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खेत से थाली तक: मोदी सरकार ने सहेजा हर दाना, देश भर में बना मजबूत अनाज भंडारण तंत्र

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की कृषि नीति ने एक नई क्रांति ला दी है। अब सिर्फ उत्पादन बढ़ाने की बात नहीं होती, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने, उनकी उपज का संरक्षण, मूल्य संवर्धन और समृद्धि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। पहले जहां बड़ी मात्रा में अनाज सड़ता था, अब देश आत्मनिर्भर बन चुका है और मोदी सरकार ने ‘खेत से थाली तक’ की मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित की है। इसमें आधुनिक भंडारगृह, साइलो, कोल्ड स्टोरेज, कंप्यूटरीकृत प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS) और कृषि अवसंरचना कोष (AIF), प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) जैसी योजनाएं शामिल हैं। ये किसानों को सही मूल्य दिलाने, फसलों की बर्बादी कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।

देश के खेतों में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद अब मोदी सरकार हर दाने को सुरक्षित रखने का जिम्मा बखूबी निभा रही है। वर्ष 2024-25 में 353.96 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन के साथ यह पहल प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच, तकनीक और विकेंद्रीकृत मॉडल का परिचायक है, जो किसानों को मजबूत, सशक्त और समृद्ध बनाने के साथ ही भारत को एक वैश्विक कृषि महाशक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मोदी सरकार की नजर अब सिर्फ उत्पादन पर नहीं, बल्कि फसल कटने के बाद क्या? इस बड़े सवाल पर भी है। खेती के बाद सबसे बड़ा संकट होता है भंडारण का। बारिश, नमी, कीड़े-मकोड़े या समय से पहले बेच देने की मजबूरी- ये सभी किसान की मेहनत को मिट्टी में मिला सकते हैं। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। मोदी सरकार ने देशभर में ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे न सिर्फ भंडारण क्षमता बढ़ी है, बल्कि गांव के पास ही भंडारण केंद्र, शीतगृह (cold storage) और स्टील साइलो जैसी सुविधाएं तैयार हो रही हैं।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्यों की एजेंसियों के पास अब बंद भंडारण और CAP सिस्टम के जरिए लगभग 918 लाख मीट्रिक टन अनाज को सुरक्षित रखने की क्षमता है। ये अनाज सिर्फ सरकारी गोदामों में बंद नहीं रहता, बल्कि पीडीएस सिस्टम से आम जनता तक पहुंचता है- खासकर गरीबों, स्कूलों और राहत योजनाओं के लिए।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जल्दी खराब होने वाली चीजें– जैसे फल, सब्जियां, दूध और मांस के लिए देशभर में 8815 कोल्ड स्टोरेज बनाए हैं। इनकी कुल क्षमता 402.18 मिलियन मीट्रिक टन है। इनमें हर चीज विज्ञान और तकनीक से भंडारित होती है, ताकि किसी भी मौसम में ताजगी बनी रहे और बाजार में सप्लाई बनी रहे।

सरकार की खास रणनीति रही है कि हर गांव स्तर पर प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACs) को मजबूत किया जाए। अब तक 5937 नए PACs बनाए जा चुके हैं और 73492 PACs का कंप्यूटरीकरण हो चुका है। ये संस्थाएं अब सिर्फ लोन नहीं देतीं, बल्कि भंडारण, खरीद और उचित मूल्य की दुकानों का काम भी करती हैं।

सरकार ने सिर्फ घोषणाएं नहीं कीं, जमीनी काम भी किया है:
AIF (Agriculture Infrastructure Fund): 73155 करोड़ रुपए की मंजूरी, 1.27 लाख प्रोजेक्ट्स।
AMI (Agricultural Marketing Infrastructure): 49,796 स्टोरेज प्रोजेक्ट्स, 982.94 लाख टन क्षमता बढ़ी।
PMKSY (Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana): 1133 प्रोजेक्ट चालू, 255 लाख टन प्रसंस्करण और भंडारण क्षमता।

सरकार अब 5000 से 20000 मीट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज बनाने वालों को 35 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा किसानों और एग्री-स्टार्टअप्स को मिल रहा है। मई 2023 में सरकार ने जो दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना शुरू की थी, उसका असर अब जमीन पर दिख रहा है। 11 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट सफल रहे हैं और अब 500 से ज्यादा PACS में नए गोदाम बन रहे हैं। इन PACS को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में बदलने की तैयारी है यानी एक ही जगह भंडारण, खरीद, बिक्री, और राशन वितरण।

सभी फोटो भारत सरकार

भविष्य को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने स्टील साइलो का भी बड़े पैमाने पर निर्माण कराया है, जहां अनाज को ऑटोमेटेड सिस्टम और मॉडर्न निगरानी में लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अब तक 48 जगहों पर 27.75 लाख टन क्षमता वाले साइलो तैयार हो चुके हैं, और कई पर काम चल रहा है।

एफसीआई की 177 जगहों पर 17.47 लाख टन क्षमता के गोदाम बन रहे हैं। इससे न सिर्फ भंडारण क्षमता बढ़ेगी, बल्कि जमीन का उपयोग भी होगा और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा मिलेगा। आज के भारत में खेती सिर्फ खेत तक सीमित नहीं रही। अब सरकार की नीति साफ है – “जो उपजे, वो बर्बाद न हो।” पीएम मोदी सरकार की योजनाएं बताती हैं कि अब कृषि सिर्फ उपज नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित प्रणाली है – जिसमें किसान, बाजार, उपभोक्ता और तकनीक सब जुड़े हुए हैं।

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