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‘जय फिलिस्तीन’ नारे से रद्द हो सकती है ओवैसी की संसद सदस्यता! राष्ट्रपति तक पहुंची बात, भारत माता की जय बोलने से परहेज

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हैदराबाद से लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सांसद के रूप में शपथ लेने के दौरान फिलिस्तीन के समर्थन में नारा लगाया। संसद में ओवैसी के नारे के बाद हंगामा हो गया जिसके बाद इस मुद्दे पर विवाद बढ़ गया है। उनकी संसद सदस्यता रद्द किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस बीच वकील हरिशंकर जैन ने संसद सदस्यता खत्म करने को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की है। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जिस ओवैसी ने कभी कहा था कि चाहे जो कर लो, भारत माता की जय नहीं बोलूंगा। उसी ओवैसी ने भारत की संसद में सांसद की शपथ लेते हुए “जय फिलिस्तीन” का नारा लगाया। भारत माता से परहेज, तो फिलिस्तीन की जय से क्या संदेश देना चाहते हैं ओवैसी? सवाल यह भी उठता है कि क्या ओवैसी गाजा से सांसद हैं? विवाद बढ़ने के बाद ओवैसी ने सफाई दी है। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने सदन में कुछ भी गलत नहीं कहा। इससे इनकी मंशा समझी जा सकती है। 

एनडीए सांसदों ने जताया कड़ा विरोध
ओवैसी के नारा लगाते ही एनडीए सांसदों ने कड़ा विरोध जताया, इसके बाद चेयर पर बैठे राधा मोहन सिंह ने उसे रिकॉर्ड से निकालने का आदेश दे दिया। तब जाकर सदन में शांति हुई। बीजेपी ने ओवैसी के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मौजूदा नियमों के अनुसार उन्हें संसद से अयोग्य ठहराए जाने का आधार है। बीजेपी ने अनुच्छेद 102 का हवाला देते हुए कहा कि ओवैसी को सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है। 

विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने पर अयोग्य ठहाराया जा सकता है
संसद के मौजूदा नियमों के अनुसार, किसी भी सदन के सदस्य को किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने पर, उसकी लोकसभा या किसी भी सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है। एक्‍सपर्ट के मुताबिक या तो उन्‍हें फ‍िर शपथ लेने को कहा जा सकता है, या फ‍िर वे अयोग्‍य ठहराए जाएंगे।
संसद में दूसरे देश की तारीफ करना किस मानसिकता का परिचायक
केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा, ”संवैधानिक प्रक्रिया के मुताबिक, एक सांसद उतना ही पढ़ेगा, जितना उसे कहा जाएगा। हमने इसका विरोध किया है। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि केवल शपथ की अवधि को ही रिकॉर्ड में लिया जाएगा, उसके पहले और बाद में कुछ नहीं। अपने देश की संसद में दूसरे देश की तारीफ करना आपकी मानसिकता के बारे में भी बहुत कुछ बताता है।”

ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति से शिकायत
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने ट्वीट कर कहा, ‘हरि शंकर जैन ने भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत दायर की है, जिसमें उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है।’

ओवैसी ने सफाई में कहा- सदन में कुछ भी गलत नहीं कहा 
विवाद बढ़ने के बाद हैदराबाद से AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ ग्रहण के बाद संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए अपनी टिप्पणी का बचाव किया। उन्होंने कहा, “अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं। मैंने कहा ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन’। यह कैसे गलत है? मुझे संविधान में इसे लेकर कोई प्रावधान हो तो बताएं। आपको यह भी सुनना चाहिए कि दूसरों ने क्या कहा। मुझे जो कहना था मैंने कहा। आप यह भी देखें कि महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था।” जब ओवैसी से फ़िलिस्तीन का ज़िक्र करने का कारण पूछा गया, तो उन्होंने बताया, “वे उत्पीड़ित लोग हैं।” ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली थी।

भारत माता की जय नहीं बोलेंगेः ओवैसी
ये वही ओवैसी हैं जिन्हें ‘जय फिलिस्तीन’ कहने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन ‘भारत माता की जय’ बोलने में आपत्ति है। असदुद्दीन ओवैसी इससे पहले भी अपने कई बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं। कभी उन्होंने भारत माता की जय बोलने से इनकार किया तो कभी भाजपा-आरएसएस को लेकर विवादित बयान दिया। कुछ साल पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि नई पीढ़ी को भारत की शान में नारे लगाने का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। जिसके जवाब में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि वो कभी ‘भारत माता की जय नहीं बोलेंगे भले भी उनकी गर्दन पर कोई छुरी क्यों न रख दे’। ओवैसी एक बार यह भी कह चुके हैं कि इस्लाम ही सभी लोगों का घर है। अगर दूसरे धर्म के लोग इस्लाम अपनाते हैं तो यह उनके लिए घर वापसी जैसा होगा। हर बच्चा मुस्लिम होकर ही जन्म लेता है।

ओवैसी जैसे लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं
ओवैसी ने देश की संसद में फिलिस्तीन का जयकारा लगाकर अपनी वफादारी स्पष्ट कर दी है। ओवैसी, जिस देश का नमक खा रहे हैं, जिस देश की संसद में खड़े हैं, उसके लिए मुंह से एक जयकारा तक नहीं निकल सकता। ये वही लोग हैं जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। ओवैसी जैसे लोग अपने समाज और देश के नाम पर कलंक समान हैं।

क्या ओवैसी गाजा से सांसद हैं?
क्या ओवैसी गाजा से सांसद हैं? जो “जय हिंद” कहने की बजाय “जय फिलिस्तीन” कहा। राहुल गांधी और अखिलेश यादव क्यों चुप हैं। हमेशा संविधान बचाने का नारा लगाने वाला विपक्ष अब चुप क्यों है। विपक्ष को भी इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। हमेशा संविधान की किताब लेकर चलने वाले राहुल गांधी को बताना चाहिए कि जय फिलिस्तीन कहना क्या संविधान का अपमान नहीं है।

भाजपा सांसद बोले- ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा बिल्कुल गलत
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आज संसद में जो ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा दिया, वह बिल्कुल गलत है। यह सदन के नियमों के खिलाफ है। वह भारत में रहकर ‘भारत माता की जय’ नहीं कहते…लोगों को समझना चाहिए कि वह देश में रहकर असंवैधानिक काम करते हैं।”
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “फिलिस्तीन या किसी अन्य देश से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। शपथ लेते समय क्या किसी सदस्य के लिए दूसरे देश की प्रशंसा में नारा लगाना उचित है? हमें नियमों की जांच करनी होगी कि क्या यह सही है।”
भाजपा सांसद बिप्लब कुमार देब ने कहा, “फिलिस्तीन हो या कोई और देश, सबके भारत से अच्छे संबंध हैं। सवाल यह है कि शपथ लेते समय वह फिलिस्तीन जिंदाबाद कह सकते हैं या नहीं, भारत माता जिंदाबाद कहने की बजाय वह दूसरे देश का जिंदाबाद कह रहे हैं। इस पर विपक्ष चुप था, जब मैंने शपथ लेने से पहले नमस्ते कहा तो ओवैसी ने विरोध करना शुरू कर दिया कि यह संविधान विरोधी शब्द है।”

इन कारणों से छिन जाती है संसद सदस्‍यता
♦ अगर कोई संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के लिए चुन लिया जाए तो उसे एक तय समय में किसी एक सदन की सदस्यता छोड़नी होती है। लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करता, तो संविधान के अनुच्‍छेद 101 में संसद को अध‍िकार है क‍ि उससे एक सदन या दोनों सदनों की सदस्‍यता छीन ले।
♦ कोई भी संसद और विधानसभा का सदस्‍य एक साथ नहीं रह सकता। उसे एक पद से इस्‍तीफा देना ही होता है। अगर वह एक निश्च‍ित समय के अंदर दोनों में से एक सदस्‍यता नहीं त्‍यागता, तो उसकी संसद सदस्‍यता छीनी जा सकती है।
♦ संसद के क‍िसी भी सदन का सदस्‍य बिना इजाजत अगर संसद की बैठकों-कार्यवाही से 60 द‍िनों तक गैर हाज‍िर रहता है, तो उसकी सीट को खाली घोषित क‍िया जा सकता है। यानी उसकी सदस्‍यता खत्‍म मान ली जाती है। इन 60 दिनों में उन दिनों को नहीं गिना जाएगा, जिस दौरान सत्र चार से अधिक दिनों तक स्थगित हो या सत्रावसन हो गया हो।
♦ संव‍िधान के अनुच्‍छेद 102 के मुताबिक, अगर कोई सदस्‍य सरकार में लाभ के पद पर है, तो उसकी संसद सदस्‍यता चली जाती है। सिर्फ उस पद पर बने रहने पर वह अयोग्‍य घोषित नहीं होगा, जिस पद पर सांसदों का बना रहना क‍िसी कानून के तहत उसे अयोग्‍य नहीं ठहराता। वहां से वेतन, भत्‍ते और दूसरे सरकारी लाभ लेने पर मनाही है।
♦ अगर कोई सांसद किसी अदालत द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया जाए तो उसकी सदस्यता चली जाएगी। अगर कोई दीवाल‍िया घोषि‍त है, तो उसकी भी संसद सदस्‍यता छीनी जा सकती है।
♦ अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक न हो, या फिर वह किसी और देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। संव‍िधान के अनुच्छेद 102 के मुताबिक, अगर वह किसी और देश के प्रति निष्ठा जताता है, तो भी उसकी सदस्‍यता जा सकती है। ओवैसी के मामले में यही दावा किया जा रहा है। चूंक‍ि उन्‍होंने फिलिस्तीन के प्रत‍ि निष्‍ठा प्रदर्शित की, इसल‍िए संसदीय कानूनों के मुताबिक, उनकी सदस्‍यता जा सकती है।
♦ इसके अलावा, दल बदलने पर, पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करने पर और दो या इससे अधिक साल की सजा होने पर भी संसद की सदस्‍यता चली जाती है। किसी सांसद ने अपने चुनावी हलफनामे में कोई गलत जानकारी दी है या फिर वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता चली जाती है।

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