जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जिस दृढ़ता का परिचय देते हुए ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। इसने प्रधानमंत्री मोदी की छवि को वैश्विक स्तर पर और मजबूत किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता को लेकर दुनिया भर में एक पॉजिटिव संदेश गया है। इस ऑपरेशन ने पीएम मोदी को विश्व पटल पर ना सिर्फ एक निर्णायक नेता के रूप में स्थापित किया है, बल्कि उनकी जीरो टॉलरैंस की नीति ने उन्हें आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले एक सशक्त नेता के रूप में भी सामने लाया है।
देश का भरोसा बढ़ा
ऑपरेशन सिंदूर से प्रधानमंत्री मोदी की छवि एक निर्णायक, निडर और निरंतर काम करने वाले नेता के रूप में स्थापित हुई। इससे देशवासियों में यह संदेश गया कि पीएम मोदी जब तक सत्ता में हैं, देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और एयर स्ट्राइक (2019) के बाद इस ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया है कि यह नया भारत और शक्तिशाली भारत है, जो घर में घुसकर मारता है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत पाकिस्तान पर रणनीतिक, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक तीनों मोर्चे पर भारी पड़ा। इससे देशवासियों, खासकर युवाओं में उनकी लोकप्रियता और बढ़ी है। न्यूज चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया पर पीएम मोदी को राष्ट्र नायक के रूप में दिखाया गया। #ModiStrikesBack, #StrongPM जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, जिससे जनता के बीच उनकी छवि को और मजबूती मिली।
वैश्विक मंच पर विश्वसनीयता और बढ़ी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता व लोकप्रियता और बढ़ी है। अमेरिका, फ्रांस, रूस, जापान, सऊदी अरब, इजरायल, इटली समेत दुनिया के तमाम देशों ने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थन किया। जी-20 और क्वाड खुलकर भारत के पक्ष में उतर आए, जबकि पाकिस्तान को सिर्फ चीन और तुर्की का साथ मिला। इससे भारत की छवि सिर्फ आतंकवाद से पीड़ित राष्ट्र से आगे एक ‘एक्शन लेने वाले राष्ट्र’ के रूप में उभरी। सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़कर देश लौटना और तुरंत सैन्य कार्रवाई को हरी झंडी देना। यह दुनिया के लिए एक सख्त और दृढ़ नेतृत्व का उदाहरण बना।
ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। इस कार्रवाई के जरिए, प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने एक नए भारत की छवि पेश की है, जो सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाइयों से आतंकवाद और अन्य वैश्विक चुनौतियों का सामना करता है। आइए विस्तार से जानते है पहलगाम हमले से अभी तक की स्थिति पर…
पहलगाम हमला
पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई। इस्लामी आंतकियों ने नाम, धर्म पूछकर महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए पर्यटकों को चुन-चुनकर गोली मार दी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नए मोर्चे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF-टीआरएफ) ने ली।
ऑपरेशन सिंदूर
इस आतंकी हमले के समय प्रधानमंत्री सऊदी अरब की यात्रा पर थे। हमले के तुरंत बाद उन्होंने अपना दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने एयरपोर्ट पर ही एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में पहलगाम हमले की गंभीरता पर चर्चा की गई और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई गई। इस बैठक के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की। इसका मकसद पाकिस्तान और पीओके के आतंकवादी ठिकानों को तबाह करना था।
कार्रवाई को मिली कामयाबी
इस ऑपरेशन की शुरुआत भारतीय सेना, वायुसेना और खुफिया एजेंसियों की ओर से संयुक्त रूप से की गई। भारतीय सशस्त्र बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक हवाई हमले करते हुए पाकिस्तान-पीओके के अंदर स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारत ने ना सिर्फ आतंकी ठिकानों पर सटीक बमबारी करते हुए उन्हें तबाह कर दिया, बल्कि नियंत्रण रेखा के पास आतंकियों की घुसपैठ को भी नाकाम किया। इससे पाकिस्तान सीजफायर के लिए मजबूर हो गया। इस कार्रवाई ने दुनिया को यह दिखा दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ एक कठोर और निर्णायक नीति अपना रहा है।
पाकिस्तानी सेना को लगा बड़ा झटका
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल से नियंत्रण रेखा पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इसपर भारत ने करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान की गोलीबारी को नाकाम करने के साथ, उसके कई शहरों में एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। इससे पाकिस्तान को तगड़ा नुकसान पहुंचा।
पाकिस्तान पर बढ़ा अंतरराष्ट्रीय दबाव
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की स्थिति काफी कमजोर हो गई। आतंकियों के जनाजों में राजनेताओं और सेना के अफसरों के शामिल होने पर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। आतंकवाद के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता दिखा। आतंकियों को श्रेय देने के लेकर पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका पर सवाल उठने लगे। ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान पर यह दबाव बढ़ा कि वह अपने क्षेत्र में पल रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे। इसके अलावा, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे मंचों पर पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हुई। उसे सिर्फ चीन और तुर्की जैसे गिने-चुने देशों के अलावा कहीं से ठोस समर्थन नहीं मिला। जबकि आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई का अमेरिका, फ्रांस, रूस, इटली, इजरायल, जापान, जर्मनी और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों ने समर्थन किया।
भारत की विदेश नीति को मजबूती
ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने दुनिया को यह संदेश भी दिया कि वह ‘कूटनीति और सुरक्षा’ दोनों मोर्चों पर संतुलित रवैया अपनाता है। इससे भारत को रणनीतिक गठबंधन मजबूत करने में लाभ मिला- खासकर QUAD जैसे मंचों पर। ऑपरेशन के दौरान मिली खुफिया सफलता ने यह साबित किया कि भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियां वैश्विक सहयोग के लिए भरोसेमंद हैं। इससे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ साइबर सुरक्षा साझेदारी मजबूत हुई। साथ ही भारत की सैन्य तकनीक और निर्णायक कार्रवाई की क्षमता ने अन्य देशों को आकर्षित किया है। उससे रक्षा क्षेत्र में निर्यात की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं।
भारत की वैश्विक छवि में सुधार
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने यह दिखा दिया कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की होती है, तो वह ना सिर्फ अपनी रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि अब वह आतंकवाद के खिलाफ दुश्मन के घर में घुसकर कार्रवाई करता है। यह कार्रवाई भारत की “शक्तिशाली भारत” की छवि को और मजबूती प्रदान करती है। भारत ने यह भी साफ कर दिया कि अब वह आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जरूरी सैन्य कदम भी उठाएगा। इससे वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति और मजबूत हुई है। साथ ही विश्व के ज्यादातर देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया है।