प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए। संसद भवन परिसर में सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ‘पिछले कई दशकों में नेताजी की साख हमारे बीच के ही कुछ नेताओं के बर्ताव की वजह से कठघरे में है। हमें जनता को ये भरोसा दिलाना ही होगा कि हर नेता दागी नहीं, हर नेता पैसे के पीछे नहीं भागता। इसलिए सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता के साथ ही भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई भी आवश्यक है।’
उन्होंने कहा कि, ‘हर राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है कि वो अपने बीच मौजूद ऐसे नेताओंको पहचाने और उन्हें अपने दल की राजनीतिक यात्रा से अलग करता चले। कानून अगर अपना काम कर रहा है तो सियासी साजिश की बात करके बचने का रास्ता देख रहे लोगों के प्रति हमें एकजुट होकर काम करना होगा। जिन लोगों ने देश को लूटा है, उनके साथ खड़े रह कर देश को कुछ हासिल नहीं होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ‘सोमवार से मॉनसून सत्र का प्रारंभ हो रहा है। आज समय की मांग है कि समय का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो। एक-दो अपवादों को छोड़ दें तो पिछले तीन वर्षों मे लगभग हर सत्र में संसदीय प्रोडक्टिविटी में काफी बढ़ोतरी हुई है। मैं इसके लिए हर राजनीतिक दल को धन्यवाद देता हूं। मुझे उम्मीद है कि मॉनसून सत्र में भी समय का सदुपयोग किया जाएगा और ये सत्र प्रोडक्टिविटी के मामले में रिकार्ड बनाएगा। इसके लिए सभी दलों की सहभागिता आवश्यक है।’

जीएसटी के लिए आभार
जीएसटी के लिए आभार जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि,’ जीएसटी के समय जिस तरह से सभी राजनीतिक दल एकसाथ आए, उसके लिए मैं एक बार फिर आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं। जीएसटी लागू हुए 15 दिन से ज्यादा हो रहे हैं और इन 15 दिनों में ही सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। कई राज्यों के बॉर्डर से चुंगी हट चुकी है और ट्रकों की आवाजाही आसान हुई है। राज्य सरकारों के सहयोग से केन्द्र सरकार प्रयास कर रही है कि जिन व्यापारियों ने अब भी जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वो जल्द से जल्द इस प्रकिया को पूरा करें।’
बजट सत्र बुलाने का परिणाम
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि, ‘पिछला बजट सत्र लगभग एक महीना पहले बुलाया गया था। सभी राजनीतिक दलों ने इसमें सहयोग किया था। मैं आप सभी को इसके बेहद सकारात्मक परिणाम बताना चाहता हूं। बजट की पूरी प्रक्रिया एक महीना पहले करने का असर ये हुआ कि मॉनसून से पहले ही अधिकांश विभागों के पास उनकी योजनाओं के लिए तय राशि पहुंच गई। पहले होता ये था कि विभागों तक तय योजनाओं का पैसा पहुंचने में दो-तीन महीने लग जाते थे। मॉनसून की वजह से और देरी होती थी। इस बार ऐसा नहीं हुआ है और मार्च के बाद जो लैग पीरियड होता था, वैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। इस वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों को पूरा करने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय मिल गया है।
उन्होंने कहा कि, ‘कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अप्रैल जून के मुकाबले इस बार 30 प्रतिशत ज्यादा राशि खर्च की गई है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्टों में इस बार Capital expenditure पिछले साल के मुकाबले 49 प्रतिशत बढ़ा है। योजनाओं पर पैसा खर्च करने का जो ट्रेंड सामने आ रहा है, उससे ये तय है कि अब पूरे साल भर एक संतुलित तरीके से योजनाओं पर तय राशि खर्च होगी। जबकि पहले मॉनसून खत्म होने के बाद खर्च शुरू होते थे और फिर उस पैसे को मार्च से पहले खत्म करने का दबाव बढ़ जाता था। ये व्यवस्था में कई तरह की गड़बडि़यों की भी वजह था।’
उत्तर-पूर्वी राज्यों में बाढ़ पर
उत्तर-पूर्वी राज्यों में बाढ़ पर प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘देश के कई हिस्सों में और विशेषकर उत्तर पूर्व के राज्यों में बाढ़ और बारिश की वजह से संकट के हालात बने हुए हैं। केंद्र सरकार राज्यों के संपर्क में है और इस पर लगातार नजर रख रही है। एनडीआरएफ समेत केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियां बाढ़ राहत के कार्य में जुटी हुई हैं। राज्य सरकारें को कहा गया है कि वो किसी भी तरह की आवश्यकता पड़ने पर तुरंत बताएं।’
आतंकवाद पर सख्ती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘कुछ दिन पहले अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादी हमले से पूरा देश सदमे मे हैं। मैं इस हमले में अपनी जान गंवाने वाल श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि देता हूं और मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ है। सरकार इस हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों को सजा देकर ही रहेगी। जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए और देश विरोधी ताकतों को जड़ से खत्म करने के लिए हम सब पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। नीतियों को लेकर अटल जी ने जो मार्ग तया किया था, ये सरकार उसी पर चल रही है।’
गौरक्षा के नाम पर हिंसा कर रहे लोगों पर सख्ती दिखाएं राज्य सरकारें
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों से कहा कि वे गौरक्षा के नाम पर हिंसा कर रहे लोगों पर सख्ती दिखाएं। उन्होंने कहा कि, ‘रक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है। इसका फायदा देश में सौहार्द बिगाड़ने में लगे लोग भी उठा रहे हैं। देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है। राज्य सरकारों को ऐसे असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। गाय को हमारे यहां माता माना जाता है। लोगों की भावनाएं गाय से जुड़ी हुई हैं। लेकिन लोगों को ये भी याद रखना चाहिए कि गाय की रक्षा के लिए कानून है और कानून तोड़ना कोई विकल्प नहीं। कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही है, राज्य सरकारों को इनसे सख्ती से निपटना चाहिए। राज्य सरकारें को ये भी देखना चाहिए कि कहीं कुछ लोग गौरक्षा के नाम पर अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी का बदला तो नहीं ले रहे। हम सभी राजनितिक दलों को गौरक्षा के नाम पर हो रही इस गुंडागर्दी की कड़ी भर्त्सना करनी चाहिए।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ‘9 अगस्त को भारत छोड़ो आन्दोलन के 75 वर्ष हो रहे हैं, हमें इस पर संसद में चर्चा करनी चाहिए।’ साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘राष्ट्रपति चुनाव आम सहमति से होता तो अच्छा होता। इसके बावजूद चुनाव अभियान का गरिमा और शालीनता के साथ होना संतोष की बात है। इसके लिए सभी दल बधाई के पात्र हैं। सभी पार्टियां अपने सांसदों-विधायकों को मतदान हेतू प्रशिक्षित करें ताकि एक भी वोट खराब न हो।’









