एक पुरानी कहावत है कि कितनी ही कोशिश कर लें कुत्ते की पूंछ टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है। पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इसी कहावत को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह दुनियाभर के सामने आ गया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की सबसे बड़ी शरणगाह बना हुआ है। पाकिस्तान और उसके हुम्मरां इसे लगातार नकारते रहे हैं, लेकिन भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करके और 100 से ज्यादा आतंकियों का सफाया करके पाकिस्तान के झूठ को एक बार फिर एक्सपोज कर दिया है। इस सच्चाई के सामने आने के बावजूद पाकिस्तान कुत्ते की दुम ही बना हुआ है। आतंकवादियों के खिलाफ भारत के अभियान को `ऑपरेशन सिंदूर` नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी मारे गए थे। अब शहबाज शरीफ की सरकार ने इस वैश्विक आतंकवादी को 14 करोड़ रुपए देने का फैसला किया है, जिससे पता चलता है कि पाकिस्तानी सरकार किस तरह आतंकवादियों का समर्थन करती है। भारत ने पाकिस्तान को लोन देते समय पहले ही आईएमएफ को चेताया था कि पाक सरकार लोन का पैसा आतंकवाद को पालने-पोसने में खर्च करेगी। भारत की बात अक्षरश: सच साबित हुई है।पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाक में जैश के मरकज तबाह किए
पहलगाम के आतंकी हमले में आंतकियों ने निर्दोष हिंदू पर्यटकों की धर्म पूछ-पूछकर निर्दयता से हत्या कर दी थी। इसकी खबर लगते ही पीएम मोदी अपना विदेशी दौरा बीच में छोड़कर भारत वापस आए और पाकिस्तान के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन लिए। भारत ने सबसे पहले सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया था, वहीं पाकिस्तान के लिए अपना एयरस्पेस भी बंद कर दिया था। इसमें सबसे बड़ा एक्शन ऑपरेशन सिंदूर रहा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पीओके और पाकिस्तान में कई हवाई हमले किए। ये हमले जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य प्रशिक्षण अड्डे मरकज़ सुभान अल्लाह पर किए गए। यह स्थान बहावलपुर के पास कराची-तोरखम राजमार्ग पर लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है। जैश के वास्तविक प्रमुख मसूद अजहर, मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और अन्य बड़े आतंकवादी भी यहीं रहते थे। भारतीय मिसाइल स्ट्राइक के ताबड़तोड़ हमलों में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें सौ से अधिक आतंकी मारे गए। इन आतंकियों में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी भी शामिल थे।
आतंक का आका पाकिस्तान फिर एक्सपोज, 14 करोड़ मसूद को देगा
पाकिस्तान सरकार भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए वैश्विक आतंकवादी मसूद अजहर को 140 मिलियन पाकिस्तानी रुपये का मुआवजा देने जा रही है। The Tribune India की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सरकार संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये का मुआवजा दे सकती है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसके 14 परिजन मारे गए थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रत्येक मृतक के लिए एक करोड़ रुपये मुआवजा मंजूर किया है, जो मारे गए लोगों के कानूनी उत्तराधिकारियों को दिया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि अजहर को कुल 14 करोड़ रुपये तक मिलेंगे। यदि उसे एकमात्र कानूनी उत्तराधिकारी माना जाए। पाकिस्तानी मीडिया में अजहर के हवाले से जारी एक बयान में पुष्टि की गई है कि मारे गए लोगों में उसकी बड़ी बहन और उसका पति, एक भतीजा और उसकी पत्नी, एक भतीजी और उसके परिवार के पांच बच्चे शामिल थे। आंतकी ने यह भी कहा था कि इस हमले में मैं क्यों नहीं मर गया?
मसूद अजहर को 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने “वैश्विक आतंकवादी” घोषित किया
भारतीय सेना ने हाल ही में हुए पहलगाम हमले का बदला बेहद शानदार तरीके से ले लिया है। इस हमले में एक नेपाली नागरिक समेत 26 हिंदू मारे गए थे। जवाब में भारत ने नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने कहा कि “यह ऑपरेशन सटीक और सुनियोजित था तथा इससे स्थिति बिगड़ने का खतरा नहीं था।” आपको बता दें कि मसूद अजहर एक वैश्विक आतंकवादी है। उसे 2019 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा “वैश्विक आतंकवादी” घोषित किया गया था। भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए यह कोई नया नाम नहीं है। उसने 2019 में पुलवामा में आत्मघाती हमले की साजिश रची थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। भारत ने इसके बाद भी सर्जिकल स्ट्राइक करते पाकिस्तान में आतंकियों के अड्डों को तहस-नहस कर दिया था।
2001 में संसद पर हुए हमले में भी आया था मसूद अजहर का नाम
काबिले जिक्र है कि 2001 में संसद पर हुए हमले में भी मसूद अजहर का नाम सामने आया था। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान युद्ध की कगार पर आ गए थे। बता दें कि मसूद अज़हर का जन्म बहावलपुर में हुआ। वह कराची के जामिया इस्लामिया बिनोरी टाउन में पढ़ाई के दौरान कट्टरपंथी बना। हरकत-उल-मुजाहिद्दीन से प्रभावित होकर वो मात्र 21 वर्ष की आयु में हथियारों का प्रशिक्षण लेने के लिए अफगानिस्तान चला गया था। मसूद अजहर ने स्वयं स्वीकार किया है कि भारतीय सेना द्वारा किए गए एक विशेष हमले में उसके रिश्तेदार और सहयोगी मारे गए हैं। साथ ही भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और अपराधियों को नहीं बख्शेगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने आतंकवादियों के समर्थन में भारत पर हमला करने का प्रयास किया, जिसे भारत ने विफल कर दिया तथा एक दर्जन पाकिस्तानी एयरबेसों और सैन्य प्रतिष्ठानों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए आतंकियों के घरों के निर्माण के लिए मदद
इस आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में छिपे कई आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया था. इस कार्रवाई में Jaish-e-Mohammed आतंकवादी समूह के संस्थापक और भारत में कई आतंकी हमलों के गुनहगार मसूद अजहर को बड़ा नुकसान हुआ। भारत के ऑपरेशन सिंदूर में अजहर के परिवार के 14 सदस्यों की मौत हो गई थी। अब पाकिस्तान सरकार मसूद अजहर को भारी मुआवजा देने की तैयारी में है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को कार्रवाई करते हुए आतंकी ढाँचों को निशाना बनाया था। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की मुआवजा योजना में हवाई हमलों के दौरान नष्ट हुए घरों के पुनर्निर्माण का प्रावधान भी शामिल है। हालांकि, इस फैसले को लेकर पाकिस्तान की तीखी आलोचना हो रही है। The Tribune के अनुसार, भारतीय रक्षा अधिकारियों ने चिंता जताई है कि इन पुनर्निर्मित ढांचों का उपयोग दोबारा आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। Jaish-e-Mohammed का मुख्यालय Jamia Masjid Subhan Allah में स्थित है, जिसे Usman-o-Ali Complex के नाम से भी जाना जाता है। लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर बहावलपुर में आतंकियों के खिलाफ यह प्रमुख लक्ष्य था।
UNSC में भारत के एक्शन से घिरेगा पाक, आतंकियों पर शिकंजा कसना होगा
इस बीच भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रतिबंध समिति की आगामी बैठक में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मामला जोरशोर से उठाने की तैयारी कर रही है। आतंकियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने वाली संयुक्त राष्ट्र के समिति के साथ भारतीय अधिकारी काम कर रहे हैं। भारतीय अधिकारी लश्कर-ए-तैयबा की फ्रंटल शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की भूमिका पर विस्तृत सबूत पेश करेंगे, जिसमें हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को केंद्र में रखा जाएगा। 22 अप्रैल 2025 को हुए इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। भारत अब इस संगठन को वैश्विक आतंकी सूची में डालने और इसके नेताओं पर यात्रा प्रतिबंध तथा आर्थिक पाबंदियां लगाने की मांग करेगा। भारत एक ओर जहां TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करवाने की कोशिश करेगा, वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे घेरने की रणनीति अपनाएगा।
चीन बन रहा आतंकियों की ढाल,TRF को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति, जिसे आईएसआईएस और अल-कायदा प्रतिबंध समिति के नाम से भी जाना जाता है, आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण मंच है। भारत ने पहले भी पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को उजागर करने के प्रयास किए हैं, लेकिन कई बार चीन पाकिस्तान और आतंकियों का दोस्त बनाकर अपनी वीटो का इस्तेमाल करता है। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में UNSC में पहलगाम हमले की निंदा वाले प्रस्ताव से TRF का नाम हटवाने में भी चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी, जबकि TRF ने दो बार हमले की जिम्मेदारी ली थी। भारत अब एक ओर जहां TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करवाने की कोशिश करेगा, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे घेरने की रणनीति अपनाएगा। इसके साथ ही, भारत पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ (FATF) की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए प्रयास तेज कर रहा है और इस्लामाबाद को दी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता को भी चुनौती देने की योजना बना रहा है। यह कूटनीतिक मोर्चा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है, जिसमें भारत ने नियंत्रण रेखा पार किए बिना पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर स्पष्ट संदेश दिया था कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बलूचिस्तान ने पाकिस्तान से आजादी के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मांगा
दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर से उत्साहित बलूच नेता मीर यार बलूच ने पाकिस्तान से आजादी की घोषणा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत से समर्थन मांगा है। एक्स पर दिए बयान में उन्होंने बलूचों को “पाकिस्तानी” कहने से बचने की अपील की और POK पर भारत के रुख का समर्थन किया। पाकिस्तान भी भारत के साथ ही 1947 में आजाद हुआ था। आजादी के बाद वह दो हिस्सों में बंट गया और 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ। हालांकि बांग्लादेश के अलग होने के बाद भी पाकिस्तान की समस्याएं कम नहीं हुईं। देश के कई हिस्सों से अलगाव की मांगें उठती रहीं। इनमें सबसे मुखर आवाज बलूचिस्तान से आई, जहां लंबे समय से पाकिस्तान से अलग होने की मांग की जाती रही है। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान की आवाज को कई बार क्रूरता से दबाया है और कई बलूच नेताओं की हत्याएं भी की गई हैं। अब इस संघर्ष में बड़ा मोड़ आया है और पाकिस्तान के दोबारा टूटने की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं। बलूच प्रतिनिधि मीर यार बलूच ने बुधवार को क्षेत्र में दशकों से जारी हिंसा, जबरन गुमशुदगियों और मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए पाकिस्तान से आजादी की घोषणा की है। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के लोगों ने अपना राष्ट्रीय निर्णय ले लिया है और अब दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए।
आतंक के आका पाकिस्तान के ‘भाईजान’ की बंद होने लगी दुकान
दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर के दूरगामी प्रभाव अब सामने आने लगे हैं। इस ऑपरेशन पाकिस्तान के ‘भाईजान’ बने तुर्किए, अजरबैजान और चीन की भारत में दुकान बंद होने वाली है। तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ तो भारत में ट्रेड स्ट्राइक के तहत इन देशों का हर स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। दरअसल, भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन, तुर्किए और अजरबैजान का असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने आ गया। पाकिस्तान ने इस दौरान भारत पर जो ड्रोन और मिसाइल दागे वो ‘मेड इन’ चाइना और तुर्किए में बने थे। पाकिस्तान ने जो चीन की फुस्स मिसाइल और तुर्किए के ड्रोन भारत पर हमले में इस्तेमाल किये, उनके अवशेष अब देश में मौजूद हैं। चीन और तुर्किए अब इन सबूतों को नकार नहीं सकता है। भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर में ऐसी चोट दी कि वो घुटनों पर आ गया और सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाने लगा। पाकिस्तान को सबक सिखा दिया गया है अब उसके ‘भाईजान’ चीन, तुर्किए और अजरबैजान की दुकान भारत में बंद करने की तैयारी हो रही है। इसके साथ ही भारत द्वारा पाकिस्तान को दिए मुंह तोड़ जवाब की वीरगाथा अब स्कूल और कालेजों में पढ़ाई जाएगी। वीरों की धरती राजस्थान ने इसमें बाजी मारी है। यानी, ऑपरेशन सिंदूर के बारे में राजस्थान के स्कूल और कालेजों में सिलेबस का हिस्सा बनेगा। इसमें स्टूडेंट्स को देश प्रेम जागृत करने के लिए भारतीय सेना के साहस और उनके द्वारा ऑपरेशन सिंदूर में किए गए भरपूर एक्शन के बारे में बताया जाएगा।
राजस्थान पहला राज्य जहां ऑपरेशन सिंदूर सिलेबस में होगा शामिल
राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है जो ऑपरेशन सिंदूर को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल कर रहा है। नए सत्र में ही स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर के चैप्टर को शामिल किया जाएगा। बताया जा रहा है कि एक पुस्तक को नया नाम ‘सिंदूर’ दिया जा रहा है। इस बार स्टूडेंट के सिलेबस में बदलाव किया जा रहा है। पहले फेज में इस सत्र से कक्षा एक से पांचवी तक का पूरा सिलेबस बढ़ेगा। उसके दूसरे और तीसरे फेज में 6 से 12 तक का सिलेबस बदलेगा। ऐसे में सरकार नए शिक्षा सत्र से स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव और अपग्रेडेशन कर रही है। आपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने वाला राजस्थान पहला राज्य होगा। राष्ट्रीय शिक्षानीति के अनुरूप इसी सत्र से स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी है। ऐसे में भारतीय सैन्य शक्ति के अदम्य साहस से युवा पीढ़ी को परिचित करवाने के लिए इस गौरवगाथा को शामिल किया जाएगा। विभागीय स्तर पर एक्सपर्ट कमेटी के साथ चर्चा कर इसे सिलेबस का हिस्सा बनाया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर से सेना के बहादुरी की कहानियां पढ़ेंगे बच्चे और युवा
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पूरे देश में उत्साह है। 7 मई को भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में संचालित आतंक के अड्डों पर एयर स्ट्राइक की थी। भारतीय सेना ने सिर्फ 25 मिनट में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया और सकुशल वापस लौट आई। इस एयर स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना पाकिस्तान में 400 किलोमीटर तक अंदर घुस गई थी। चार दिन तक चले ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की बहादुरी पर पूरे देश को नाज है। ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी सेना के बहादुरी की कहानियां स्कूल और कॉलेज के छात्रों को पढाई जाएंगी। यह सफल ऑपरेशन बच्चों और युवाओं में राष्ट्रभक्ति का नया जोश भर रहा है।
किताब का नाम होगा सिंदूर, परीक्षाओं में ऑपरेशन से जुड़े सवाल आएंगे
इसके अलावा स्कूली बच्चों की एक किताब का नाम सिंदूर रखा जाएगा। राजस्थान शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद शर्मा के मुताबिक समिति द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किए जाने को लेकर अनुशंसा अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा है कि नए सत्र से सिलेबस अपग्रेडेशन की तैयारी है, ऐसे में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को हम कैसे छोड़ सकते हैं। एजुकेशन एक्सपर्ट सुरेंद्र सेनी के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर भारत की सेना के अदम्य साहस का प्रतीक है। इसमें भारत ने दिखाया है कि अगर कोई भारत को नुकसान पहुंचाएगा तो भारत की सेना उसे छोड़ेगी नहीं। ऑपरेशन सिंदूर भारत के प्रतीक व्यक्ति के लिए गर्व की बात है। आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे जुड़े सवाल भी आ सकते हैं। वहीं, किताबों में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने की पहल की टीचर्स ने भी स्वागत किया है।
🚨 🇹🇷 The Boycott Turkey movement is being intensifying across India.🇮🇳
No Trade With Turkish.
Udaipur marble traders END business with Turkiye for siding with Pakistan amid the ongoing tensions between India and Pakistan. #Turkey #आर्थिक_बहिष्कार#BoycottTurkey #turkeyboycott pic.twitter.com/WUhvKvjQsn
— TIger NS (@TIgerNS3) May 14, 2025
पाकिस्तान का साथ देने से हैशटैग बॉयकॉट तुर्की सोशल मीडिया पर ट्रेंड
दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर का एक और इफेक्ट सोशल मीडिया पर हैशटैग बॉयकॉट_तुर्की ट्रेंड करना भी है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बीच वार में तुर्की, अजरबैजान और चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया है। तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया जो अब उसे काफी भारी पड़ता नजर आ रहा है. सोशल मीडिया पर तभी से हैशटैग बॉयकॉट तुर्की ट्रेंड करने लगा। वहीं ट्रेवल एजेंसियों ने भी अजरबैजान और उज्बेकिस्तान के लिए टूर ट्रिप लेना कैंसिल कर दिया है। साथ ही जिन लोगों की ट्रिप हाल फिलहाल में तुर्की के लिए थी वो अपना ट्रिप कैंसिल करा रहे हैं। इसी बॉयकॉट तुर्की ट्रेंड में अब ट्रेड सेक्टर की भी एंट्री हो गई है। उन्होंने बताया कि भारत में आयात होने वाले कुल मार्बल का करीब 70% हिस्सा तुर्किये से आता है, लेकिन अब यह आयात बंद किया जा रहा है।
एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी उदयपुर के तुर्की से ट्रेड रिलेशन खत्म
तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के बाद उदयपुर की मशहूर मार्बल मंडी ने तुर्की के साथ अपने सभी ट्रेड रिलेशन खत्म करने का ऐलान किया है। उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति ने यह फैसला राष्ट्रहित और देशभक्ति के चलते लिया है। समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी दी है और स्पष्ट किया है कि वे हर उस कदम का समर्थन करेंगे, जो भारत सरकार राष्ट्रहित में उठाएगी। उदयपुर, जो एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी के रूप में प्रसिद्ध है, यहां के व्यापारियों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि अब तुर्की से मार्बल का आयात नहीं किया जाएगा। समिति के महासचिव हितेश पटेल ने जानकारी दी कि उदयपुर में 50 से अधिक बड़े व्यापारी तुर्की से मार्बल आयात करते थे, जिनकी आयात मात्रा हजारों टन में होती थी। लेकिन तुर्की के पाकिस्तान के प्रति रुख को देखते हुए इन व्यापारियों ने तुर्की से किसी भी तरह का मार्बल खरीदने से इनकार कर दिया है।
तुर्की से अकेला उदयपुर करता है 5 हजार करोड़ का कारोबार
भारत हर साल तुर्की से करीब 14 लाख टन मार्बल आयात करता है, जिसमें से 5,000 करोड़ रुपये का व्यापार अकेले उदयपुर से होता था। तुर्की का मार्बल अपने उच्च गुणवत्ता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए उदयपुर के व्यापारियों ने अपने मुनाफे की परवाह किए बिना तुर्की से व्यापार बंद कर दिया है। समिति के अध्यक्ष कपिल सुराणा ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि देशभक्ति और राष्ट्रहित की भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में भारत सरकार तुर्की या किसी भी अन्य देश के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाती है, तो उदयपुर मार्बल मंडी उसके साथ खड़ी होगी। यह फैसला दिखाता है कि देश के व्यापारी केवल लाभ कमाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे मोदी सरकार के लिए आर्थिक नुकसान उठाने को भी तैयार हैं। उदयपुर की मार्बल मंडी ने तुर्की से व्यापार खत्म कर यह साबित कर दिया है कि भारत के व्यापारी अपने देश के सम्मान और सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना पूरी तरह बंद किया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की ने पाकिस्तान को वॉर के मिसाइल से ड्रोन तक देने में मदद की। भारत के लोगों को तुर्की का ये रवैया रास नहीं आया है। लिहाजा भारत ने अब पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले तुर्की को आर्थिक मोर्चे पर करारा जवाब देना शुरू कर दिया है। तुर्कीये के खिलाफ भारतीय व्यापारियों ने ‘ट्रेड स्ट्राइक’ का ऐलान कर दिया है। कर दिया है। वे अपने देश के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब मंगवा रहे हैं। वहीं उदयपुर में मार्बल कारोबारी भी तुर्की से व्यापार रोकने को ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र के पुणे में व्यापारियों ने तुर्की से आयात होने वाले सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी है। स्थानीय बाजारों से ये सेब गायब हो गए हैं और ग्राहकों ने भी इसका बहिष्कार कर दिया है। हर साल पुणे के फलों के बाजार में तुर्की सेबों की हिस्सेदारी लगभग ₹1,000 से ₹1,200 करोड़ की होती है, लेकिन अब यह कारोबार ठप हो गया है। पुणे के एपीएमसी (कृषि उत्पन्न बाजार समिति) मार्केट में सेब व्यापारी सय्योग जेंडे ने बताया कि हमने तुर्की से सेब मंगवाना पूरी तरह बंद कर दिया है। अब हम हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य स्रोतों से सेब मंगा रहे हैं।
जो देश आज #Pakistan के साथ खड़ा है, वो कल भारत के खिलाफ खंजर उठाएगा! #Turkey ने आतंक का साथ चुना है — अब भारत को भी फैसला लेना होगा।
हर #Turkish कंपनी को भारत से बाहर करो, हर व्यापारिक रिश्ता अभी खत्म हो!अब सहिष्णुता नहीं, सीधा प्रतिकार!#TurkeyBoycott #IndiaPakistanWar pic.twitter.com/aRYbKkzZ4j
— Vipendra Manav ® (@VipendraManav) May 10, 2025
ट्रेवल एजेंसियां तुर्की और अजरबैजान की बुकिंग बंद की
तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों की इकोनॉमी में टूरिज्म का बहुत बड़ा रोल है। इन दोनों के देश की कुल जीडीपी का 10 फीसदी हिस्सा टूरिज्म से ही आता है। अजरबैजान की बात करें तो यहां 70% पर्यटक भारत से ही जाते हैं। भारत-पाक तनाव के बाद भारत के लोगों के बॉयकॉट तुर्की और अजरबैजान कैंपेंन छेड़ दिया, जिसका असर दिखना शुरु हो गया। travel booking platforms जैसे Ixigo और EaseMyTrip Turkey के लिए बुकिंग नहीं ले रहे हैं। भारत के लोगों तुर्की को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है। अब लोग अजरबैजान की जगह बैंकाक जाने लगे हैं। देश भर के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने इन देशों में जाने का अपना प्लान कैसिंल कर दिया है। अकेले पूर्वांचल से 15000 पर्यटकों ने इन दोनों देशों का प्लान कैंसिल किया है।
अब भारत से लाखों टूरिस्ट तुर्की और अजबैजान नहीं जाएंगे
ऑल इंडिया टूरिस्ट फेडरेशन के मुताबिक दिनों में सिर्फ पूर्वांचल से 15000 से ज़्यादा पर्यटकों ने अपना प्लान और टिकट कैंसिल करा लिया है। अभी तो तीन दिन का ही ये आंकड़ा है उम्मीद की जा रही है कि ये संख्या 25 हज़ार से 30 हज़ार के बीच जा सकती है। ट्रैवल कंपनियां भी इसमें लोगों का साथ दे रही है। कॉक्स एन्ड किंग, एसओटीसी और इज़ माय ट्रिप जैसी ट्रैवेल कम्पनियां लोगों से कोई कैंसिलेशन चार्ज भी नही ले रही हैं। इंफोइंडिया के आकड़ों के मुताबिक साल 2024 में भारत से करीब 2.50 लाख टूरिस्ट ने अजरबैजान की यात्रा की। वहीं तुर्की की बात करें तो करीब 3 लाख टूरिस्ट भारत से तुर्की गए थे। यात्रा के दौरान हर यात्री औसतन करीब 1000 अमेरिकी डॉलर यानी 85,000 रुपये खर्चा किया। इस तरह पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देशों को पिछले साल करीब 469 करोड़ रुपये की आय हुई।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खास अखबारों का सोशल मीडिया खाता बंद
पाकिस्तान के मददगारों के खिलाफ भारत ने कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दो भोंपू ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ न्यूज के सोशल मीडिया अकाउंट्स के बाद अब टीआरटी वर्ल्ड के एक्स अकाउंट को भी बंद कर दिया गया है। टीआरटी वर्ल्ड, तुर्की का ब्रॉडकास्टर है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद लगातार भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैला रहा था। तुर्की और चीन के ब्रॉडकास्टर लगातार भारत के खिलाफ फर्जी खबरें और भ्रामक जानकारियां फैला रहे थे। इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यर एर्दोगन ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत को संकेतों में चेतावनी देने की कोशिश की थी। जिसके बाद भारत ने तुर्की के लीडिंग ब्रॉडकास्टर के सोशल मीडिया अकाउंट को बैन कर दिया गया है।