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सिंधु जल समझौता रोकने का असर शुरू: पानी का फ्लो कंट्रोल कर कभी सूखा कभी बाढ़ आने से पाकिस्तान में अफरा-तफरी 

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पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि स्थगित की, तो लेफ्ट लिबरल गैंग के पेट में अचानक दर्द होने लगा। इसने ये सवाल उठा दिए कि संधि को स्थगित करने का इम्पैक्ट दिखने में तो सालों लग जाएंगे। लेकिन पीएम मोदी जिस स्पीड और स्केल पर काम करते हैं, उससे पाकिस्तान पर इसका असर अभी से दिखने लगा है। क्योंकि भारत भले ही पाकिस्तान जाने वाला पूरा पानी तत्काल रोक नहीं सकता, लेकिन इसके फ्लो को कंट्रोल करना भारत के हाथ में है। यही वजह है कि भारत ने नदियों के पानी के फ्लो को कंट्रोल करके ही पाकिस्तान का गेम बजा शुरू कर दिया है। भारत ने पहले चिनाब का फ्लो रोका, फिर 26 अप्रैल को झेलम का पानी अचानक छोड़ दिया। इसलिए पाकिस्तान के प्रभावित इलाकों में अचानक अफरा-तफरी मच गई और वाटर इमरजेंसी लगानी पड़ी। जहां तक संधि को स्थगित करने पर सवालिया निशान लगाने का मामला है तो वियना समझौते के लॉ ऑफ ट्रीटीज की धारा 62 के तहत भारत इस आधार पर संधि से पीछे हट सकता है कि पाकिस्तान उसके खिलाफ आतंकी गुटों का इस्तेमाल कर रहा है। इंटरनेशनल कोर्ट ने भी कहा है कि अगर मौजूदा स्थितियों में कोई बदलाव हो तो कोई भी संधि रद्द की जा सकती है।

अच्छे रिश्तों के बिना सिंधु जल समझौते को जारी नहीं रखा जा सकता
पहलगाम में आतंकी हमले के एक दिन बाद पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ 5 बड़े फैसले हुए। इनमें सबसे अहम था- सिंधु जल समझौते को स्थगित करना। 1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत सिंधु वाटर सिस्टम की 3 पूर्वी नदियों का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है और बाकी 3 पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था। सीसीएस की बैठक के अगले ही दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर जल शक्ति मंत्रालय की बैठक हुई। बैठक के बाद जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी पाकिस्तान नहीं जाएगा। इसके साथ ही भारत में जलशक्ति सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव मुर्तजा को पत्र लिखकर साफ-साफ कह दिया कि यह संधि अच्छे संदर्भ में की गई थी, लेकिन अच्छे रिश्तों के बिना इसे जारी नहीं रखा जा सकता।

पानी के फ्लो के कंट्रोल से तत्काल आएगा पाकिस्तान पर असर
सिंधु, झेलम और चिनाब बड़ी नदियां हैं। मई से सितंबर के बीच जब बर्फ पिघलती है तो ये नदियां अपने साथ अरबों क्यूबिक मीटर पानी लेकर पाकिस्तान में घुसती हैं। इनमें से चिनाब पर भारत ने बगलीहार डैम, रतले प्रोजेक्ट, चिनाब की सहायक नदी मारुसूदर पर पाकल डुल प्रोजेक्ट और झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। सिंधु बेसिन के पूरे पानी को भारतीय इलाकों में मोड़ने के लिए बड़े बांध और डायवर्जन प्रोजेक्ट लगाने होंगे। इसमें भले ही कुछ समय लग सकता है, लेकिन नदियों के पानी के फ्लो का कंट्रोल करके भारत तत्काल पाकिस्तान पर असर डाल सकता है। इसे आप यूं समझ सकते हैं कि पाकिस्तान में एक सुबह उनको यह पता चले कि आज पानी नहीं आ रहा। फिर अगली ही सुबह हाल ये हो जाए कि आपके मोहल्ले की गलियों से लेकर घर के कमरे तक पानी से भरे हों। किस दिन क्या होगा, आपको पहले से इसकी खबर तक न मिले। ऐसे में पाकिस्तान के इन नदियों के जुड़े इलाकों में अफरा-तफरी की स्थिति बन जाएगी।

नदियों का पानी इतनी तबाही मचाएगा कि पाक को होगी भारी परेशानी
इसी तरह भारत भले ही रातोंरात पाकिस्तान का पूरा पानी हमेशा के लिए नहीं रोक सकता, लेकिन वह अस्थायी तौर पर झेलम, चिनाब और सिंधु जैसी नदियों के पानी का फ्लो कंट्रोल करके पाकिस्तान के पंजाब के इलाके से लेकर कराची तक पानी की सप्लाई डिस्टर्ब कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ‘भारत के पास अब पानी का फ्लो डिस्टर्ब करके और उससे जुड़ी जानकारी रोककर पाकिस्तान में पानी की कमी या छोटी बाढ़ लाने की क्षमता है। पानी अचानक छोड़ा गया या रोका गया तो पाकिस्तान में दिक्कत पर दिक्कत आएगी। इसका ताजा उदाहरण गत 26 अप्रैल का ही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक PoK में नदी के किनारे बसे गांव डुमेल के निवासी मुहम्मद आसिफ ने बताया, ‘हमें कोई अलर्ट नहीं मिला। पानी तेजी से आया। हम जानमाल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’ लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। ऑफिसर्स को समझ नहीं आ रहा था कि पानी कितना ज्यादा है और कितनी तबाही मचा सकता है।

पाक की काफी खेती और एक-तिहाई हाइड्रोप्रोजेक्ट सिंधु नदी पर निर्भर
दरअसल, पाकिस्तान अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से कैसे बुरी तरह फंस चुका है। सिंधु नदी भारत के पूर्व में तिब्बत से निकलती है और पहले लेह, फिर जम्मू-कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में घुसती है। बेसिन की बाकी 5 नदियां भी हिमाचल प्रदेश के बाद जम्मू-कश्मीर होते हुए पाकिस्तान में दाखिल होती हैं और सिंधु से मिलती जाती हैं। अपने पूरे रूट के दौरान जब तक ये नदियां भारत में हैं ये ऊंचाई पर होती हैं और पाकिस्तान में घुसते ही इनका फ्लो नीचे की तरफ हो जाता है। पाकिस्तान की 90% खेती और बिजली बनाने वाले लगभग एक-तिहाई हाइड्रोप्रोजेक्ट सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर हैं। जिसका कंट्रोल भारत के पास है। ऐसे में पश्चिमी नदियों के पानी का फ्लो भारत के लिए एक हथियार के तौर पर काम कर रहा है। इस भौगोलिक स्थिति की वजह से पाकिस्तान बुरी तरह फंस चुका है।

भारत की वाटर स्ट्राइक के बाद फिर चीन की गोदी में बैठा पाक
पाकिस्तान समझ रहा है कि भारत की ये वाटर स्ट्राइक उसे कितनी महंगा पड़ सकती है। इसीलिए पाकिस्तान ‘पानी रोकने पर खून बहाने’ की बात कर रहा है, साथ ही चीन से भारत का पानी रोकने की गुहार लगा रहा है। दरअसल, भारत में भी चीन के कब्जे वाले तिब्बत के इलाके से ब्रह्मपुत्र नदी का पानी आता है, जो असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय होते हुए बांग्लादेश और फिर बंगाल की खाड़ी में गिर जाता है। डोकलाम विवाद के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र के वाटर फ्लो का डेटा भारत से शेयर करना बंद कर दिया था। अब पाकिस्तान फिर चाहेगा कि चीन कुछ ऐसा ही करे। लेकिन फिलहाल चीन टैरिफ वार के इस दौर में भारत के खिलाफ जाने वाला नहीं है। अमेरिका के आर्थिक युद्ध के बाद उसके भी भारत जैसे मजबूत देश की जरूरत है। ऐसे में पाकिस्तान सिंधु जल समझौते के स्थगित होने पर अलग-थलग पड़ गया है।

मोदी सरकार शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म पर कर रही काम
भारत पाकिस्तान पर नकेल कसने के लिए सिंधु वाटर ट्रीटी को लेकर 3 स्टेप्स में लॉन्ग टर्म प्लान कर रहा है। सिंधु जल समझौता रोकने के बाद भारत का 3 स्टेप की रणनीति बना रहा है। केंद्रीय जल मंत्री सीआर पाटिल ने कहा है कि इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। सरकार शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म के कुल 3 प्लान पर काम कर रही है, ताकि पानी की एक बूंद भी पाकिस्तान न जाए। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये प्लान कुछ इस तरह हो सकता है…

स्टेप-1: नई सिंधु जल संधि की जमीन तैयार करना
• सिंधु जल समझौता भारत के लिए फायदे का सौदा कभी नहीं रहा। 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में ये संधि हुई थी। तब भारत चाहता था कि पाकिस्तान की तरफ से हमले होने बंद हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
• 2024 में भारत ने संधि में बदलाव की मांग करते हुए पाकिस्तान को एक नोटिस भेजा था। भारत सालों से नई सिंधु संधि चाहता है। इससे जलवायु परिवर्तन, पानी की मात्रा जैसे मुद्दों पर भारत अपने हित पर जोर दे सकेगा।’
• अब भारत ने घोषित रूप से सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है। भारत अपने फायदे का सौदा करने के लिए अब पाकिस्तान को बातचीत के लिए मजबूर कर सकता है।

स्टेप-2: अपने हिस्से के पानी की हर बूंद का इस्तेमाल करना
• संधि के तहत भारत पूर्वी नदियों का पानी इस्तेमाल कर सकता है। अभी इन नदियों के 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी में से करीब 94% पानी का इस्तेमाल भारत करता है।
• इसके लिए भारत ने पूर्वी नदियों यानी सतलुज पर भाखड़ा नागल बांध, ब्यास पर पोंग बांध, रावी पर रंजीत सागर बांध और हरिके बैराज, इंदिरा नहर जैसे प्रोजेक्ट लगाए हुए हैं।
• बाकी करीब 6 प्रतिशत पानी बिना इस्तेमाल हुए पाकिस्तान चला जाता है। बचे हुए पानी के इस्तेमाल के लिए भारत रावी नदी पर शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट, सतलुज ब्यास नहर लिंक प्रोजेक्ट और रावी की सहायक नदी पर ‘उझ डैम’ बना रहा है।
• भारत ने सुनियोजित प्लानिंग कर ली है कि वह इन नदियों का बहाव मोड़कर 100 प्रतिशत पानी अपने यहां इस्तेमाल करेगा।

स्टेप-3: पाक जाने वाले पूरे पानी को भारत की तरफ मोड़ना
• ये लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट है, जो सालों चलेगा। मंत्री पाटिल के मुताबिक सबसे पहले नदियों से गाद निकालने का काम किया जाएगा, इससे पानी को रोकना और उसका रुख बदलना आसान होगा।
• नदियों पर बांध और बाकी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बढ़ाए जाएंगे। जो हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स तैयार किए जा रहे हैं, उनमें तेजी लाई जाएगी।
• पानी को स्टोर करने के लिए जलाशय बनाकर नदियों की दिशा बदलने पर काम शुरू किया जाएगा।

सिंधु जल समझौता स्थगित करने का आधार बने ये पांच प्वाइंट
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा है कि पाक जाने वाले पानी को लेकर 3 तरह की रणनीति बना रहे हैं। इससे पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं मिलेगा। पहलगाम आतंकी हमले के बाद 23 अप्रैल को केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला लिया था। भारत में जलशक्ति सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव मुर्तजा को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि यह संधि अच्छे संदर्भ में की गई थी, लेकिन अच्छे रिश्तों के बिना इसे बनाए नहीं रखा जा सकता। उन्होंने अपने पत्र में इन पांच प्वाइंट पर जोर दिया है…
• भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान सरकार को नोटिस भेजा जा रहा है। जिसमें संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत सिंधु जल संधि 1960 में संशोधन की मांग की गई है। इस लेटर में उन मुद्दों का हवाला दिया गया है जिसके चलते समझौते पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है।
• संधि के बाद से अब तक जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में क्लीन एनर्जी डेवलपमेंट में तेजी लाने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी हो जाते हैं।
• किसी भी समझौते में सबसे जरूरी होता है कि उस संधि का सम्मान किया जाए। इसके बजाय पाकिस्तान की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी है।
• सुरक्षा से जुड़ी अनिश्चितताओं ने संधि के तहत भारत के अपने अधिकारों को बाधित किया है। इसके अलावा भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। इस प्रकार उसने संधि का उल्लंघन किया है।
• इसलिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है।

 

 

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