Home झूठ का पर्दाफाश पाक सैन्य प्रमुख MUNIR ने लंच का एहसान चुकाया, युद्ध भड़काकर खजाना...

पाक सैन्य प्रमुख MUNIR ने लंच का एहसान चुकाया, युद्ध भड़काकर खजाना भरने वाले TRUMP के लिए मांगा नोबेल पीस प्राइज

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अजब उलटबांसियां हैं…दुनियाभर के कई देशों में युद्ध भड़काने, उसे प्रोत्साहित करने वाले और आतंक के आका के साथ लंच करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति अवार्ड के लिए बिलबिला रहे हैं। पहले जानकारी आई थी कि पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को अमेरिका की मिलिटरी परेड में शामिल होने के लिए बुलाया गया है। बाद में व्हाइट हाउस ने इस बात खंडन कर दिया। तर्क दिया कि किसी विदेशी सैन्य प्रमुख को निमंत्रित नहीं किया गया है। फिर व्हाइट हाउस ने ही जानकारी दी कि राष्ट्रपति ट्रंप ने मुनीर को लंच के लिए बुलाया है। पाक पीएम शरीफ को क्यों नहीं बुलाया इस पर चुप्पी साध ली। लंच के बाद ट्रंप ने कहा कि उन्होने मुनीर को शुक्रिया कहने के लिए बुलाया है। किस बात का शुक्रिया….गजब तर्क दिया गया कि मुनीर ने पाकिस्तान की तरफ़ से युद्ध रोकने में प्रभावी भूमिका निभाई। ट्रंप का ऐसा कहना पाकिस्तान की राजनीतिक सत्ता को धत्ता बताने जैसा ही है। कितने कमाल की बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ़ हैं, लेकिन युद्ध रोकने का क्रेडिट ट्रंप ने आसिम मुनीर को दिया है। यानी ट्रंप ने ये कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि पाक को सरकार नहीं, सेना चलाती है। अब मुनीर ने लजीज लंच में शामिल होकर नमक का हक अदा करते हुए ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की वकालत कर डाली है।

मुनीर ने लंच खाकर पाक सत्ता और पड़ोसी देश ईरान का किया सौदा
अमेरिका में पाकिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने आसिम मुनीर को हत्यारा और गीदड़ तक कहा, पर आसिम मुनीर अपनी पीठ पर ट्रंप का हाथ पाकर उसी तरह गदगद हैं, जैसे पाकिस्तान के हर सेना प्रमुख होते रहे हैं। पाकिस्तान के सामने आर्थिक बदहाली से निकलने की चुनौती है, जिसके लिए वह अमेरिका की तरफ़ देख रहा है, इसलिए ईरान जैसे अपने परंपरागत साझीदार को भी वो छोड़ने को तैयार है। जैसा कि ट्रंप ने दावा किया है कि आसिम मुनीर ईरान को समझते हैं, लेकिन जो कुछ हो रहा है उससे ख़ुश नहीं हैं। ट्रंप ने ये भी कहा कि ईरान पर मुनीर उनकी बातों से सहमत हैं। यदि जरूरत पड़ी तो ईरान के खिलाफ पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत अमेरिका को दे सकता है। कुल मिला कर ऐसा लगता है कि मुनीर ने ट्रंप का लंच खाकर पाकिस्तान की सत्ता और पड़ोसी देश ईरान का भी सौदा कर लिया है।अमेरिका की इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा सिर्फ हथियारों के निर्यात पर निर्भर
विश्व भर में हथियार निर्यात करने में अमेरिका अव्वल है। कई बार यह देखने को भी मिला है कि अगर दो देशों में लड़ाई हो रही हो तो अमेरिका उन दोनों को हथियार सप्लाई करता है। इसके बाद दोनों देशों के बीच शांतिदूत बनने की भी कोशिश करता है। अमेरिका की इकोनॉमी का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ हथियारों के निर्यात पर निर्भर है। दरअसल, हर देश अपनी सेना को मजबूत करने के लिहाज से हथियार खरीदता है और अगर वह दूसरे देश को अपनी तकनीक बेचने में सक्षम है तो वो इसे बेचता भी है। लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार बेचने वालों में अमेरिका का नाम शामिल है। हथियार बेचने के मामले में अमेरिका का नाम टॉप पर आता है. रिपोर्ट्स की माने तो साल 2024 में अमेरिका ने 318.7 बिलियन डॉलर के हथियार बेचे हैं। बीते साल की तुलना में अमेरिका ने 2024 में 29% अधिक हथियार बेचे हैं. वहीं रूस दुनिया में हथियार निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।

पाक सरकार ने भी ट्रंप को 2026 के नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया
अब तो पाकिस्तान सरकार ने भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 2026 के नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया है। पाकिस्तान का कहना है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ट्रम्प की कूटनीतिक पहल और मध्यस्थता ने एक बड़े युद्ध को टालने में मदद की। पाकिस्तानी सरकार ने अपने ऑफिशियल स्टेटमेंट में कहा कि ट्रम्प ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों से बात कर संघर्षविराम में अहम भूमिका निभाई। इससे दो न्यूक्लियर ताकत वाले देशों के बीच युद्ध की आशंका टल गई। पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश को भी सराहा और कहा कि जब तक कश्मीर का हल नहीं निकलता, तब तक क्षेत्र में स्थायी शांति नहीं आ सकती।शर्मनाक! सेना प्रमुख आमंत्रित और प्रधानमंत्री शरीफ कहीं नजर नहीं आए
इस बीच क्षेत्रीय सैन्य गतिशीलता का तीखा आकलन करते हुए भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ दोपहर के भोजन पर हुई बैठक पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि यह उस देश के लिए यह “शर्मनाक” है, जहां सेना नागरिक सरकार पर हावी हो जाती है। सिंह ने कहा, “यह ना सिर्फ आश्चर्यजनक है, बल्कि किसी भी देश के लिए यह शर्म की बात होगी कि सेना प्रमुख को आमंत्रित किया गया और प्रधानमंत्री कहीं नज़र नहीं आए।” उनकी यह टिप्पणी पाकिस्तान की आंतरिक शक्ति गतिशीलता और विदेश नीति में उसकी सेना की केंद्रीय भूमिका की बढ़ती वैश्विक जांच के बीच आई है। भारत द्वारा हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सिंह ने खुलासा किया था कि पाकिस्तानी सेना को भारत की तुलना में जन और सामग्री दोनों के मामले में “कई गुना” ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का दावा-मुझे 4-5 बार नोबेल मिलना चाहिए था
पाकिस्तान की पैरवी के बावजूद ट्रम्प ने कहा, ‘मैं कितने भी युद्ध रोक लूं, कुछ भी कर लूं, मुझे नोबेल नहीं मिलेगा।’ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध टालने, रूस-यूक्रेन और ईरान-इजराइल जैसे विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन उन्हें नोबेल पीस प्राइज नहीं मिलेगा। ट्रम्प ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मैं जो भी कर लूं, नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। वैसे मुझे यह पुरस्कार 4-5 बार मिलना चाहिए था, लेकिन वे मुझे पुरस्कार नहीं देंगे। क्योंकि वे इसे सिर्फ लिबरल्स को ही देते हैं। मैंने विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ मिलकर कांगो-रवांडा युद्ध को रोकने के लिए शांति समझौता कराया है। यह दशकों से चल रहा खूनी संघर्ष था।”

मुनीर ने ट्रम्प को भारत-पाक के बीच संघर्ष रुकवाने का क्रेडिट दिया
इससे पहले ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर से बंद कमरे में मुलाकात की थी। दोनों ने व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में साथ लंच किया था। यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ की मेजबानी की। ट्रम्प-मुनीर की मुलाकात और मुनीर के ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग वाले बयान साथ-साथ आए। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने बताया कि मुनीर ने ट्रम्प को मई में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने का क्रेडिट दिया है। उनके इस बयान के सम्मान में ट्रम्प ने उन्हें लंच पर बुलाया था। ट्रम्प से उनकी मुलाकात से कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से 35 मिनट तक फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान मोदी ने साफ कहा था कि 7 से 10 मई तक चले ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच बातचीत के बाद सीजफायर हुआ था। किसी बाहरी मध्यस्थता के माध्यम से नहीं।

नोबेल नॉमिनेट्स के नाम 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते
वैसे जहां तक नोबेल प्राइज 2026 की बात है तो इसके लिए ऑफिशियल रजिस्ट्रेशन सितंबर में शुरू किए जाएंगे। हालांकि, अभी अंतिम तारिख का ऐलान नहीं किया गया है। 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी थी। 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 338 नॉमिनेशन किए गए। इनमें से 244 व्यक्ति और 94 संगठन थे। 2023 में इस पुरस्कार के 286 उम्मीदवार नामांकित थे। 2016 में सबसे अधिक 376 नॉमिनेशन हुए थे। नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं। इमरान का नाम भी प्रस्ताव रखने वाली संस्था ने उजागर किया था।

चाहे मैं कुछ भी कर लूं, नोबेल शांति पुरस्कार मुझे नहीं मिलेगा
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर खुद को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने के संबंध में एक पोस्ट किया है। ट्रंप ने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा, “मैं यह बताते हुए बहुत ख़ुश हूं कि मैंने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ मिलकर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो और रवांडा के बीच एक शानदार समझौता कराया है। मुझे इस काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। मुझे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने पर नोबेल नहीं मिला। सर्बिया और कोसोवो के बीच शांति लाने पर नहीं मिला। मुझे मिस्र और इथियोपिया के बीच शांति बनाए रखने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। मुझे मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा।” ट्रंप की प्रतिक्रिया पढ़कर ऐसा लग रहा है मानो वे कटाक्ष की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हों। अपनी पोस्ट के आख़िर में ट्रंप ने लिखा, ” चाहे मैं कुछ भी कर लूं, रूस-यूक्रेन हो या इसराइल-ईरान, नोबेल शांति पुरस्कार मुझे नहीं मिलेगा। लेकिन लोगों को सब पता है, और मेरे लिए यही सबसे ज़रूरी है!”अब तक किन अमेरिकी राष्ट्रपतियों को नोबेल शांति पुरस्कार मिला है?
अब तक चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों को नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। आख़िरी बार बराक ओबामा के रूप में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को यह सम्मान मिला था।
बराक ओबामा: अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति बराक ओबामा को साल 2009 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान उन्हें अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और देशों के बीच सहयोग को मज़बूत करने के उनके प्रयासों के लिए दिया गया था।
थियोडोर रूज़वेल्ट: थियोडोर रूज़वेल्ट अमेरिका के 26वें राष्ट्रपति थे. 1901 में राष्ट्रपति मैकिनले की हत्या के बाद इन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति बनाया गया था। रूस-जापान युद्ध को ख़त्म करवाने के लिए इन्हें 1906 में नोबेल शांति पुरस्कार भी दिया गया था।
वुडरो विल्सन: वुडरो विल्सन संयुक्त राज्य अमेरिका के 28वें राष्ट्रपति थे, जो 1913 से लेकर 1921 तक पद पर रहे। विल्सन को 1919 में राष्ट्र संघ की स्थापना में उनके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जिमी कार्टर: जिमी कार्टर साल 1977 से लेकर 1981 तक अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे। कार्टर को साल 2002 में विश्व शांति, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पिछले साल 100 साल की उम्र में उनका देहांत हुआ था और वे अमेरिकी इतिहास में सबसे ज़्यादा समय तक जीवित रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति थे।

 

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