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दुनिया की संसदों में गूंजा भारत: प्रधानमंत्री मोदी ने 15 देशों की संसदों में अपनी बात रख बनाए ऐतिहासिक रिकॉर्ड

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 3 जुलाई 2025 को घाना की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। यह विदेशी संसद में उनका 15वां भाषण है। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले किसी भी भारतीय नेता ने इतनी बार किसी विदेशी विधायिका में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं किया है। आज घाना की संसद को संबोधित करना इसलिए भी मायने रखता है कि क्योंकि 30 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने वहां की यात्रा की है और उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई है। उन्होंने वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज को नए मुकाम तक पहुंचाया है।

घाना की संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कितना सुखद संयोग है कि भारत के कई गौरव भरे क्षण में अफ्रीका जुड़ा हुआ है। जब भारत ने चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड किया, तो उस दिन भी मैं अफ्रीका में था, और आज जब एक भारतीय Astronaut मानवता के लिए स्पेस स्टेशन में Experiments कर रहा है, तो भी मैं अफ्रीका में हूं।

घाना की संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करते हुए मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना से ओतप्रोत है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में, मैं अपने साथ 1.4 बिलियन भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूं। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक उथल-पुथल हर किसी के लिए चिंता का विषय है। ऐसे समय में भारत का लोकतंत्र आशा की किरण बन गया है। भारत की विकास यात्रा वैश्विक विकास को गति दे रही है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक स्तंभ है – यह जितना मजबूत होगा, दुनिया उतनी ही सशक्त होगी।

पांच महाद्वीप, पंद्रह संसद
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद से अब तक जिन 15 देशों की संसदों में ऐतिहासिक भाषण दिए हैं, उनमें शामिल हैं: भूटान (2014), नेपाल संविधान सभा (2014), ऑस्ट्रेलिया संसद (2014), फिजी संसद (2014), श्रीलंका संसद (2015), मंगोलिया संसद (2015), ब्रिटिश संसद (2015), अफगानिस्तान संसद (2015), अमेरिकी कांग्रेस (संयुक्त सत्र) – पहली बार (2016), दूसरी बार (2023), युगांडा संसद (2018), मालदीव संसद (2019), गयाना संसद (2024), घाना संसद (2025)

इसमें सबसे खास बात यह रही कि अमेरिकी कांग्रेस को दो बार संबोधित करने वाले वे एकमात्र भारतीय प्रधानमंत्री हैं। पीएम मोदी ने हर मंच पर भारत की लोकतांत्रिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति को दुनिया के सामने रखा, और हर संबोधन में भारत की नई वैश्विक छवि को रेखांकित किया। पीएम मोदी के भाषणों में हमेशा भारत की विकास यात्रा, लोकतंत्र की शक्ति, वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक समन्वय को प्रमुखता मिली है।

उनके संबोधन के कुछ अहम बिंदु इस तरह रहे हैं-

  • लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विश्व मंच पर उजागर करना।
  • डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसी पहलों की
  • जानकारी और वैश्विक निवेशकों को भारत में आमंत्रण।
  • आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता की अपील।
  • भारतीय संस्कृति और सभ्यता को वैश्विक संदर्भों में जोड़ना।
  • ग्लोबल साउथ की आवाज बनना।

पूर्व प्रधानमंत्रियों की तुलना में रिकॉर्ड
पीएम मोदी का यह रिकॉर्ड उन्हें अन्य भारतीय प्रधानमंत्रियों से बहुत आगे ले जाता है। प्रधानमंत्री मोदी 15 संसदों को संबोधित कर चुके हैं। जबकि पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह 7, इंदिरा गांधी 4, जवाहरलाल नेहरू 3, राजीव गांधी 2, अटल बिहारी वाजपेयी 2, पीवी नरसिंहराव 1 और मोरारजी देसाई 1 विदेशी संसद को संबोधित कर चुके हैं।

अमेरिका में मोदी की विशेष गूंज
22 जून 2023 को पीएम मोदी ने जब दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, तो पूरे हॉल में चार बार खड़े होकर तालियां बजाई गईं और लगभग 70 बार उनका भाषण तालियों से रोका गया। तब उन्होंने कहा था, “भारत और अमेरिका मिलकर दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतंत्रों के रूप में विश्व को नई दिशा दे सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का यह वैश्विक रिकॉर्ड सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता, आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है। उनकी विदेश यात्राएं और संबोधन भारत को ग्लोबल साउथ से लेकर पश्चिमी लोकतंत्रों तक एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में स्थापित कर चुके हैं। आज जब दुनिया भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में देख रही है, उसमें प्रधानमंत्री मोदी की इन ऐतिहासिक संसद संबोधनों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

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