बीते 11 वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की एनडीए सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं लागू कीं। इन योजनाओं ने न केवल खेती की पारंपरिक छवि बदली, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त भी बनाया। आज बिहार का किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माता की भूमिका निभा रहा है। 2014 से 2025 तक का यह दशक भारतीय कृषि के इतिहास में सबसे अधिक परिवर्तनकारी युग साबित हुआ है। केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की एनडीए सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने, उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त करने और आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं।
किसानों के सम्मान और समृद्धि की कहानी : पीएम किसान सम्मान निधि योजना
देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले किसान आज प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से आर्थिक सहारा पा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत अब तक किसानों के खातों में सीधी सहायता राशि के रूप में करोड़ों रुपए पहुंच चुके हैं। योजना की शुरुआत से लेकर अब तक 19 किस्तों में कुल 3.69 लाख करोड़ रुपये सीधे देश के करोड़ों किसान परिवारों के बैंक खातों में जमा किए जा चुके हैं। हाल ही में जारी की गई 20वीं किस्त में 9.70 करोड़ से अधिक किसानों को 20,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उनके खातों में हस्तांतरित की गई। यह सुनिश्चित करता है कि सहायता बिना बिचौलियों के सीधे किसानों तक पहुंचे। इस योजना के तहत प्रत्येक पात्र किसान परिवार को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में उनके बैंक खातों में पहुंचाई जाती है। छोटे और सीमांत किसान परिवारों के लिए यह योजना एक बड़ा सहारा साबित हुई है, खासकर बुवाई के समय जब उन्हें बीज, खाद और अन्य कृषि सामग्री की आवश्यकता होती है।
बिहार में किसानों का भविष्य संवार रही- पीएम किसान सम्मान योजना
केंद्र की इस योजना से बिहार के किसानों को भी बड़ा लाभ मिला है। अब तक राज्य को 25,497 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली है, जिससे 86.56 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ है। सिर्फ 19वीं किस्त में ही बिहार के 76.37 लाख किसानों को 1,591 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई। इस प्रकार, राज्य में अब तक किसानों को हस्तांतरित कुल सहायता राशि 27,088 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है।
किसान कल्याण मोदी और डबल इंजन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
मोदी सरकार का स्पष्ट मानना है कि किसान का कल्याण ही कृषि की समृद्धि का मार्ग है। किसान सम्मान निधि योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना ही नहीं, बल्कि उत्पादन बढ़ाना, लागत कम करना, उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना, फसल नुकसान की भरपाई करना और कृषि में विविधता लाना है। पहले छोटे किसानों को बुवाई के मौसम में बीज और खाद खरीदने के लिए अक्सर साहूकारों से ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता था। लेकिन अब किसान इस निधि से अपनी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ी है और कर्ज के बोझ से भी राहत मिली है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आज केवल एक सरकारी योजना नहीं रही, बल्कि यह किसानों के जीवन में स्थायी आर्थिक सुरक्षा और सम्मान का प्रतीक बन गई है।
MSP में लगातार वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में निरंतर वृद्धि ने न केवल खाद्यान्न उत्पादकों को उचित मूल्य दिलाया है, बल्कि उनकी आय में भी इजाफा हुआ है। गेहूं और धान जैसे प्रमुख फसलों के लिए MSP में 70% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। 2014–2025 के बीच गेहूं का MSP ₹1,400 से बढ़कर ₹2,425 हुआ। धान का MSP ₹1,310 से ₹2,369 तक पहुंच गया।
डबल इंजन सरकार में बिहार के किसानों को मिला बड़ा संबल
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार की डबल इंजन सरकार राज्य में कृषि और डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने में निरंतर जुटी है। हाल ही में कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शुरू कू गई हैं, जिनसे न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने वाली है।
बरौनी में 113.27 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित अत्याधुनिक डेयरी उत्पाद संयंत्र का शुभारंभ किया गया। इस संयंत्र की दूध प्रसंस्करण क्षमता लगभग 2 लाख लीटर प्रतिदिन होगी। इसके संचालन से न केवल दूध उत्पादन और प्रसंस्करण में वृद्धि होगी बल्कि स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मोतिहारी में 33.80 करोड़ रुपये की लागत से बने क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) का उद्घाटन किया। यह केंद्र मवेशी प्रजनन और डेयरी उत्पादकता को नई दिशा देगा। 29 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन का शुभारंभ किया था, जिसके लिए 2027-28 तक 6,865 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 4,761 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को 254.4 करोड़ रुपये का अनुदान और 1,900 एफपीओ को 453 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी कवर मिल चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में 10,000वें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का भी उद्घाटन किया। यह अवसर 2020 में तय किए गए 10,000 एफपीओ बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति का प्रतीक रहा। इससे किसानों को संगठित होने और बाजार तक सीधी पहुंच का अवसर मिल रहा है।
मखाना बोर्ड की स्थापना से नए अवसर
बिहार में मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की है। इससे न केवल मखाना उत्पादकों को नए अवसर मिलेंगे बल्कि बिहार की पहचान को मखाना उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी।
बिहार राज्य फसल सहायता योजना
किसी के प्रकार की आपदा से निपटने में यह योजना बिहार के किसानों के बहुत काम आ रही है। पिछले दिनों बिहार में आई बाढ़ ने राज्य के कई किसानों की खरीफ फसल को भारी नुकसान पहुँचाया है। लेकिन अब किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। बिहार सरकार ने खरीफ मौसम 2025 में फसल नुकसान झेल रहे किसानों के लिए विशेष राहत योजना की घोषणा की है।स योजना में मखाना, टमाटर और अन्य प्रमुख फसलों का विवरण तथा उनके प्रभावित जिले पहले ही निर्धारित कर दिए गए हैं।राज्य के सभी 38 जिलों में धान और 31 जिलों में मक्का की फसल नष्ट होने पर किसानों को मुआवजा मिलेगा। इस योजना से बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल नुकसान झेल रहे किसानों को आर्थिक सहारा मदद मिलने से कृषि पर पड़ने वाला उनका बोझ काफी कम होने वाला है।
पीएम किसान मानधन योजना से राज्य के किसानों को सुनिश्चित पेंशन
बिहार देश में पीएम किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई) में सबसे आगे है, जहां सबसे अधिक किसानों ने इस योजना के तहत पंजीकरण कराया है। यह योजना किसानों के जीवन को सम्मानजनक बनाने और वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पीएम-केएमवाई एक स्वैच्छिक और अंशदायी वृद्धावस्था पेंशन योजना है। इसके तहत लघु और सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त होने पर 3,000 रुपये प्रति माह की निश्चित पेंशन दी जाती है। योजना का लाभ पाने के लिए किसान को अपने कार्यकाल के दौरान मासिक अंशदान करना होता है, जिसमें केंद्र सरकार भी बराबर का योगदान करती है।
पीएम-केएमवाई के प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन: 60 वर्ष की आयु पर हर पात्र किसान को 3,000 रुपये प्रति माह गारंटी के साथ पेंशन।
पारिवारिक पेंशन: पेंशन प्राप्त करते समय मृत्यु होने पर जीवनसाथी को 1,500 रुपये प्रति माह मिलते हैं।
सरकार द्वारा समान अंशदान: केंद्र सरकार भी किसानों द्वारा किए गए अंशदान के बराबर राशि पेंशन निधि में देती है।
स्वतः डेबिट सुविधा: पीएम-किसान लाभ का उपयोग करके मासिक अंशदान बैंक खाते से स्वतः डेबिट किया जा सकता है।
मोदी सरकार अपने किसान भाई-बहनों के कल्याण के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। इसे इन आंकड़ों से भी आसानी से समझा जा सकता है। कृषि और किसान कल्याण विभाग के बजट अनुमान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 2013–14 में ₹27,663 करोड़ से बढ़कर 2024–25 में ₹1,37,664.35 करोड़ हो गया है, यानी इस अवधि में लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है।
बिहार की डिजिटल कृषि क्रांति: किसानों के लिए नई उम्मीद
2025 में बिहार सरकार ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘डिजिटल एग्रीकल्चर निदेशालय’ की स्थापना की। यह पहल किसानों को आधुनिक तकनीक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे लाभ पहुंचाने का एक अभिनव प्रयास है।
इस पहल की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
मोबाइल ऐप्स के माध्यम से योजनाओं का आवेदन और ट्रैकिंग।
ड्रोन तकनीक से फसल निगरानी और कीटनाशक छिड़काव।
मौसम पूर्वानुमान और बाजार भाव की रियल-टाइम जानकारी।
ऑनलाइन किसान पंजीकरण और ई-डैशबोर्ड निगरानी, जिससे प्रशासन और किसान सीधे जुड़े।
बिहार सहित देशभर के किसानों का जीवन ज्यादा से ज्यादा आसान हो इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नेतृत्व में बिहार की डबल इंजन सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI): यह एक एकीकृत डिजिटल इकोसिस्टम है, जो भूमि रिकॉर्ड, फसल पैटर्न और किसान प्रोफाइल को जोड़कर योजनाओं के पारदर्शी संचालन में मदद करता है।
नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (e-NAM): वर्चुअल मंडी के माध्यम से किसान अब अपने उत्पाद पूरी पारदर्शिता के साथ बाजार में बेच सकते हैं।
डिजिटल सशक्तिकरण का असर: किसान-केंद्रित डिजिटल बुनियादी ढांचे ने यह सुनिश्चित किया है कि इन पहलों का लाभ देश भर के सभी पात्र किसानों तक बिचौलियों के बिना पहुंचे।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बिहार में हो रही ये पहल दिखलाती है कि राज्य और केंद्र मिलकर कृषि के डिजिटलीकरण और किसानों की समृद्धि की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं।
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से किसानों का सशक्तिकरण
भारत सरकार ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) की शुरुआत की है। यह योजना किसानों और कृषि उद्यमियों को सबसिडी और क्रेडिट गारंटी के माध्यम से पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट और निवेश के लिए ऋण उपलब्ध कराती है। AIF का मुख्य उद्देश्य फार्म-गेट स्टोरेज और लॉजिस्टिक सुविधाओं का विकास है, जिससे किसान अपनी फसल सुरक्षित रख सकें और बिचौलियों पर निर्भरता कम कर बेहतर कीमत प्राप्त कर सकें। इसके तहत गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, सॉर्टिंग और ग्रेडिंग यूनिट, राइपिनिंग चेंबर जैसे इंफ्रास्ट्क्चर विकसित की जाती हैं। इस पहल से किसानों को व्यापक बाजार तक पहुंच बनाने और कमाई के बेहतर अवसर मिलते हैं। 30 जून, 2025 तक, पूरे भारत में AIF के तहत 1,13,419 प्रोजेक्ट्स के लिए ₹66,310 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया जा चुका है। इस योजना से बिहार के किसानों को भी बड़ा लाभ हो रही है।
कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए अन्य प्रमुख पहल:
इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन और फूड प्रोसेसिंग योजना: PMKSY का हिस्सा, पोस्ट-हार्वेस्ट के नुकसान को कम कर किसानों को उचित दाम सुनिश्चित करती है।
कोल्ड स्टोरेज आधुनिकीकरण योजना: क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी से हॉर्टिकल्चरल उत्पादों की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बढ़ती है।
एग्रीकल्चरल मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (AMI): ग्रामीण भारत में गोदाम और स्टोरेज निर्माण के लिए वित्तीय सहायता।
मतस्य पालन के विकास के लिए, पटना में आधुनिक मत्स्य विकास केंद्र
मत्स्य पालन के विकास के लिए भी बिहार में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। पटना में एम्स अस्पताल के पास प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आधुनिक मछली का होलसेल मार्केट खोला जाएगा। इस पहल से राज्य में मछली उत्पादन और व्यापार को नई दिशा मिलेगी। आधुनिक मछली बाजार खुलने से दूसरे राज्यों में मछली भेजना और बाहर से मंगवाकर संरक्षित करना आसान हो जाएगा। इस मार्केट में कोल्ड चेम्बर बनाया जाएगा, जिससे मछलियों का संरक्षण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। साथ ही, मार्केट में मछली मार्केटिंग से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहेंगे, ताकि व्यापारियों की समस्याओं का तुरंत समाधान हो सके। इसके साथ ही पटना में मत्स्य मॉल खोलने की योजना भी है। यह पांच मंजिला मॉल मछली उत्पादन, मार्केटिंग और संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों का केंद्र होगा।
बिहार और देश की कृषि के लिए सुनहरा दौर
2014 से 2025 का कालखंड भारतीय कृषि के लिए वास्तव में सुनहरा रहा। मोदी सरकार और बिहार की एनडीए सरकार ने मिलकर ऐसा मजबूत तंत्र बनाया, जिसने किसान को सुरक्षा, सम्मान और अवसर मिल रहा है। आज का किसान बीमा से सुरक्षित है, तकनीक से सशक्त है और नीतियों से समर्थवान बन रहा है। भविष्य की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि जैविक और प्राकृतिक खेती, मिलेट्स और सुपरफूड्स का वैश्विक प्रचार और डिजिटल कृषि हब के रूप में बिहार का विकास। इस क्षेत्र में राज्य को एक नई पहचान देने वाला हैं। केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हमेशा किसानों का कल्याण और कृषि क्षेत्र की समृद्धि रही है। बरौनी डेयरी संयंत्र, एफपीओ, मखाना बोर्ड जैसी पहलों ने यह साबित किया कि समृद्ध किसान ही आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं। आज का किसान सिर्फ उत्पादक नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का अहम स्तंभ बन चुका है। यही किसान आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक खाद्य महाशक्ति बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।