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ऑपरेशन सिंदूर: निर्णायक विजय से पीएम मोदी की साख हुई और मजबूत, भारत बना वैश्विक रणनीति का नया केंद्र

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था। यह भारत की सुरक्षा नीति, रणनीतिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रभावशीलता का नया ऐलान था। पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के जवाब में शुरू यह अभियान पाक समर्थित आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार बन गया। पहलगाम आतंकी हमला न तो पहला था और न ही सबसे बड़ा, लेकिन इस बार भारत की प्रतिक्रिया असाधारण थी। ऑपरेशन सिंदूर के रूप में भारत ने ना सिर्फ करारा जवाब दिया, बल्कि एक नया सैन्य और रणनीतिक सिद्धांत स्थापित कर दिया। 7 से 10 मई के बीच चार दिनों तक चले इस सीमित, लेकिन तीव्र सैन्य अभियान ने न सिर्फ पाकिस्तान को सैन्य रूप से झकझोर कर रख दिया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की साख, क्षमता और इच्छाशक्ति का ऐसा प्रदर्शन किया जो दशकों में पहली बार देखा गया। भारत वैश्विक रणनीति का नया केंद्र बन गया। इसके साथ ही भारत ने यह साफ कर दिया कि आतंक के खिलाफ अब वह चुप नहीं बैठेगा, घर के भीतर घुसकर मारेगा।

इस ऑपरेशन के जल्द रोके जाने को लेकर कुछ सवाल भी उठे। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने क्या हासिल किया? भारत की प्रमुख उपलब्धियां क्या रही?

भारत की दमदार सैन्य ताकत का खुला प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान को साफ-साफ दिखा दिया कि अब खेल बदल चुका है। भारत ने सिर्फ बातें नहीं कीं, सीधे एक्शन लिया। पाकिस्तान के अंदर घुसकर 15 से अधिक आतंकियों और सेना से जुड़े ठिकानों को तबाह कर दिया। इनमें बहावलपुर, मुरिदके और मुजफ्फराबाद जैसे बड़े आतंकी अड्डे भी शामिल थे। भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों पर नहीं, उनके ड्रोन कंट्रोल सेंटर और एयरबेस तक को निशाना बनाया। ये दिखाने के लिए कि अगर जरूरत पड़ी, तो भारत उनके दिल तक पहुंच सकता है। इस ऑपरेशन का मकसद बहुत साफ़ था- आतंक का ढांचा तोड़ना, अपनी सैन्य ताकत दिखाना, दुश्मन को दोबारा सोचने पर मजबूर करना और दुनिया को बताना कि भारत अब नई सुरक्षा नीति पर चल रहा है। सबसे खास बात ये रही कि ये सब भारत ने सिर्फ चार दिन में कर दिखाया। बिना किसी लंबी लड़ाई में फंसे और बिना किसी बड़े देश की मदद मांगे। इस अभियान के दौरान पाकिस्तान की एयर डिफेंस सिस्टम एकदम बेबस नजर आई। वहीं भारत की मल्टीलेयर डिफेंस सिस्टम ने पाक के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया। इससे ये भी साबित हो गया कि तकनीक और ताकत दोनों में भारत अब कहीं आगे है। इसके साथ ही भारत ने पूरी दुनिया को ये भी दिखा दिया कि अब वो सिर्फ रिएक्शन नहीं देता, अब वो एक्शन भी लेता है। और वो भी सोच-समझकर, सटीक और जबरदस्त तरीके से।

सीमित लेकिन सटीक हमला: भारत का बदला हुआ अंदाज
इस बार भारत ने अपने पुराने तरीकों से कुछ अलग किया। भारत ने पूरे युद्ध में कूदे बिना ही जो करना था, वो करके दिखा दिया। सीमित हमला किया। ठीक वहीं जहां जरूरत थी और उतना ही जितना जरूरी था। तय योजना के तहत सीमित कार्रवाई कर अपने सारे मकसद पूरे कर लिए। ये ऑपरेशन कोई भावनाओं में बहकर लिया गया फैसला नहीं था। ये एकदम सोच-समझकर किया गया अभियान था। इसे जानबूझकर युद्ध में नहीं बदलने दिया गया, लेकिन आतंक को करारा जवाब भी दे दिया गया। भारत ने ये दिखा दिया कि अब युद्ध मतलब सिर्फ बम-विस्फोट और सीमा पार करना नहीं होता। अब लड़ाई सोच-समझकर, सीमित दायरे में और साफ मकसद के साथ लड़ी जाती है। इस अभियान का मकसद ना देश पर कब्जा करने की मंशा थी, ना किसी सरकार गिराने या बदलने की। सिर्फ एक बात दुनिया को बतानी थी कि अगर भारत पर हमला हुआ, तो जवाब जरूर मिलेगा और ऐसा मिलेगा कि दुबारा सोचने पर मजबूर कर देगा। अब भारत की लड़ाई का तरीका बदल गया है। ये सिर्फ हथियार नहीं दिखाता, ये बताता है कि कब, कहां और कैसे उनका इस्तेमाल करना है। ये एक नया भारत है- जो सिर्फ आवाज नहीं उठाता, अब असर भी दिखाता है।

रणनीतिक आत्मनिर्भरता-नई सोच, नया जवाब
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने दुनिया को साफ-साफ बता दिया कि अब हम किसी और के भरोसे नहीं हैं। ना अमेरिका की तरफ देखा, ना रूस से पूछा और ना ही संयुक्त राष्ट्र से कोई मदद मांगी। जो करना था, खुद सोचा, खुद प्लान किया, और खुद ही अंजाम दिया। ये वही भारत है जो कभी हमलों के बाद बयान देता था और अंतरराष्ट्रीय मदद का इंतजार करता था। लेकिन इस बार भारत ने ये दिखा दिया कि अब हम अपने फैसले खुद लेते हैं और अपनी लड़ाई खुद लड़ते हैं। यह भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता का साफ संकेत है, यानि अब हम दूसरों की सहमति या मदद पर नहीं, अपनी सोच, ताकत और साधनों पर भरोसा करते हैं। अब भारत रिएक्शन में नहीं चलता, एक्शन पर भरोसा करता है और नई दिशा तय करता है। यह बदलाव सिर्फ एक रणनीति नहीं है, ये मानसिकता का बदलाव है।

भारत के नए सिद्धांत, नई सुरक्षा नीति की घोषणा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने देश की सुरक्षा नीति की नई दिशा को दुनिया के सामने रख दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि ‘पानी और खून साथ नहीं बह सकते। भारत अब परमाणु ब्लैकमेल के नीचे छिपे आतंक को बर्दाश्त नहीं करेगा।’ इसका मतलब साफ है कि अब अगर पाकिस्तान ये सोचता है कि परमाणु हथियार की आड़ में आतंकवाद फैलाएगा, भारत पर हमला करेगा और बच निकलेगा, तो वो जमाना गया। अब हम सिर्फ जवाब नहीं देंगे, हम ऐसा जवाब देंगे जो आगे कुछ करने लायक नहीं रहेगा। इस बयान के साथ भारत ने अपनी पुरानी “रुको, सोचो, इंतजार करो” वाली नीति को पीछे छोड़ दिया है। अब भारत की नीति है- “सोचो जरूर, लेकिन फैसला लो और अगर जरूरत हो तो तुरंत एक्शन में आ जाओ।” भारत अब अपनी सुरक्षा अपने अंदाज में तय करता है और उसी अंदाज में जवाब भी देता है।

विश्व रणनीति का नया नेतृत्वकर्ता बना भारत
भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं रहा। इस अभियान ने दिखाया कि वह वैश्विक रणनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल जैसे राष्ट्रों ने भारत की संतुलित शक्ति प्रदर्शन की खुले तौर पर सराहना की। इन तमाम देशों ने भारत की सटीक और संतुलित प्रतिक्रिया की भी सराहना की है।

पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेराबंदी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देशों ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया कि वह आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे। इस अभियान के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेराबंदी का सामना करना पड़ रहा है। FATF में फिर से निगरानी की मांग उठी है। आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों ने पाक को जवाबदेह ठहराने की बात की है। एक ऐतिहासिक बदलाव के तौर पर OIC तक में भारत के पक्ष में स्वर बदलते दिखे।

ऑपरेशन सिंदूर से देश के रक्षा उद्योग को बड़ा फायदा
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपने ही देश में बने यानी मेड इन इंडिया ड्रोन, रडार, एयर डिफेंस सिस्टम और सैटेलाइट से मिलने वाली खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया। इससे एक बात साफ हो गई कि भारत अब तकनीक के मामले में भी आत्मनिर्भर बन चुका है और अपनी जरूरतों को खुद पूरा कर सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को इससे एक नई ऊर्जा मिली, और दुनिया ने देखा कि भारत अब सिर्फ खरीदार नहीं, बल्कि खुद निर्माता बन गया है। इस आत्मनिर्भरता और रणनीतिक स्थिरता का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिखा। मुंबई और बेंगलुरु के शेयर बाजारों में ऑपरेशन के बाद तेजी आई, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा। अब वैश्विक निवेशक भारत को एक ऐसे देश के रूप में देख रहे हैं जो न केवल स्थिर है, बल्कि समय आने पर तेज और सटीक फैसले भी लेने में सक्षम है। भारत ने साबित कर दिया कि वह न सिर्फ जंग जीत सकता है, बल्कि तकनीक, उद्योग और अर्थव्यवस्था के मैदान में भी पूरी तरह तैयार है।

रक्षा क्षेत्र में विश्वास और निवेश की वृद्धि
ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ हमारी सेना की ताकत बढ़ाई, बल्कि भारत की घरेलू रक्षा कंपनियों की अंतरराष्ट्रीय साख में भी इजाफा किया है। ऑपरेशन में स्वदेशी तकनीक, रडार, ड्रोन्स और कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम के सफल उपयोग ने भारत के डिफेंस निर्यात को वैश्विक आकर्षण का केंद्र बना दिया है। HAL, BEL और DRDO जैसे संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय पूछताछ मिलनी शुरू हो गई है। IAI (Israel) और Rafael जैसी विदेशी कंपनियां भारत में संयुक्त उत्पादन-निर्माण के प्रस्ताव दे रही हैं।

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं था, ये भारत की ओर से एक साफ संदेश था कि अब हम सिर्फ रिएक्ट नहीं करते, अब हम दिशा तय करते हैं। ये दिखा दिया गया कि भारत अब ऐसा देश है जो शांति चाहता है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो युद्ध से भी पीछे नहीं हटता। इस ऑपरेशन से दुनिया को एक बड़ी बात समझ आ गई कि भारत अब सिर्फ अपने लोगों की रक्षा नहीं करता, वह अपने सिद्धांतों की भी रक्षा करता है, वो अपने उसूलों और सोच की भी हिफाजत करता है। आतंकवाद को जवाब देना तो एक मकसद था ही, लेकिन उससे भी बड़ा मकसद था दुनिया को दिखाना कि भारत अब एक जिम्मेदार और ताकतवर देश है, जो सही समय पर सख्त फैसला ले सकता है। इस अभियान ने भारत की एक नई पहचान बनाई है-एक ऐसा देश जो ना सिर्फ मजबूत है, बल्कि समझदार और संतुलित भी है। अब भारत सिर्फ मैदान में तैयार नहीं है, वो अपने कायदे-कानून और शर्तों पर खेलने के लिए तैयार है। ये वही भारत है, जो अब वैश्विक सुरक्षा और नीति के मंच पर अपनी जगह खुद बना रहा है।

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