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भारत-घाना ने आतंकवाद को बताया मानवता का दुश्मन, सहयोग को और मजबूत करने का लिया संकल्प

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान घाना और भारत ने आतंकवाद को मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया है। इसके साथ ही दोनों देशों ने इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए आपसी सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प लिया है। दोनों देशों के बीच इस महत्वपूर्ण विषय पर गहन विचार-विमर्श हुआ और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीतियों को लागू करने पर सहमति बनी।

प्रधानमंत्री मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा कि, “हम एकमत हैं कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में सहयोग के लिए हम घाना का आभार प्रकट करते हैं। इस संदर्भ में, हमने काउंटर-टेररिज्म में आपसी सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय लिया है।”

दोनों नेताओं ने आतंकवाद को केवल एक देश की समस्या नहीं बल्कि वैश्विक खतरा बताया, जो सभी देशों की सुरक्षा, स्थिरता और विकास को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए बहुपक्षीय सहयोग, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान, सीमा सुरक्षा, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं।

भारत और घाना ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने का निर्णय लिया है। इसमें सशस्त्र बलों की ट्रेनिंग, समुद्री सुरक्षा (मैरीटाइम सिक्योरिटी), डिफेंस सप्लाई चेन, और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। दोनों देशों के बीच इस सहयोग से न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि आतंकवादी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण भी संभव होगा।

दोनों देश ग्लोबल साउथ के सक्रिय सदस्य हैं और वैश्विक दक्षिण के विकास, शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर एकजुट हैं। प्रधानमंत्री ने घाना की वैश्विक दक्षिण समिट में सकारात्मक भागीदारी की सराहना की और कहा कि भारत की G20 अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता मिलने से अफ्रीका के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी।

राष्ट्रपति महामा ने भी भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुधारों और वैश्विक शांति प्रयासों में सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि युद्ध का युग समाप्त होना चाहिए और संवाद व कूटनीति से ही समाधान संभव है।

आतंकवाद विरोधी सहयोग के अलावा, भारत और घाना ने स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने घाना के ‘आर्थिक पुनर्गठन’ प्रयासों में पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है। ICCR और ITEC स्कॉलरशिप्स को दोगुना करने का निर्णय लिया गया है। युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना पर काम शुरू होगा। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से किफायती और भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया है। ‘Feed Ghana’ कार्यक्रम में सहयोग बढ़ाने की सहमति बनी है। इसके साथ ही घाना को ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया गया है, जिससे क्लीन कुकिंग गैस और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने घाना में बसे भारतीय समुदाय की भी सराहना की, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में घाना की प्रगति में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि यह समुदाय दोनों देशों के बीच मजबूत ‘पीपल टू पीपल’ संबंधों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

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