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पाक के खिलाफ कूटनीतिक स्ट्राइक: आतंक के आका की पोल खोलने भारत कई देशों में भेजेगा डेलिगेशन, पानी को भी तरसेगा पाकिस्तान

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पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल-एयर और मिसाइल स्ट्राइक के बाद अब बारी कूटनीतिक स्ट्राइक की है। भारत अब पाकिस्तान पर कूटनीतिक स्ट्राइक की तैयारी कर रहा है, ताकि दुनियाभर के सामने पाकिस्तान की असलियत उजागर की जा सके। इसके तहत अब भारत के सांसद और अन्य नेता वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करेंगे। इसके लिए सरकार 22 मई से 5-6 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को अलग-अलग देशों की यात्रा पर भेजने की रणनीति बनाई है। हर प्रतिनिधिमंडल में पांच से छह सांसद होंगे। ये सभी 30 मई तक दुनिया के नेताओं और थिंक टैंक से संपर्क कर आतंकवाद पर भारत का पक्ष बताएंगे। इसके साथ ही आतंक के आका पाकिस्तान की भी पोल खोलेंगे। सांसदों के ये डेलीगेशन पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत, सिंधु जल समझौते के निरस्तीकरण, पाकिस्तान का आतंकियों को समर्थन और मौजूद ट्रेनिंग सेंटरों के बारे में प्रामाणिक जानकारी देंगे। इस बीच भारत ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी सैन्य ताकत को और मजबूती देने के लिए रक्षा बजट में 50 हजार करोड़ बढ़ाने जा रहा है।भारत के सांसद ऑपरेशन सिंदूर समेत कई मुद्दों पर ब्रीफ करेंगे
केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। संसदीय कार्य मंत्रालय ने इस डेलिगेशन को लीड करने वाले 7 सांसदों की लिस्ट जारी की. जिसमें कांग्रेस के शशि थरूर से लेकर बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय झा, DMK के कनिमोई, NCP (एसपी) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे शामिल हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर पर भारत के सांसद दुनिया को ब्रीफ करेंगे। केंद्र सरकार सभी दलों के चुनिंदा सांसदों को 22 या 23 मई से 10 दिनों के लिए विदेश दौरे पर भेज रही है। ये सांसद अमेरिका, UK, दक्षिण अफ्रीका, कतर और UAE जाएंगे। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेंगे। वहां की सरकार को आतंकवाद पर भारत का पक्ष बताएंगे। संसदीय कार्य मंत्रालय ने शनिवार को डेलिगेशन को लीड करने वाले सांसदों के नाम जारी किए। इसमें कांग्रेस से सांसद शशि थरूर का नाम भी शामिल है।

 

डेलिगेशन में ठाकुर, थरूर, खुर्शीद और ओवैसी जैसे कई नाम शामिल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों की संख्या 30 से ज्यादा हो सकती है। हर डेलिगेशन में 5-6 सदस्य हो सकते हैं। भाजपा की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद अपराजिता सारंगी डेलिगेशन का हिस्सा होंगी। कांग्रेस से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह शामिल होंगे। NCP(SP) की सुप्रिया सुले और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का नाम भी सामने आया है। विदेश मंत्रालय ने सांसदों को विदेश यात्रा के लिए तैयार रहने को कहा है। विदेश मंत्रालय (MEA) सांसदों को डिप्लोमेटिक मिशन के लिए रवाना होने से पहले जानकारी देगा। विदेश मंत्रालय यात्रा से जुड़े डिटेल्स शेयर करने के लिए उनसे संपर्क करेगा। सांसदों के साथ विदेश मंत्रालय (MEA) का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि भी जाएंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सांसदों का विदेश दौरा कोऑर्डिनेट कर रहे हैं। सांसदों को अपना पासपोर्ट और ट्रैवल से जुड़ी जरूरी डॉक्यूमेंट्स तैयार रखने की सलाह दी गई है।

डेलिगेशन की जिम्मेदारी मेरे लिए सम्मान की बात – शशि थरूर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने डेलिगेशन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलने पर केंद्र सरकार का आभार जताया। उन्होंने X पर लिखा, ‘मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण रखने के लिए पांच प्रमुख देशों की राजधानियों में एक सर्वदलीय डेलिगेशन का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।’ काबिले जिक्र है कि इससे पहले भी शशि थरूर ने 8 मई को केंद्र सरकार की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान और दुनिया के लिए मजबूत संदेश है। भारत ने 26 बेकसूर नागरिकों की मौत का बदला लेने के लिए सटीक कार्रवाई की।

जयराम रमेश बोले- कांग्रेस डेलिगेशन का हिस्सा होगी
सांसदों के डेलिगेशन को विदेश भेजने को लेकर केंद्र की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी (इंचार्ज कम्युनिकेशन) जयराम रमेश ने PTI को बताया कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष से बात की है। जयराम रमेश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत के रुख को समझाने के लिए विदेश में मल्टी पार्टी डेलिगेशन भेजने का फैसला किया है। कांग्रेस इस डेलिगेशन का हिस्सा होगी, क्योंकि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बड़ा मुद्दा है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा बजट में 50 हजार करोड़ बढ़ाने का प्रस्ताव
केंद्र सरकार रक्षा बजट 50 हजार करोड़ रुपए बढ़ाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने सरकार को फंड बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे संसद के नवंबर-दिसंबर के दौरान शीतकालीन सत्र में मंजूरी मिल सकती है। इस फंड से नए हथियार, गोला-बारूद और तकनीक खरीदी जाएंगी। वहीं कुछ हिस्सा रिसर्च और डेवलमेंट पर भी खर्च किया जाएगा। इस बढ़ोतरी के बाद रक्षा मंत्रालय का बजट 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सशस्त्र बलों के लिए रिकॉर्ड 6.81 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया था।

मोदी सरकार ने 8 मई को सभी दलों की बैठक बुलाई थी
केंद्र सरकार ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की थी। अगले दिन संसद में ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए सभी दलों की बैठक बुलाई गई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की थी। रक्षा मंत्री ने बैठक में बताया था कि भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (POJK) में आतंकी ठिकानों पर जो हमले किए, उसमें कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए। सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के अलावा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी पहुंचे थे।

1994 में विपक्ष के नेता वाजपेयी ने UNHRC में भारत का पक्ष रखा था
इससे पहले 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत का पक्ष रखने के लिए विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय डेलिगेशन को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) भेजा था। उस डेलिगेशन में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और सलमान खुर्शीद जैसे नेता भी शामिल थे। तब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में UNHRC के सामने एक प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में था। हालांकि, भारतीय डेलिगेशन ने पाकिस्तान के आरोपों का जवाब दिया और नतीजतन पाकिस्तान को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। उस समय यूएन में भारत के राजदूत हामिद अंसारी ने भी प्रधानमंत्री राव की रणनीति सफल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा 2008 में मुंबई हमलों के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी लिंक होने से जुड़े दस्तावेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के डेलिगेशन को विदेश भेजने का फैसला किया था। भारत ने पाकिस्तान पर सैन्य हमला न करने का फैसला किया था। यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल और फाइनेंशियल एक्स टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को पहली बार ग्रे-लिस्ट में भी डाला था।

भारत के रणनीतिक कदम से पाकिस्तान बूंद-बूंद जल को तरसेगा
इस कूटनीतिक स्ट्राइक के साथ-साथ मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक स्ट्राइक भी कर रही है। पीएम मोदी ने पहलगाम में आतंकी हमला होने के तत्काल बाद ही सिधुं जल समझौता निलंबित कर दिया था। भारत ने सिंधु नदी के पानी को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो न केवल रणनीतिक है बल्कि देश के चार राज्यों के लिए वरदान साबित होने वाला है। सरकार ने फैसला किया है कि अब पाकिस्तान जाने वाले पानी का उपयोग राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली की प्यास बुझाने के लिए किया जाएगा। यह कदम हमले के बाद लिया गया, जब भारत ने पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी देना बंद कर दिया था। अब वही पानी भारत के सूखे क्षेत्रों को हरा-भरा करने की दिशा में काम आएगा।

सिंधु जल के उपयोग के लिए जल शक्ति मंत्रालय की ‘युद्ध स्तर’ पर तैयारी
जल शक्ति मंत्रालय इस योजना को लागू करने के लिए रात-दिन जुटा हुआ है। एएनआई के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय युद्ध स्तर पर काम कर रहा है, ताकि पानी की एक-एक बूंद का सही इस्तेमाल हो। जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने साफ कहा कि पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया गया है, और इस दिशा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। इस बड़े फैसले के पीछे पीएम मोदी और अमित शाह की अहम भूमिका रही है। उनकी उच्च स्तरीय बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए, जिन्हें अब जल्दी ही लागू किया जाएगा। पाटिल के मुताबिक मिले सुझावों को धीरे-धीरे लेकिन सावधानीपूर्वक लागू किया जाएगा, ताकि योजना पूरी तरह सफल हो। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर कदम सोच-समझकर उठाया जाए।

वर्ल्ड बैंक के हस्तक्षेप नहीं करने से चार राज्यों को होगा फायदा
इस बीच, वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने मीडिया में चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा, ‘हमारी भूमिका सिर्फ सुविधा प्रदान करने तक सीमित है।’ उन्होंने साफ किया कि वर्ल्ड बैंक इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा और न ही कोई फैसला लेगा। बंगा ने हल्के अंदाज में कहा, ‘मीडिया में जो अटकलें चल रही हैं, वो सब बकवास है!’ उनकी यह टिप्पणी साफ करती है कि भारत इस मामले में पूरी तरह स्वतंत्र है। इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को होगा। इन राज्यों में पानी की कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है। अब तक पाकिस्तान की ओर बहने वाला पानी बर्बाद हो जाता था, लेकिन अब इसे इन राज्यों की जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इससे न केवल सिंचाई और पीने के पानी की समस्या हल होगी, बल्कि इन क्षेत्रों में समृद्धि का नया दौर शुरू हो सकता है। बता दें कि सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसके तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया। हालांकि, भारत ने हमेशा इस समझौते का पालन किया, लेकिन अब सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

 

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