पीएम नरेन्द्र मोदी के विजनरी दिशा-निर्देशन में भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस लगातार जीत हासिल करने से रोक नहीं पा रही है तो अब वो ओछे हथकंडे अपनाने पर उतर आई है। कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर भाजपा के सहयोगी संगठनों पर रोक लगाने की कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने हिमाकत की है। आरएसएस की शाखाएं राज्य में ना लग पाएं और उसका पथ संचलन ना हो पाए। इसलिए सिद्धारमैया सरकार ने निजी संगठनों को सरकारी परिसरों और सार्वजनिक जगहों, सड़कों और पार्कों आदि में कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से पहले प्रशासन की अनिवार्य मंजूरी का आदेश इसी माह जारी कर दिया। लेकिन गलत राजनीतिक मंशा से प्रेरित सिद्धारामैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने करारा झटका दिया है। उच्च न्यायालय की धारवाड़ बेंच ने राज्य सरकार के आदेश पर ही रोक लगा दी है। इससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम पहले की भांति कर्नाटक में बदस्तूर जारी रह सकेंगे। इस बीच आरएसएस ने यह भी तय किया है कर्नाटक समेत देशभर में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक लाख हिंदू सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। बस्ती और मंडल स्तर तक पर भी होने वाले इन सम्मेलनों में युवाओं को हिंदुत्व के प्रति जागरूक बनाने के लिए विशेष कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे।

कांग्रेस की ओछी राजनीति, पथ संचलन और शाखा पर रोक
कांग्रेस के युवराज अपनी पार्टी को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लगातार हरवाते हुए हार के शतक के करीब हैं। ऐसे में कांग्रेस कुत्सित चालों पर उतर आई है। कांग्रेस को लगता है कि भाजपा को जिताने में पीएम मोदी के अलावा आरएसएस भी अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में उस पर रोक लगाने से भाजपा को नुकसान हो सकता है। इसी ओछी सोच के चलते कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर कर्नाटक सरकार ने राज्य की किसी भी सरकारी संपत्ति या परिसर में निजी संगठनों के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था। नए नियमों के तहत सार्वजनिक जगहों, सड़कों और सरकारी परिसरों में बिना अनुमति के 10 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने, पथ संचलन करने या शाखा लगाने पर रोक लगा दी थी। आदेश के अनुसार, इस विनियमन का उद्देश्य भूमि, भवन, सड़क, पार्क, खेल के मैदान और जलाशयों सहित सार्वजनिक संपत्तियों का संरक्षण, सुरक्षा और उचित उपयोग सुनिश्चित करना बताया गया।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सिद्धारमैया सरकार को दिया झटका
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका देते हुए उसके इस आदेश पर रोक लगा दी है। सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगाने की कथित मंशा से प्रेरित सिद्धारामैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने मंगलवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है,जिसमें सरकारी स्वामित्व सथ्लों पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से पहले निजी संगठनों को पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश पर अंतरिम स्थगन दिया और अगली सुनवाई की तारीख 17 नंवबर तय की है। कर्नाटक सरकार के इस आदेश में आरएसएस की गतिविधियों को राज्य में बाधित करने के इरादे साफ तौर पर नजर आ रहे थे। हालांकि अब कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
Karnataka HC puts interim stay on State gov’s order banning RSS to hold events in government buildings
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— ANI Digital (@ani_digital) October 28, 2025

कांग्रेस सरकार का आदेश मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा
राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ ‘पुनशचैतन्य सेवा समस्थे’ नामक संगठन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई नवंबर तक टाल दी है। याचिका दायर करने वाले संगठन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार का आदेश संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। वकील ने कहा कि ‘सरकार का आदेश है कि 10 से ज्यादा लोगों को भी इकट्ठा होने के लिए सरकार की मंजरी लेनी होगी। यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। यहां तक कि अगर किसी पार्क में कोई समारोह होता है तो सरकार के इस आदेश के अनुसार, वह भी अवैध होगा।’

सरकार इस तरह के प्रशासनिक आदेश जारी नहीं कर सकती
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ‘जब पुलिस कानून लागू है तो फिर ऐसे आदेश की जरूरत क्यों पड़ी? सरकार इस तरह के प्रशासनिक आदेश जारी नहीं कर सकती।’ इस पर राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने जवाब देने के लिए एक दिन का समय मांगा। इस पर उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि इस आदेश से कर्नाटक सरकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) और 19 (1)(बी) के तहत मिले अधिकारों को छीन रही है। सरकारी वकील द्वारा आपत्तियां दर्ज करने के लिए समय मांगने का उल्लेख करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सरकारी आदेश से भारत के संविधान के अनुच्छेद 13(2) का उल्लंघन होने के मद्देनजर, आदेश और इससे सभी परिणामी कार्रवाइयां सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेंगी। सरकार ने 18 अक्टूबर को यह आदेश जारी किया था।

भाजपा ने कहा- फैसले से कर्नाटक सरकार का मुंह बंद हुआ
कर्नाटक सरकार के बदनीयती वाले आदेश की उच्च न्यायालय द्वारा पोल खोल देने के बाद कांग्रेस पर भाजपा हमलावर है। भाजपा नेताओं के मुताबिक कर्नाटक ही नहीं, जिन कुछ राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बचीं हैं, वे केंद्र सरकार, भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी कर रही हैं। कांग्रेस की एक सरकार ने तो जीएसटी बचत उत्सव में भी अड़ंगा लगाने की कोशिश की। अब कर्नाटक सरकार संघ की खिलाफत के असफल प्रयास में है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि ‘यह सिद्धारमैया सरकार, प्रियांक खरगे के लिए बड़ा झटका है। ये बीते कुछ हफ्तों से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा कर रहे थे। अब उच्च न्यायालय के इस आदेश से राज्य सरकार का मुंह बंद होगा क्योंकि आज न्याय हुआ है।’

देशभर में एक लाख हिंदू सम्मेलन आयोजित करेगा संघ
दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कर्नाटक समेत देशभर में एक लाख हिंदू सम्मेलनों के आयोजन का निर्णय किया गया है। आरएसएस प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने मंगलवार को जबलपुर में ये जानकारी दी। वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि देशभर में एक लाख हिंदू सम्मेलन किए जाएंगे। बस्ती और मंडल स्तर पर होने वाले इन सम्मेलनों में युवाओं के विशेष कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। जबलपुर में कल (30 अक्टूबर) से आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक होगी। संघ के प्रचार प्रमुख ने बताया कि बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत 407 कार्यकर्ता शामिल होंगे। इसके साथ ही 46 प्रांतों के संघ पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

आरएसएस कार्यकर्ता ‘घर-घर संपर्क अभियान’ चलाएंगे
देशभर में संघ का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। आंबेकर ने कहा कि शताब्दी समारोहों की शुरुआत नागपुर में 2 अक्टूबर, विजयादशमी के दिन हुई थी। ‘पंच परिवर्तन’ आरएसएस की एक पहल है, जो पांच प्रमुख क्षेत्रों- सामाजिक समरसता, पारिवारिक चेतना, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण जागरूकता और आत्मनिर्भरता के जरिए राष्ट्र के परिवर्तन पर केंद्रित है।आंबेकर ने बताया कि संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल की बैठक में देश के सामाजिक हालात पर चिंतन होगा। इसमें बस्ती-मंडल स्तर पर होने वाले हिंदू सम्मेलन की कार्ययोजना पर बात होगी। इसके अलावा शताब्दी वर्ष पर शुरू होने वाले सघन गृह संपर्क अभियान पर चर्चा की जाएगी।

कोलकाता, मुंबई और बेंगलुरु में भी होंगे बुद्धिजीवी सम्मेलन
उन्होंने बताया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत कोलकाता, मुंबई और बेंगलुरु में बुद्धिजीवियों के सम्मेलनों में भाग लेंगे। आंबेडकर से पूछा गया कि क्या काशी-मथुरा मंदिर मुद्दों पर चर्चा होगी, तो उन्होंने कहा कि सभी सामाजिक मुद्दों और वर्तमान परिस्थितियों पर विचार किया जाएगा। आंबेकर ने कहा कि युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि उन्हें देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया जा सके। यह व्यापक अभियान होगा। इसके लिए स्तर पर संपर्क किया जाएगा। बैठक में समाज, जीवन पर होने वाली बातों के अलावा देश की सुरक्षा जैसे विषयों पर भी चिंतन किया जाएगा।
गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी वर्ष पर खास कार्यक्रम
• आरएसएस शताब्दी संकल्प के तहत हिंदू धर्म के लिए त्याग बलिदान देने वाले गुरु तेग बहादुर जी के 350वीं शहीदी वर्ष पर विशेष साहित्य और कार्यक्रम तय होंगे।
• भगवान बिरसा मुंडा की भी 15 नवंबर को 150वीं जयंती है। इस विशेष अवसर पर भी संघ शताब्दी संकल्प के दौरान विशेष साहित्य और कार्यक्रम पर बैठक में चर्चा होगी।
• युवाओं को संघ से विशेष रूप से जोड़ने के लिए विशेष आयोजन होंगे। पंच परिवर्तन कार्यक्रम से प्रेरित संस्था, व्यक्तियों, मठ, मंदिरों, सामाजिक शैक्षणिक संस्था से शताब्दी वर्ष के दौरान संपर्क किया जाएगा।










