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नवकार महामंत्र सिर्फ एक मंत्र नहीं है, यह हमारी आस्था का मूल है: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 9 अप्रैल को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नवकार महामंत्र दिवस का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है, ये हमारी आस्था का केंद्र है।’ उन्होंने कहा कि ‘हमारे जीवन का मूल स्वर और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है। जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, प्रत्येक अक्षर भी अपने आपमे एक मंत्र है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘जब हम नवकार महामंत्र बोलते हैं, हम नमन करते हैं 108 दिव्य गुणों का, हम स्मरण करते हैं मानवता का हित, ये मंत्र हमें याद दिलाता है – ज्ञान और कर्म ही जीवन की दिशा है, गुरू ही प्रकाश है और मार्ग वही है जो भीतर से निकलता है। नवकार महामंत्र कहता है, स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुश्मन बाहर नहीं है, दुश्मन भीतर है। नकारात्मक सोच, अविश्वास, वैमन्सय, स्वार्थ, यही वे शत्रु हैं, जिन्हें जीतना ही असली विजय है। और यही कारण है, कि जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं, खुद को जीतने की प्रेरणा देता है। जब हम खुद को जीतते हैं, हम अरिहंत बनते हैं। और इसलिए, नवकार महामंत्र मांग नहीं है, ये मार्ग है। एक ऐसा मार्ग जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है। जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है।’

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘नवकार महामंत्र सही मायने में मानव ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि का मंत्र है। इस मंत्र का एक वैश्विक परिपेक्ष्य है। यह शाश्वत महामंत्र, भारत की अन्य श्रुति–स्मृति परम्पराओं की तरह, पहले सदियों तक मौखिक रूप से, फिर शिलालेखों के माध्यम से और आखिर में प्राकृत पांडुलिपियों के द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा और आज भी ये हमें निरंतर राह दिखाता है। नवकार महामंत्र पंच परमेष्ठी की वंदना के साथ ही सम्यक ज्ञान है। सम्यक दर्शन है। सम्यक चरित्र है और सबसे ऊपर मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘हमारी संस्कृति में 9 का विशेष महत्व है। जैन धर्म में नवकार महामंत्र, नौ तत्व, नौ पुण्य और अन्य परंपराओं में, नौ निधि, नवद्वार, नवग्रह, नवदुर्गा, नवधा भक्ति नौ, हर जगह है। हर संस्कृति में, हर साधना में। जप भी 9 बार या 27, 54, 108 बार, यानि 9 के multiples में ही। क्यों? क्योंकि 9 पूर्णता का प्रतीक है। 9 के बाद सब रिपीट होता है। 9 को किसी से भी गुणा करो, उत्तर का मूल फिर 9 ही होता है। ये सिर्फ math नहीं है, गणित नहीं है। ये दर्शन है। जब हम पूर्णता को पा लेते हैं, तो फिर उसके बाद हमारा मन, हमारा मस्तिष्क स्थिरता के साथ उर्ध्वगामी हो जाता है। नई चीज़ों की इच्छा नहीं रह जाती। प्रगति के बाद भी, हम अपने मूल से दूर नहीं जाते और यही नवकार का महामंत्र का सार है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आज भारत पर दुनिया का विश्वास और भी गहरा हो रहा है। हमारे प्रयास, हमारे परिणाम, अपने आपमें अब प्रेरणा बन रहे हैं। वैश्विक संस्थाएं भारत की ओर देख रही हैं। क्यों? क्योंकि भारत आगे बढ़ा है। और जब हम आगे बढ़ते हैं, ये भारत की विशेषता है, जब भारत आगे बढ़ता है, तो दूसरों के लिए रास्ते खुलते हैं। यही तो जैन धर्म की भावना है। मैं फिर कहूंगा, परस्परोपग्रह जीवानाम्! जीवन आपसी सहयोग से ही चलता है। इसी सोच के कारण भारत से दुनिया की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं।’

प्रधानमंत्री ने नवकार महामंत्र दिवस पर सामूहिक नवकार मंत्र जाप के बाद सभी से नौ संकल्प लेने का आग्रह किया। इनमें पहला संकल्प ‘जल संरक्षण’ था। दूसरा संकल्प ‘एक पेड़ मां के नाम पर लगाने’ का है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरे संकल्प के रूप में ‘स्वच्छता मिशन’ का जिक्र किया। ‘वोकल फॉर लोकल’ चौथा संकल्प है, पांचवां संकल्प ‘भारत की खोज’ है और उन्होंने लोगों से विदेश यात्रा करने से पहले भारत के विविध राज्यों, संस्कृतियों और क्षेत्रों का पता लगाने का आग्रह किया। ‘प्राकृतिक खेती को अपनाना’ छठा संकल्प है।

उन्होंने सातवें संकल्प के रूप में ‘स्वस्थ जीवन शैली’ का प्रस्ताव रखा। उन्होंने आठवें संकल्प के रूप में ‘योग और खेल को शामिल करना’ प्रस्तावित किया। उन्होंने सेवा के सच्चे सार के रूप में ‘गरीबों की सहायता’ को नौवें और अंतिम संकल्प के रूप में प्रस्तावित किया। उन्होंने कहा कि ये संकल्प जैन धर्म के सिद्धांतों और एक स्थायी एवं सामंजस्यपूर्ण भविष्य के दृष्टिकोण से सामंजस्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि ये नौ संकल्प व्यक्तियों में नई ऊर्जा भरेंगे और युवा पीढ़ी को एक नई दिशा प्रदान करेंगे। इनके कार्यान्वयन से समाज में शांति, सद्भाव और करुणा को बढ़ावा मिलेगा।

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