शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से इतर आज, 1 सितंबर को चीन के तियानजिन शहर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अहम बैठक हुई। ये मुलाकात सिर्फ औपचारिक बातचीत नहीं रही, बल्कि भारत-रूस की गहरी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का संकेत भी रही।
प्रधानमंत्री ने भारत-रूस के रिश्तों को “स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप” बताया और कहा कि कठिन से कठिन हालात में भी भारत और रूस हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चले हैं। ये रिश्ता केवल हमारे देशों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए भी अहम है।
बैठक की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि आपसे मिलकर हमेशा खुशी होती है। आपसे मिलकर बहुत सी चीजों की जानकारियों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लगातार उच्च स्तरीय संवाद होता रहा है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को इस साल भारत में होने वाली वार्षिक समिट के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत उन्हें फिर से मेजबान के तौर पर देखने को उत्साहित है। उन्होंने आगे कहा कि इस साल दिसंबर में भारत में होने वाली 23वीं भारत-रूस वार्षिक समिट के लिए 140 करोड़ भारतीय आपका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
दोनों नेताओं ने आर्थिक, वित्तीय और ऊर्जा सहयोग जैसे अहम क्षेत्रों पर चर्चा की। बातचीत में इस बात पर संतोष जताया गया कि इन क्षेत्रों में भारत-रूस संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। दोनों नेताओं ने इस सहयोग को और आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
यूक्रेन संकट को लेकर भी बातचीत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ तौर पर कहा कि भारत हालिया शांति प्रयासों का स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि सभी पक्ष रचनात्मक ढंग से आगे बढ़ें। संघर्ष को जल्द खत्म करना और एक स्थायी शांति स्थापित करना समय की जरूरत है। यह सिर्फ एक देश का मामला नहीं, बल्कि पूरी मानवता की पुकार है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की इस बैठक ने एक बार फिर साफ कर दिया कि भारत और रूस का रिश्ता सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और ऐतिहासिक गहराई से जुड़ा हुआ है। जब दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, ऐसे वक्त में यह दोस्ती स्थिरता और संतुलन की मिसाल बन रही है।