ऐतिहासिक वक्फ विधेयक पर संसद ने अपनी मुहर लगा दी है। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी गुरुवार को 12 घंटे से अधिक चली मैराथन बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया। विधेयक के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। दोनों सदनों से पारित होने के बाद इसे तुरंत ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। इसके साथ ही यूपीए सरकार का 2013 का जमीन कब्जाओ वक्फ कानून इतिहास बन जाएगा। विधेयक पारित करने के लिए लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी आधी रात के बाद तक कार्यवाही चली। राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भारत सरकार का कानून है जो सब पर बाध्य है औऱ सभी को इसे स्वीकारना होगा। उन्होंने आंकड़ों के साथ गंभीरता को ओर इशारा करते हुए कहा कि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल भूमि 18 लाख एकड़ थी, जिसमें 2013 से 2025 के बीच 21 लाख एकड़ भूमि और बढ़ गई। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। फिर भी हमने इसमें गैर-मुस्लिमों की संख्या सीमित कर दी है। वक्फ विधेयक से मुसलमानों को हम नहीं डरा रहे, बल्कि विपक्षी पार्टियां डरा रही हैं।वक्फ विधेयक में मुस्लिमों के हित होने से विपक्ष के हौसले पस्त
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने विपक्ष से पूछा कि मुसलमानों में गरीबी ज्यादा है, तो उन्हें गरीब किसने बनाया? आपने बनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो सबका साथ, सबका विकास की बात की है, वही तो संविधान की भावना है। वक्फ बोर्ड असंवैधानिक नहीं है। राज्यसभा में विधेयक को लेकर वैसे तो भारी हंगामा और विपक्ष के कड़े विरोध की उम्मीद थी, लेकिन लोकसभा में विधेयक पारित होने और सरकार की ओर से विधेयक को मुस्लिमों के हित में होने को लेकर जिस तरह के तर्क दिए गए, उससे शायद विपक्ष के हौसले थोड़े पस्त थे। यही वजह थी कि सदन में विधेयक पेश होने के दौरान विपक्ष ने किसी तरह की टोकाटाकी या शोरशराबे से भी परहेज किया।
अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय पैदा करना एक फ़ैशन बना
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ज़ोर देकर कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय पैदा करना एक फ़ैशन बन गया है। राम जन्मभूमि, ट्रिपल तलाक़ और CAA के समय भी मुस्लिम समुदाय के लोगों में भय पैदा करने की कोशिश की गई, लेकिन मुस्लिम समुदाय भी जानता है कि भय की कोई बात नहीं है। दो साल हो गए CAA से किसी की नागरिकता नहीं गई, अगर CAA से किसी की नागरिकता गई है तो विपक्ष उसकी जानकारी सदन के पटल पर रखनी चाहिए। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है, इसलिए विपक्ष के हाथ खाली हैं। मोदी सरकार का यह संकल्प है कि इस देश के किसी भी नागरिक पर चाहे वह किसी भी धर्म को हो कोई आँच नहीं आएगी। मोदी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत है कि वोट बैंक के लिए हम कोई कानून नहीं लाएंगे क्योंकि कानून न्याय और लोगों के कल्याण के लिए होता है। इसी सदन में मोदी सरकार महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून लाई और पिछड़ों को संवैधानिक अधिकार दिया गया। उन्होंने कहा कि सबको अपने धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है, लेकिन लोभ, लालच और भय से धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकता।
एक दशक में ही वक्फ बोर्ड की 21 लाख एकड़ भूमि बढ़ी!
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2013 में लाए गए संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में कुल मिलाकर साढ़े 5 घंटे चर्चा हुई जबकि इस बिल पर दोनों सदनों को मिलाकर 16 घंटे से ज्यादा चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि हमने संयुक्त समिति बनाई, 38 बैठकें हुईं, 113 घंटे चर्चा हुई और 284 हितधारक बनाए गए। इन सबसे देशभर से लगभग एक करोड़ ऑनलाइन सुझाव आए, जिनकी मीमांसा कर यह कानून बनाया गया और इसे ऐसे खारिज नहीं कर सकते। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह देश की संसद द्वारा बनाया गया कानून है जिसे सबको स्वीकारना पड़ेगा। यह भारत सरकार का कानून है जो सब पर बाध्य है औऱ सभी को इसे स्वीकारना होगा। उन्होंने कहा कि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल भूमि 18 लाख एकड़ थी, जिसमें 2013 से 2025 के बीच 21 लाख एकड़ भूमि और बढ़ गई। इस 39 लाख एकड़ भूमि में 21 लाख एकड़ भूमि 2013 के बाद की है। उन्होंने कहा कि लीज़ पर दी गई संपत्तियां 20 हज़ार थीं, लेकिन रिकॉर्ड के हिसाब से 2025 में ये संपत्तियां शून्य हो गईं। उन्होंने कहा कि ये संपत्तियां बेच दी गईं। गृह मंत्री ने कहा कि कैथौलिक और चर्च संगठनों ने इस कानून को अपना समर्थन दिया है और 2013 के संशोधन को अन्यायी बताया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 समावेशिता, पारदर्शिता और न्याय पर विशेष जोर देता है।
आइए, इसे विस्तार से देखें!#WaqfAmendmentBill2025 pic.twitter.com/QWyZjozyOm
— सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (@MIB_Hindi) April 3, 2025
पहली बार मुस्लिम समाज के अंदर सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- जब वक्फ पर हम बात कर रहे हैं तब इसकी रुखसती का वक्त आ गया है। JBC सदस्यों और सरकार ने बिल पर काम करते हुए इबादत की तरह काम किया है। हमारी सरकार ने पहली बार मुस्लिम समाज के अंदर सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का काम किया है। ताजमहल पर भी वक्फ ने दावा किया। तब सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा कि शाहजहां के समय का फरमान लेकर आइए, जिसमें ताजमहल को वक्फ किया गया। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- केंद्र सरकार गरीब मुसलमानों का समर्थन कर रही है, जो आने वाले समय में इस उपकार के लिए खुद को कृतज्ञ महसूस करेंगे। यह लड़ाई शराफत अली और शरारत खान के बीच है। हमारी सरकार शराफत अली के साथ खड़ी है और हम गरीब मुसलमानों के साथ हैं। हमारी सरकार ने इस लड़ाई में गरीब मुसलमानों का समर्थन किया है, न कि तथाकथित कट्टरपंथी और कट्टरपंथी ठेकेदारों (नेताओं) का किया है।
राज्यसभा में ‘वक्फ संशोधन विधेयक, 2025’ पर चर्चा के दौरान मेरा भाषण!
YouTube link : https://t.co/NogaQx5CHx pic.twitter.com/F3PwgV0wvF
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) April 4, 2025
कांग्रेस ने हमेशा वोटबैंक की राजनीति के लिए तुष्टिकरण को चुना
कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा अपने वोट बैंक की ताकत के आधार पर अल्पसंख्यकों का समर्थन करने का विकल्प चुनती है और भूमि विवादों पर मुस्लिम निकायों के खिलाफ कैथोलिक चर्च द्वारा उठाई गई आपत्तियों का हवाला दिया। उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि पिछली सरकारों के दौरान वक्फ बोर्ड के भूमि दावों को कैसे वैध बनाया गया, जबकि अंग्रेजों ने मुगलों की सारी जमीन पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने सवाल उठाया कि सिखों और हिंदुओं की जमीनें उसी तरह क्यों नहीं वापस ली गईं, जिस तरह मुसलमानों के लिए की गई थीं। त्रिवेदी ने कहा कि जो समुदाय कभी प्रसिद्ध गायकों, गीतकारों और संगीतकारों के लिए जाना जाता था, आज वही देश के खिलाफ बोलने वालों की प्रशंसा कर रहा है। उन्होंने कहा कि अदब-के-सहागरों के साथ मुस्लिम समाज जुड़ता था, आज मुस्लिम समाज का नेतृत्व किन लोगों के साथ जुड़ता है। इसरत जहां, याकूब मेनन, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, दाऊद इब्राहिम। जब हमें आजादी मिली, तब मुस्लिम समुदाय के प्रतीक कौन थे – उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, उस्ताद फरीदुद्दीन डागर, उस्ताद बड़े गुलाम अली, उस्ताद जाकिर हुसैन, हसरत जयपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी, कैफी आजमी, साहिर लुधियानवी और जिगर मुरादाबादी। अब क्या हो गया है।
पहले कसाब के लिए जागी संसद, अब गलत कानून को सही करने के लिए जागी
इससे पहले लोकसभा में बुधवार/गुरुवार को वक्फ संशोधन बिल पारित किया गया। इस पर करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद करीब रात 2 बजे हुई वोटिंग में 520 सांसदों ने हिस्सा लिया। इस दौरान 288 ने पक्ष में जबकि 232 ने विपक्ष में वोट डाले। संसद में एक फर्क एकदम साफ और पूरी शिद्दत से दिखा। यूपीए के कार्यकाल में सुबह 2 बजे तक आतंकी कसाब को बचाने के लिए सरकारी तंत्र काम करता रहा था और आज वक्फ के ग़लत क़ानून बदलने के लिए संसद रातभर जागी है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया है। आज (गुरुवार) यह बिल राज्यसभा में पेश हुआ। राज्यसभा से पारित होकर इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह बिल कानून के रूप में देश में वक्फ संपत्तियों के बारे में बहुत बड़े बदलाव लाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में देश ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल किया है। ट्रिपल तलाक खत्म करने वाली मोदी सरकार ने एक और सुधारवादी कदम बढ़ाया है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं का भी हित समाहित है।
वक्फ एक्ट में संशोधन करने के पीछे यह हैं दमदार तर्क
वक्फ एक्ट में संशोधन को विपक्ष अपनी आदत के मुताबिक अनाश्यक बता रहा है। दरअसर, देशहित का हर सुधारवादी कदम विपक्ष की नजर में ऐसा ही है। लेकिन केंद्र सरकार के पास इसके लिए एक नहीं कई दमदार तर्क हैं। दरअसल, 2022 से अब तक देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ एक्ट से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दायर कर मौजूदा कानून में कई खामियां बताई गईं। इनमें से करीब 15 याचिकाएं तो खुद मुस्लिमों की तरफ से ही हैं। याचिकाकर्ताओं का सबसे बड़ा तर्क यह था कि एक्ट के सेक्शन 40 के मुताबिक, वक्फ किसी भी प्रॉपर्टी को अपनी प्रॉपर्टी घोषित कर सकता है। इसके खिलाफ कोई शिकायत भी वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल में ही की जा सकती है और इस पर अंतिम फैसला ट्रिब्यूनल का ही होता है। आम लोगों के लिए वक्फ जैसी ताकतवर संस्था के फैसले के कोर्ट में चैलेंज करना आसान नहीं है।
याचिकाओं में 5 बड़ी मांगें की गईं…
• भारत में मुस्लिम, जैन, सिख जैसे सभी अल्पसंख्यकों के धर्मार्थ ट्रस्टों और ट्रस्टियों के लिए एक कानून होना चाहिए।
• धार्मिक आधार पर कोई ट्रिब्यूनल नहीं होना चाहिए। वक्फ संपत्तियों पर फैसला सिविल कानून से हो, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल से।
• अवैध तरीके से वक्फ की जमीन बेचने वाले वक्फ बोर्ड के मेंबर्स को सजा हो।
• सरकार को मस्जिदों से कोई कमाई नहीं होती, जबकि सरकार वक्फ के अधिकारियों को वेतन देती है। इसलिए वक्फ के आर्थिक मामलों पर नियंत्रण लाया जाए।
• मुस्लिम समाज के अलग-अलग सेक्शन यानी शिया, बोहरा मुस्लिम और मुस्लिम महिलाओं को भी शामिल किया जाए।
जस्टिस सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही एक्ट में बदलाव
इसके अलावा केंद्र सरकार का कहना है कि 2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर ही एक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘वक्फ की प्रॉपर्टीज के मुकाबले उनसे होने वाली कमाई बेहद कम है। जमीनों से 12,000 करोड़ रुपए की सालाना कमाई हो सकती थी, लेकिन अभी सिर्फ 200 करोड़ रुपए की कमाई होती है।’ इसके अलावा 8 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश करते हुए संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था, ‘इस बिल का मकसद धार्मिक संस्थाओं के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है।
बिल मुस्लिम महिलाओं और पिछड़े मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में हिस्सेदारी
दरअसल, मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं की निरंतर आवाज बन रही है। पहले ट्रिपल तलाक को खत्म करके मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को डर, परेशानी और जिल्लत भरी जिंदगी से बाहर निकाला था। मुस्लिम महिलाएं दिल से इस बड़े कदम के लिए पीएम मोदी को दुआएं देती हैं। अब इस बिल में भी मुस्लिम महिलाओं पर भी फोकस है। बिल मुस्लिम महिलाओं और पिछड़े मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में हिस्सेदारी देने के लिए लाया गया है। इसमें वक्फ प्रॉपर्टीज के विवाद 6 महीने के भीतर निपटाने का प्रावधान है। इनसे वक्फ में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का हल निकलेगा।’ 31 मार्च को रिजिजू ने कहा, ‘निर्दोष मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है कि सरकार उनके कब्रिस्तान और मस्जिद छीन लेगी। ये सिर्फ एक प्रोपेगैंडा है। वक्फ को रेगुलेट करने के कानून आजादी के पहले से मौजूद हैं।’विधेयक मुसलमानों के हित में, विपक्ष कर रहा वोटबैंक की राजनीति- शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर चर्चा के दौरान अपनी बात बहुत मजबूती से रखी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के हित में है और वक्फ बोर्ड को मजबूत बनाने के लिए लाया गया है। अमित शाह ने यह भी कहा कि विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे मुसलमानों के वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आप (विपक्ष) इस देश को तोड़ दोगे। मैं इस सदन के माध्यम से देश के मुसलमानों से कहना चाहता हूं कि आपके वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम नहीं आएगा। इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद क्या करेगी? वक्फ की संपत्तियां बेचने वालों को पकड़कर बाहर निकालेगी। वक्फ की आय गिरती जा रही है, जिसके माध्यम से अल्पसंख्यकों के लिए विकास करना है और उन्हें आगे बढ़ाना है। वो पैसा जो चोरी होता है, उसको वक्फ बोर्ड और परिषद पकड़ने का काम करेगी।
हम UPA सरकार की तुलना में वक्फ बिल को लेकर कहीं ज्यादा गंभीर- नड्डा
वक्फ संशोधन बिल बुधवार को लोकसभा में पास होने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने वक्फ बिल पर विपक्ष के रुख को लेकर निशाना साधा। नड्डा ने कहा- हमने कांग्रेस नेतृत्व वाली UPA सरकार की तुलना में वक्फ बिल को लेकर कहीं ज्यादा गंभीरता दिखाई। यह बिल पार्टी इंट्रेस्ट का नहीं है, यह नेशनल इंट्रेस्ट का विषय है। इसलिए मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए। विषय को डिरेल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा- बिल में कहीं राम मंदिर आ रहा है। कहीं कुंभ मेला दिख रहा है। बिहार का इलेक्शन दिख रहा। कहीं एअर इंडिया बिक गया। कहीं केरला का सिनेमा आ गया। ये सब चर्चा को डिरेल करने की कोशिश है।
288-232=56
लोकसभा में वक्फ बिल पास हुआ। वक्फ बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 यानी 56 वोट बिल के पक्ष में ज्यादा मिले। इसे कहते है 56 इंच का कमाल।
आइए, अब जानते हैं किवक्फ बोर्ड संशोधन बिल के पारित होने से देश में क्या-क्या बड़े बदलाव आएंगे..
ऑनलाइन होगा वक्फ का डेटाबेस
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के पारित होते ही वक्फ कानून में बड़े बदलाव होंगे। कानून के लागू होने के 6 महीने के भीतर हर वक्फ संपत्ति को सेंट्रल डेटाबेस पर रजिस्टर्ड करना अनिवार्य होगा। वक्फ में दी गई जमीन का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन पोर्टल पर 6 महीने के अंदर अपलोड करना होगा और कुछ विशेष परिस्थितियों और मामलों में ही इस दी गई टाइम लिमिट को बढ़ाया भी जा सकेगा।
वक्फ की प्रॉपर्टीज में ट्रांसपरेंसी आएगी
वक्फ को डोनेशन में दी गई हर जमीन का ऑनलाइन डेटाबेस होगा और वक्फ बोर्ड इन प्रॉपर्टीज के बारे में किसी बात को छिपा नहीं पाएगा। किस जमीन को किस व्यक्ति ने डोनेट किया? वो जमीन उसके पास कहां से आई ? वक्फ बोर्ड को उससे कितनी इनकम होती है? उस प्रॉपर्टी की देख-रेख करने वाले ‘मुतव्वली’ को कितनी तनख्वाह मिलती है? ये जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर मुहैया होगी। इससे वक्फ की प्रॉपर्टीज में ट्रांसपरेंसी आएगी और वक्फ को होने वाला नुकसान भी कम होगा।
वक्फ बोर्ड में दो मुस्लिम महिलाएं भी होंगी
राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी दो मुस्लिम महिलाएं जरूर होंगी। साथ ही शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिमों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा। इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए। इन दोनों मुस्लिम संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने का भी प्रावधान इस कानून में जोड़ा गया है। सरकार के मुताबिक इस प्रावधान से वक्फ में पिछड़े और गरीब मुस्लिमों को भी जगह मिलेगी और वक्फ में मुस्लिम महिलाओं की भी हिस्सेदारी होगी।
महिलाएं भी वक्फ की जमीन में होंगी उत्तराधिकारी
कोई भी व्यक्ति उसी जमीन को डोनेट कर पाएगा जो उसके नाम पर रजिस्टर्ड होगी। वक्फ भी ऐसी संपत्तियों पर अपना दावा नहीं कर पाएगा जहां कोई व्यक्ति किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को दान में देता है। इसे अवैध माना जाएगा। खास बात यह है कि ‘वक्फ-अल-औलाद’ के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा। यानी जिस परिवार ने वक्फ की जमीन ‘वक्फ-अल-औलाद’ के लिए डोनेशन में दी है, उस जमीन से होने वाली इनकम सिर्फ उन परिवारों के पुरुषों को नहीं मिलेगी, बल्कि इसमें महिलाओं का भी हिस्सा होगा।
सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील करना मुमकिन
लोकसभा से पास बिल में कहा गया है कि अब डोनेशन में मिली प्रॉपर्टी ही वक्फ की होगी। जमीन पर दावा करने वाला ट्रिब्यूनल,रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा। साथ ही सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी जा सकेगी। मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ 90 दिनों में रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में अपील दायर करने का लोगों के पास अधिकार होगा, जो मौजूदा कानून में नहीं है।
सरकार के पास होगा ऑडिट कराने का अधिकार
केंद्र और राज्य सरकारों के पास वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का अधिकार होगा, जिससे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा। वक्फ बोर्ड सरकार को कोई भी जानकारी देने से मना नहीं कर सकता और वक्फ बोर्ड ये भी नहीं कह सकता कि कोई जमीन सैकड़ों साल पहले से किसी धार्मिक मकसद से इस्तेमाल हो रही थी तो वो जमीन उसकी है। बता दें कि वर्ष 1950 में पूरे देश में वक्फ बोर्ड के पास सिर्फ 52 हजार एकड़ जमीन थी, जो वर्ष 2009 में 4 लाख एकड़ हो गई। 2014 में 6 लाख एकड़ हो गई और अब वर्ष 2025 में वक्फ बोर्ड के पास देश की कुल 9 लाख 40 हजार एकड़ जमीन है।
प्रॉपर्टी का पूरा ब्यौरा राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होगा
किसी भी विवाद की स्थिति में स्टेट गवर्नमेंट के अफसर को यह सुनिश्चित करने का अधिकार होगा कि संपत्ति वक्फ की है या सरकार की। जिन सरकारी प्रॉपर्टीज पर वक्फ अपना कब्जा बताता आ रहा है, उनको पहले दिन से ही वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं माना जाएगा। अगर ये दावा किया जाता है कि कोई सरकारी प्रॉपर्टी वक्फ की है तो ऐसी स्थिति में राज्य सरकार मामले की जांच कराएगी। जांच-पड़ताल करने वाला अफसर कलेक्टर रैंक से ऊपर का होगा। जांच रिपोर्ट में वक्फ का दावा गलत निकलता है तो सरकारी प्रॉपर्टी का पूरा ब्यौरा राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होगा।
वक्फ प्रॉपर्टीज नियम इन पर होगा लागू
साथ ही ये सरकारी प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं मानी जाएगी। ये नियम उन सरकारी प्रॉपर्टीज पर भी लागू होंगे, जिन पर पहले से वक्फ का दावा और कब्जा है। सबसे बड़ा बदलाव ये आएगा कि वक्फ बिना किसी दस्तावेज और सर्वे के किसी जमीन को अपना बताकर उस पर कब्जा नहीं कर सकेगा। कोई अन्य प्रॉपर्टी या जमीन वक्फ की है या नहीं, इसकी जांच कराने के लिए राज्य सरकार को जरूरी अधिकार दिए गए हैं।