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मानसून सत्र में पेपरलेस संसद की दिशा में एक और हाइटेक कदम, सांसदों की उपस्थिति मल्टीमीडिया डिवाइस से होगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन के तहत संसद को हाइटेक बनाने और पेपरलेस वर्क की दिशा में लगातार कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में लोकसभा सांसद अब आगामी मानसून सत्र से ही अपनी उपस्थिति मल्टीमीडिया डिवाइस (एमएमडी) के जरिए सीट से ही दर्ज कर सकेंगे। यह महत्वपूर्ण बदलाव पेपरलेस संसद की दिशा में बड़ा अहम कदम है। एमएमडी को अभी उपस्थिति दर्ज करने तक सीमित रखा गया है। लेकिन, भविष्य में इसे इंटीग्रेटेड वोटिंग मैकेनिज्म से जोड़ा जा सकता है। हाजिरी लगाने की इस इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था के तहत सांसदों को सदन के अंदर बैठने के अपने निर्धारित स्थान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होगी। जबकि यह उपस्थिति पहले सभी सदस्यों को संसद भवन की लाबी में रजिस्टर पर दर्ज करनी होती थी। संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार जहां पाकिस्तान को घर में घुसकर आतंकियों को मार गिराने वाले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पहलुओं के बारे में जानकारी दे सकती है, वहीं 21 जुलाई से शुरू होने जा रहे इस मानसून सत्र में सरकार आठ नए विधेयक पेश कर सकती है।

एमएमडी सिस्टम से सालभर में सांसदों के समय की बचत होगी
संसद में उपस्थिति के लिए मल्टीमीडिया डिवाइस (एमएमडी) नए संसद में सांसदों की सीटों पर लगाया गया एक टैबलेट-बेस्ड इंटरफेस है। इसके जरिए सांसद अपनी उपस्थिति चार तरीकों से दर्ज कर सकते हैं। फिंगरप्रिंट थंब स्कैनर, 6 अंकों का यूनिक पिन नंबर, सांसद कार्ड, ड्रॉपडाउन में अपना नाम चुनकर डिजिटल पेन से हस्ताक्षर के बाद सबमिट बटन दबाकर कर सकते हैं। इससे पहले सांसदों को लोकसभा या राज्यसभा की लॉबी में जाकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने होते थे। इसमें हर दिन 2 से 3 मिनट का समय लगता था। नया सिस्टम सालभर में एक सांसद के करीब साढ़े तीन घंटे बचा सकता है। इसके अलावा, कुछ संसद सदस्य अपनी उपस्थिति दर्ज करने के बाद बिना सदन की कार्यवाही में भाग लिए ही वापस चले जाते थे। ऐसे कई मामले सामने आने के बाद अगले संसद सत्र से यह नई व्यवस्था लागू की जानी है। ताकि सदन के नियमित कामकाज में सभी सदस्यों की उपस्थिति बढ़े। एमएमडी को अभी उपस्थिति दर्ज करने तक सीमित रखा गया है। लेकिन, भविष्य में इसे इंटीग्रेटेड वोटिंग मैकेनिज्म से जोड़ा जा सकता है।

ऑपरेशन सिंदूर और आर्थिक सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने पर होगा मंथन
संसद के मानसून सत्र में सरकार ऑपरेशन सिंदूर के पहलुओं की जानकारी दे सकती है। इसके अलावा सूत्र बताते हैं कि मानसून सत्र का एक बड़ा एजेंडा हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के मकान में लगी आग के दौरान नकदी जलने के मामले का भी है। इसके साथ ही सत्र में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी गहन विमर्श की संभावना है। सत्र के लिए सरकार ने अपने आर्थिक सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने की रणनीति तैयार की है। सरकार की मंशा है कि 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलने वाले सत्र के दौरान डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, जीएटी न्यायाधिकरण विधेयक, सार्वजनिक खरीद विधेयक, दिवालियापन एवं ऋणशोधन संहिता संशोधन विधेयक जैसे कानूनों पर प्रगति हो।उपस्थिति की हाई-टेक प्रणाली लागू करने को उत्सुक हैं ओम बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस नई प्रथा को लागू करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि लॉबी में उपस्थिति रजिस्टर कुछ समय के लिए जारी रहेगा, ताकि सांसदों को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से परिचित होने का समय मिल सके। बिरला ने पिछले वर्ष सदस्यों को लॉबी में इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट पर डिजिटल पेन का उपयोग करके अपनी उपस्थिति दर्ज करने का विकल्प दिया था, जो कि संसद को पेपरलेस बनाने के प्रयासों का हिस्सा था। अब मल्टीमीडिया डिवाइस (एमएमडी) के जरिए सीट से ही दर्ज कर सकेंगे। यह महत्वपूर्ण बदलाव पेपरलेस संसद की दिशा में बड़ा महत्वपूर्ण कदम है। यह ध्यान देने योग्य है कि मंत्रियों और विपक्ष के नेता को अपनी उपस्थिति पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती है। सदस्यों को संसद सत्र के दौरान अपने दैनिक भत्ते प्राप्त करने के लिए भी अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है। सांसदों की सदन में उपस्थिति की आवृत्ति कभी-कभी सार्वजनिक बहस का हिस्सा भी होती है।

संसद के मानसून सत्र में ये महत्वपूर्ण विधेयक हो सकते हैं पेश
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस मानसून सत्र में सरकार आठ नए विधेयक पेश कर सकती है। इनमें मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से जुड़ा विधेयक भी शामिल है। सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने पर विचार कर रही है। मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। राष्ट्रपति शासन के लिए सरकार को हर छह महीने में संसद की मंजूरी लेनी होती है। फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन की समयसीमा 13 अगस्त है। संसद के आगामी सत्र में सरकार मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय संस्थान प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2025, कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2025, भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक 2025, खान एवं खान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025 को लोकसभा में पेश और पारित करा सकती है। 

सरकार नए आयकर विधेयक को भी पारित कराने पर विचार करेगी
इसके अलावा, सरकार नए आयकर विधेयक को भी पारित कराने पर विचार करेगी। इसे पिछले सत्र में पेश किया गया था और फिर आगे की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में संसद को बताया था कि नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जटिल शब्दावली को कम करेगा और आम आदमी के लिए इसे समझना आसान बनाएगा। यदि यह इसी सत्र में पारित हो जाता है, तो यह कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा। साथ ही गोवा राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक 2024, मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025 को भी लोकसभा में पारित किए जाने की उम्मीद है।

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