प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार, 25 अगस्त को गुजरात में अहमदाबाद के हंसलपुर में सुजुकी के पहले वैश्विक रणनीतिक बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) ‘ई-विटारा’ को झंडी दिखाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब दुनिया के दर्जनों देशों में जो ईवी चलेगी, उसमें ‘मेड इन इंडिया’ लिखा होगा। उन्होंने इसे भारत की ‘मेक इन इंडिया’ यात्रा से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की दिशा में एक ऐतिहासिक छलांग बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि भारत-जापान की मजबूत दोस्ती का भी प्रतीक है। उन्होंने मारुति के इस नए विस्तार को ‘टीन एज’ में प्रवेश बताया और उम्मीद जताई कि अब कंपनी और ऊंची उड़ान भरेगी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी 2012 में मारुति को हंसलपुर में जमीन आवंटित की गई थी। आज उसी बीज से आत्मनिर्भर भारत की एक मजबूत जड़ें निकली हैं, और यह विकास की कहानी अब पूरी दुनिया तक फैल रही है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि अब भारत में पहली बार बैटरी सेल के इलेक्ट्रोड भी स्थानीय स्तर पर बनाए जाएंगे। इससे ईवी सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता को नया बल मिलेगा और ईवी इकोसिस्टम मजबूत होगा। 2017 में जिस TDSG बैटरी प्लांट की नींव रखी गई थी, वह आज उस मिशन का क्रियान्वयन करता नजर आ रहा है। इस प्रोजेक्ट में तीन जापानी कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मारुति-सुजुकी की एक और उपलब्धि साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे केवल 6 महीनों में मारुति ने हाइब्रिड एम्बुलेंस का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया, जो PM E-DRIVE योजना में पूरी तरह फिट बैठता है। इस योजना के तहत 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट तय किया गया है, जिसमें ई-एम्बुलेंस भी शामिल है। इससे पुराने वाहनों को नया जीवन देने और प्रदूषण को घटाने में बड़ी मदद मिलेगी।
अपने भाषण में भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्रांति को जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे पिछले 10 वर्षों में भारत ने मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त प्रगति की है। मोबाइल फोन प्रोडक्शन में 2700 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स में 500 प्रतिशत और रक्षा उत्पादन में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि आज जब दुनिया सप्लाई चेन संकट से जूझ रही है, तब भारत की पिछले दशक की नीतियां कारगर साबित हो रही हैं। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI), इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, लॉजिस्टिक्स पार्क और सिंगल विंडो क्लीयरेंस जैसे रिफॉर्म्स ने भारत को निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बना दिया है। उन्होंने सभी राज्यों से अपील की कि वे रिफॉर्म्स और गुड गवर्नेंस की स्पर्धा करें ताकि 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा किया जा सके।
पीएम मोदी ने जापान के साथ अपने पुराने संबंधों की याद दिलाते हुए बताया कि कैसे वाइब्रेंट गुजरात समिट में जापान पहला साझेदार देश बना था। उन्होंने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से जापानी निवेशकों की सुविधा के लिए कई छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया- जैसे जापानी भाषा में नियमों की छपाई, जापानी फूड की व्यवस्था, गोल्फ कोर्स का विकास और स्कूलों में जापानी भाषा की शिक्षा। यह सब दर्शाता है कि भारत ने अपने वैश्विक साझेदारों को सहज अनुभव देने के लिए हर स्तर पर तैयारी की है।
उन्होंने बताया कि अगले हफ्ते वे जापान की यात्रा पर जा रहे हैं और वहां भी इस साझेदारी को और गहरा करेंगे। उन्होंने मारुति-सुजुकी जैसी कंपनियों से अनुरोध किया कि वे भारत-जापान यूथ एक्सचेंज और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स को भी आगे बढ़ाएं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में ‘स्वदेशी’ पर विशेष बल दिया और कहा कि स्वदेशी का अर्थ केवल पैसा देश का होना नहीं है, बल्कि जो उत्पाद बने उसमें देशवासियों का पसीना, मेहनत और देश की मिट्टी की खुशबू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर पैसा बाहर का भी है, लेकिन उत्पादन में हमारे लोगों की भागीदारी है, तो वह भी स्वदेशी ही है। उन्होंने 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि देश की आने वाली पीढ़ियां आज के इन प्रयासों पर गर्व करेंगी।