Home नरेंद्र मोदी विशेष प्रधानमंत्री मोदी एक ‘तपस्वी नेता’: उद्योगपति एमएल मित्तल ने कहा- उन्हें न...

प्रधानमंत्री मोदी एक ‘तपस्वी नेता’: उद्योगपति एमएल मित्तल ने कहा- उन्हें न सत्ता का मोह, न सुविधाओं की चाह

SHARE

देश के जाने-माने उद्योगपति और स्टील कारोबारी एम.एल. मित्तल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सादगीपूर्ण जीवन और सेवा-भावना को लेकर एक अनोखा अनुभव साझा किया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रख्यात उद्योगपति कहते दिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली और जीवनशैली आज भी उतनी ही सादगी और अनुशासन से भरी है, जितनी वह दो दशक पहले थी।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस की ओर से जारी वीडियो में एम.एल. मित्तल ने बताया है कि नरेन्द्र मोदी उनकी पहली मुलाकात 1998 में न्यूयॉर्क में हुई थी। उस समय मोदी किसी बड़े पद पर नहीं थे, लेकिन उनकी सोच और व्यवहार ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। मित्तल बताते हैं, “मोदी जी ने मुझसे पूछा- ‘आप मेरी क्या मदद कर सकते हैं?’ इतनी विनम्रता और सेवा-भावना मैंने बहुत कम लोगों में देखी है।”

मित्तल ने बताया कि नरेन्द्र मोदी का जीवन एक तपस्वी की तरह था। “वह न होटल में रुकते, न एसी में सोते, सिर्फ फलाहार करते और जमीन पर सोते थे। एक दिन उन्होंने अपना टिफिन निकाला, जिसमें सिर्फ गुड़ और मूंगफली थी। मैंने पूछा, ‘यही खाना है?’ तो बोले, ‘हां, यही मेरा भोजन है।’ यह देखकर मैं हैरान रह गया।”

मित्तल ने एक और अनूठा किस्सा साझा करते हुए कहा कि “सुबह पांच बजे मोदी जी उठकर सबके लिए चाय बनाते, टेबल सजाते। मैंने कहा, ‘आप क्यों कर रहे हैं?’ तो बोले, ‘सेवा मेरी आदत है।’ यह उनके स्वभाव में रचा-बसा है।”

जब मोदी दिल्ली में भाजपा महासचिव बने, तब भी उन्होंने साधारण सांसद क्वार्टर में रहना चुना। उन्होंने बताया, “एक दिन मिलने गया तो मोदी जी पसीने से भीगे, हाथ में पानी का मग लिए खड़े थे, लेकिन चेहरे पर वही मुस्कान थी। न कोई शिकायत, न कोई दिखावा।”

मित्तल ने खुलासा किया कि विदेश यात्राओं पर मिलने वाला भत्ता भी मोदी पार्टी फंड में जमा कर देते थे। उनका कहना था-‘यह जनता का पैसा है, इसे सेवा में लगना चाहिए।’ मित्तल ने कहा, “ऐसी ईमानदारी और समर्पण बहुत दुर्लभ है।”

देश के जाने-माने उद्योगपति मित्तल ने कहा कि मोदी ने गुजरात में जो विकास मॉडल स्थापित किया, वह आज पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। “उनकी योजनाओं और कार्यशैली में वही तप, त्याग और अनुशासन आज भी झलकता है, जो मैंने पहली बार देखा था।”

Leave a Reply