प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। किसानों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई- PMFBY) ने देश के कृषि के सुरक्षा दायरे को एकदम से बदल दिया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से हमारे किसान भाई-बहनों के चेहरे पर एक नई मुस्कान बिखेरी है। पीएम फसल बीमा योजना अब दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बन गई है और इसका कारण है किसानों का विश्वास और सरकार की प्रतिबद्धता। यह योजना अब सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा नहीं करती, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाती है, उन्हें जोखिम लेने की हिम्मत देती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों का हमसफर मोदी सरकार ने इस योजना को 13 जनवरी, 2016 को लागू किया था। देश के किसानों को हर साल बाढ़, आंधी, तेज बारिश के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ता है। फसल बीमा योजना के तहत किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल में हुई हानि पर बीमा कवर देने का प्रावधान किया गया है, यानि किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब होने पर प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक हुई हानि कम कराएगी। प्रीमियम राशि को प्रत्येक किसान की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए काफी कम रखा गया है।
इस योजना के तहत किसान को अपने फसल बीमा के लिए बहुत कम प्रीमियम देना होता है। खरीफ फसलों के लिए सिर्फ 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी व वाणिज्यिक फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम देना होता है। बाकी का 95-98.5 प्रतिशत प्रीमियम सरकार देती है। यानी एक तरह से किसान को बहुत कम राशि में बहुत बड़ी सुरक्षा मिलती है।
यह योजना अब समय पर मुआवजा सुनिश्चित करती है और किसानों की आय को स्थिर करती है। योजना की कुछ प्रमुख विशेषताओं में किसानों का आसानी से नाम लिखने के लिए पीएमएफबीवाई पोर्टल, फसल बीमा मोबाइल ऐप को भूमि रिकॉर्ड से जोड़ना, फसल नुकसान का आकलन करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी, रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी, ड्रोन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल शामिल है। यह योजना फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से किसी भी घटना के होने के 72 घंटों के भीतर किसान के लिए फसल नुकसान की रिपोर्ट करना आसान बनाती है।
भारत का किसान हर मौसम में, हर परिस्थिति में खेत में डटा रहता है। उसके लिए खेत सिर्फ जमीन नहीं, बल्कि जिन्दगी होती है। लेकिन जब कभी तूफान, सूखा या बाढ़ आती है, तो उसकी पूरी मेहनत पानी में बह जाती है। ऐसे में, सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) एक ऐसा सहारा बनकर उभरी है, जिसने खेती को सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि सुरक्षित भविष्य का जरिया बना दिया है।
क्या-क्या कवर होता है इस योजना में? -सूखा, बाढ़, तूफान, ओलावृष्टि, कीट, रोग – सभी प्राकृतिक आपदाएं -बुवाई न हो पाने की स्थिति (रुकी हुई बुवाई) -कटाई के बाद की क्षति (जैसे तूफान से खेत में पड़ी फसल नष्ट हो जाए) -स्थानीय आपदाएं (जैसे एक ही गांव में भूस्खलन या ओलावृष्टि) इसका मतलब है कि खेती के हर पड़ाव पर बीमा कवरेज मौजूद है।
वर्ष 2016 से पीएमएफबीवाई के तहत 78.41 करोड़ किसान आवेदनों का बीमा किया गया और 1.83 लाख करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया।वहीं, पंजीकृत किसानों की कुल संख्या 2022-23 में 3.17 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 4.19 करोड़ हो गई, यानी इस आंकड़े में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गैर-ऋणधारी किसानों की भागीदारी 2014-15 के 20 लाख से बढ़कर अब 5.22 करोड़ हो गई है, जो दिखाता है कि किसान अब खुद आगे आकर योजना से जुड़ रहे हैं।
फोटो- पीआईबी
राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) से अब पंजीकरण और भुगतान की प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान के तहत किसानों को उनके गांव में ही बीमा की पॉलिसी रसीद दी जाती है। यदि दावे का भुगतान देर से होता है, तो अब 12 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज भी किसानों को मिलेगा। 14447 टोल-फ्री हेल्पलाइन और KRPH पोर्टल किसानों की शिकायतों का समाधान तय समय में करता है।
योजना की सफलता को देखते हुए सरकार ने इसे 2025-26 तक विस्तार देने का फैसला लिया है, जिसके लिए 69,515 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इसके साथ ही मौसम आधारित बीमा योजना (RWBCIS) को भी जारी रखा गया है ताकि हर जोखिम का समाधान एक छत के नीचे मिल सके।
कृषि अब ‘किस्मत’ का खेल नहीं, बल्कि प्रबंधन और तकनीक की मदद से सुनियोजित व्यवसाय बनती जा रही है – और पीएमएफबीवाई इस बदलाव का सबसे अहम हिस्सा है। यदि आप किसान हैं और आपने अब तक फसल बीमा नहीं लिया है, तो जल्द ही https://pmfby.gov.in पर जाकर या नजदीकी CSC सेंटर पर जाकर आवेदन करें। सहायता के लिए टोलफ्री नंबर 14447 पर कॉल करें।
पीएम मोदी ने 2013 की यूपीए सरकार की तुलना में अब किसानों के लिए पांच गुना से ज्यादा बजट आवंटन किया है। बीते 11 साल के कार्यकाल में उन्होंने किसानों, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। यहां हम किसानों का जीवन आसान बना रहीं 11 बड़ी योजनाओं पर एक नजर डालते हैं…
पीएम किसान सम्मान निधि में 3.68 लाख करोड़ खातों में ट्रांसफर
मोदी सरकार ने अन्नदाताओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना फरवरी 2019 में शुरू की थी। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को 2-2 हजार रुपए की तीन किस्तें दी जाती हैं। यह राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों जमा कर दी जाती है।
पीएम किसान मानधन योजना
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई) सितंबर 2019 को शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के सभी लघु और सीमांत किसानों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, खासकर उनके बुढ़ापे में वित्तीय सहायता सुनिश्चित करना है। इसका लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन लाभ प्रदान करना है। पीएम केएमवाई छोटे और सीमांत किसानों के लिए है, जिनकी प्रवेश आयु 18 से 40 वर्ष के बीच है, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक खेती योग्य भूमि है। इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद 3,000/- रुपये मासिक पेंशन प्रदान करना है।
मोदी सरकार लगातार फसलों की एमएसपी तय करके किसानों दे रही गारंटी
मोदी सरकार लगातार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करके किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करा रही है, ताकि वे बाजार में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचे रहें। मोदी सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी फसलों के लिए एमएसपी उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना हो। बाजरा में सबसे अधिक मार्जिन (63%) अनुमानित है, इसके बाद मक्का और तुअर (59%) और उड़द (53%) हैं। अन्य फसलों के लिए मार्जिन 50% के आसपास रखा गया है। यह नीति किसानों को उनकी लागत पर उचित लाभ सुनिश्चित करती है। एमएसपी तय करते समय, सरकार ने सभी भुगतान लागतों (A2) जैसे बीज, उर्वरक, श्रम, और किराए पर ली गई भूमि, साथ ही पारिवारिक श्रम (FL) और पूंजी पर ब्याज जैसे कारकों को ध्यान में रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 28 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी।
फसल नया एमएसपी बढ़ोतरी लागत पर कितना
प्रतिशत लाभ
धान (सामान्य) 2,369 69 50
ज्वार (हाइब्रिड) 3,699 328 50
बाजरा 2,775 150 63
रागी 4,886 596 50
मक्का 2,400 175 59
तुअर 8,000 450 59
उड़द 7,800 400 53
मूंग 8,768 86 50
मूंगफली 7,263 480 50
सोयाबीन (पीला) 5,328 436 50
सूरजमुखी 7,721 441 50
तिल 9,846 579 50
रामतिल 9,537 820 50
कपास(मध्यम रेशा) 7,710 589 50
किसान क्रेडिट कार्ड की लोन लिमिट बढ़ाकर पांच लाख रुपये की
वैसे तो किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की शुरुआत साल 1998 में की गई, लेकिन पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान इसके ऊपर सबसे ज्यादा काम हुआ है। अब मोदी सरकार इस योजना के तहत किसानों को उनके कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त और समय पर लोन उपलब्ध करा रही है। सरकार किसानों को 2 फीसदी की ब्याज छूट और 3 फीसदी का त्वरित पुनर्भुगतान प्रोत्साहन प्रदान करती है। इससे किसानों 4 फीसदी प्रति वर्ष की बहुत रियायती दर पर लोन मिलता है। आम बजट-2025 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केसीसी की लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी, जो पहले 3 लाख रुपये थी। यानी अब किसान केसीसी पर 5 लाख रुपये तक के लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस लोन पर ब्याज दरें भी काफी कम रहेंगी। किसान क्रेडिट कार्ड एक ऐसी योजना साबित हुई है, जिसने किसानों को सूदखोरों के जाल से मुक्त कर दिया है। अब उन्हें अपनी जरूरतों के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है। यह योजना देश के करोड़ों किसानों के लिए लाइफलाइन बनी हुई है। इस योजना के तहत 4.65 करोड़ से अधिक आवेदन स्वीकार किए गए हैं, जिनकी क्रेडिट सीमा 5.7 लाख करोड़ रुपये है। मोदी सरकार ने इसका दायरा भी बढ़ाया है, जिससे मछुआरे और डेयरी किसान भी इसमें शामिल हो गए हैं। यानी लगभग 7.7 करोड़ किसानों को इस योजना का फायदा मिल रहा।
देश में 25 करोड़ Soil Health Cards से आय और उत्पादन बढ़ा
वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष मनाया गया। देश के हर खेत की पोषण स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए इसी साल 19 फरवरी को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस योजना का लक्ष्य देश के किसानों को हर दो साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Cards) जारी करना है, ताकि खाद इत्यादि के बारे में मिट्टी पोषण कमियों को दूर किया जा सके। खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता समझकर, किसान अब सही खाद और बीज का इस्तेमाल कर पा रहे हैं, इससे उत्पादन बढ़ा है। दरअसल, मिट्टी की जांच करने से खेती के खर्च में कमी आती है, क्योंकि जांच के बाद सही मात्रा में उर्वरक दिए जाते हैं। इस तरह उपज के बढ़ने से किसानों की आय में भी इजाफा होता है और बेहतर खेती संभव हो पाती है। अब तक, पूरे देश में करीब 25 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) बनाए गए हैं और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1706.18 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। अब तक, पूरे देश में 8272 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं (1068 स्टैटिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 163 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 6376 मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 665 ग्राम स्तर की मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं) स्थापित की गई हैं।
कृषि बुनियादी ढांचे में मजबूती के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
वित्त मंत्री ने निर्मला सीतारमण ने 15 मई 2020 को किसानों के लिए फार्म-गेट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की। मौजूदा बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने और कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश जुटाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एग्री इंफ्रा फंड लॉन्च किया गया। एआईएफ से देश के कृषि बुनियादी ढांचे का परिदृश्य बदला है। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी समर्थन के माध्यम से फसल के बाद के प्रबंधन बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा है। योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2025-26 तक वितरित किए जाएंगे।
कृषि क्षेत्र की सात बड़ी योजनाओं के लिए 14 हजार करोड़ का प्रावधान
पीएम मोदी ने विकास की योजनाओं के केंद्र में कृषि को रखा है। उनका मानना है कि कृषि प्रधान देश में यह क्षेत्र ना केवल आमजन के जीवन में सीधे तौर पर खुशहाली लाता है, बल्कि GDP में भी इसकी अग्रणी भूमिका है। इसी को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि क्षेत्र में 14,000 करोड़ रुपये की 7 बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी है। डिजिटल कृषि मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपये, फसल विज्ञान पर 3,979 करोड़ रुपये, कृषि शिक्षा और प्रबंधन को बेहतर करने के लिए 2,291 करोड़ रुपये, पशुधन के स्थायी स्वास्थ्य के लिए 1,702 करोड़, कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत करने पर 1,202 करोड़ रुपये जबकि प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन से संबंधित योजना पर 1,115 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन
मोदी सरकार ने 25 नवंबर, 2024 को देश भर में मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) शुरू करने को मंजूरी दी। कृषि मंत्रालय प्राकृतिक खेती (NF) को रसायन मुक्त खेती प्रणाली के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें केवल पशुधन और पौधों के संसाधनों से उत्पादित इनपुट का उपयोग किया जाता है। मंत्रालय इसे सबसे पहले उच्च उर्वरक खपत वाले जिलों में लागू करने की योजना बना रहा है। प्रस्तावित एनएमएनएफ को एनडीए सरकार द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल (2019-24) में शुरू की गई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) से बेहतर है। इस पहल को परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) की एक छत्र योजना के तहत शुरू किया गया था। केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में नमामि गंगे योजना के तहत गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर की पट्टी में प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दिया। सरकार ने अब एनएमएनएफ के माध्यम से बीपीकेपी से प्राप्त अनुभव को मिशन मोड में बढ़ाने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन में 2030 तक एफएमडी का उन्मूलन
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), जिसे सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गया था, एक फ्लैगशिप योजना है। यह योजना खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस पर नियंत्रण के लिए है। एफएमडी को नियंत्रित करने और 2030 तक इसका उन्मूलन करने के लिए 100 प्रतिशत गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर की आबादी को एफएमडी के लिए और 4-8 महीने की उम्र के 100 प्रतिशत गोजातीय मादा बछड़ों को ब्रुसेलोसिस के लिए टीका लगाने पर केंद्रित है। इसके अलावा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग ने वैज्ञानिक और समग्र तरीके से देशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से 16 “गोकुल ग्राम” स्थापित करने के लिए धनराशि जारी की है।
सरकार के राष्ट्रीय पशुधन मिशन का उद्देश्य छोटे जुगाली करने वाले पशुओं, मुर्गीपालन और सूअरपालन क्षेत्र तथा चारा क्षेत्र में उद्यमिता विकास के माध्यम से रोजगार सृजन, नस्ल सुधार के माध्यम से प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि, मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे के उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
दशकों से अटकी, लटकी और भटकी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा कराया
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जाकर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की शुरुआत की। पीएम मोदी के मिशन मोड पर काम कराने से चार दशक से अटकी यह परियोजना शुरू हुई। इससे यूपी के एक बड़े भाग को कई तरह की राहतें मिली हैं। पीएम मोदी ने बाणसागर बांध सहित 4000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। बाणसागर बांध परियोजना भी दो दशक से लटकी थी। इसी प्रकार गुजरात की सरदार सरोवर बांध परियोजना हो या फिर गोरखपुर और बरौनी में वर्षों से बंद पड़ी फर्टिलाइजर यूनिटों को दोबारा चालू करना, ऐसे तमाम प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने शुरू किया है। पीएम मोदी ने एक जनसभा में कहा था कि 2014 में आप सभी ने हमें काम करने का मौका दिया। हमारी सरकार ने अटकी, लटकी और भटकी हुई योजनाओं को तलाशकर उन्हें पूरा कराना शुरू किया है। इतना ही नहीं छोटे और सीमांत किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ शुरू की गई, जिससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों को राहत मिली।