पेगासस जासूसी मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी सहित विपक्ष के तमाम नेताओं को तगड़ा झटका लगा है। इस मुद्दे पर विपक्ष का झूठ बेनकाब हो गया है। पेगासस जासूसी मामले की जांच करने वाली विशेषज्ञ कमिटी ने अपनी तरफ से जांचे गए किसी भी मोबाइल में पेगासस स्पाइवेयर होने की पुष्टि नहीं की है। कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसे लोगों की तरफ से कुल 29 फोन दिए गए। 5 में मालवेयर होने का अंदेशा पाया गया, लेकिन यह तय नहीं हो पाया कि यह पेगासस ही है।
Supreme Court appointed technical committee couldn’t find Pegasus spyware on 29 submitted phones
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— ANI Digital (@ani_digital) August 25, 2022
पिछले साल 15 याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पेगासस स्पाईवेयर के माध्यम से जासूसी किए जाने का अंदेशा जताते हुए जांच की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर, 2021 को सच्चाई जांचने के लिए 3 सदस्यीय तकनीकी कमिटी बनाई थी। कमिटी की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर वी रवींद्रन को नियुक्त किया गया था। अब कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि जांच में जासूसी के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।
पिछले साल संसद का मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले अखबारों में पेगासस जासूसी मामले से सनसनी फैल गया था और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा संसद में गतिरोध उत्पन्न कर दिया था। उस समय बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस विवाद के पीछे मोदी विरोधी ताकतों का हाथ बताते हुए दावा किया था कि राहुल गांधी उन मुद्दों को उठाने के चैंपियन हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय ताकतों का निहित स्वार्थ होता है। जहां राफेल विरोध के पीछे हथियारों की लॉबी काम कर रही थी, वहीं पेगासस प्रोजेक्ट के पीछे विदेशी मीडिया सिंडिकेट काम कर रहा है।
मालवीय ने विपक्षी दलों पर विदेशी ताकतों के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया था। इस आरोप के ठोस आधार भी थे, क्योंकि यह खबर सबसे पहले अमेरिकी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट‘ में प्रकाशित हुई। इस खबर में दावा किया गया कि इजरायल के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके 50 देशों के हजारों लोगों के फोन की निगरानी की गई। लेकिन ना तो कोई सूची दी गई और ना ही प्रमाण दिया गया कि किस फोन में ये सॉफ्टवेयर डाला गया। दरअसल इस विवादे के पीछे अंतरराष्ट्रीय नेक्सस काम कर रहा था।
मोदी सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिश
मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल और फोर्बिडन स्टोरीज़ दोनों ने पेगासस को हथियार बनाया। एमनेस्टी इंटरनेशनल के बाद पेरिस स्थित संस्था ‘फोर्बिडन स्टोरीज़’ ने पेगासस जासूसी मामले की फोरेंसिक जांच शुरू की, जो अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस के संस्थान ‘ओपन सोसायटी फाउंडेशन’ की सहायता से चलती है। जॉर्ज सोरोस कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने से लेकर सीएए जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार की खुलकर आलोचना कर चुके हैं। वहीं चीन अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया सिंडिकेट को लगातार पैसे खिला रहा है। जून 2021 में द डेली कॉलर ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि चाइना डेली ने नवंबर 2016 से द वाशिंगटन पोस्ट (4.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर) समेत कई प्रमुख अमेरिकी प्रकाशनों को लाखों अमेरिकी डॉलर की फंडिंग की है।
विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिंग
कांग्रेस और उसके नेताओं का इतिहास रहा है कि वो विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिंग करते रहे हैं। इसके लिए वे एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम करते हैं। राफेल डील हो या विदेशी वैक्सीन कंपनियों को भारत में प्रवेश दिलाना हो, राहुल गांधी ने हमेशा विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिंग की है। राहुल गांधी ने राफेल की प्रतिस्पर्धी कंपनी के इशारे पर राफेल डील के खिलाफ माहौल बनाया। डील रद्द करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। मोदी सरकार पर इस डील से जुड़ी जानकारियों को साझा करने का दबाव डाला। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के मंसूबों पर पानी फेर दिया। अब कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि पेगासस स्पाईवेयर मामले को लेकर हंगामा कर लोकसभा को स्थगित करके देश के करोड़ों रुपये को बर्बाद करने वाले राहुल गांधी क्या अब देश से माफी मांगेंगे?
Now that the SC appointed commitee has found no evidence of Pegasus, will Rahul Gandhi, who championed this campaign, explain how these reports emerged just before crucial sessions of the Parliament in foreign media and one Indian portal.
Which syndicates interest was he serving?— Amit Malviya (@amitmalviya) August 25, 2022
Parliament was held hostage over Pegasus! Time & again Rahul Gandhi derided our entire democratic edifice (ironically he inherits the emergency DNA)
Imagine the kind of damage that was done in the name of fake Pegasus propaganda! Will they apologise to India? pic.twitter.com/E51qx0Ki1v
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) August 25, 2022
No Pegasus found in the 29 phones examined by the supreme court committee.
Congress wasted 2 parliament sessions on attacking Modi govt on Fake Pegasus issue. Rahul Gandhi did daily press conferences then, today he won’t speak a word.
Now he will move to a different Lie.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) August 25, 2022
So Supreme Court appointed committee found nothing wrong with Pegasus case
Imagine how much time and energy of the nation was wasted by opposition over this
It was always nothing
Just a conspiracy theory like Rafale.
— Abhishek (@AbhishBanerj) August 25, 2022
Pegasus lie busted. None of the 29 phones examined had the spyware.
No worries. Sooner than later another fanciful story on surveillance will be floated by #LeftLiberal conspiracy theorists and #FakeNews mongers. They are never short on lurid imagination (or dubious funds). https://t.co/aNnK3bHuY4— Kanchan Gupta ?? (@KanchanGupta) August 25, 2022
Supreme Court appointed committee finds no evidence of Pegasus.
Another propaganda bites dust but who will bear the cost of disruption as Congress used this issue to disrupt Parliament session which delayed several important bills.
— Rishi Bagree (@rishibagree) August 25, 2022
Supreme Court appointed technical committee couldn’t find Pegasus spyware on 29 submitted phones.
— Prashant Umrao (@ippatel) August 25, 2022
We know – Every conspiracy congress peddle against Modi to bring him down, turns out fake, Be it Rafale, EVM, Central Vista, Vaccinations or Pegasus. https://t.co/TcbDSt2cA4
— Lala ?? (@FabulasGuy) August 25, 2022
पेगासस जासूसी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पेगासस पैनल द्वारा जांच किए गए 29 में से किसी भी मोबाइल में पेगासस स्पाइवेयर की मौजूदगी दिखाने के लिए कोई निर्णायक सबूत नहीं है।#aupremecourt #PegasusSpyware
— Rajeev Sinha (@rajeevksinha) August 25, 2022
उन 29 मोबाइल फोन में कोई पेगासस सॉफ्टवेयर नहीं पाए गए, जिनकी जांच SC के पैनल ने की..
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया @indeditorsguild के साथ ही 10 तथाकथित बुद्धिजीवियों-पत्रकारों ने SC में एक याचिका दायर की थी। उनका आरोप था कि सरकार नागरिकों, नेताओं, पत्रकारों की जासूसी कर रही है pic.twitter.com/s1ojEmBGyG
— The Indian Affairs (@ForIndiaMatters) August 25, 2022
Pegasus मुद्दे पर विपक्ष का झूठ हुआ बेनकाब
पेगासस पर हंगामा करके लोकसभा स्थगित करके देश का करोड़ो रुपया बर्बाद करने वाले अब देश से माफ़ी कब मांग रहे है ? @INCIndia @AamAadmiParty pic.twitter.com/9lHef7UUC5— Social Tamasha (@SocialTamasha) August 25, 2022