जिस प्रकार मजबूत इमारत के लिए नींव का ठोस होना जरूरी है, उसी प्रकार शक्तिशाली भारत के लिए पोषित बचपन भी जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। इसलिए मोदी सरकार ने बच्चों और माताओं को संतुलित आहार और पोषण पर विशेष ध्यान दिया है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार यानी 1 अगस्त, 2019 से शुरू हुए पोषण अभियान का समर्थन करने का लोगों से अपील की। इस साल सितंबर महीने को ‘पोषण माह’ के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने पोषण माह को महिलाओं और बच्चों का सेहतमंद भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक सराहनीय पहल बताया। उन्होंने सभी तबके के लोगों से इस असाधारण कदम का समर्थन करने का अनुरोध किया। उन्होंने इस सिलसिले में अपना संदेश ‘पोषण माह’ हैशटैग के साथ ट्वीट किया।
#PoshanMaah2019 is a commendable initiative to ensure a healthier future for our Nari Shakti and Yuva Shakti. I urge people from all walks of life to support this exceptional endeavour. @MinistryWCD https://t.co/wnT9e2h1B6
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2019
जनभागीदारी से कुपोषण का मुकाबला करने पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अगस्त, 2019 को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में सभी को संतुलित पोषक आहार मुहैया कराने और जनभागीदारी से कुपोषण का मुकाबला करने पर जोर दिया। उन्होंने पोषण आहार के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सितंबर माह को पोषण अभियान के रूप में मनाने का ऐलान करते हुए लोगों से इससे जुड़ने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि साथियों, कई छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे हम कुपोषण के खिलाफ़ एक प्रभावी लड़ाई लड़ सकते हैं। आज, जागरूकता के आभाव में कुपोषण से ग़रीब भी, और संपन्न भी प्रभावित हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ‘पोषण अभियान’ के अंतर्गत पूरे देशभर में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पोषण को जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है। लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हालिया ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में कहा था कि जागरूकता की कमी के चलते गरीब और अमीर, दोनों तरह के लोग कुपोषण की समस्या का सामना कर रहे हैं। 2018 में शुरू किया गया पोषण अभियान एक बहु-मंत्रालयी मिशन है, जिसका लक्ष्य 2022 तक लक्षित रूख के साथ कुपोषण का समाधान करना है।
संतुलित और पौष्टिक भोजन हम सभी के लिए जरूरी
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि संतुलित और पौष्टिक भोजन हम सभी के लिए जरूरी है, विशेष रूप में महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, क्योंकि यही हमारे समाज के भविष्य की नींव है, देश भर में पोषण अभियान को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों से जन आंदोलन बनाया जा रहा है।
संतुलित और पौष्टिक भोजन हम सभी के लिए जरूरी है, विशेष रूप में महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, क्योंकि यही हमारे समाज के भविष्य की नींव है, देश भर में #POSHANAbhiyaan को आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीकों से जन आंदोलन बनाया जा रहा है: पीएम श्री @narendramodi जी।#PoshanMaah2019 pic.twitter.com/emIL4tdwef
— Ministry of WCD (@MinistryWCD) September 2, 2019
पोषण अभियान में पांच सूत्रों के माध्यम से संंदेश
इससे पहले, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित सभी पक्षों से प्रत्येक घर तक पहुंच कर पांच मंत्रों का संदेश देने कि अपील की थी। इन मंत्रों में शिशु के पहले एक हजार दिनों का महत्व और रक्त की कमी तथा डायरिया की रोकथाम किये जाने का उल्लेख किया गया है। ईरानी ने कहा कि आगामी पोषण अभियान में पांच सूत्रों को हम हर घर तक ले जाना चाहते हैं। जिसमें जीवन के प्रथम एक हजार दिन, ऊपरी आहार, एनीमिया की रोक, दस्त प्रबंधन, साफ-सफाई व स्वच्छता पर कार्य करने का संदेश शामिल है।
पोषण अभियान को मिल रहा राज्यों का समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी ट्वीट किया और अपने राज्यों में पोषण अभियान शुरू होने के बारे में जानकारी दी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य में लागू किया जा रहा पोषण अभियान बाल स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में नागरिकों से आगे आने और कम से कम एक व्यक्ति को कुपोषण से लड़ने में मदद करने की अपील की
आइये,हम सब मिल कर ‘POSHAN Andolan’ और ‘POSHAN Maah’ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और इसे एक ‘जन आन्दोलन’ बनाएं।#PoshanMaah2019
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 1, 2019
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि आगामी पोषण अभियान में पांच सूत्रों को हम हर घर ले जाना चाहते हैं।
POSHAN KE PAANCH SUTRA
Journey of the first 1000 Days of a Child, Anemia Mukt Bharat, Diarrhoea Prevention, WASH – (Wash, Sanitation & Hygiene) & Paushtik Aahaar#PoshanMaah2019 pic.twitter.com/nAIQZTUKf9
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) September 1, 2019
झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा कि पौष्टिक आहार सभी बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है और इसके लिए राज्य सरकार दृढ़ संकल्प है। उन्होंने लोगों से इस अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की।
झारखण्ड में आज से पोषण माह का शुभारंभ हुआ है। आप सभी से अपील है कि उचित पोषण पर ध्यान दें, बच्चों को पौष्टिक आहार दें। पोषण माह के दौरान राज्य भर में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है, इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लें।#PoshanMaah2019 pic.twitter.com/qGxKWExhXv
— Raghubar Das (@dasraghubar) September 1, 2019
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में साथ आने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस जन आंदोलन में हम महिलाओं और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित, सस्ता और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित कर सकते हैं।
This September #PoshanMaah2019, let us all join hands in the fight against malnutrition. In this Jan Andolan, let us ensure safe, affordable and nutritious food for the health of women and the child.#nationalnutritionweek pic.twitter.com/LchPoVxbYd
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) September 1, 2019
बॉलीवुड ने पीएम मोदी की अपील का किया स्वागत
पीएम मोदी के पोषण अभियान में शामिल होने और इसे जन आंदलोन बनाने की अपील का बॉलीवुड ने भी स्वागत किया है। मशहूर अभिनेता अनिल कपूर ने ट्वीट कर कहा कि इस पोषण अभियान में हम सभी को हिस्सा लेने की जरूरत है। वहीं अभिनेत्री रवीना टंडन ने भी जागरूकता फैलाने और कुपोषण के खिलाफ इस लड़ाई में सरकार का समर्थन करने की बात कही।
Taking what PM @narendramodi Ji said forward, I really believe we all need to be a part of #PoshanMaah2019. September is celebrated as POSHAN Maah & it’s time we focus on spreading awareness & importance about 5 POSHAN Ke 5 Sutra@MinistryWCD, @POSHAN_Official @smritiirani pic.twitter.com/mXf9kWeGWw
— Anil Kapoor (@AnilKapoor) September 1, 2019
This National Nutrition Month, support the Government to spread awareness & fight against Malnutrition with #PoshanMaah2019! @NarendraModi @smritiirani @MinistryWCD @Poshan_Official pic.twitter.com/msxeD9UB2J
— Raveena Tandon (@TandonRaveena) September 1, 2019
2022 तक कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य
पोषण अभियान को मार्च 2018 में राजस्थान के झुंझुनू में शुरू किया गया था। इसके तहत 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार पोषण अभियान चला रही है। दिसंबर, 2017 में देश को कुपोषण से मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय पोषण मिशन की स्थापना को मंजूरी दी गई। अगले तीन वर्षों के लिए मिशन के तहत 9046.17 करोड़ रुपये खर्च करने और सभी राज्यों और जिलों को चरणबद्ध रूप से यानी 2017-18 में 315 जिले, वर्ष 2018-19 में 235 जिले तथा 2019-20 में शेष जिलों को इसमें शामिल करने का प्रावधान किया गया।

इस कार्यक्रम के जरिये ठिगनेपन, अल्प पोषाहार, रक्त की कमी तथा जन्म के समय बच्चे के वजन कम होने के स्तर में कमी के उपाय तलाशे जाएंगे। इससे बेहतर निगरानी, समय पर कार्यवाही के लिए सावधानी जारी करने में तालमेल बिठाने तथा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मंत्रालय और राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को कार्य करने, मार्गदर्शन एवं निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
महिला और बाल विकास मंत्रालय का फ्लैगशिप कार्यक्रम
यह महिला और बाल विकास मंत्रालय का फ्लैगशिप कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम आंगनबाड़ी सेवा, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मनरेगा से जुड़ा है। आंगनबाड़ी के कर्मियों को इस योजना के तहत घर-घर जाकर सही जानकारी हासिल करने, उसकी सही सूची बनाने, कुपोषण से अवगत कराना, जैसे कार्यों के लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि प्रदान किए जाते हैं।
राष्ट्रीय पोषण मिशन की मुख्य बातें:
1. एनएनएम एक शीर्षस्थ निकाय के रूप में मंत्रालयों के पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, लक्ष्य निर्धारित करने तथा मार्गदर्शन करेगा।
2. इस प्रस्ताव में निम्नलिखित सम्मिलित है:
*कुपोषण का समाधान करने हेतु विभिन्न स्कीमों के योगदान का प्रतिचित्रण।
*अत्यधिक मजबूत अभिसरण तंत्र प्रारंभ करना।
*आईसीटी आधारित वास्तविक समय निगरानी प्रणाली।
*लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना।
*आईटी आधारित उपकरणों के प्रयोग के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करना।
*आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा रजिस्टरों के प्रयोग को समाप्त करना।
*आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों की ऊंचाई के मापन प्रारंभ करना।
*सामाजिक लेखा परीक्षा।
*लोगों को जन आंदोलन के जरिए पोषण पर विभिन्न गतिविधियों आदि के माध्यम से शामिल करना, पोषण संसाधन केंद्रों की स्थापना करना इत्यादि शामिल है।
राष्ट्रीय पोषण अभियान का उद्देश्य
*इस योजना के तहत बच्चो ( 0-6 वर्ष ) मे ठिगनेपन ( Dwarfishness ) को कम करना।
*बच्चो ( 0-6 वर्ष ) मे कुपोषण के कारण वजन की कमी की समस्या मे कमी लाना।
* छोटे बच्चो मे रक्ताल्पता – रक्त की कमी ( Anemia ) की समस्या मे कमी लाना।
* 15-49 आयु वर्ग की किशोरियों एवम महिलाओ मे रक्ताल्पता – रक्त की कमी ( Anemia ) की समस्या मे कमी लाना।
* नवजात शिशु के जन्म के समय वजन मे कमी की समस्या मे कमी लाना।
राष्ट्रीय पोषण अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका है। आइए एक नजर डालते हैं मोदी सरकार के उन कदमों पर जिसने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सक्षम बनाया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक एक साल पहले सितंबर, 2018 में देश की आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से नरेन्द्र मोदी ऐप के माध्यम से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं के लिए केंद्रीय प्रोत्साहन राशि दोगुनी करने की घोषणा की। इसी के साथ आशा हेल्पर को चार लाख का मुफ्त बीमा कवर देने की सुविधा का भी एलान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और जीवन सुरक्षा योजना की प्रीमियम राशि केंद्र सरकार भरेगी।
पीएम मोदी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को केंद्र की ओर से मिलने वाली मानदेय राशि बढ़ाने की भी घोषणा की। अब उन्हें 3000 की जगह 4500 रुपये, 2250 की जगह 3500 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा आंगन बाड़ी सहायिकाओं को 1500 की जगह 2250 रुपये मिलने लगे हैं।
इस मौके पर कहा कि कमजोर नींव पर मजबूत इमारत का निर्माण नहीं हो सकता। इसी प्रकार यदि देश का बचपन कमजोर रहेगा तो उसके विकास की गति धीमी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कि देश को इस हालात से बाहर निकालने के लिए 2014 के बाद हमने नई रणनीति के तहत काम करना शुरू किया है। इसके तहत टीकाकरण अभियान को दूर-दराज के इलाकों में बढ़ाने का काम किया है। पीएम मोदी ने जानकारी दी कि 3 करोड़ से अधिक बच्चों और 85 लाख से ज्यादा महिलाओं का टीकाकरण कराया गया है।
पोषण पर ध्यान दे रही है केंद्र सरकार
पीएम मोदी ने कहा सरकार पोषण और स्वास्थ्य की गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर ध्यान देगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सुपोषण स्वास्थ्य मेले का आयोजन होता है। मेले के दौरान कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण, ग्राम स्तर पर सामुदायिक बैठकों का आयोजन और कुपोषित बच्चों के घर भ्रमण करते हुए परामर्श का काम।
शिशु के लिए जीवन के पहले एक हजार दिन आवश्यक
पीएम ने कहा कि किसी भी शिशु के लिए जीवन के पहले एक हजार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान मिला पौष्टिक आहार, खान-पान की आदतें ये तय करती हैं कि उसका शरीर कैसा बनेगा, पढ़ने-लिखने में वो कैसा होगा, मानसिक रूप से कितना मजबूत होगा। यदि देश का नागरिक सही से पोषित होगा, विकसित होगा तो देश के विकास को कोई नहीं रोक सकता है। लिहाजा शुरुआती हजार दिनों में देश के भविष्य की सुरक्षा का एक मजबूत तंत्र विकसित करने का प्रयास हो रहा है।
सुरक्षित मातृत्व अभियान की जानकारी पहुंचाना जरूरी
पीएम मोदी ने कहा बच्चे की ही नहीं बल्कि प्रसूता माता के स्वास्थ्य की भी आप सभी चिंता कर रहे हैं। सुरक्षित मातृत्व अभियान जो सरकार ने चलाया है उसकी अधिक से अधिक जानकारी आपको लोगों तक पहुंचानी है। पहले जन्म के 42 दिन तक आशा वर्कर को 6 बार बच्चे के घर जाना होता था। अब 15 महीने तक 11 बार आपको बच्चे का हालचाल जानना जरूरी है। मुझे विश्वास है कि आपके स्नेह और अपनेपन से एक से एक बेहतरीन नागरिक देश को मिलेंगे।
होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर से हो रही बच्चों की देखभाल
पीएम ने कार्यकर्ताओं के काम की सराहना करते हुए कहा कि आपको ये भी जानकारी है कि होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर के माध्यम से आप हर वर्ष देश के लगभग सवा करोड़ बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। आपकी मेहनत से ये कार्यक्रम सफल हो रहा है, जिसके कारण इसको और विस्तार दिया गया है। अब इसको होम बेस्ड चाइल्ड केयर का नाम दिया गया है।
एनीमिया मुक्त भारत अभियान का संकल्प
एनीमिया हर वर्ष सिर्फ एक प्रतिशत की दर से घट रही है। राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत इस गति को तीन गुना किया जाए। ‘एनीमिया मुक्त भारत’ के इस संकल्प को आप सभी पूरी ताकत से पूरा करने वाले हैं। एनीमिया से मुक्ति का मतलब लाखों गर्भवती महिलाओं और बच्चों को जीवन दान।
लोगों को डबल फोर्टिफाइड नमक के लिए करना है जागरुक
पीएम ने सभी कार्यकर्ताओं को आयोडीन और आयरन युक्त डबल फोर्टिफाइड नमक के इस्तेमाल के लिए लोगों को और जागरूक करने को कहा ताकि एनीमिया जैसी बीमारियों को दूर किया जा सके। देश में काफी संख्या में लोग एनीमिया के शिकार हैं। ये बीमारी आयोडीन और आयरन जैसे तत्वों की कमी से होती है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग बढ़ा है।
मातृत्व वंदना योजना से जच्चा-बच्चा को भरपूर फायदा
कर्नाटक की मलम्मा ने पीएम को बताया कि प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना से मां और बच्चों को भरपूर फायदा हो रहा है। इस योजना से मां और बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद मिल रही है। पीएम ने कहा मैं देश के उन हजारों-लाखों डॉक्टरों का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जो बिना कोई फीस लिए, गर्भवती महिलाओं की जांच कर रहे हैं।