मोदी सरकार ने किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना 2025’ को मंजूरी दे दी गई है। इस नई योजना पर सरकार करीब 24,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। 16 जुलाई 2025 को कैबिनेट ने तीन बड़े फैसलों को मंजूरी दी।। इनका सीधा असर देश के किसान, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रीन एनर्जी सेक्टर पर पड़ेगा। ये फैसले न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित होंगे।
सबसे प्रमुख फैसला ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को लेकर लिया गया है, जो सीधे तौर पर देश के किसानों के लिए एक बड़ी राहत और नई उम्मीद लेकर आई है। यह योजना 2025-26 से शुरू होकर अगले छह वर्षों तक चलेगी और देश के 100 जिलों में लागू की जाएगी। इन जिलों का चयन ऐसे क्षेत्रों में किया गया है जहां वर्तमान में कृषि उत्पादकता कम है, फसल विविधता सीमित है और किसानों को पर्याप्त ऋण नहीं मिल पा रहा है।
इस योजना का उद्देश्य इन जिलों में कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्रों में समग्र विकास को तेज करना है। इसमें किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली बीजें, फसल विविधीकरण के लिए सहायता, जल और मिट्टी के संरक्षण के उपाय, हर पंचायत और प्रखंड स्तर पर भंडारण क्षमता में वृद्धि, सिंचाई व्यवस्था को और दुरुस्त करना, और सस्ते व सुलभ कृषि ऋण की सुविधा जैसे कई पहलुओं पर काम किया जाएगा। इसके तहत हर साल लगभग 24,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे अगले छह वर्षों में कुल मिलाकर लगभग ₹1.44 लाख करोड़ का निवेश होगा।
खास बात ये है कि इस योजना का संचालन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय के साथ किया जाएगा। योजना में प्रगतिशील किसान भी जिला समितियों का हिस्सा होंगे, जिससे जमीनी अनुभवों का लाभ सीधे नीतियों तक पहुंचेगा। मासिक मॉनिटरिंग और नीति आयोग की समीक्षा व्यवस्था इस योजना को पारदर्शिता और जवाबदेही की दृष्टि से और मज़बूत बनाती है।
दूसरा अहम फैसला देश में तेजी से बढ़ते ग्रीन एनर्जी सेक्टर को लेकर किया गया है। सरकार ने एनटीपीसी लिमिटेड को उनके अक्षय ऊर्जा उपक्रमों में निवेश के लिए अधिक वित्तीय स्वतंत्रता दी है। पहले जहां एनटीपीसी की निवेश सीमा 7,500 करोड़ रुपये थी, वहीं अब उसे 20,000 करोड़ रुपये तक निवेश करने की अनुमति दे दी गई है। यह निवेश एनटीपीसी की सहायक कंपनियों जैसे कि NTPC Renewable Energy Ltd (NREL) और NTPC Green Energy Ltd (NGEL) के माध्यम से होगा। इसका लक्ष्य 2032 तक 60 गीगावाट तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है। यह निर्णय न केवल हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देगा बल्कि देश में चौबीसों घंटे स्वच्छ और सस्ती बिजली आपूर्ति को संभव बनाएगा। इसके साथ-साथ इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
तीसरा बड़ा फैसला एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) को लेकर लिया गया है, जो देश के प्रमुख ऊर्जा उपक्रमों में से एक है। सरकार ने एनएलसीआईएल को 7,000 करोड़ रुपये की राशि अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अक्षय ऊर्जा कंपनी NLC India Renewables Limited (NIRL) में निवेश करने की विशेष अनुमति दी है।
इस निर्णय के तहत एनएलसीआईएल को संयुक्त उद्यम और सहायक कंपनियों में निवेश के लिए पहले से ही अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। यह फैसला एनएलसीआईएल को 2030 तक 10.11 गीगावाट और 2047 तक 32 गीगावाट ग्रीन एनर्जी क्षमता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा। इसके साथ ही यह निवेश भारत की COP26 में की गई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और ‘नेट ज़ीरो’ उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। इस निवेश से कंपनी की सात मौजूदा अक्षय ऊर्जा संपत्तियां NIRL को हस्तांतरित की जाएंगी, जिससे इन परिसंपत्तियों को और व्यवस्थित तरीके से संचालित करने में मदद मिलेगी। ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में एनएलसीआईएल की यह पहल न केवल कोयले पर निर्भरता को कम करेगी बल्कि भारत को स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल अर्थव्यवस्था की ओर भी ले जाएगी।