसी हित के सभी मुद्दों को उनके दीर्घकालिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय संबंधों के आधार पर रचनात्मक चर्चा के माध्यम से समाधान किया जाएगा।

बांग्लादेश को अनर्गल बयानबाजी बंद करने की नसीहत भी दी
पड़ोसी देश बांग्लादेश की पुरजोर कोशिश के बाद हुई इस बैठक में भारत ने बांग्लादेश से कई मुद्दों पर बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी ने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों खास तौर पर हिंदुओं की सुरक्षा का मसला उठाया। पीएम मोदी साथ ही बांग्लादेश को अनर्गल बयानबाजी बंद करने की नसीहत भी दे दी।भारत ने साथ ही बांग्लादेश को पूर्ण सहयोग और समर्थन देने का अपना वादा दोहराया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मीडिया से कहा कि बैठक के दौरान पीएम मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा की चिंता का खास तौर पर जिक्र किया। मिसरी ने कहा कि भारत ने साथ ही लोकतांत्रिक, स्थायी, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश का समर्थन का वादा किया। पीएम मोदी ने इसके अलावा मोहम्मद यूनुस को तनावपूर्ण स्थिति से बचने की भी सलाह दी।पीएम मोदी ने यूनुस को दिलाई बांग्लादेश के बनने की याद
इस दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नई दिल्ली ने हमेशा ढाका के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसियों का इतिहास जटिल रूप से जुड़ा हुआ है और यह बांग्लादेश के जन्म से है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत हमेशा एक प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और समावेशी बांग्लादेश का समर्थन करेगा। लेकिन अवैध रूप से सीमा पार करने, घुसपैठ के प्रयासों को भी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीएम मोदी ने इनको रोकने के उपायों पर चर्चा की तथा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई के प्रति अपनी गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं। इस दौरान मोहम्मद यूनुस ने संबंधों को सही रास्ते पर लाने के लिए पीएम मोदी के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई।

हिंदुओं पर हमलों को लेकर अमेरिका ने भी बांग्लादेश को चेताया था
कुछ समय पहले बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) पर हो रहे हमलों को लेकर अमेरिका की बाइडेन सरकार ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार को कड़ा संदेश दिया था। तब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने यूनुस से फोन पर बात की थी। इसमें बांग्लादेश में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति व लोकतंत्र पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर हमलों को लेकर बांग्लादेश ठोस कदम उठाए। हर नागरिक के मानवाधिकारों की रक्षा करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस पर मोहम्मद यूनुस ने भी अमेरिका को मानवाधिकारों की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का आश्वासन दिया।

पाकिस्तान ने बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस को अपने झांसे में लिया
दरअसल, बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस को अपने झांसे में लेते हुए पाकिस्तानी आर्मी के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने नवंबर में ट्रेनिंग का प्रस्ताव भेजा था। बांग्लादेश आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने इसे स्वीकार कर पाक आर्मी को औपचारिक निमंत्रण भी दे दिया। बता दें कि पूर्व पीएम शेख हसीना के 5 अगस्त को ढाका छोड़ने के बाद आर्मी चीफ वकार के निर्देश पर ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ था। बांग्लादेश में अभी शक्ति का दूसरा केंद्र आर्मी चीफ बकार ही हैं।

भारत के लिए पाकिस्तान-बांग्लादेश गठजोड़ खतरा क्यों ?
पाकिस्तान-बांग्लादेश गठजोड़ से सिलीगुड़ी में 80 किमी चौड़े भारत के चिकन नेक कॉरिडोर पर खतरा बढ़ सकता है। ये भारत को समूचे पूर्वोत्तर से जोड़ता है। बांग्लादेश में पाक की एंट्री के बाद पूर्वोत्तर के कट्टरपंथी ग्रुप के और हावी होने की आशंका है। केयरटेकर सरकार के मुखिया यूनुस का का पाक की ओर झुकाव इसलिए है, क्योंकि बांग्लादेश में हमेशा से पाक परस्त ताकतें हावी रही हैं। फर्क इतना है कि शेख हसीना के 15 साल के शासन में इन पर लगाम रही, पर पाकिस्तार को फिर मौका मिल गया है। वो बांग्लादेश के माध्यम से रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिशों में है। हालांकि मोदी सरकार के रहते वो अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएगा।

चिकन नेक कॉरिडोर पर संकट, चीन भी फिराक में है
आर्मी चीफ वकार ने पाकिस्तान की आर्मी और अन्य ताकतों के साथ हसीना के खिलाफ साजिश रची। 5 अगस्त को वहां जनक्रांति नहीं, सेना ने एक बड़े प्लान से तख्तापलट कराया था। एक बड़ा सवाल यह भी है कि इन विषम परिस्थितियों में क्या चीन भी यहां अपने लिए मौका तलाश रहा है? दरअसल, बांग्लादेश की जियोपॉलिटिकल लोकेशन काफी अहम है। चिकन नेक कॉरिडोर के पास भूटान का डोकलाम भी है। इस पर चीन कब्जा चाहता है। बांग्लादेश में यूनुस सरकार और अब पाक सेना की एंट्री के बाद चीन के लिए कुछ अनुकूल हालात बने हैं।

हसीना ने पाक वॉरशिप नहीं आने दिया था, अब साथ युद्धाभ्यास
पाकिस्तान के साथ बांग्लादेशी नौसेना फरवरी में कराची पोर्ट पर युद्धाभ्यास करने जा रही है। कहने को इसको अमन-2025 नाम दिया गया है। पाकिस्तान द्वारा हर 2 साल में होने वाले इस युद्धाभ्यास में बांग्लादेश 15 साल बाद पहली बार शामिल हो रहा है। शेख हसीना के पूरे कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश इस युद्धाभ्यास से दूर रहा। 2022 में तो हसीना ने पाकिस्तानी वॉरशिप तैमूर को चटगांव में लंगर डालने की अनुमति नहीं दी थी। तैमूर को म्यांमार के क्यायुकफु पोर्ट पर लंगर डालकर फ्यूल लेना पड़ा था। अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। पाक ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से तीन गुना गोला-बारूद की दो खेप भी पहुंची हैं। बांग्लादेश ने सितंबर-दिसंबर के बीच पाक से 40 हजार राउंड एम्युनिशन मंगवाए हैं। पिछले साल 12 हजार राउंड थे। 2 हजार राउंड टैंक एम्युनिशन, 40 टन आरडीएक्स भी मंगवाया है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म, भारत विरोध का जुनून

शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद भारत विरोध का जुनून बांग्लादेश में इस कदर छाया कि कार्यवाहक सरकार के समर्थक हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने में लग गए। वहां हिंदुओं के उपासना स्थलों के साथ तोड़फोड़ के वीडियो खूब वायरल हुए। विश्वपटल पर बांग्लादेश के उदय के उपलक्ष में 16 दिसंबर को मनाए जाने वाले विजय दिवस पर पिछले साल भारत विरोधी नारे लगाए गए।  जिस बांग्लादेश के लिए हमारे सैकड़ों सैनिकों की कुर्बानी दी। उसी बांग्लादेश ने भारतीय सैनिकों की याद में सात साल से बनाए जा रहे वॉर मेमोरियल का काम रोक दिया। हालात यह हैं कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के अलावा हिंदू उपासकों पर जुल्म किए गए। यहां तक कि भारत से व्यापार में रोकटोक या उसके बहिष्कार की बात की रही है।आशुगंज में वॉर मेमोरियल सूना, ढाका में भारत विरोध के नारे
बांग्लादेश में जब 53वां विजय दिवस मना, तब भारतीय सैनिकों की याद में बन रहा आशुगंज का वॉर मेमोरियल सूना पड़ा रहा। आशुगंज में जितना सन्नाटा था, उतना ही शोर ढाका की सड़कों पर सुनाई दिया। यहां भारत और पीएम मोदी के खिलाफ नारे लगाए गए। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ आपत्तिजनक नारे भी लगे। एक नारा जो सबसे ज्यादा सुनाई दिया-‘दिल्ली नी ढाका’ ‘ढाका, ढाका।’ यानी ‘बांग्लादेश पर अब दिल्ली नहीं, ढाका का राज चलेगा। बांग्लादेश की सरकार फैसले लेगी और भारत की दखलंदाजी सहन नहीं की जाएगी।’ बांग्लादेश की राजधानी ढाका से करीब 80 किमी दूर आशुगंज में 7 साल से एक वॉर मेमोरियल बन रहा है। ये मेमोरियल 1971 की जंग में शहीद 1600 भारतीय सैनिकों की याद में बनना है। इसे दिसंबर 2023 तक तैयार हो जाना था, लेकिन पहले फंड की कमी से अवरोध आया और अब मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार ने काम ही बंद करा दिया है। शेख हसीना सरकार गिरने के बाद पहला विजय दिवस है। अब यहां अंतरिम सरकार है, इसलिए इस बार सेलिब्रेशन थोड़ा अलग है। 16 दिसंबर, 1971 को बांग्लादेश में 9 महीने चला लिबरेशन वॉर खत्म हुआ था। भारत के साथ 13 दिन चली जंग में पाकिस्तान हार गया और पूर्वी पाकिस्तान की जगह बांग्लादेश बना। इसी की याद में बांग्लादेश और भारत विजय दिवस मनाते हैं।

बांग्लादेश में जमात का इतिहास दागदार, चीन कर रहा है मदद
इस बीच, सड़कों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों का बोलबाला है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग तस्वीर से बाहर है। दो अन्य पार्टियां ढाका की सत्ता पर नजर गड़ाए हैं- खालिदा जिया की बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी। कभी वे सहयोगी हुआ करते थे, लेकिन अब सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। चीन जमातियों और बीएनपी की मेजबानी कर रहा है। जमात का इतिहास दागदार है। यह एक कट्टरपंथी और भारत विरोधी संगठन है। और उसकी राजनीति चरमपंथी है, लेकिन चीन को परवाह नहीं। बीएनपी चीन की पुरानी दोस्त है। जब बीएनपी ने बांग्लादेश पर शासन किया, चीन को फायदा हुआ। उन्हें सैन्य सौदे और निवेश के अवसर मिले, और ढाका ने भारत को दूर रखा। दूसरी तरफ, यूनुस का रवैया स्थिति को बद से बदतर कर रहा है। समस्या को स्वीकार करने के बजाय वे भारतीय मीडिया को दोषी ठहरा रहे हैं। बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में भारतीय समाचार चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है और कहा गया है कि उनका कवरेज भड़काऊ है।

जिन्ना को बांग्लादेश का ‘राष्ट्रपिता’ घोषित तक करने की मांग उठी
बांग्लादेश की केयरटेकर सरकार ने भारत के चिर-विरोधी पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए वीजा सिक्योरिटी क्लियरेंस को खत्म कर दिया है। 2019 में शेख हसीना की सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य किया था। इस सर्टिफिकेट के बिना वीजा नहीं मिल सकता था। लेकिन अब यह प्रोसेस खत्म कर दिया गया है। यहां तक कि बांग्लादेश में 50 सालों में पहली बार ढाका के नेशनल क्लब ने जिन्ना की 76वीं सालगिरह भी मनाई थी। इस जश्न में पाकिस्तान के डिप्टी हाई कमिश्नर कामरान धंगल और यूनुस सरकार के कई लोग भी शामिल हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें जिन्ना को बांग्लादेश का ‘राष्ट्रपिता’ घोषित तक करने की मांग की गई। इससे पहले नवंबर 2024 में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधे समुद्री संपर्क की शुरुआत हुई थी। पाकिस्तान के कराची से एक कार्गो शिप बंगाल की खाड़ी होते हुए बांग्लादेश के चटगांव पोर्ट पर पहुंचा था। तब ढाका में मौजूद पाकिस्तान के राजदूत सैयद अहमद मारूफ ने कहा था कि यह शुरुआत पूरे बांग्लादेश में व्यापार को बढ़ावा देने में एक बड़ा कदम है।

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