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उडुपी में लक्ष कंठ गीता पारायण: प्रधानमंत्री मोदी ने साझा किया गीता का जीवन और राष्ट्र निर्माण संदेश

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज 28 नवंबर को कर्नाटक में उडुपी के श्री कृष्णा मठ में आयोजित लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के दर्शन, श्रीमद्भगवद गीता के मंत्रों का आध्यात्मिक अनुभव और इतने सारे संतों व गुरुओं की उपस्थिति उनके लिए अत्यंत सौभाग्यपूर्ण है। उन्होंने इसे अनगिनत आशीर्वादों के समान बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब एक लाख लोग एक स्वर में गीता के श्लोकों का उच्चारण करते हैं, तो यह केवल आध्यात्मिक शक्ति ही नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना की शक्ति भी दर्शाता है। उन्होंने विशेष रूप से परमपूज्य श्री श्री सुगुणेंद्र तीर्थ स्वामी जी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस दिव्य आयोजन की नींव रखी और गीता लेखन यज्ञ का वैश्विक अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री ने इसे सनातन परंपरा का एक वैश्विक जन आंदोलन बताया, जो युवा पीढ़ी को भगवद्गीता के भावों और शिक्षाओं से जोड़ने में प्रेरणा देता है।

प्रधानमंत्री ने उडुपी के अष्ट मठों और जगद्गुरु श्री माध्वाचार्य द्वारा स्थापित द्वैत दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये मठ ज्ञान, भक्ति और सेवा का संगम हैं और आज भी समाज के प्रत्येक वर्ग की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि माध्वाचार्य ने अपने समय में भक्ति का मार्ग दिखाया, जिससे समाज में समरसता और एकता बनी।

प्रधानमंत्री मोदी ने गीता के उपदेशों को केवल व्यक्तिगत जीवन ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और नीति निर्धारण के लिए भी मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि गीता में दिए गए “सर्वभूतहिते रतः” और “लोक संग्रहम्” जैसे सिद्धांत आज हमारे समाज कल्याण, आयुष्मान भारत, पीएम आवास, नारी सुरक्षा और वैश्विक नीतियों जैसे वैक्सीन मैत्री, सोलर अलायंस और वसुधैव कुटुंबकम में परिलक्षित होते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता हमें सिखाती है कि शांति और सत्य की स्थापना के लिए अत्याचारियों का अंत भी आवश्यक है। उन्होंने मिशन सुदर्शन चक्र और ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा कि नया भारत किसी के आगे नहीं झुकता और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनों से गीता की प्रेरणा से नौ संकल्प करने का आग्रह किया:
1. जल संरक्षण, पानी और नदियों की सुरक्षा।
2. अधिक से अधिक पेड़ लगाना।
3. कम से कम एक गरीब व्यक्ति के जीवन में सुधार।
4. स्वदेशी को अपनाना और Vocal for Local अभियान को बढ़ावा देना।
5. प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देना।
6. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना, मिलेट्स का सेवन और तेल की मात्रा कम करना।
7. योग को जीवन का हिस्सा बनाना।
8. पांडुलिपियों और प्राचीन ज्ञान के संरक्षण में सहयोग करना।
9. देश की विरासत स्थलों का दर्शन करना।

प्रधानमंत्री ने कुरुक्षेत्र में हाल ही में खुले महाभारत अनुभव केंद्र और गुजरात में माधवपुर मेले का उदाहरण देते हुए लोगों को इन स्थलों पर जाकर भगवान श्री कृष्ण के जीवन दर्शन की प्रेरणा लेने की भी सलाह दी।

उन्होंने कहा कि लक्ष कंठ गीता पारायण केवल एक आध्यात्मिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और राष्ट्रीय ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम भी है। उन्होंने आशा जताई कि संत समाज और आम जनता के सहयोग से ये संदेश जन-जन तक पहुंचेंगे और भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विरासत को मजबूत बनाएंगे।

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