Home विशेष अच्छे दिन: विदेशी मुद्रा भंडार 405 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर

अच्छे दिन: विदेशी मुद्रा भंडार 405 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर

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प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद देश में विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में इस साल कई रिकॉर्ड बने हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 22 दिसंबर को समाप्‍त सप्‍ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.53 अरब डॉलर बढ़कर 404.921 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 400 अरब डॉलर का स्‍तर पहली बार इस साल सितंबर के पहले हफ्ते में पार किया था।

आइए इस बहाने एक दृष्टि डालते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था की प्रमुख उपलब्धियों पर।

मोदी सरकार में बढ़ता गया शेयर बाजार
26 दिसंबर, 2017 को मोदी सरकार में एक और रिकॉर्ड तब बना जब शेयर बाजार के इतिहास में सेंसेक्स पहली बार 34000 के पार पहुंच गया। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

बेहतर हुआ भारत का व्यापार संतुलन
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2013-14 में अनुमानित व्‍यापार घाटा 62448.16 मिलियन अमरीकी डॉलर का था, वहीं अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान 38073.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि अप्रैल-जनवरी 2015-16 में यह 54187.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्‍यापार घाटे से भी 29.7 प्रतिशत कम है। यानि व्यापार संतुलन की दृष्टि से भी मोदी सरकार में स्थिति उतरोत्तर बेहतर होती जा रही है और 2013-14 की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत तक सुधार आया है। 

विनिर्माण क्षेत्र में आई तेजी
देश के विनिर्माण क्षेत्र में नए ऑर्डर मिलने, उत्पादन और रोजगार गतिविधियां बढने से उछाल दर्ज किया गया। निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में अगस्त महीने में उछलकर 51.2 पर पहुंच गया जबकि जुलाई में यह 47.9 था।

तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था में चौथे नंबर पर भारत
10 जुलाई 2017 को जारी विश्व बैंक की सूची के अनुसार, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाली सूची में भारत का स्थान चौथा है। विश्व बैंक ने उम्मीद जताई है कि साल 2017 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहेगी। विश्व बैंक के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण, नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोजेक्ट के कारण देश के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश को माना जा रहा है।

बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।

पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।

जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।

कैशलेस अभियान से आई पारदर्शिता
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी।

महंगाई पर लगा लगाम
महंगाई दर में लगातार कमी हो रही है। वर्ष 2014 की 11 प्रतिशत की तुलना में आज महंगाई दर औसतन चार प्रतिशत है। पिछले जून महीने में खुदरा महंगाई दर 18 साल के सबसे निचले स्तर पर था। जून में रिटेल महंगाई दर 1.54 रही जबकि मई में ये 2.18 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 2.4 फीसदी पर पहुंच गई लेकिन थोक महंगाई दर 1.88 थी। जाहिर है पिछली सरकारों में जमीन आसमान का अंतर है।

जन धन से वित्तीय समावेशन
बीते साढ़े तीन साल में प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत 30 करोड़ से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं जबकि जनवरी 2015 में जनधन खातों की संख्या 12.55 करोड़ थी। लाभार्थियों के खाते की राशि भी बढ़कर 65,844.68 करोड़ रुपये हो गई और प्रति खाता औसत शेष राशि का आंकड़ा भी जनवरी 2015 के 837 रुपये से उछलकर अगस्त, 2017 में 2,231 रुपये हो गया। दूसरी ओर जीरो बैलेंस खातों की संख्या में खासी कमी हुई। सितंबर, 2014 में जहां 76.81 प्रतिशत ऐसे खाते थे तो अगस्त 2017 में उनका दायरा सिकुड़कर 21.41 प्रतिशत रह गया।

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