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प्रधानमंत्री मोदी: वैश्विक मंच पर सबसे प्रभावशाली और लोकप्रिय नेता की साथ हुई और मजबूत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल के वर्षों में न सिर्फ भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान और साख बनाई है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मिली जोरदार कामयाबी के बाद उनकी छवि एक मजबूत, निर्णायक और विश्वसनीय वैश्विक नेता के रूप में और भी सशक्त हुई है। पीएम मोदी आज न केवल भारत के, बल्कि विश्व राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार हैं। आइए जानते हैं कि कैसे पीएम मोदी वैश्विक स्तर पर एक बड़े नेता के तौर पर स्थापित हुए हैं-

निर्णायक नेतृत्व की छवि
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बिना किसी बाहरी मदद के सटीक और साहसिक कार्रवाई की। इसने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला या ‘सुनने वाला’ देश नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर ‘नेतृत्व करने वाला’ और निर्णायक भूमिका निभाने वाला राष्ट्र बन चुका है। भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भरता की यह मिसाल अंतरराष्ट्रीय मीडिया और कूटनीतिक हलकों में सराही गई। आतंकवाद के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाई को न सिर्फ वैश्विक समर्थन मिला, बल्कि इसने भारत को वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी नीति में अग्रणी बना दिया।

भारत की वैश्विक छवि में बदलाव
ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखा दिया है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत अब वैश्विक एजेंडा तय करने वाला नेतृत्वकर्ता बन चुका है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल कर अपनी तकनीकी और रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया, जिससे अमेरिका, चीन और तुर्किए जैसे देशों में भी हलचल मच गई। भारत ने इस सफलता की ब्रीफिंग के लिए 70 देशों के डिफेंस अटैशे को आमंत्रित किया, जिससे उसकी कूटनीतिक ताकत और आत्मविश्वास का संदेश गया। अब जलवायु परिवर्तन, डिजिटल टेक्नोलॉजी, वैश्विक व्यापार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत को केंद्रीय भूमिका मिल रही है- चाहे वह इंटरनेशनल सोलर अलायंस का नेतृत्व हो, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का वैश्विक मॉडल हो या वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी। इस बदलाव के केंद्र में मजबूत नेतृत्व, आत्मनिर्भरता, और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती स्वीकार्यता है, जिससे भारत की छवि एक निर्णायक, नवाचारशील और जिम्मेदार शक्ति के रूप में स्थापित हो गई

आतंकवाद पर वैश्विक सहमति बनाना
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार आवाज बुलंद की। उनकी सक्रिय कूटनीति के चलते फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला, जिससे उस पर वैश्विक दबाव बढ़ा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के आतंकवाद विरोधी प्रस्तावों को अमेरिका, फ्रांस, रूस जैसे प्रमुख देशों का समर्थन मिला। इसके अलावा, जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने में भी भारत ने निर्णायक भूमिका निभाई। पीएम मोदी की रणनीति ने आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व समुदाय को एकजुट किया और भारत की सुरक्षा चिंताओं को वैश्विक प्राथमिकता में शामिल कराया।

रक्षा और रणनीतिक साझेदारियां
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इजरायल जैसे देशों के साथ रक्षा सहयोग और रणनीतिक साझेदारियों को नई ऊंचाई दी। इन साझेदारियों के तहत भारत ने अत्याधुनिक रक्षा तकनीक, सैन्य हार्डवेयर और इंटेलिजेंस शेयरिंग में उल्लेखनीय प्रगति की। अमेरिका के साथ 2+2 संवाद, लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज एग्रीमेंट (LEMOA), COMCASA और BECA जैसे समझौतों ने दोनों देशों के सैन्य सहयोग को अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचाया। फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमानों की डील, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड (QUAD) समूह की सक्रियता, और मालाबार नेवल एक्सरसाइज जैसे साझा अभ्यासों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया। इन साझेदारियों के चलते भारत न केवल अपनी रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बना सका, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और शांति के लिए भी एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में उभरा।

वैश्विक संकटों में नेतृत्व
कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, अफगानिस्तान संकट जैसे वैश्विक मुद्दों पर मोदी सरकार ने न सिर्फ भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि कई देशों को दवाइयां, वैक्सीन और राहत सामग्री भेजकर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उदाहरण पेश किया। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ के जरिए दुनिया के दर्जनों देशों को वैक्सीन भेजी। इससे भारत की छवि ‘वैश्विक संकट में मददगार’ देश के रूप में उभरी।

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत से मध्यस्थता की अपील की। अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि भारत के रूस के साथ मजबूत संबंध हैं और वह युद्ध रोकवाने में अहम भूमिका निभा सकता है। भारत ने युद्ध के दौरान न केवल दोनों पक्षों के साथ संवाद बनाए रखा, बल्कि मानवीय सहायता और शांति प्रयासों में भी सक्रिय योगदान दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने संघर्ष के दौरान रूस और यूक्रेन दोनों देश की यात्रा भी की। इससे साफ है कि भारत की कूटनीतिक विश्वसनीयता और पीएम मोदी की व्यक्तिगत साख कितनी बढ़ चुकी है, क्योंकि आज वैश्विक शक्तियां भी जटिल अंतरराष्ट्रीय संकटों में भारत के नेतृत्व और संतुलनकारी भूमिका को स्वीकार कर रही हैं।

अमेरिका-रूस-चीन के साथ संतुलन
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका और रूस जैसे परस्पर विरोधी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखे हैं। चीन के साथ सीमा विवाद के बावजूद भारत की स्थिति मजबूत रही है, वहीं अमेरिका और रूस दोनों के साथ रणनीतिक साझेदारी बरकरार है। भारत ने क्वाड (Quad), ब्रिक्स (BRICS) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) दोनों में सक्रिय भागीदारी निभाई, जिससे रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक भरोसा बढ़ा।

इजरायल-फिलिस्तीन जैसे विरोधी देशों के साथ संतुलन
प्रधानमंत्री ने इजरायल-फिलिस्तीन, सऊदी अरब-ईरान जैसे परस्पर विरोधी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए, जिससे भारत की विदेश नीति को विश्व में सम्मान मिला। उन्होंने इजरायल और फिलीस्तीन दोनों के साथ संबंधों को मजबूत किया, जो वैश्विक कूटनीति में एक दुर्लभ उपलब्धि मानी जाती है।

जी20 जैसे मंचों पर भारत का नेतृत्व
जी20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के बाद भारत को वैश्विक आर्थिक और कूटनीतिक मंचों पर एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित किया गया। पीएम मोदी की अगुवाई में भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद की। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका, जापान, रूस, यूएई, फ्रांस सहित कई देशों के बार-बार दौरे किए। UNGA, G20, BRICS, COP समिट्स में भारत की उपस्थिति और नेतृत्व को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली।

भारतीय डायस्पोरा का प्रभावी इस्तेमाल
पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों को भारत की सॉफ्ट पावर के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में पहचाना और हर विदेश दौरे पर उनसे संवाद को प्राथमिकता दी। अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बड़े पैमाने पर भारतीय समुदाय को संबोधित कर उन्होंने भारत की छवि को मजबूत किया। प्रवासी भारतीयों के लिए ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड, प्रवासी भारतीय दिवस जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए, जिससे उनकी भारत से जुड़ाव की भावना और गहरी हुई। मोदी सरकार ने प्रवासी कूटनीति को विदेश नीति का अहम हिस्सा बनाया। प्रवासी भारतीय न सिर्फ अपने मेजबान देशों में भारत के सांस्कृतिक राजदूत बने, बल्कि निवेश, तकनीक और वैश्विक नेटवर्किंग में भी भारत के लिए सेतु का काम कर रहे हैं।

वैश्विक योग दिवस और सांस्कृतिक नेतृत्व
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित होना भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में रिकॉर्ड 177 देशों का समर्थन मिला, जिससे भारत की सांस्कृतिक शक्ति और विश्वसनीयता को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई मिली।
हर साल दुनिया के 190 से ज्यादा देशों में करोड़ों लोग योग दिवस पर योगाभ्यास करते हैं, जिससे भारतीय जीवनशैली और स्वास्थ्य परंपराओं का वैश्विक प्रसार हुआ है। योग दिवस ने न केवल भारत की प्राचीन सभ्यता को आधुनिक संदर्भ में पुनर्स्थापित किया, बल्कि भारत को ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में भी सशक्त किया।इस पहल ने भारत को सांस्कृतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया, जिससे देश की छवि एक प्रेरक, समावेशी और विश्व कल्याण के लिए प्रतिबद्ध राष्ट्र के रूप में और मजबूत हुई है।

आर्थिक और सैन्य शक्ति में उछाल
2024 और 2025 की ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग में भारत लगातार चौथे स्थान पर है, जो उसकी सैन्य शक्ति, आधुनिक हथियारों, विशाल मानव संसाधन और रक्षा बजट की मजबूती को दर्शाता है। इस रैंकिंग में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत को सबसे शक्तिशाली सैन्य शक्ति माना गया है, जिससे उसकी वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक भूमिका और मजबूत हुई है। आर्थिक मोर्चे पर, भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और अगले कुछ वर्षों में टॉप थ्री में पहुंचने की ओर अग्रसर है। इनोवेशन, स्टार्टअप्स और डिजिटल इंडिया जैसी पहलों ने भारत को तकनीकी और आर्थिक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बना दिया है, जिससे वैश्विक निवेशकों और कंपनियों का भरोसा और आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। इन उपलब्धियों के चलते भारत न सिर्फ एशिया, बल्कि वैश्विक मंच पर एक निर्णायक सैन्य और आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित हो गया है।

आर्थिक सुधार और निवेश आकर्षण
‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं ने भारत को वैश्विक निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया। इन पहलों के चलते भारत में विदेशी निवेश (FDI) में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। डिजिटल इंडिया के तहत देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ, जिससे ग्लोबल कंपनियों को भारत में निवेश के नए अवसर मिले और देश की अर्थव्यवस्था को नई पहचान मिली। स्टार्टअप इंडिया के जरिए भारत दुनिया के टॉप स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल हुआ, जिससे युवाओं को रोजगार और नवाचार के अवसर मिले। इन आर्थिक सुधारों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक मंच पर तेजी से उभरी और निवेशकों के लिए भरोसेमंद डेस्टिनेशन बनी।

लगातार सबसे लोकप्रिय वैश्विक नेता
अमेरिकी डेटा रिसर्च एजेंसी मॉर्निंग कंसल्ट की 2025 की ताजा अप्रूवल रेटिंग में पीएम मोदी को 75 प्रतिशत अप्रूवल रेटिंग मिली है, जो उन्हें दुनिया का सबसे लोकप्रिय निर्वाचित नेता बनाती है। वे लगातार इस सूची में शीर्ष पर रहे हैं, जबकि अमेरिका, मैक्सिको, अर्जेंटीना जैसे देशों के नेता उनसे काफी पीछे हैं। यह रेटिंग अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी जैसे 25 देशों के नेताओं के बीच की गई है। इंडिया टुडे-सीवोटर सर्वे में भी 53 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने उन्हें अपनी पहली पसंद बताया, जो विपक्षी नेताओं से कहीं आगे हैं।

व्यक्तिगत करिश्मा और संवाद कौशल
प्रधानमंत्री मोदी की भाषण शैली, सोशल मीडिया उपस्थिति और व्यक्तिगत करिश्मा ने उन्हें युवाओं और वैश्विक नेताओं के बीच लोकप्रिय बनाया है। लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनना और हर बार भारी बहुमत से जीतना, उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। घरेलू स्थिरता ने भी उनकी वैश्विक साख को मजबूत किया है।

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