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पाकिस्तान का शर्मनाक कबूलनामा- ‘हम तीन दशक से आतंक धंधा कर रहे’ इधर मोदी सरकार का जबरदस्त एक्शन शुरू

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कश्मीर घाटी के पहलगाम में आतंकी नरसंहार के बाद भारत ने आजादी से लेकर अब तक का सबसे सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। सिंधु जल समझौता रद्द होना इसका सबसे जीवंत उदाहरण है, जिसे पाकिस्तान के साथ तीन युद्ध और कई आतंकी हमलों के बाद भी समाप्त नहीं किया गया था। पीएम मोदी की उस हुंकार से डरे पाकिस्तान की जुबान पर आखिरकार शर्मनाक सच आ ही गया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के समक्ष पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि उनका देश पिछले तीन दशकों से आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और धन मुहैया करा रहा है। यह वैश्विक मंचों पर भारत के दीर्घकालिक रुख की पुष्टि करता है। दूसरी ओर मोदी सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू कर दिया है। खुफिया एजेंसियों ने 14 लोकल आतंकियों की सूची तैयार की है, जो पाकिस्तानी आतंकियों के मददगार हैं। ये आतंकी न केवल स्थानीय स्तर पर लॉजिस्टिक सहायता और पनाह देते हैं, बल्कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम भी देते हैं। सुरक्षा बलों ने तय कर लिया है कि अब इन आतंकियों का एक-एक कर सफाया किया जाएगा और उनके ठिकानों को भी तबाह किया जाएगा।पाक रक्षा मंत्री का आतंकवाद को पालने-पोसने का बेशर्म कबूलनामा
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्काई न्यूज के पत्रकार यल्दा हकीम के साथ एक साक्षात्कार के दौरान ये सच्चाई उजागर करके सबको हैरान कर दिया। रक्षा मंत्री ख्वाजा ने एक बयान में माना कि पाक पिछले तीन दशकों से आतंकवाद को पाल रहा है। उनसे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच नए सिरे से उत्पन्न तनाव के बारे में पूछा गया था। इस हमले में 28 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर भारत के अन्य हिस्सों से आए पर्यटक थे। हमले के सीमा पार संबंध सामने आने के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया।

हां, हम तीन दशकों से आतंक फैलाने का यह गंदा काम कर रहे हैं
साक्षात्कार के दौरान पत्रकार यल्दा हकीम ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से पूछा कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि पाकिस्तान का “आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और वित्त पोषण” करने का लंबा इतिहास रहा है। आसिफ ने एक सनसनीखेज कबूलनामे के साथ जवाब दिया। हां, हम पिछले तीन दशकों से अमेरिका और ब्रिटेन सहित पश्चिम के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं। आसिफ ने एक ओर सच्चाई बताई, तो दूसरी ओर यह झूठा दावा भी किया कि लश्कर-ए-तैयबा अब अस्तित्व में नहीं है। सभी जानते हैं कि आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाला संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तयैबा का ही सहयोगी है।

भारत आतंकवादी और उनके समर्थकों को ट्रैक करेगा और दंडित करेगा
प्रधानमंत्री मोदी शुरू से ही आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति को अपना रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद उन्होंने अपने इरादे एक बार फिर से जाहिर कर दिए हैं। आतंकी हमले के बार उन्होंने मधुबनी में पहली सभा में ही ऐलान करते हुए कहा, “आज बिहार की धरती से मैं पूरी दुनिया से कहता हूं कि भारत हर आतंकवादी और उसके समर्थकों की पहचान करेगा, उन्हें ट्रैक करेगा और उन्हें दंडित करेगा।” उन्होंने कहा, “हम उन्हें धरती के छोर तक खदेड़ देंगे। आतंकवाद से भारत की आत्मा कभी नहीं टूटेगी। आतंकवाद को दंडित किए बिना नहीं छोड़ा जाएगा।” उन्होंने कहा कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। पूरा देश इस संकल्प पर अडिग है। मानवता में विश्वास रखने वाला हर व्यक्ति हमारे साथ है। मैं विभिन्न देशों के लोगों और उनके नेताओं का आभार व्यक्त करता हूं जो इस मुश्किल समय में हमारे साथ खड़े हैं।”

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू
दूसरी ओर पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू हो गया है। खुफिया एजेंसियों ने 14 लोकल आतंकियों की सूची तैयार की है, जो पाकिस्तानी आतंकियों के मददगार हैं। ये आतंकी न केवल स्थानीय स्तर पर लॉजिस्टिक सहायता और पनाह देते हैं, बल्कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम भी देते हैं। सुरक्षा बलों ने तय कर लिया है कि अब इन आतंकियों का एक-एक कर सफाया किया जाएगा और उनके ठिकानों को भी तबाह किया जाएगा। सबसे पहले जिन 14 आतंकियों को निशाना बनाया जाएगा, उनमें सोपोर के आदिल रहमान देंतू, अवंतीपुरा के आसिफ अहमद शेख, पुलवामा के एहसान अहमद शेख, हरीश नजीर, आमिर नाजिर वानी और यावर अहमद भट्ट शामिल हैं। इसके अलावा शोपियां के आतंकियों में आसिफ अहमद कंडे, नसीर अहमद वानी, शाहिद अहमद कुटे, आमिर अहमद डार और अदनान सफी डार का नाम है।

पुलवामा-कुलगाम में आतंकियों के घरों को आईईडी ब्लास्ट से किया ध्वस्त
पुलवामा और कुलगाम में शनिवार को आतंकियों के घरों को आईईडी ब्लास्ट से ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। सरकार ने दिन 14 बड़े आतंकियों की सूची बनाई है, उनमें अनंतनाग के जुबेर अहमद वानी और हारून रशीद गनी, तथा कुलगाम के जुबेर अहमद गनी भी हिट लिस्ट में शामिल हैं। ये सभी आतंकी विभिन्न संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और द रेजिस्टेंट फ्रंट से जुड़े हुए हैं और विदेशी आतंकियों के संपर्क में हैं। ‘ऑपरेशन क्लीन-अप’ के तहत सुरक्षा एजेंसियों ने साफ कर दिया है कि कोई भी आतंकी बख्शा नहीं जाएगा। या तो उन्हें मार गिराया जाएगा या फिर उनके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का दौर शुरू हो चुका है।

सूअर को लिपस्टिक लगाने के बाद भी, सूअर ही रहता है

कश्मीर घाटी में हुए आतंकी हमले को लेकर ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में गुस्सा और आक्रोश है। सभी पहलगाम में धर्म के आधार पर हुए नरसंहार की कटु आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही दुनियाभर के बड़े राष्ट्राध्यक्ष भारत और पीएम मोदी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और उन्होंने एक स्वर में कहा है कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम पूरी मजबूती से उसके साथ हैं। आतंकियों के पाक समर्थित होने के चलते वैश्विक मंच पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है। इस बीच, पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने इस हमले को लेकर सीधे तौर पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के उस भाषण को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें उन्होंने कहा था ‘कश्मीर पर हमारा रुख एकदम साफ है, यह हमारी गर्दन की नस थी, यह हमारी गर्दन की नस रहेगी। हम इसे नहीं भूलेंगे। हम कश्मीरियों को उनके संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे। पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा कि इस हमले के बाद साफ है कि भारत को पाकिस्तान की गर्दन काटने की जरूरत है। इसमें कोई शक या संदेह नहीं होना चाहिए। क्योंकि सूअर को लिपस्टिक लगाने के बाद भी, वह सूअर ही रहता है।

पाकिस्तानी राजनयिकों ने पश्चिम को मूर्ख बनाकर आतंकवाद बढ़ाया
पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा कि हम जानते हैं कि पाकिस्तान कई आतंकवादी समूहों का घर है, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा भी शामिल है। दुर्भाग्य से, पाकिस्तानी राजनयिकों द्वारा पश्चिम को मूर्ख बनाने के चलते आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की कमी के कारण, अब हमारे पास न केवल पाकिस्तान में बल्कि बांग्लादेश में भी ऐसी ही समस्या का विस्तार होता दिखाई देने लगा है। कट्टर इस्लामवादी ताकतें पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश को अपना नया आशियाना बना रही हैं। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में कट्टर आतंकवाद के बारे में खुफिया जानकारी सामने आएगी। मुझे यकीन है कि इसके बारे में कुछ संकेत जरूत मिलेंगे। उन्होंने कहा कि वैचारिक दलदल के आधार पर कहा जा सकता है कि आतंकियों को बढ़ावा देने के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई है। और पाकिस्तान ही तार्किक और वैचारिक रूप से एकमात्र देश हैं जो इस समय संदिग्ध हैं।

इस्राइल पर सात अक्तूबर के हमले जैसा ही पहलगाम हमला
अमेरिका अधिकारी ने आगे कहा कि यह वैसा ही है जैसा 7 अक्तूबर 2023 को हमास ने इस्राइल पर हमला किया था। वह हमला खास तौर पर यहूदियों के खिलाफ था और सिर्फ यहूदियों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि उन सबसे उदार यहूदियों के खिलाफ था जो गाजा पट्टी के साथ शांति और सामान्य स्थिति चाहते थे। अब छुट्टी मनाने वाले रिसॉर्ट पर मध्यम वर्ग के हिंदुओं को निशाना बनाने से साफ है कि पाकिस्तानी अब वही रणनीति अपना रहे हैं। ऐसे में अब भारत का कर्तव्य है कि वह पाकिस्तान और पाकिस्तान की ISI के साथ वैसा ही करे जैसा इस्राइल ने हमास के साथ किया था। अब समय आ गया है कि ISI के नेतृत्व को खत्म कर दिया जाए और उन्हें एक नामित आतंकवादी समूह के रूप में माना जाए और मांग की जाए कि भारत का सहयोगी हर देश, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सहयोगी हर देश ऐसा ही करे।

पाक को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश की लिस्ट में डाला जाए
पेंटागन के पूर्व अधिकारी रुबिन ने पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका की भी सख्त आलोचना की। इस हमले में पर्यटकों समेत 28 लोग मारे गए हैं। रुबिन ने ANI से पहलगाम हमले पर कहा, ” अमेरिका को जो एकमात्र प्रतिक्रिया देनी चाहिए, वह है पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश की लिस्ट में डाल देना चाहिए और असीम मुनीर को आतंकवादी के रूप में नामित करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक रूप से तय किया गया हमला था। जिस समय ये हमला हुआ, तब अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में थे। माइकल रुबिन ने कहा कि हमले का समय राजनीतिक रूप से तय किया गया था। इससे यह पता चलता है कि आप सुअर पर लिपस्टिक लगा सकते हैं, लेकिन वह फिर भी सुअर ही रहेगा। उनके इस बयान से जाहिर हो गया है कि पाकिस्तान की नापाक हरकतें पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुकी हैं।

कश्मीर में आतंकी हमले पर वर्ल्ड लीडर्स का भारत को पुरजोर समर्थन
पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले के बाद, शीर्ष वैश्विक नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संपर्क कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति अपना समर्थन दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी को फोन करने वालों में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा समेत कई वैश्विक हस्तियां शामिल हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प – कश्मीर के पहलगाम से बहुत परेशान करने वाली खबर आई है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन – कश्मीर घाटी के पहलगाम में आतंकी हमले के अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी। हम आतंकवाद के खिलाफ पूरी तरह से भारत के साथ हैं।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस – मैं और उषा भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। पिछले कुछ दिनों में, हम इस देश और इसके लोगों की खूबसूरती से प्रभावित हैं। हम भारत और पीड़ितों के साथ हैं।

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मिलोनी – आज भारत में हुए आतंकवादी हमले से बहुत दुख हुआ, जिसमें अनेक लोग हताहत हुए। इटली पीड़ित परिवारों, घायलों, सरकार और सभी भारतीय लोगों के लिए अपनी संवेदना जाहिर करता है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इटली के पूर्ण समर्थन की बात दोहराई। उन्होंने वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग जारी रखने पर भी सहमति जताई।

सऊदी क्राउन प्रिंस – सऊदी अरब में भारतीय राजदूत सुहेल एजाज खान ने कहा कि PM मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस ने कश्मीर में हुए आतंकी हमले पर बात की। क्राउन प्रिंस ने इस हमले की निंदा और इम मामले में भारत को हर संभव मदद की पेशकश की है।

इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू- हम इस आतंकी हमले की निंदा करते हैं। यह “कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी हमला” है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता बार-बार जताई है और हम पूरी तरह से उनके साथ हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों – उन्होंने भारत के लोगों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त की और कहा कि बर्बरता के ऐसे कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति मैक्रों को उनके समर्थन संदेश के लिए धन्यवाद दिया और जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प की फिर से पुष्टि की।

जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय – उन्होंने अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए हमले को “भयावह” बताया और निर्दोष लोगों की जान जाने को बेहद दुखद बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को उसके सभी रूपों में खारिज किया जाना चाहिए और इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा – जापान के पीएम ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “मैं कश्मीर में आतंकवादी हमले में हुई बड़ी संख्या में मौतों को लेकर बहुत सदमे और गुस्से से भर गया हूँ। मैं इस तरह के क्रूर हमले की कड़ी निंदा करता हूँ। जापानी सरकार और लोगों की ओर से, मैं उन लोगों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ जिन्होंने अपनी जान गंवाई और घायलों के प्रति हार्दिक सहानुभूति व्यक्त करता हूँ।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने की जापान की प्रतिबद्धता दोहराई।

पहलगाम हमले के बाद PM मोदी की अध्यक्षता में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 5 बड़े फैसले लिए हैं। इसमें 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोका गया है। जानिए, सरकार के इन फैसलों का पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा…

1.पहली बार 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता रद्द किया
भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को 6 नदियों का पानी बांटने को लेकर सिंधु जल समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि कहते हैं। समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का इस्तेमाल करने की परमिशन दी गई। सिंधु जल समझौते का मकसद था कि दोनों देशों में जल को लेकर कोई संघर्ष न हो और खेती करने में बाधा न आए। हालांकि भारत ने हमेशा इस संधि का सम्मान किया, जबकि पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप लगातार लगते रहे हैं। भारत के पाकिस्तान से तीन युद्ध हो चुके हैं, लेकिन भारत ने कभी भी पानी नहीं रोका था, लेकिन पाकिस्तान हर बार भारत में आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार होता है।
Impact- पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर है। अब भारत की तरफ से इन नदियों का पानी रोक देने से पाकिस्तान में जल संकट गहराएगा। वहां की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। इसके अलावा पाकिस्तान कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से बिजली बनाता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।

2.अटारी चेक पोस्ट के बंद होने से पाकिस्तान के लोगों की आवाजाही रुकेगी
अटारी चेक पोस्ट के बंद होने से पाकिस्तान के लोगों की आवाजाही तो बंद होगी ही, साथ ही छोटे सामानों को भारत निर्यात नहीं करेगा। इससे वहां के छोटे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान होगा। भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों को इस रास्ते से लौटने के लिए 1 मई तक का वक्त दिया गया है। इसके बाद वह इस रास्ते से नहीं लौट पाएंगे।
Impact- साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान से द्विपक्षीय व्यापार बंद है। किसी तीसरे देश के माध्यम से भारत-पाकिस्तान के बीच आयात-निर्यात होता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच छोटे-मोटे सामानों का लेन देन होता है। जैसे- सेंधा नमक, चमड़े का सामान, मुल्तानी मिट्टी, तांबे का सामान, मिनरल मिल्स, ऊन और चूना हैं।

3. वीजा सर्विस के साथ आतंकियों के आने का रास्ता भी बंद
भारत ने पाकिस्तानियों के वीजा पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, SAARC वीजा छूट योजना से भी पाकिस्तान के लोग भारत नहीं आ पाएंगे। दरअसल, पाकिस्तान के कई लोगों की रिश्तेदारी भारत में है। ऐसे में कई बार पाकिस्तानी लोग रिश्तेदार बनकर भारत आते हैं। इनके अलावा धार्मिक यात्राओं का बहाना करके भारत आते हैं और आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं।
Impact- दोनों देशों के बीच वीजा सर्विस बंद होने से आतंकियों के भारत आने का रास्ता भी बंद हो जाएगा।

4. हाई कमीशन से डिफेंस एडवाइजर्स हटाए, कर्मचारी कम किए
भारत ने नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात पाकिस्तानी मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को अवांछित व्यक्ति घोषित किया है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक हफ्ते का समय है। 1 मई 2025 तक पाकिस्तान के हाई कमीशन में तैनात कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। भारत ने आजादी के बाद से अब तक दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास को कभी भी बंद नहीं किया है।
Impact- सैन्य-डिप्लोमैटिक संवाद ठप होने का असर ये होगा कि भारत में पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों की वापसी से दोनों देशों के बीच सैन्य-स्तर की बातचीत और संपर्क पूरी तरह बंद हो जाएंगे।

5. भारत ने अपने डिफेंस एडवाइजर्स भी वापस बुलाए
पाकिस्तान के डिफेंस एडवाइजर्स हटाने के साथ ही भारत भी अपने मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को इस्लामाबाद स्थित इंडियन हाई कमीशन से वापस बुलाएगा। संबंधित हाई कमीशन में ये पद निरस्त माने जाएंगे। दोनों उच्चायोगों से सर्विस एडवाइजर्स के 5 सपोर्ट स्टाफ को भी वापस बुलाया जाएगा।
Impact- इस फैसले से हाई कमीशन का प्रभाव कम होगा। स्टाफ की संख्या घटकर 55 से 30 हो जाने से पाकिस्तानी उच्चायोग की कार्यक्षमता और भारत में उसकी कूटनीतिक मौजूदगी सीमित हो जाएगी।

हिंदुओं से नफरत करने वाली कट्टर इस्लामवादी आतंकी सोच हावी

कश्मीर घाटी के पहलगाम में द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकियों ने पर्यटकों पर बेरहमी से गोलियां मारीं…इसलिए नहीं कि वह ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या एससी थे। उन्होंने नवविवाहित पत्नी के सामने भी उसके पति को बिल्कुल नजदीक से गोली मारी, इसलिए नहीं कि वह कन्नड़, तमिल, हिंदी या उड़िया बोलता था। उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं थी कि वह भाजपा का वोटर है, कांग्रेस का वोटर है या सपा का। उन्होंने निर्दोष पर्यटकों को सिर्फ और सिर्फ इसलिए मार डाला, क्योंकि अधिकांश हिंदू के रूप में पैदा हुए थे। वे मुसलमान नहीं थे और इसीलिए ये इनके लिए काफिर थे! इसीलिए पर्यटकों को धर्म पूछ-पूछकर निर्दयता से नरसंहार करने के लिए गोलियां दागी गईं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से लेकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम तक वही खतने वाली सोच हावी है। वही कट्टर मुस्लिमपरस्ती वाली आतंकी सोच हावी है। उसी हिंदुओं से नफरत करने वाली और उनका नाश करने वाली सोच का नतीजा पहलगाम का आतंकी हमला है। इस हमले और इसकी सच्चाई सामने आने के बाद ना सिर्फ ‘कश्मीरियत’ और ‘जम्हूरियत’ हवा निकली है, बल्कि बड़ा सवाल ये भी है कि अब लेफ्ट लिबरल गैंग इसके लिए कौनसा नया शब्द गढ़ेंगे? इस गैंग के लिए यक्ष प्रश्न ये भी है कि यदि पहलगाम में जो हुआ वो मुस्लिमों ने नहीं आतंकवादियों ने किया है, तो फिर कुछ दिन पहले मुर्शिदाबाद में कौन से आतंकवादी, हिन्दुओं को भगा रहे थे? हमले के तत्काल बाद पीएम मोदी ने विदेशी दौरा बीच में छोड़कर इन आतंकियों को कल्पना से भी परे सजा देने की ठान ली है।

पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर टूरिस्टों को गोली मारी थी
कश्मीर घाटी के पहलगाम में 22 अप्रैल की दोपहर करीब 1.30 बजे हुए आतंकी हमले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं…
• हमले से जुड़े एक वायरल वीडियो में एक महिला ने रोते हुए कहा, ‘हम भेलपूरी खा रहे थे, तभी साइड से दो लोग आए। उनमें से एक ने कहा कि ये मुसलमान नहीं लगता है। इसे गोली मार दो और उन्होंने मेरे पति को गोली मार दी।’
• न्यूज नेटवर्क CNN-News18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा, ‘आतंकियों ने लोगों से कलमा पढ़ने कहा, ताकि वे गोली चलाने से पहले ये जान सकें कि कौन किस धर्म का है। आतंकियों ने टूरिस्टों की पैंट उतरवाई और ID कार्ड भी चेक किया।’
• न्यूज एजेंसी PTI को एक पीड़ित महिला ने बताया, ‘मेरे पति को सिर पर गोली मारी गई। उन्हें मुसलमान न होने की वजह से गोली मारी गई।’
• सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर मारे गए लोग पुरुष हैं। टूरिस्टों को शुरू में पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है, क्योंकि हमलावर सेना की वर्दी पहने हुए थे और मास्क लगाए हुए थे।
• महाराष्ट्र के पुणे की आसावरी पहलगाम में घूमने आई थीं। न्यूज चैनल आजतक को उन्होंने बताया, ‘हमलावरों ने सिर्फ पुरुषों को निशाना बनाया। खासतौर पर उन्होंने हिंदुओं को जबरन कलमा पढ़वाने की कोशिश की। जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी। मेरे सामने मेरे पापा को तीन गोलियां मारीं।’

ये मुस्लिम नहीं है- कहकर पिस्टल से टूरिस्ट के सिर में गोली मार दी
कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 2 अप्रैल की दोपहर करीब 2 बजे अलग-अलग राज्यों से 40 से ज्यादा लोगों का ग्रुप यहां घूमने आया था। सभी टूरिस्ट खुले मैदान में थे। आसपास ही 4 से 5 छोटी-छोटी दुकानें हैं। कुछ टूरिस्ट दुकानों के बाहर लगी कुर्सियों पर बैठ गए। कुछ टूरिस्ट आसपास मैदान में बैठे थे। तभी जंगल की तरफ से दो लोग आए। उन्होंने एक टूरिस्ट से नाम पूछा। टूरिस्ट ने अपना नाम बताया। जंगल से आए लोगों में से एक टूरिस्ट की ओर इशारा करके बोला- ये मुस्लिम नहीं है। इसके बाद पिस्टल निकाली और टूरिस्ट के सिर में गोली मार दी। करीब 10 मिनट तक गोली चलाते रहे। टूरिस्ट्स और दुकानदारों को समझ आ गया कि ये आतंकी हमला है। शुरुआत में एक टूरिस्ट के मरने की खबर आई। रात के 11 बजते-बजते मौतें बढ़कर 28 हो गईं।

TRF ने ली जिम्मेदारी, पाकिस्तान से आए थे आतंकवादी
पहलगाम में हुआ हमला बीते 6 साल में कश्मीर में सबसे बड़ा टेररिस्ट अटैक है। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों के हमले में 40 जवानों की मौत हुई थी। हमले की जिम्मेदारी द रजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF ने ली है। बीते कुछ साल में जम्मू-कश्मीर में होने वाले सभी छोटे-बड़े हमलों की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर (KT) या द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ही ली है। जम्मू-कश्मीर में करीब 20 साल तीन आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। 2019 के बाद इन आतंकी गुटों ने प्रॉक्सी नाम रखने शुरू किए। टीआरएफ का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल है। श्रीनगर में पैदा हुआ शेख सज्जाद अभी पाकिस्तान में है। मीडिया ने हमले के दौरान मौजूद टूरिस्ट, पुलिस और डिफेंस एक्सपर्ट से हमले के तरीके, टाइमिंग और वजहों पर पड़ताल की। एक्सपर्ट मानते हैं कि हमला करने वाले आतंकी पाकिस्तान से आए थे। लोकल मिलिटेंट टूरिस्ट पर हमला नहीं करते। ये हमला उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार डालने के लिए किया है। मौके पर मौजूद दुकानदारों के मुताबिक, आतंकियों ने दुकानों से कुछ दूर झाड़ियों से फायरिंग की। गोलियां लगने से टूरिस्ट वहीं गिर गए। फायरिंग के बाद आतंकी भाग गए। सोर्स के मुताबिक, हमले में मरने वालों में लोकल कश्मीरी और विदेशी भी शामिल हैं। विदेशी नागरिक नेपाल और सऊदी अरब के हैं।

कश्मीर में आतंकवाद की नई लहर चलाने की है घातक मंशा
जम्मू कश्मीर पुलिस के DGP रहे एसपी वैद के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI दुनिया के सामने ये दिखाना चाहती है कि कश्मीर के लोकल लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन ये बिल्कुल गलत है। 90 के दशक में कश्मीर में मिलिटेंसी के वक्त यहां के कई लोकल लोग पाकिस्तान ट्रेनिंग लेने गए थे। बाद में वे लौटे नहीं और वहीं बस गए। ऐसे लोगों का यहां अब भी नेटवर्क है। ऐसे लोगों की ओवर ग्राउंड वर्कर्स नेटवर्क बनाने में मदद ली जा रही है। लोकल लोगों की मदद के बिना ये हमले संभव ही नहीं हैं। सिक्योरिटी फोर्सेज के अधिकारी तीन वजह बताते हैं
1. नए नामों के जरिए वे साबित करना चाहते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद की नई लहर आई है।
2. सेक्युलर दिखने वाले नाम रखे गए, ताकि ये धर्म के आधार पर आए युवाओं के संगठन न लगें।
3. ऐसे नामों से लोकल कनेक्ट दिखेगा और लगेगा कि ये लोकल युवाओं वाला मिलिटेंट ग्रुप है।

370 हटाने से सामान्य हुए हालात में खलल डालने की कोशिश
जम्मू-कश्मीर पुलिस के DGP रहे एसपी वैद कहते हैं, कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद हालात जिस तरह से सामान्य हुए हैं। उसमें खलल डालने के लिए ये हमला किया गया है। टूरिस्टों पर हमला कर लोकल लोगों का बिजनेस ठप करने की कोशिश की गई है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी बताते हैं, पूरी वारदात भारत को नीचा दिखाने के लिए और हिंदू-मुसलमानों के बीच दरार डालने के लिए की गई है। आतंकियों ने नाम पूछकर लोगों को मारा है। ये भी काफी कुछ कहता है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद से कश्मीर जाने वाले हिंदू सैलानियों और कामगारों की संख्या में गिरावट आ सकती है। आतंकियों ने हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा है। यानी आतंकियों का मैसेज साफ है कि वो कश्मीर में हिंदुओं को नहीं देखना चाहते। चाहे वो टूरिस्ट ही क्यों न हों। घाटी से आने वाले केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नंवबर 2024 में कहा था, ‘कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अब कश्मीर नहीं है। कश्मीर जिस मिक्स कल्चर के लिए जाना जाता है, वो कश्मीरी पंडित समुदाय के होने के कारण ही संभव हो पाई। मुझे ये कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि एक दिन जरूर आएगा जब कश्मीर का बहुसंख्यक समुदाय पंडितों के पलायन पर अफसोस जताएगा।’कश्मीरी पंडितों के बाद क्या हिंदुओं के पलायन के लिए हमला
कश्मीर घाटी में 80-90 के दशक में कट्टरता और आतंकवाद हावी था। तब कश्मीरी पंडितों के खिलाफ नफरत 1989 के आखिर में बहुत जहरीली हो गई थी। उन्हें लाउडस्पीकर पर चेतावनी देकर कश्मीर छोड़ने के लिए कहा जाता था। अशोक कुमार पांडे अपनी किताब ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ में लिखते हैं कि उस समय कश्मीरी पंडितों और अखबारों में घर छोड़ने की जो धमकियां दी गई थीं वो हिजबुल मुजाहिदीन के लेटर पैड पर दी गई थीं। JKLF और हिजबुल हिंसा की अगुआई कर रहे थे। उनके साथ करीब दो दर्जन छोटे-मझोले इस्लामिक संगठन पंडितों की जान के दुश्मन बने हुए थे। तब चेतावनी दी जाती थी कि पंडित मर्द भाग जाएं, उनकी औरतें यहीं रहें। कश्मीर की त्रासदी झेलने वाले राहुल पंडिता अपनी किताब ‘अवर मून हैज ब्लड क्लॉट’ में लिखते हैं कि 19 जनवरी 1990 की रात मस्जिद के लाउडस्पीकर से लगातार आवाजें आ रही थी। मेरे मामा और पिताजी कुछ बात कर रहे थे। तभी बाहर जोर से आवाज आई ‘नारा ए तकबीर, अल्लाह हु अकबर’। फिर आवाज आई, हम क्या चाहते…आजादी, ए जालिमो, ए काफिरो, कश्मीर हमारा छोड़ दो। फिर कुछ देर में नारेबाजी थम गई। जब मेरी मां ने इसे सुना तो वो कांपने लगीं। उन्होंने कहा कि भीड़ चाहती है कि कश्मीर को पाकिस्तान में बदल दिया जाए। उसमें पंडित मर्द न हों, लेकिन उनकी औरतें हों। कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद अब वहां हिंदू आबादी न के बराबर बची है। कश्मीर में बदली फ‍िजां की तस्वीर, मस्जिदों से हमले की खिलाफत
पहलगाम में आतंकी हमले से जम्‍मू कश्मीर के लोग भी आहत हैं। इतना ही नहीं, कश्मीर की मस्‍ज‍िदों से ऐलान क‍िया गया। सरकार से ऐसे लोगों के ख‍िलाफ कार्रवाई की अपील की गई। यह कश्मीर में बदली फ‍िजां का एक और नमूना है। क्‍योंक‍ि अब वहां आतंक‍ियों के समर्थक नहीं दिखते। पहलगाम हमले के बाद वहां के लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। इसकी गूंज पाक‍िस्‍तान तक जरूर पहुंचेगी। हमले के दो घंटे बाद कश्मीर की मस्जिदों से एक ऐतिहासिक ऐलान हुआ। कहा गया, पहलगाम हमला इस्लाम और मानवता के खिलाफ है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और यह हमला कश्मीर की शांति और एकता को नष्ट करने की साजिश है। कश्मीर हमारा साझा घर है और हम इसे आतंकियों के हवाले नहीं होने देंगे। कश्मीर के धर्मगुरुओं ने टूर‍िस्‍टों के प्रत‍िएकजुटता द‍िखाई और सरकार से आतंक‍ियों के सफाये की मांग की। उन्होंने कहा, ऐसे कायराना हमले करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में स्थानीय लोगों ने पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ कैंडल मार्च निकालकर विरोध जताया। वहीं श्रीनगर में स्थानीय लोगों ने मोमबत्ती जलाकर विरोध जताया। अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटा दिया था। 10 साल बाद 2024 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए। नेशनल कॉन्फ्रेंस की अब्दुल्ला सरकार बनी। हालात सामान्य होने लगे थे। इस दौरान कश्मीर में टूरिज्म बढ़ा है। दूसरे राज्यों से लोग काम के सिलसिले में भी कश्मीर आने लगे। यही वजह रही कि जहां 2020 में कश्मीर में मात्र 34 लाख पर्यटक आए थे, वहीं 2024 में दो करोड़ 35 लाख टूरिस्ट देश-विदेश से आए।

 

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